Wednesday 31 March 2021

रेल की पटरी में जंग कैसे लगता है !

 रेलवे ट्रैक में उपयोग किया जाने वाला स्टील एक उच्च गुणवत्ता वाला स्टील मिश्र धातु है - जिसमें 0.7% कार्बन और 1% मैंगनीज होता है और इसे-C-Mn ’रेल स्टील के रूप में जाना जाता है ! जो जंग के लिए कम संवेदनशील है।



जब लोहे से बने सामान नमी वाली हवा में ऑक्सीजन से प्रतिक्रिया करते हैं तो लोहे पर एक भूरे रंग की परत यानी आयरन ऑक्साइड (Iron oxide) की जम जाती है. यह भूरे रंग की परत लोहे का ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया के कारण आयरन ऑक्साइड बनने से होता है, जिसे धातु का संक्षारण कहते या लोहे में जंग लगना कहते है !

अर्थात जब लोहा वायुमंडल (ऑक्सीजन) और नमी (पानी) के संपर्क में आता है तो लोहा इनके साथ क्रिया करके कुछ अवांछित यौगिक बना लेता है और लोहे का क्षय होने लगता है और इसी कारण इसका रंग भी बदल जाता है , इसे लोहे पर जंग लगना कहते है।

आपको जानकार आश्चर्य होगा कि विश्व के कुल उत्पादन का 15% लोहा जंग लगने के कारण ख़राब या नष्ट हो जाता है।

लोहे पर जंग लगना एक विद्युत रासायनिक क्रिया है।

लोहे पर जंग लगना एक प्रकार का संक्षारण है अर्थात लोहे पर जंग लगने को संक्षारण का एक उदाहरण कहा जा सकता है।

1. होली का महत्व

रेल में एक मोटा क्रॉस सेक्शन होता है ! सबसे संकीर्ण भाग पर लगभग 20 मिमी होता है ! इसलिए भले ही सतह पर जंग लगे, यह आगे जंग लगने से रोकता है, क्योंकि बाहरी सतह से स्टील कोरोड करता है। स्टील खुले में छोड़ दिया जाए तो जंग की दर लगभग 0.05 मिमी प्रति वर्ष होगी जिसका मतलब है कि जंग लगने के कारण 1 मिमी रेल स्टील में जंग लगने में 20 साल लगेंगे।

जंग के कारण एक रेल खंड का क्षरण नगण्य है, तेज गति से चल रहे रेल के पहियों के दबाव के कारण होने वाले क्षरण की अपेक्षा में बहुत ही कम है जिसका उल्लेख करने की आवश्यकता नहीं है ! रेल के शीर्ष को हमेशा चमकदार और पॉलिश रखा जाता है क्योंकि यह नियमित रूप से उपयोग किया जाता है।

 

रेलगाड़ियों का लगातार परिचालन होने वाले  रेलवे ट्रैक पर जंग लगने की प्रक्रिया बिना परिचालन या उपयोग ना होने वाले ट्रैक जंग की प्रक्रिया बहुत ही जल्द स्टार्ट होती है  !

Monday 29 March 2021

होली के दिन क्या करना है , क्या है होली का महत्व ?

 

क्या है होली का महत्व? होली का त्यौहार अपनी सांस्कृतिक और पारंपरिक मान्यताओं की वजह से बहुत प्राचीन समय से मनाया जा रहा है. इसका उल्लेख भारत की बहुत से पवित्र पौराणिक पुस्तकों,जैसे पुराण, दसकुमार चरित, संस्कृत नाटक, रत्नावली में किया गया है.


होली के इस अनुष्ठान पर लोग सड़कों, पार्कों, सामुदायिक केंद्र, और मंदिरों के आस-पास के क्षेत्रों में होलिका दहन की रस्म के लिए लकड़ी और अन्य ज्वलनशील सामग्री के ढेर बनाने शुरू कर देते है. बहुत से लोग घर पर साफ- सफाई भी करते हैं. इसके साथ अलग अलग प्रकार के व्यनजन भी बनाते हैं जैसे की गुझिया, मिठाई, मठ्ठी, मालपुआ, चिप्स आदि.


होली पूरे भारत में हिंदुओं के लिए एक बहुत बड़ा त्यौहार है, जो ईसा मसीह से भी पहले कई सदियों से मौजूद है. अगर इससे पहले की होली की बात करें तब यह त्यौहार विवाहित महिलाओं द्वारा पूर्णिमा की पूजा द्वारा उनके परिवार के अच्छे के लिये मनाया जाता था. प्राचीन भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस त्यौहार का जश्न मनाने के पीछे कई किंवदंतियों रही हैं.


होली हिंदुओं के लिए एक सांस्कृतिक, धार्मिक और पारंपरिक त्यौहार है. होली शब्द “होलिका” से उत्पन्न है. होली का त्यौहार विशेष रूप से भारत (आर्याव्रत) के लोगों द्वारा मनाया जाता है जिसके पीछे बड़ा कारण है. एक बड़ा कारण यह है की यह त्यौहार केवल रंगों का नहीं बल्कि भाईचारे का भी है. जैसे हम त्यौहार के दोरान सभी रंगों का इस्तमाल करते हैं ठीक वैसे ही हमें आपस में भाईचारे की भावना से रहना चाहिए और एक दुसरे के साथ मिल्झुलकर सभी त्यौहारओं को पालना चाहिए.


होली एक ऐसा त्यौहार है जिसे देश का हर प्रान्त बड़ी धूमधाम से मनाता है. अलग अलग प्रान्तों में उनके सांस्कृति के अनुसार इसे रीती निति से मनाया जाता है. यह त्यौहार हमें जीवन में सबके साथ मिलझूलकर रहने की प्रेरणा देता है.


Holi को सही तरीके से कैसे मनाएं

पहले होली के रंग प्राकृतिक चीजों से बनते थे जैसे फूलों से और उन्हें गुलाल कहा जाता था. वो रंग हमारी त्वचा के लिए बहुत ही अच्छा होता था क्यूंकि उसमे कोई भी chemicals नहीं मिलाया जाता था. लेकिन आज के समय में दुकानों पर रंगों के नाम पर chemicals से बने powder बिकते हैं जो हम सबकी सेहत के लिए हानिकारक है खाश कर के बच्चों के लिए.


ये chemicals से बने रंग कम दामों में मिलते हैं और natural रंग जिससे असल में होली के दिन इस्तेमाल करना चाहिये उसके दाम थोड़े ज्यादा होते हैं इसलिए लोग कम दामों वाला रंग खरीद लेते हैं इस बात से अनजान हो कर की वो रंग उनके लिए कितना खतरनाक है !


इस ख़राब रंग के कारण कई लोगो ने होली खेलना छोड़ दिया है जो बड़े ही दुःख की बात है क्यूंकि chemicals से बने रंग की वजह से लोगों को बहुत से शारीरिक रोगों को बाद में झेलना पड़ता है. हमें इस पुराने और प्रशिद्ध त्योहार को अच्छे और सही तरीके से मनाना चाहिये. इसलिए आज मै आपको बताउंगी की इस बार आपको होली के दिन क्या करना है और क्या नहीं करना है !


होली के दिन क्या करना है , 

1. Holi के दिन organic और naturals रंगों का इस्तेमाल करें. जैसे की Food dye.


2. इस दिन आप जो कपडे पहने उससे आपके पुरे शरीर ढका होना चाहिये ताकि जब कोई दूसरा व्यक्ति आपको chemicals से बने रंग लगाये तो आपकी त्वचा कपड़ो की वजह से बच जाए.


3. अपने चेहरे, शरीर और बाल पर कोई भी तेल लगा लें ताकि जब आप रंगों को नहाते वक़्त छुड़ाने की कोशिश करें तो वो आसानी से छुट जाये.


4. रंगों से खेलने के बाद अगर आपको कोई भी शारीरिक परेशानी होना शुरू हो जाये तो तुरंत अपने नजदीकी अस्पताल में इलाज करवाएं.


5. Asthma पीड़ित व्यक्ति face mask का उपयोग रंग खेलते वक़्त जरुर करें.


6. सर पर आप टोपी का इस्तमाल कर सकते हैं ताकि बालों को नुकसान न हो.


होली के दिन क्या नहीं करना है

1. Chemicals से बने रंग या synthetic रंग का इस्तेमाल बिलकुल भी ना करें.


2. रंगों को किसी भी व्यक्ति के आँख, नाक, मुह और कान में ना डालें.


3. होली का दिन अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर मनाएं और अजनबियों से दूर ही रहे.


