Thursday 13 February 2020

INDIAN RAILWAY में LHB COACH की खासियत

Friends, Railways has made a lot of progress from its inception year till date whether it is in terms of technology or speed, signaling system etc.

दोस्तों, रेलवे अपनी स्थापना वर्ष से लेकर आज तक बहुत प्रगति की है चाहे वो टेक्नोलॉजी के मामले हो या स्पीड, सिग्नलिंग सिस्टम इत्यादि !
 आपको ऐसे ही नई टेक्नोलॉजी से सुशोभित लाल रंग के तेज दौड़ रही रेलगाड़ी के बारे में बताने जा रहा हूँ वो है LBH कोचेस -
Linke Hofmann Busch coaches are the passenger coaches of Indian Railways that have been developed by Linke-Hofmann-Busch of Germany and mostly produced by Rail Coach Factory in Kapurthala, India. They have been used since 2000 on the broad gauge network of Indian railways.If there are strong rail tracks, its maximum speed can be run up to 160- 200 kilometers per hour
लिंक हॉफमैन बस कोच भारतीय रेलवे के यात्री कोच हैं जिन्हें जर्मनी के लिंके-हॉफमैन-बस द्वारा विकसित किया गया है और ज्यादातर कपूरथला, भारत में रेल कोच फैक्टरी द्वारा उत्पादित किए जाते हैं। भारतीय रेलवे के ब्रॉड गेज नेटवर्क पर 2000 के बाद से उनका उपयोग किया जाता है।अगर मजबूत रेल की पटरियाँ हो तो इसकी अधिकतम गति 160-200 किलोमीटर प्रति घंटा तक चलाया जा सकता हैअब इसे भारत में कपूरथला के बाद इंट्रीगल कोच फैक्ट्री पेरंबूर चेन्नई , रायबरेली में भी तैयार किया जाने लगा है !एक्चुअली इसकी इस प्रकार डिज़ाइन किया गया है की इसे 160-200 किलोमीटर प्रति घंटा तक चलाया जा सकता है इसके एक कोच की लम्बाई 23.54 मीटर होती है
Its length is 2 meters more than the normal coach, which makes 9 seats more available in the sleeper coach and its coupling is designed so that the coach does not climb on each other in the case of accident and the loss of mall is minimized. The man sitting in the moving train does not even feel as a shock together it should be said that the LHB coach will prove to be a stone of mixed rail mill.

इसकी लम्बाई सामान्य कोच से 2 मीटर ज्यादा होती है जिससे स्लीपर कोच में 9 सीट ज्यादा उपलब्ध हो जाती है और उसका कपलिंग इस प्रकार डिज़ाइन किया गया है कि एक्सीडेंट कि स्थिति में कोच एक दूसरे पर चढ़ नहीं पाए और जान मॉल कि नुकसान कम से कम हो चलती ट्रैन में बैठा हुआ आदमी को झटका भी नहीं लगता है कुल मिलकर ये कहा जाये कि LHB कोच मिश्रित रेल मिल का पत्थर साबित होगा.ये कोच स्टेनलेस स्टील से बने होते हैं और अंदरूनी एल्यूमीनियम से बने होते हैं जो पारंपरिक रेक की तुलना में हल्का बनाते हैं। प्रत्येक कोच में उच्च गति पर कुशल ब्रेकिंग के लिए " "उन्नत एयर डिस्क ब्रेक सिस्टम", "मॉड्यूलर अंदरूनी" एकीकृत प्रकाश व्यवस्था भी है। 

These coaches are made of stainless steel and the interiors are made of aluminium which make them lighter as compared to conventional rakes. Each coach also has an "advanced pneumatic disc brake system" for efficient braking at higher speeds, "modular interiors" that integrate lighting into ceiling and luggage racks with wider windows.
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ents)

Monday 10 February 2020

भारत सरकार SAIL की अपनी हिस्सेदारी बेचेगी

भारत सरकार SAIL  की अपनी हिस्सेदारी बेचेगी 


 भारत पेट्रोलियम, भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के बाद मोदी सरकार ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) के जरिए स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) में अपनी पांच फीसदी हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रही है. इससे सरकारी खजाने को 1,000 करोड़ रुपये मिलने की संभावना है. एक अधिकारी ने इस बात की जानकारी दी. डिपार्टमेंट ऑफ इंवेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (दीपम) और इस्पात मंत्रालय के अधिकारियों ने सेल में हिस्सेदारी बेचने के लिए सिंगापुर और हांगकांग में रोडशो करने की योजना बनाई है.
चालू वित्त वर्ष में हो सकती है बिक्री : सरकार की कोशिश चालू वित्त वर्ष में सेल में अपनी हिस्सेदारी बेचने पर होगी क्योंकि उसकी नजर चालू वित्त वर्ष में 65,000 करोड़ रुपये के संशोधित विनिवेश लक्ष्य तक पहुंचने की है. सीपीएसई में हिस्सेदारी की बिक्री के जरिए चालू वित्त वर्ष में अब तक 34,000 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं. मार्च के आखिर तक शेष 31,000 करोड़ रुपये जुटाया जाना है.
वित्त वर्ष 2020-21 के लिए सरकार ने सीपीएसई में हिस्सेदारी की बिक्री से 1.20 लाख करोड़ रुपये जमा करने का लक्ष्य रखा है. इसे साथ ही सरकार गार्डन रिच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसई) की 10 फीसदी हिस्सेदारी भी बेचने की योजना बना रही है. जीआरएसई में सरकार की 74.50 प्रतिशत की हिस्सेदारी है. र्तमान मार्केट वैल्यू के हिसाब से इससे सरकार को करीब 200 करोड़ रुपये मिल सकते हैं.

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