भारत सरकार के रेल मंत्रालय की ओर से जो कि रेलवे बोर्ड के उपनिदेशक संजय कुमार ने अपने सभी जनरल मैनेजर सभी क्षेत्रीय रेलवे तथा प्रोडक्शन यूनिट को 10/06/22 को भेजे गए आदेश में कहा है कि जो भी रेल मंडल के डीआरएम द्वारा किसी दूसरे रेल मंडल के डीआरएम को भेजे गए वन वे रिक्वेस्ट ट्रांसफर के फाइल को मिलने के बाद रिक्वेस्ट ट्रांसफर के फाइल को अगर स्वीकृत किया जाता है तो पैरेंट डिवीजन के द्वारा उक्त कर्मचारी को रिलीव किया जा सकता है। लेकिन कभी कभी ऐसे परिस्थितियां आ जाती है कि निर्णय लेना कठिन हो जाता है। यह समाचार www.operafast.com पर पढ़ रहे हैं।
लेकिन रेलवे बोर्ड के दिनांक 17.09.2018 के पत्र RBE 139/2018 की ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा है कि महाप्रबंधकों को कुछ विशिष्ट शक्तियां प्रदान की गई थीं, जो गैर-राजपत्रित रेलवे कर्मचारियों के स्थानांतरण के अनुरोध (रिक्वेस्ट) को कठिन परिस्थितियों में स्वीकार कर सकते हैं। ऐसे मामले जहां रेलवे को फाइल स्वीकार करने से एनओसी प्राप्त हो गया है और पैरेंट रेलवे में जहां कर्मचारी कार्यरत है वहां के सक्षम प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित किया गया है। ऐसे असाधारण परिस्थितियों में इस अधिकार का विस्तार करने के लिए कुछ क्षेत्रीय रेलवे से पत्राचार किया जा रहा था और यहां तक कि ऐसे मामलों के लिए भी जिन्हें अभी फाइल अग्रेषित किया जाना है।
इस तरह के मामले पर बोर्ड के कार्यालय में सावधानीपूर्वक विचार किया गया है। बोर्ड के पत्र आरबीई सं. 139/2018 में आंशिक संशोधन करते हुए, यह निर्णय लिया गया है कि महाप्रबंधक अनुरोध हस्तांतरण के ऐसे मामलों को बिना बारी के आधार पर फॉरवर्ड करने पर भी विचार कर सकते हैं, जब असाधारण परिस्थितियों में इस पर विचार किया जाना चाहिए।
उदाहरण के तौर पर RBE no 67/2022 और RBE no 139/2018 के आधार पर ऐसे मामले जब आते हैं जब किसी जोन या रेलवे मंडल के द्वारा इंटर रेलवे ट्रांसफर का फाइल भेजा जाता है और उस मंडल के द्वारा किसी कारण बस सीनियरिटी या क्रम का दुरुपयोग करते हुए, नीचे का क्रम का नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट जारी कर देता है लेकिन वरीयता का ख्याल नही रखा जाता है तो ऐसे स्थिति मूल डिवीजन के द्वारा बाकी लोगों के फाइल को रोककर नही रखा जा सकता। इसके लिए आउट ऑफ टर्न बेसिस पर रिलीव किया जायेगा , इसके लिए उस जोन के AGM से 3 महीने के भीतर अनुमति लेना होगा।