4. Eczema से पीड़ित व्यक्ति रंगों से दूर रहने की कोशिश करें.


5. रंगों को दुसरे किसी पर भी जबरदस्ती ना डालें और ना ही जानवरों पर लगायें जिस तरह ये रंग हमारे लिए खतरनाक हैं उसी तरह ये जानवरों के लिए भी उतना ही खतरनाक हैं.


6. सस्ते chinese रंगों से दूर रहें क्यूंकि वो त्वचा के लिए बहुत हानिकारक है.


कैसे रंगों को अपने शरीर से मिटायें

सबसे अच्छा तरीका है अपने पुरे शरीर को पहले ही moisturise कर लें तेल के इस्तमाल से जिससे कोई भी रंग हमारे त्वचा में stick नहीं करेगा. इससे हम आसानी से इसे धो सकते हैं. बालों के लिए भी आप तेल का इस्तमाल कर सकते हैं अथवा आप सर पर टोपी लगा सकते हैं जिससे की आपके बालों को रंग को नुकसान नहीं पहुंचा सके.


जितना हो सके organic colours जैसे की food dye का इस्तमाल करें क्यूंकि chemicals हमारे त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं. ज्यादा सूखे रंग का इस्तमाल करें जिससे की उन्हें आसानी से झाडा जा सकता है.

Source - Google

Sunday 28 March 2021

जाने होलिका दहन की अमर कहानी

 होली का त्योहार प्रेम और सद्भावना से जुडा़ त्योहार है, जिसमें अध्यात्म का अनोखा रूप झलकता है। इस त्योहार को रंग और गुलाल के साथ मानने की परम्परा है। इस त्योहार के साथ कई पौराणिक कथाएं एवं मान्यताएं जुड़ी हुई हैं।



हिंदू पंचांग के मुताबिक, फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपता तिथि को होली का पर्व मनाया जाता है. इससे एक गिन पहले होलिका दहन होता है. इस साल होली 29 मार्च और होलिका दहन 28 मार्च को है ! हर साल लोग होलिका दहन मनाते हैं इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं होलिका दहन (Holika Dahan) मनाने के पीछे क्या कारण है ! आज हम आपको होलिका दहन से संबंधित पौराणिक कहानी बताने जा रहे हैं !


होली की पूर्व संध्या में होलिका दहन किया जाता है। इसके पीछे एक प्राचीन कथा है कि असुर हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु से घोर शत्रुता रखता था। इसने अपनी शक्ति के घमंड में आकर स्वयं को ईश्वर कहना शुरू कर दिया और घोषणा कर दी कि राज्य में केवल उसी की पूजा की जाएगी। उसने अपने राज्य में यज्ञ और आहुति बंद करवा दी और भगवान के भक्तों को सताना शुरू कर दिया। 

हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। पिता के लाख कहने के बावजूद प्रह्लाद विष्णु की भक्ति करता रहा। असुराधिपति हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को मारने की भी कई बार कोशिश की परंतु भगवान स्वयं उसकी रक्षा करते रहे और उसका बाल भी बांका नहीं हुआ। असुर राजा की बहन होलिका को भगवान शंकर से ऐसी चादर मिली थी जिसे ओढ़ने पर अग्नि उसे जला नहीं सकती थी। होलिका उस चादर को ओढ़कर प्रह्लाद को गोद में लेकर चिता पर बैठ गई। 

 

दैवयोग से वह चादर उड़कर प्रह्लाद के ऊपर आ गई, जिससे प्रह्लाद की जान बच गई और होलिका जल गई। होलिका दहन के दिन होली जलाकर होलिका नामक दुर्भावना का अंत और भगवान द्वारा भक्त की रक्षा का जश्न मनाया जाता है !

मशरूम प्रशिक्षण

किसानों का भारत बंद और आरजेडी का बिहार बंद

जगन्नाथ पुरी का रहस्य


Saturday 27 March 2021

प्रशिक्षण समारोह का समापन, सांसद और जिलाधिकारी रहे मौजूद

आज दिनांक 27/03/2021 को जहानाबाद जिला के टाउन हॉल में दो दिवसीय मशरूम प्रशिक्षण का समापन हो गया ! इस समापन समारोह में जहानाबाद के सांसद और जिला अधिकारी मौजूद थे ! विदित हो कि यह प्रशिक्षण समारोह का उद्घाटन जहानाबाद जिला अधिकारी मनोज कुमार के कर कमलों द्वारा किया गया था ! यह प्रशिक्षण अखिल भारतीय मशरूम प्रशिक्षण परियोजना के अंतर्गत केंद्रीय कृषि प्रशिक्षण अनुसंधान केंद्र के तत्वावधान में आयोजित किया गया ! इस प्रशिक्षण सत्र का आयोजन के उद्घाटन समारोह में कृषि अनुसंधान केंद्र सोलन हिमाचल प्रदेश के वरिष्ठ वैज्ञानिक, कृषि अनुसंधान केंद्र पूसा समस्तीपुर के वैज्ञानिक,जहानाबाद जिला के अधिकारी समेत किसान समन्वयक कृषि सलाहकार जहानाबाद जिला के 500 किसान मौजूद थे !
जिला अधिकारी मनोज कुमार ने किसानों को विलक्षण प्रतिभा के धनी बताया और कहा कि एक जिला एक उत्पाद के तहत जहानाबाद में मशरूम की खेती के लिए चयन किया गया है उन्होंने इस खेती पर 50% अनुदान की बातें की बताइए उन्होंने बताया कि ज्यादा फसल होने पर भारत से बाहर भी निर्यात किया जाएगा इसके लिए कोलकाता पोर्ट से बात भी कर ली गई है ! 
जहानाबाद के कृषि पदाधिकारी सुनील कुमार ने मशरूम को प्रोटीन का खान बताया ! यह खेती बिना खेत के होता है !मशरूम अपने घर के अंदर भी उगाया जा सकता है ! मशरूम के कई प्रजातियां होती है, सभी प्रजातियां औषधीय गुणों से भरपूर होता है , मशरूम की खेती कम जल में भी किया जाता है ! यहां तक कि कृषि अवशेष का भी समुचित उपयोग हो जाता है ! इससे रोजगार भी उत्पन्न किया जाता है ! 

मशरूम के पौष्टिक गुण आज के बदलते आर्थिक एवं सामाजिक परिवेश के लिए संतुलित एवं पौष्टिक आहार की आवश्यकता है ! संतुलित आहार के मुख्य स्रोत प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट बसा है जिनकी आवश्यकता कम मात्रा में शरीर को पड़ती है ! इसके अतिरिक्त लोहा, आयोडीन, कैल्शियम, फास्फोरस, सोडियम, पोटैशियम, क्लोरीन, सल्फर, मैग्नीज, ब्रोमीन, कॉपर, कोबाल्ट और जींक इत्यादि सूक्ष्म तत्वों की भी आवश्यकता पड़ती है जिसकी कमी की पूर्ति मशरूम के द्वारा किया जा सकता है ! 

औषधीयय गुण :- 
इसस मशरूम के अंतर्गत के ब्लड शुगर, एंटी कैंसर, एंटी ट्यूमर, दिल की बीमारी, मोटापा, lever की बीमारी इत्यादि को नियंत्रित करता है fertility और इम्यून सिस्टम को बढ़ाता है ! 
वहां पर उपस्थित सरेन के किसान सलाहकार श्री नंद किशोर कुमार ने बताया के जहानाबाद जिले में पहले से भी मशरूम की खेती की जा रही है लेकिन एक जिला एक उत्पाद कार्यक्रम के तहत मशरूम की खेती करने के लिए कई किसान उत्साहित हैं ! अपनी मेहनत और लगन के बल पर इस कार्यक्रम को सफल बनाएंगे !

Friday 26 March 2021

किसानों के 'भारत बंद राष्ट्रीय जनता दल का बिहार बंद

 

किसानों का भारत बंद का मिलाजुला असर देखने को मिल रहा है बिहार में किसानों के भारत बंद का विभिन्न राजनीतिक दलों का समर्थन मिलने के कारण छिटपुट रूप से जहां-तहां बंद का असर दिख रहा है दुकान खुले हुए हैं यातायात भी सभी जगह सुचारू रूप से चल रहा है !



 पटना गया नेशनल हाईवे 83 पर MAI हाल्ट के पास आसपास के राजद समर्थित गांव के लोग कुछ बस ट्रक को रोककर जाम लगा दिया है यह जाम 1 किलोमीटर लंबा है ! क्योंकि बिहार में तेजस्वी प्रसाद यादव ने अपने पार्टी राष्ट्रीय जनता दल की ओर से अपने समर्थकों को भारत बंद मे भाग लेने को कहा है !

बिहार विधानसभा में मंगलवार को हुए हंगामे और विपक्ष के नेताओं को जबरन बाहर निकाले जाने को लेकर विपक्ष आक्रामक तेवर अपनाए हुए है। महागठबंधन ने इसे लेकर आज (शुक्रवार, 26 मार्च) बंद का आह्वान किया है। 

 ऐसे किसान संगठनों का भारत बंद और राष्ट्रीय जनता दल समर्थित लोगों का बिहार बंद दोनों का मिलाजुला असर रहा ! लेकिन बिहार में किसान संगठन से ज्यादा राजनीतिक संगठन के लोग एक्टिव है !

किसान संगठनों का भारत बंद सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक रहेगा।

बिहार में आरजेडी नीत महागठबंधन ने बंद का आह्वान विधानसभा में मंगलवार को हुई घटना के विरोध में किया है, जब सदन में सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021 को लेकर जमकर हंगामा हुआ था। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को सदन में बुलाया गया, जिन्‍होंने विपक्ष के विधायकों को जबरन सदन से बाहर निकाला। आरजेडी ने किसानों के बंद को भी समर्थन प्रदान किया है।

आरजेडी नेता तेजस्‍वी तेजस्‍वी यादव ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा, 'बिहार विधानसभा में सीएम द्वारा लोकतंत्र का चीरहरण, विधायकों की पिटाई, बेरोजगारी, महंगाई, किसान बिल के विरुद्ध 26 मार्च को पूरे महागठबंधन ने बिहार बन्द का आह्वान किया है।


किसान नेता दर्शन पाल ने कहा, 'हम देश के लोगों से इस भारत बंद (Bharat Bandh) को सफल बनाने और उनकी 'अन्नदता' का सम्मान करने की अपील करते हैं !

कोविड-19 और जगन्नाथ पुरी का रहस्य

सरकारी बैंकों का निजीकरण और उनका हड़ताल

जानिए आपको पैदल चलना कितना जरूरी है !

Wednesday 24 March 2021

कोविड-19 और जगन्नाथ पुरी का रहस्य

 

कोविड-19 वैश्विक महामारी के मद्देनजर करीब नौ महीने से बंद श्री जगन्नाथ मंदिर बुधवार को दोबारा खोला गया। मंदिर खुलने के बाद भक्तों में खुशी है कि उन्हें फिर से दर्शन मिल सकेंगे।



 हालांकि मंदिर प्रशासन ने सेवकों और उनके परिवार के सदस्यों के लिए सुबह सात बजे मंदिर के द्वार खोले गए। इस दौरान कोविड-19 से जुड़े नियमों का सख्ती से पालन किया गया। वैश्विक महामारी के कारण मंदिर मध्य मार्च 2020 से बंद था।


तीन जनवरी से आने वाले श्रद्धालुओं को कोरोना वायरस से संक्रमित ना होने की पुष्टि करने वाली रिपोर्ट दिखानी होगी। पुरी के निवासियों से कोविड-19 की जांच रिपोर्ट ना मांगे जाने के सवाल पर अधिकारी ने कहा कि प्रशासन स्थानीय लोगों में कोरोना वायरस की स्थिति से अवगत है। इसलिए उन्हें संक्रमित ना होने की पुष्टि के लिए कोविड-19 की जांच रिपोर्ट दिखाने की जरूरत नहीं है।


सभी दर्शनार्थी के लिए मास्क अनिवार्य किया गया है। सैनिटाइजर लगाना भी जरूरी किया जाएगा।


जगन्नाथ मंदिर करीब चार लाख वर्ग फीट एरिया में है. इसकी ऊंचाई 214 फीट है. आमतौर पर दिन में किसी वक्त किसी भी इमारत या चीज या इंसान की परछाई जमीन दिखाई देती है लेकिन जगन्नाथ मंदिर की परछाई कभी किसी ने नहीं देखी. इसके अलावा मंदिर के शिखर पर जो झंडा लगा है, उसे लेकर भी बड़ा रहस्य है !


माना जाता है कि भगवान विष्णु जब चारों धामों पर बसे अपने धामों की यात्रा पर जाते हैं तो हिमालय की ऊंची चोटियों पर बने अपने धाम बद्रीनाथ में स्नान करते हैं। पश्चिम में गुजरात के द्वारिका में वस्त्र पहनते हैं। पुरी में भोजन करते हैं और दक्षिण में रामेश्‍वरम में विश्राम करते हैं। द्वापर के बाद भगवान कृष्ण पुरी में निवास करने लगे और बन गए जग के नाथ अर्थात जगन्नाथ। पुरी का जगन्नाथ धाम चार धामों में से एक है। यहां भगवान जगन्नाथ बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विराजते हैं।


हिन्दुओं की प्राचीन और पवित्र 7 नगरियों में पुरी उड़ीसा राज्य के समुद्री तट पर बसा है। जगन्नाथ मंदिर विष्णु के 8वें अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित है। भारत के पूर्व में बंगाल की खाड़ी के पूर्वी छोर पर बसी पवित्र नगरी पुरी उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर से थोड़ी दूरी पर है। आज का उड़ीसा प्राचीनकाल में उत्कल प्रदेश के नाम से जाना जाता था। यहां देश की समृद्ध बंदरगाहें थीं, जहां जावा, सुमात्रा, इंडोनेशिया, थाईलैंड और अन्य कई देशों का इन्हीं बंदरगाह के रास्ते व्यापार होता था।


पुराणों में इसे धरती का वैकुंठ कहा गया है। यह भगवान विष्णु के चार धामों में से एक है। इसे श्रीक्षेत्र, श्रीपुरुषोत्तम क्षेत्र, शाक क्षेत्र, नीलांचल, नीलगिरि और श्री जगन्नाथ पुरी भी कहते हैं। यहां लक्ष्मीपति विष्णु ने तरह-तरह की लीलाएं की थीं। ब्रह्म और स्कंद पुराण के अनुसार यहां भगवान विष्णु पुरुषोत्तम नीलमाधव के रूप में अवतरित हुए और सबर जनजाति के परम पूज्य देवता बन गए। सबर जनजाति के देवता होने के कारण यहां भगवान जगन्नाथ का रूप कबीलाई देवताओं की तरह है। पहले कबीले के लोग अपने देवताओं की मूर्तियों को काष्ठ से बनाते थे। जगन्नाथ मंदिर में सबर जनजाति के पुजारियों के अलावा ब्राह्मण पुजारी भी हैं। ज्येष्ठ पूर्णिमा से आषाढ़ पूर्णिमा तक सबर जाति के दैतापति जगन्नाथजी की सारी रीतियां करते हैं।


स्कंद पुराण में पुरी धाम का भौगोलिक वर्णन मिलता है। स्कंद पुराण के अनुसार पुरी एक दक्षिणवर्ती शंख की तरह है और यह 5 कोस यानी 16 किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। माना जाता है कि इसका लगभग 2 कोस क्षेत्र बंगाल की खाड़ी में डूब चुका है। इसका उदर है समुद्र की सुनहरी रेत जिसे महोदधी का पवित्र जल धोता रहता है। सिर वाला क्षेत्र पश्चिम दिशा में है जिसकी रक्षा महादेव करते हैं। शंख के दूसरे घेरे में शिव का दूसरा रूप ब्रह्म कपाल मोचन विराजमान है। माना जाता है कि भगवान ब्रह्मा का एक सिर महादेव की हथेली से चिपक गया था और वह यहीं आकर गिरा था, तभी से यहां पर महादेव की ब्रह्म रूप में पूजा करते हैं। शंख के तीसरे वृत्त में मां विमला और नाभि स्थल में भगवान जगन्नाथ रथ सिंहासन पर विराजमान है।


राजा इंद्रदयुम्न मालवा का राजा था जिनके पिता का नाम भारत और माता सुमति था। राजा इंद्रदयुम्न को सपने में हुए थे जगन्नाथ के दर्शन। कई ग्रंथों में राजा इंद्रदयुम्न और उनके यज्ञ के बारे में विस्तार से लिखा है। उन्होंने यहां कई विशाल यज्ञ किए और एक सरोवर बनवाया। एक रात भगवान विष्णु ने उनको सपने में दर्शन दिए और कहा नीलांचल पर्वत की एक गुफा में मेरी एक मूर्ति है उसे नीलमाधव कहते हैं। ‍तुम एक मंदिर बनवाकर उसमें मेरी यह मूर्ति स्थापित कर दो। राजा ने अपने सेवकों को नीलांचल पर्वत की खोज में भेजा। उसमें से एक था ब्राह्मण विद्यापति। विद्यापति ने सुन रखा था कि सबर कबीले के लोग नीलमाधव की पूजा करते हैं और उन्होंने अपने देवता की इस मूर्ति को नीलांचल पर्वत की गुफा में छुपा रखा है। वह यह भी जानता था कि सबर कबीले का मुखिया विश्‍ववसु नीलमाधव का उपासक है और उसी ने मूर्ति को गुफा में छुपा रखा है। चतुर विद्यापति ने मुखिया की बेटी से विवाह कर लिया। आखिर में वह अपनी पत्नी के जरिए नीलमाधव की गुफा तक पहुंचने में सफल हो गया। उसने मूर्ति चुरा ली और राजा को लाकर दे दी। विश्‍ववसु अपने आराध्य देव की मूर्ति चोरी होने से बहुत दुखी हुआ। अपने भक्त के दुख से भगवान भी दुखी हो गए। भगवान गुफा में लौट गए, लेकिन साथ ही राज इंद्रदयुम्न से वादा किया कि वो एक दिन उनके पास जरूर लौटेंगे बशर्ते कि वो एक दिन उनके लिए विशाल मंदिर बनवा दे। राजा ने मंदिर बनवा दिया और भगवान विष्णु से मंदिर में विराजमान होने के लिए कहा। भगवान ने कहा कि तुम मेरी मूर्ति बनाने के लिए समुद्र में तैर रहा पेड़ का बड़ा टुकड़ा उठाकर लाओ, जो द्वारिका से समुद्र में तैरकर पुरी आ रहा है। राजा के सेवकों ने उस पेड़ के टुकड़े को तो ढूंढ लिया लेकिन सब लोग मिलकर भी उस पेड़ को नहीं उठा पाए। तब राजा को समझ आ गया कि नीलमाधव के अनन्य भक्त सबर कबीले के मुखिया विश्‍ववसु की ही सहायता लेना पड़ेगी। सब उस वक्त हैरान रह गए, जब विश्ववसु भारी-भरकम लकड़ी को उठाकर मंदिर तक ले आए।

 

अब बारी थी लकड़ी से भगवान की मूर्ति गढ़ने की। राजा के कारीगरों ने लाख कोशिश कर ली लेकिन कोई भी लकड़ी में एक छैनी तक भी नहीं लगा सका। तब तीनों लोक के कुशल कारीगर भगवान विश्‍वकर्मा एक बूढ़े व्यक्ति का रूप धरकर आए। उन्होंने राजा को कहा कि वे नीलमाधव की मूर्ति बना सकते हैं, लेकिन साथ ही उन्होंने अपनी शर्त भी रखी कि वे 21 दिन में मूर्ति बनाएंगे और अकेले में बनाएंगे। कोई उनको बनाते हुए नहीं देख सकता। उनकी शर्त मान ली गई। लोगों को आरी, छैनी, हथौड़ी की आवाजें आती रहीं। राजा इंद्रदयुम्न की रानी गुंडिचा अपने को रोक नहीं पाई। वह दरवाजे के पास गई तो उसे कोई आवाज सुनाई नहीं दी। वह घबरा गई। उसे लगा बूढ़ा कारीगर मर गया है। उसने राजा को इसकी सूचना दी। अंदर से कोई आवाज सुनाई नहीं दे रही थी तो राजा को भी ऐसा ही लगा। सभी शर्तों और चेतावनियों को दरकिनार करते हुए राजा ने कमरे का दरवाजा खोलने का आदेश दिया।

 

जैसे ही कमरा खोला गया तो बूढ़ा व्यक्ति गायब था और उसमें 3 अधूरी ‍मूर्तियां मिली पड़ी मिलीं। भगवान नीलमाधव और उनके भाई के छोटे-छोटे हाथ बने थे, लेकिन उनकी टांगें नहीं, जबकि सुभद्रा के हाथ-पांव बनाए ही नहीं गए थे। राजा ने इसे भगवान की इच्छा मानकर इन्हीं अधूरी मूर्तियों को स्थापित कर दिया। तब से लेकर आज तक तीनों भाई बहन इसी रूप में विद्यमान हैं।

 

वर्तमान में जो मंदिर है वह 7वीं सदी में बनवाया था। हालांकि इस मंदिर का निर्माण ईसा पूर्व 2 में भी हुआ था। यहां स्थित मंदिर 3 बार टूट चुका है। 1174 ईस्वी में ओडिसा शासक अनंग भीमदेव ने इसका जीर्णोद्धार करवाया था। मुख्‍य मंदिर के आसपास लगभग 30 छोटे-बड़े मंदिर स्थापित हैं।

 


हवा के विपरीत लहराता ध्वज : श्री जगन्नाथ मंदिर के ऊपर स्थापित लाल ध्वज सदैव हवा के विपरीत दिशा में लहराता है। ऐसा किस कारण होता है यह तो वैज्ञानिक ही बता सकते हैं लेकिन यह निश्‍चित ही आश्चर्यजनक बात है।

Source- Google

सरकारी बैंकों का निजीकरण

जानिए आपको पैदल चलना कितना जरूरी है !

भारत के प्रधानमंत्री आईएएस ऑफिसर से कितनी बार मिल सकते हैं !



Tuesday 23 March 2021

सरकारी बैंकों का निजीकरण और उनका हड़ताल

 

बजट 2021 में 2 सरकारी बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी, लेकिन अब सरकार ने 4 सरकारी बैंकों को निजीकरण के लिए शॉर्टलिस्ट किया है। बता दें कि दो बैंकों का 2021-22 में निजीकरण होगा। इस खबर से बैंकिंग शेयरों को पंख लग गए।


जिन 4 सरकारी बैंकों को शॉर्टलिस्ट किया गया है उनमें बैंक ऑफ महाराष्ट्र (Bank of Maharashtra), बैंक ऑफ इंडिया (BoI), इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank) का नाम शामिल है।

बैंक ऑफ महाराष्ट्र के 1.5 करोड़ ग्राहक हैं ! बैंक की पूरे भारत में 1874 ब्रांच हैं। वित्त वर्ष 2021 की दिसंबर तिमाही में बैंक ऑफ महाराष्ट्र का मुनाफा 13.9% बढ़कर 154 करोड़ रुपये हो गया।

इंडियन ओवरसीज बैंक का हेडक्वार्टर चेन्नई में है। इंडियन ओवरसीज बैंक का भी राष्ट्रीयकरण 1969 में हुआ।इंडियन बैंक ओवरसीज की पूरे भारत में 3219 शाखाएं थीं। बैंक की 6 विदेशी फॉरेन ब्रांच और रिप्रेजेंटेटिव ऑफिस हैं। इंडियन ओवरसीज बैंक को अक्टूबर-दिसंबर 2020 तिमाही में 6,075 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ।

आर्थिक सुधारों की प्रक्रिया के अंतर्गत वर्ष 1992 से भारत सरकार द्वारा बैंकिंग क्षेत्र द्वारा बैंकिंग क्षेत्र में निजी बैंकों के प्रवेश की अनुमति दे दी गई है । अब एक निश्चित प्रक्रिया का पालन करने के पश्चात् निजी बैंक भारत में अपना कारोबार कर सकते हैं ।


ये बैंक कम्पनी अधिनियम 1956 (वर्तमान में कम्पनी अधिनियम 2013) के अंतर्गत पंजीकृत होते हैं तथा इन पर बैंकिंग नियमन अधिनियम तथा रिजर्व बैंक अधिनियम लागू होता है । इन बैंकों की पूँजी 200 करोड़ रुपये होती है तथा इनके अंश प्रतिभूति बाजार में लिस्टेड होते हैं ।

बैंकों के निजीकरण से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होंगे:


1. बैंक अपनी पूंजी स्वयं जुटायेंगे जिससे सरकार पर वित्तीय दबाव में कमी आयेगी ।


2. अनुशासन में वृद्धि होगी तथा ग्राहकों को समुचित सुविधाएँ प्राप्त हो सकेंगी ।

3. बैंकों में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी तथा ग्राहक सेवा के स्तर में वृद्धि होगी ।


4. कर्मचारियो में लालफीताशाही कम होगी ।


5. बैंकों की लाभदायकता बढ़ेगी जिससे देश के आर्थिक विकास में वृद्धि होगी ।

बैंकों के निजीकरण से निम्नलिखित दोष उत्पन्न हो जाएंगे:


1. तानाशाही को बढाना मिलेगा ।


2. कर्मचारियों में असंतोष बढ़ेगा तथा वे खुलकर विरोध करेंगे ।


3. सरकार के सामाजिक उद्देश्यों की पूर्ति नहीं हो सकेगी ।


4. बैंक केवल कुछ घरानों तक सीमित होकर रह जाएंगे ।


5. आम जनता को बेहतर सुविधाएँ प्राप्त नहीं हो सकेंगी ।


अतः सरकार को बैंकों का निजीकरण करते समय विभिन्न पहलुओं पर ध्यान देना होगा तथा किसी भी हालत में सम्पूर्ण निजीकरण उचित नहीं ठहराया जा सकता है । चूंकि वर्ष 1969 से पहले बैंक निजी क्षेत्र में ही थे और उनकी कमियों को दूर करने के लिये इन्हें सरकारी क्षेत्र में लिया गया था ।


अतः भारतवर्ष जैसे विकासशील देश में निजी तथा सरकारी, दोनों बैंकों को विद्यमान होना चाहिये तथा सरकारी बैंकों में विद्यमान कमियों को दूर करने का प्रयास करना चाहिये ।

सरकारी बैंकों (Public sector banks) के दो दिन पर हड़ताल पर चले जाने से लोगों को खासी परेशानी हो रही है। इन बैंकों से कैश विड्रॉल (Cash Withdrawal), डिपॉजिट (Cash Deposit), चेक क्लियरेंस (Cheque Clearance) और कारोबारी लेनदेन पर असर पड़ा है। सरकारी बैंकों ने अपने कस्‍टमर्स को बता दिया था कि उन्‍हें लेनदेन के लिए डिजिटल तरीकों (Digital Mode of Banking) का इस्‍तेमाल करना होगा। केंद्र सरकार ने अगस्‍त 2019 में 10 बैंकों का 4 बैंकों में विलय कर दिया था जिसके बाद सरकारी बैंकों की संख्‍या 12 रह गई थी। अभी इनका कंसॉलिडेशन (Consolidation) जारी है, ऐसे में निजीकरण से नुकसान हो सकता है।

जानिए आपको पैदल कितना चलना है !

भारत के प्रधानमंत्री आईएएस ऑफिसर से कितनी बार मिल सकते हैं !

फिर से जवान होने के तरीके

Saturday 20 March 2021

भारत के प्रधानमंत्री आईएएस ऑफिसर से कितनी बार मिल सकते हैं !

 

क्या भारत के प्रधानमंत्री किसी आईएएस ऑफिसर से मिल सकते हैं कई बार आपके मन में ऐसा प्रश्न जरूर उत्पन्न हुआ होगा क्योंकि आप जानते हैं कि प्रधानमंत्री के आसपास काम करने वाले जितने भी व्यक्ति होते हैं उसमें अधिकांशत आई ए एस ऑफिसर हीं होते हैं, लेकिन क्या वह उनके आस पास रहकर भी प्रधानमंत्री से कितने  बार मिलते हैं या प्रोटोकॉल के तहत किसी से मिलने की उन्हें इजाजत है  या नहीं !

Protocol एक तरह की औपचारिकता होती है, जो एक सिस्टम को बेहतर चलाने के लिये बनाई जाती है. ये एक तरह की प्रक्रिया है जिसके मुताबिक़ किसी काम को व्यवस्थित तरीक़े से पूरा किया जाता है. भारत में इसे सरकारी संस्कार भी कह सकते हैं. Protocol को Greek शब्द 'प्रोटो-कोलान' से लिया गया है. इसका अर्थ 'पहली गोंद' है, जो किसी दस्तावेज़ को सील करते वक़्त लगाई जाती है. ताकि वो दस्तावेज़ ज़्यादा प्रमाणिक नज़र आएं !

Protocol...यानी औपचारिकताओं और तामझाम से भरा वो सिस्टम, जिसमें भारत में हर क्षेत्र में दो वर्ग पैदा किये हैं. इसके तहत एक वर्ग को ज़रूरत से ज़्यादा अहमियत दी जाती है, जबकि दूसरे वर्ग से ग़ुलाम या सेवक की तरह बर्ताव किया जाता है !

IAS अधिकारी या अन्य सेवाओं के अधिकारी प्रशिक्षण के दौरान एक समूह के रूप में पीएम और अन्य वीआईपी से मिलते हैं। लेकिन वे इन वीआईपी को बाद में व्यक्तिगत आधार पर मिलने और विशेष रूप से बुलाया जाने तक नहीं मिलने वाले हैं।


VIPS उन अधिकारियों को भी हतोत्साहित करती है जो बिना किसी वास्तविक कारण के या बिना बुलाए उनसे मिलने आते हैं।

अपने स्वयं के कर्मचारियों को छोड़कर, किसी अन्य व्यक्ति को पीएम से मिलने की अनुमति नहीं है, जब तक कि अन्यथा किसी कारण से नहीं बुलाया जाता है ! वह भी अपने नियंत्रण प्राधिकरण से अनुमति प्राप्त करने के बाद।


 भारत के प्रधानमंत्री के आसपास   कड़ी सुरक्षा  होता है वे अपनी सुरक्षा घेरे को तोड़कर भी किसी से नहीं मिल सकते हैं या किसी कारण बस ऐसा करना होता है, तो वे प्रोटोकॉल के नियमों  नियमों को तोड़कर ऐसा क्या सकते हैं !

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Thursday 18 March 2021

Train Roll down case occurred ! see video

 

One Rolldown Case occurred in IZN/DIV.


Date - 17.03.21.

L/No - 40201/WDP4D/TKD.

T/No - 05326(DLI -TPU).


LP - Mubarak Ansari (BC).

Mob - 7895090496.


ALP - Jitendra Kumar (BC).


B/Sec - BNSA - TPU.


Cause - At 16.15 train entering at TPU Station, at home signal one cattle dashed with train engine , resulted BP,FP pipe routed off and BP ,FP pressure zero in train engine .

LP try to recover BP and FP pressure with help of close BP and FP pipe both direction .

 And ALP check the load .


At same time train Rolldown upto Banbasa station and Khatima station .

Train stopped at Km/No 42/6 at khatima .


Rest information awaited !


 कल दिनांक 17:03 2021 को दिल्ली से चलकर टनकपुर जाने वाली 053 26 जन शताब्दी एक्सप्रेस टनकपुर होम सिग्नल से अचानक पीछे की ओर चलना शुरू कर दिया ऐसा होने से ट्रेन में सवार यात्रियों में खलबली मच गई यह उत्तर पूर्व रेलवे के टनकपुर रेलवे स्टेशन के पास घटना घटित हुई ड्राइवर मुख्तार अंसारी ने बताया कि जैसे ही वह टनकपुर रेलवे स्टेशन से आगे की ओर जा रहा था उसी वक्त अचानक एक जानवर इंजन की ओर आया और इंजन से टकरा गया ऐसा होने से गाड़ी का ब्रेक पाइप और फिट पाइप क्षतिग्रस्त हो गया !  ट्रेन का अचानक प्रेशर डाउन हो गया , बहुत प्रयास के बाद भी ब्रेक पाइप में प्रेशर नहीं बन पाया और ट्रेन अचानक पीछे की और भागना शुरू कर दी !  काफी प्रयास के बाद इसे फातििमा स्टेशन स्के् पास किलोमीटर  42/6 र रोक दिया गया इस घटना की जांच का आदेश दे दिया गया है !

Regards !

 Immediate drive to educate the crew must be launched.


Wednesday 17 March 2021

भाजपा संसदीय दल की बैठक रद्द होने से युवा प्रस्ताव टला

 

भाजपा सांसद की हुई असमय मौत के कारण भाजपा संसदीय दल की होने वाली बैठक रद्द करना पड़ा !  हिमाचल प्रदेश के सांसद रामस्वरूप शर्मा का आज  दिल्ली में घर के अंदर फांसी लगाकर  आत्महत्या का मामला सामने आया है !

आज दिल्ली में रहने वाले रामस्वरूप शर्मा के निजी सहायक  किसी काम से शर्मा का दरवाजा खटखटाया तो अंदर से  कुछ आवाज नहीं आया ! काफी देर तक दरवाजा नहीं खुलने पर शक हुआ ! आनन-फानन में निजी सहायक ने पुलिस  कंट्रोल रूम को सूचना दी !

जब पुलिस दरवाजा तोड़कर अंदर गया तो उसे पाकर पुलिस हैरान रह गई। वे उसे तुरंत अस्पताल ले गए। हालांकि, डॉक्टरों ने कहा कि वह पहले ही मर चुका था।

पुलिस के अनुसार, सांसद के कमरे का दरवाजा अंदर से बंद था। प्रारंभिक जांच में इसे आत्महत्या मान लिया गया है। हालांकि, कोई पत्र जब्त नहीं किया गया था और उनकी मौत का कारण शव परीक्षण रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद ही पता चलेगा। राम स्वरूप शर्मा पिछले कुछ महीनों से अस्वस्थ  चल रहे थे !


 हिमाचल प्रदेश से भाजपा के सांसद रामस्वरूप शर्मा की मौत के कारण दिल्ली में होने वाली भाजपा संसदीय दल की बैठक को रद्द करना पड़ा इस बैठक में कुछ महत्वपूर्ण फैसले दिए जाने थे !

सरकारी नौकरियों की बहार।


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Tuesday 16 March 2021

इस प्रदेश में सरकारी नौकरियों की बहार।

 

अपने राज्य के युवाओं को नौकरी देना राज्य सरकार का कर्तव्य होता है ! समय-समय पर विभिन्न निकायों के द्वारा रिक्तियां निकाली जाती है, जिससे वहां के राज्य के बेरोजगार युवाओं को काम  मिल सके,  इसी के तहत बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन , कर्मचारी चयन आयोग, विधान परिषद , विधानसभा से समय-समय पर रिक्तिया निकालकर युवाओं को नौकरी दी गई है !

 हाल ही में बिहार राजस्व विभाग के द्वारा विभिन्न पदों पर योगदान करवाया गया ! अभी विभिन्न विभागों में खाली  रिक्त पदों पर नियुक्ति हेतु सरकार के पास प्रस्ताव भेजा जा रहा है !

बिहार प्रदेश में पंचायती राज विभाग नौ हजार क्लर्कों की नियुक्ति करेगा। इसके लिए विभाग की ओर से प्रस्ताव बनाया जा रहा है। इन पदों के सृजन की सभी प्रक्रिया पूरी करने के बाद यह प्रस्ताव कैबिनेट में भेजा जाएगा। इसमें इनकी योग्यता आदि तय किये जाएंगे। कैबिनेट की स्वीकृति मिलने के बाद नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। 


विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, लिपिकों की तैनाती पंचायतों में की जाएगी। पंचायतों के कार्यालय में ये बैठेंगे। पंचायतों में हो रहे कार्यों से संबंधित कागजात का पूरा रिकॉर्ड रखेंगे। खर्च का भी हिसाब रखेंगे। पंचायतों में ऐसे कर्मियों की कमी विभाग महसूस कर रहा है। यही देखते हुए इनकी स्थायी नियुक्ति की तैयारी की जा रही है। मालूम हो कि राज्य में 8387 ग्राम पचंयातें हैं। इसी को देखते हुए नौ हजार पदों के सृजन का विभाग ने प्रस्ताव तैयार किया है।


3161 पंचायत सचिव नियुक्त होंगे

मालूम हो कि अभी पंचायतों में सिर्फ पंचायत सचिव ही हैं, जो स्थायी रूप से बहाल हैं। पंचायत सचिवों के भी अधिकांश पद रिक्त हैं। 8387 पंचायतों में करीब 2500 पंचायत सचिव ही अभी कार्यरत हैं। इसी को देखते हुए विभाग ने कर्मचारी चयन आयोग को 3161 पंचायत सचिवों की नियुक्ति की अधियाचना भेजी है। वहीं दूसरी ओर पंचायतों का नियमित रूप से ऑडिट होता रहे, इस मकसद से विभाग ने अंकेक्षक संवर्ग का भी गठन किया है। इसमें 589 पद सृजित किये गए हैं। इनमें 371 अंकेक्षकों की नियुक्ति की अधियाचना बिहार लोक सेवा आयोग को भेजी गई है। इस तरह आने वाले समय में ग्राम पंचायतों में बड़ी संख्या में स्थायी नियुक्ति होगी।

इन तरीकों से बहुत सारे पैसे कमा सकते हैं !

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Monday 15 March 2021

सरकारी नौकरी के साथ साथ इन तरीकों से बहुत सारे पैसे कमा सकते हैं

 

आज के वक्त में सभी लोग चाहते है कि वह ऑनलाइन पैसे कमाए। 


आज के वक्त में ऑनलाइन पैसे कमाने के लिए मार्केट में बहुत सारे तरीके अवेलेबल हैं। 

आप ऑनलाइन पैसे कमाने के लिए blogging कर सकते हैं, यूट्यूब पर वीडियो अपलोड कर सकते हैं, फ्रीलांसिंग कर सकते हैं, एप्लीकेशन पर ऐड देख सकते हैं मतलब कि आज के वक्त में बहुत सारे तरीके हमारे पास उपलब्ध है। 


आज के वक्त में बहुत से ऐसे तरीके हैं जो कि सिर्फ लोगों को बेवकूफ बनाते हैं और उनका समय बर्बाद करते हैं इसीलिए आप सही तरीका चुने। यूट्यूब से पैसे कमाने के आपको बहुत से फायदे होंगे।


जैसे कि आप बिना एक रूपया लगाए काम शुरू कर सकते हैं, आप सारा काम घर बैठे कर सकते है, आपको कहीं भी आने जाने की जरूरत नहीं है।

YouTube से :-


आप बिना लिमिट के पैसे कमा सकते हैं, आप पैसे कमाने के लिए एक तरीके पर निर्भर नहीं रहेंगे, यूट्यूब पर बाकी तरीकों के जैसी मेहनत नहीं करनी होगी। 


यूट्यूब पर आप पैसे कमाने के साथ फेमस भी हो सकते हैं। आज बड़े youtubers इंटरनेट सेलिब्रिटी की तरह होते हैं।

Reselling करके :-


दोस्तो यह जो Reselling शब्द है यह दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है एक है Re यानी कि दोबारा या फिर से और दूसरा है Selling यानी कि बेचना। Reselling का मतलब होता है किसी Product को खरीद कर उसे फिर से बेचना यह Reselling कहलाती है। तो चलिए अब बात करते है Reselling Business को करने के लिए क्या - क्या होना जरूरी है।

आखिर ये Reselling क्या? है तो दोस्तो Reselling एक एैैसा Business है जिसमें आपको ना तो बहुत सारे पैसे लगा कर बहुत सारे Products को खरीदना होता है और ना ही इसके लिए आपको कोई Store चाहिए Products को रखने के लिए और ना ही आपको किसी भी तरह का पैसे का Investment करना होता है इसमें आपको सिर्फ Products को बेचना होता है इन Products को आप किसी भी माध्यम के जरिए Social Media जैसे कि Whatsapp , Instagram , Etc के जरिए आप उन Products को बेच सकते हो।

इस Business को करने के लिए कहीं पर भी जाने कि जरुरत है इस Business को करने के लिए आपको सिर्फ

Mobile Phone

Internet Connection

Social Network

Audiance

Bank Account


Blogging से :-

अगर आप पैसा कमाना चाहते हैं तो ब्लॉगर भी पैसा कमाने का एक सुगम और बिल्कुल फ्री माध्यम है, इसे आप गूगल प्ले स्टोर, आईओएस विंडो या एप्पल स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं  अगर आपको लगता है नौकरी के अलावा किसी दूसरे व्यवसाय से पैसा कमाना चाहिए तो इसके लिए ब्लॉगर एक अच्छा माध्यम है ! आप कोई भी मनपसंद कहानी,  न्यूज़ मूवी, संगीत, कोई नया तरीका जो अपने  पाठकों  तक पहुंचाना चाहते हैं , तो आज ही ब्लॉक लिखना शुरु कर दें ! जितना ज्यादा आप के पाठकों की संख्या रहेगी उस हिसाब से आपको इनकम भी होगा आपको यह पैसा ब्लॉगर की ओर से नहीं बल्कि गूगल की तरफ से दिया जाएगा  अगर आपके ब्लॉक अधिक पाठकों तक पहुंच पाता है तो इसे गूगल पर भी देखा जा सकता है !


शेयर मार्केट से :-


आप सबको यह जानकर आश्चर्य होगा कि शेयर मार्केट में शेयर खरीद कर पैसा कमाया जाता है ! यह बहुत ही आसान है ! यह बैंक में फिक्स डिपॉजिट से कहीं ज्यादा ही रिटर्न देता है यह डिपेंड करता है कि आप किस शेयर में पैसा इन्वेस्ट कर रहे हैं उस कंपनी का बैकग्राउंड क्या रहा है वह कंपनी 1 साल में कितना प्रतिशत ऊपर चढ़ाया नीचे गिरा है कई कई शेयर तो एक माह में भी 2 गुना रिटर्न भी देता है !

बीएसई या एनएसई जैसे स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध शेयरों में निवेश करके इक्विटी बाजार से पैसा कमाना आसान है। लेकिन शेयर मार्केट या म्यूचुअल फंड में निवेश करना जोखिमों से भरा है इसमें निवेश करने से पहले सोच समझ ले, इसके बाद ही निवेश करें !

* भारत के मिजोरम में लगातार घुसपैठ जारी

Idea of Pakistanl










Sunday 14 March 2021

वो भाषण, जिसे 'आइडिया ऑफ पाकिस्तान' कहते हैं !

 

मैं पंजाब, नार्थ-वेस्ट फ्रंटियर, सिंध और बलूचिस्तान को एक संयुक्त राज्य के रूप में देखना चाहता हूं। ब्रिटिश राज के तहत या फिर उसके बिना भी एक खुद-मुख्तार नार्थ-वेस्ट भारतीय मुस्लिम राज्य ही मुसलमानों का आखिरी मुस्तकबिल है।' 29 दिसंबर 1930 को मुस्लिम लीग के 25वें अधिवेशन में दिए गए इस भाषण को अब पाकिस्तान में 'आइडिया ऑफ पाकिस्तान' के नाम से पढ़ाया जाता है। ये भाषण दिया था मशहूर शायर सर मोहम्मद इकबाल यानी अल्लामा इकबाल ने। हालांकि, पाकिस्तान में लाहौर हाइकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस रहे उनके बेटे जस्टिस जावेद इकबाल इसका विरोध करते थे।


जस्टिस जावेद कहते थे कि 1930 के मुस्लिम लीग के इलाहाबाद अधिवेशन में इकबाल ने यह जरूर कहा था कि उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत, सिंध, पंजाब और बलूचिस्तान को मिलाकर एक वृहद प्रदेश 'ब्रिटिश इंडिया' के तहत ही बनाया जाना चाहिए। मुस्लिम बहुल राज्य बनाने की इस अवधारणा को ही जानबूझकर या अनजाने में 'पाकिस्तान का ख्वाब' कहा गया।


जस्टिस जावेद कहते थे कि मेरे पिता ने 1931 में मुस्लिमों के लिए अलग राष्ट्र की मांग के विरोध में अंग्रेज हुकूमत को खत लिखा था, जो अक्टूबर 1931 में टाइम मैगजीन में भी छपा था। इस खत में उन्होंने कहा था कि मैंने ब्रिटिश इंडिया से बाहर अलग मुस्लिम स्टेट की मांग नहीं की थी। मैं तो सांप्रदायिक आधार पर पंजाब के बंटवारे के भी खिलाफ हूं, जैसा कि कुछ लोग सुझाव दे रहे हैं। असल में साइमन कमीशन की रिपोर्ट और जवाहरलाल नेहरू ने समुदायों की बहुसंख्या के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की जो वकालत की है, मैं उसी के तहत मुस्लिम बहुल प्रदेश की बात कर रहा हूं।'


अल्लामा इकबाल का जन्म 9 नवंबर 1887 को सियालकोट में हुआ था। उनके पिता शेख नूर मोहम्मद दर्जी का काम करते थे। इकबाल ने कानून, दर्शन, फारसी और अंग्रेजी साहित्य की पढ़ाई की थी। लाहौर के गवर्नमेंट कॉलेज से 1899 में ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने इसी कॉलेज में दर्शनशास्त्र के लेक्चरर के रूप में नौकरी की। 1904 में इकबाल अपना तराना 'सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा' लिख चुके थे और मशहूर हो चुके थे। अगले साल आगे की पढ़ाई के लिए लंदन चले गए। यहां कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के ट्रिनिटी कॉलेज से आर्ट्स में ग्रेजुएशन किया। 1907 में वो म्यूनिख चले गए और वहां लुडविंग मेक्समिलियन विश्वविद्यालय से PHD की। इसके बाद उन्होंने कानून की भी पढ़ाई की।


वहां से लौटे तो गवर्नमेंट कॉलेज में दो साल और पढ़ाया। उसके बाद सरकार नौकरी से इस्तीफा देकर फिर वकालत करने लगे। 1922 में उन्हें नाइटहुड की उपाधि मिली। 1927 में पंजाब असेंबली के लिए चुन लिए गए। 1928-29 में अलीगढ़, हैदराबाद और मद्रास विश्वविद्यालयों में उन्होंने 6 लेक्चर दिए थे, जिनसे उनके धार्मिक विचार का पता चलता है। इकबाल के जिस भाषण को आज के पाकिस्तान में आइडिया ऑफ पाकिस्तान के तौर पर पढ़ाया जाता है। उस पाकिस्तान को इकबाल खुद नहीं देख सके। 21 अप्रैल 1938 को उनका निधन हो गया।


भारत और दुनिया में 29 दिसंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं :


2015: विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पश्चिमी अफ्रीकी देश गिन्नी को इबोला मुक्त घोषित किया। गिन्नी के एक गांव के 18 साल के युवक में सबसे पहले इबोला संक्रमण मिला था।


2004: 26 दिसंबर को आई सुनामी लहरों के कारण इंडोनेशिया में मरने वालों की संख्या 60,000 पहुंची।


1984: इंदिरा शोक लहर में कांग्रेस को आजाद भारत में सबसे बड़ी जीत मिली। 404 लोकसभा सीटों के साथ राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने। आंध्र प्रदेश में पहली बार चुनाव में उतरी तेलुगु देशम पार्टी 30 सीटें जीतकर सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के तौर पर उभरी।


1983: सुनील गावस्कर ने टेस्ट क्रिकेट में अपना बेस्ट स्कोर 236 रन वेस्टइंडीज के खिलाफ बनाया। चेन्नई में हुआ ये मैच सीरीज का छठवां और आखिरी मैच था। मैच ड्रॉ रहा, सीरीज वेस्टइंडीज ने 3-0 से जीती। गावस्कर मैन ऑफ द मैच रहे।


1975: ब्रिटेन में महिलाओं और पुरुषों के समान अधिकारों से जुड़ा कानून लागू हुआ।


1972: कलकत्ता (अब कोलकाता) में मेट्रो रेल का काम शुरू हुआ।


1942: हिंदी फिल्मों के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना का जन्म हुआ। वो एक के बाद एक 14 सुपरहिट फिल्में देकर हिंदी फिल्मों के पहले सुपरस्टार बने।


1917: प्रसिद्ध निर्माता-निर्देशक रामानंद सागर का जन्म हुआ। धारावाहिक 'रामायण' से देश के घर-घर में वो मशहूर हुए।


1845: अमेरिकी कांग्रेस में मंजूरी के बाद टेक्सास अमेरिका का 28वां राज्य बना।


1530: मुगल शासक बाबर के निधन के बाद उनका बेटा हुमायूं गद्दी पर बैठा।

1. तख्तापलट के विरोध में प्रदर्शन

2.जम्मू में हिरासत में लिए गए 170 रोहिंग्या

शिव को ऐसे करें प्रसन्न



Friday 12 March 2021

जम्मू में हिरासत में लिए गए 170 रोहिंग्या, घरों से भागे

 रोहिंग्या लोग मुख्य रूप से इस्लाम का पालन करते हैं और राखीन राज्य, म्यांमार में रहते हैं। 2017 में विस्थापन संकट से पहले, जब 740,000 से अधिक बांग्लादेश भाग गए, अनुमानित 1.4 मिलियन रोहिंग्या म्यांमार में रहते थे। 

म्यांमार (राखीन राज्य): 600,000 (नवंबर 2019)

भारत: 40,000 (सितंबर 2017)

बांग्लादेश: 1,300,000+ (मार्च 2018)

मलेशिया: 150,000 (अक्टूबर 2017)

संयुक्त राज्य अमेरिका: 12,000+ (सितंबर 2017)

सऊदी अरब: 190,000 (जनवरी 2017)


अगस्त 2017 में, रोहिंग्या मुसलमानों पर म्यांमार की सेना द्वारा किए गए एक घातक हमले ने बांग्लादेश में सीमा पार से सैकड़ों की तादाद में पलायन किया।


जनवरी 2020 में, संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत ने बौद्ध बहुल देश को आदेश दिया कि वह अपने रोहिंग्या समुदाय के सदस्यों को नरसंहार से बचाने के लिए उपाय करे।

 संयुक्त राष्ट्र के जवाब में म्यानमार सेना का कहना है कि उनकी सेना सिर्फ आतंकवादियों के खिलाफ है उसे सामान्य जनता से कुछ लेना देना नहीं है ! वह रोहिंग्या आतंकवादियों से लड़ है ! और नागरिकों को निशाना बनाने से इनकार किया ! देश की नेता आंग सान सू की, जो एक बार मानवाधिकार आइकन थीं, ने बार-बार नरसंहार के आरोपों का खंडन किया है।


जम्मू में वैध दस्तावेजों के बिना रहने के कारण लगभग 170 रोहिंग्याओं को हिरासत में लिया गया है। पुलिस के गिरफ्तारी के डर से कई लोग घर छोड़कर भाग गए हैं, जबकि कुछ ने विरोध किया, अपने रिश्तेदारों को तत्काल रिहा करने की मांग की , और कहा कि“ हम अपने देश में एक नरसंहार से बच गए हैं और अब हम यहाँ भी अपने जीवन के लिए डर रहे हैं। जम्मू में 2017 से हमारे खिलाफ लगातार नफरत फैलाने वाला अभियान चल रहा है।

तांबे के बर्तन में जल

J & K प्रशासन ने शुक्रवार को विदेशी अधिनियम की धारा 3 (2) ई के तहत 'होल्डिंग केंद्र' स्थापित करने की सूचना दी। अधिकारी ज्यादातर चुस्त-दुरूस्त बने हुए हैं, अधिकारियों ने कहा कि समुदाय के कुछ सदस्यों ने फर्जी आधार कार्ड और पासपोर्ट बनवाए हैं। रोहिंग्या मुस्लिम म्यांमार के मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं। वे अपने देश में सरकारी बलों द्वारा उत्पीड़न के बाद भाग गए। 2012 से लगभग 6,500 रोहिंग्या जम्मू-कश्मीर में रह रहे हैं।

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Thursday 11 March 2021

महाशिवरात्रि पर भगवान शिव

 


सत्य ही शिव हैं और शिव ही सुंदर है। तभी तो भगवान आशुतोष को सत्यम शिवम सुंदर कहा जाता है। भगवान शिव की महिमा अपरंपार है। भोलेनाथ को प्रसन्न करने का ही महापर्व है...शिवरात्रि...जिसे त्रयोदशी तिथि, फाल्गुण मास, कृष्ण पक्ष की तिथि को प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है। महाशिवरात्रि पर्व की विशेषता है कि सनातन धर्म के सभी प्रेमी इस त्योहार को मनाते हैं।

हिंदू धर्म में हर माह मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है, लेकिन फाल्गुन माह में आने वाली महाशिवरात्रि (Mahashivratri) का खास महत्व होता है. माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था. ... इसके बाद से हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है !


महाशिवरात्रि के दिन आज हरिद्वार में महाकुंभ का पहला शाही स्नान है, इसलिए आज जूना अखाड़ा, आह्वान अखाड़ा, अग्नि अखाड़ा और किन्नर अखाड़ा करीब 11 बजे हर की पौड़ी ब्रह्मकुंड पर स्नान करने के लिए पहुचेंगे. इसके बाद निरंजनी अखाड़ा और आनंद अखाड़ा करीब 1 बजे हर की पौड़ी ब्रह्मकुंड पर स्नान करेंगे. इसके बाद महानिर्वाणी अखाड़ा और अटल अखाड़ा करीब 4 बजे हर की पौड़ी ब्रह्मकुंड पर स्नान करेंगे !

महाशिवरात्रि के दिन भक्त जप, तप और व्रत रखते हैं और इस दिन भगवान के शिवलिंग रूप के दर्शन करते हैं। इस पवित्र दिन पर देश के हर हिस्सों में शिवालयों में बेलपत्र, धतूरा, दूध, दही, शर्करा आदि से शिव जी का अभिषेक किया जाता है। देश भर में महाशिवरात्रि को एक महोत्सव के रुप में मनाया जाता है क्योंकि इस दिन देवों के देव महादेव का विवाह हुआ था।

 

हमारे धर्म शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि महाशिवरात्रि का व्रत करने वाले साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है। जगत में रहते हुए मुष्य का कल्याण करने वाला व्रत है महाशिवरात्रि। इस व्रत को रखने से साधक के सभी दुखों, पीड़ाओं का अंत तो होता ही है साथ ही मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है। शिव की साधना से धन-धान्य, सुख-सौभाग्य,और समृद्धि की कमी कभी नहीं होती। भक्ति और भाव से स्वत: के लिए तो करना ही चाहिए सात ही जगत के कल्याण के लिए भगवान आशुतोष की आराधना करनी चाहिए। मनसा...वाचा...कर्मणा हमें शिव की आराधना करनी चाहिए। भगवान भोलेनाथ..नीलकण्ठ हैं, विश्वनाथ है।

 हिंदू पंचांग के अनुसार महाशिवरात्रि हर वर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आती है. इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व गुरुवार 11 मार्च को मनाया जाएगा. शिव भक्तों के लिए महाशिवरात्रि सबसे बड़ा दिन होता है.



महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर कई प्रकार की चीजें अर्पित की जाती है. लेकिन कुछ चीजों को शिवलिंग पर नहीं चढ़ाया जाता. जानते हैं ये चीजें कौन सी हैं और इन्हें शिवलिंग पर क्यों नहीं चढ़ाया जाता है !

तुलसी: वैसे तो हिंदू धर्म में तुलसी का विशेष महत्व है लेकिन इसे भगवान शिव पर चढ़ाना मना है.


तिल: शिवलिंग पर तिल भी नहीं चढ़ाया जाता है. मान्याता है कि तिल भगवान विष्णु के मैल से उत्पन्न हुआ है इसलिए इसे भगवान शिव को अर्पित नहीं किया जाता.


टूटे हुए चावल: टूटे हुए चावल भी भगवान शिव को अर्पित नहीं किए जाते हैं. शास्त्रों के मुताबिक टूटा हुआ चावल अपूर्ण और अशुद्ध होता है.


कुमकुम: भगवान शिव को कुमकुम और हल्दी चढ़ाना भी शुभ नहीं माना गया है.


नारियल: शिवलिंग पर नारियल का पानी भी नहीं चढ़ाया जाता. नारियल को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है. देवी लक्ष्मी का संबंध भगवान विष्णु से है इसलिए नारियल शिव को नहीं चढ़ता.


शंख: भगवान शिव की पूजा में कभी शंख का प्रयोग नहीं किया जाता. शंखचूड़ नाम का एक असुर भगवान विष्णु का भक्त था जिसका वध भगवान शिव ने किया है. शंख को शंखचूड़ का प्रतीक माना जाता है. यही कारण है कि शिव उपासना में शंख का इस्तेमाल नहीं होता.


केतकी का फूल: भगवान शिव की पूजा में केतकी के फूल को अर्पित करना वर्जित माना जाता है.

Monday 8 March 2021

वर्मीकंपोस्ट-कम लागत में ज्यादा मुनाफा

 

मेरठ के रहने वाले अमित त्यागी ने MBA किया है। कई साल तक उन्होंने मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छी सैलरी पर काम किया। लेकिन, पत्नी की सलाह पर अपना जमा-जमाया काम छोड़कर गांव लौटने का फैसला किया। 20 साल पहले उन्होंने एक किलो केंचुए के साथ वर्मीकंपोस्ट बनाना शुरू किया था। आज उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, उड़ीसा, असम समेत 14 राज्यों में उनकी करीब आठ हजार यूनिट हैं। इससे वे सालाना एक करोड़ रुपए कमा रहे हैं।

1 Aprail se naye niyam

49 साल के अमित कहते हैं, "मेरी पत्नी ने भी MBA किया है। उन्हें एक कार्यक्रम में वर्मीकंपोस्ट तैयार करने की जानकारी मिली थी। उसके बाद उन्होंने कुछ ऐसा ही काम शुरू करने पर जोर दिया। फिर हमने तय किया कि कोशिश करके देखते हैं। काम शुरू करने के बाद हमने पहला सैंपल एक नर्सरी वाले को बेचा। करीब हफ्तेभर बाद नर्सरी वाला फिर से खाद की डिमांड करने लगा। खाद तैयार नहीं थी, तो हमने बहाना बनाया और कह दिया कि खाद 10 रुपए प्रति किलो है। हालांकि उस समय खाद की कीमत महज 50 पैसे प्रति किलो थी। नर्सरी वाला उसे 10 रुपए किलो में खरीदने के लिए तैयार हो गया।"


अमित बताते हैं कि इससे हमारा मनोबल बढ़ा और लगा कि इस कारोबार को आगे बढ़ाया जा सकता है। लेकिन, ये सफर आसान नहीं था। तब बहुत कम लोग ऑर्गेनिक खेती करते थे। ज्यादातर लोग तो इसके बारे में जानते तक नहीं थे। ऐसी स्थिति में केमिकल फर्टिलाइजर की जगह वर्मीकंपोस्ट खरीदने के लिए लोगों को समझाना मुश्किल टास्क था। फिर उन्होंने अपनी मार्केटिंग स्किल्स का इस्तेमाल शुरू किया।


अमित ने गांवों का दौरा करना शुरू किया। वे हर दिन किसी न किसी गांव में जाते और चौपाल लगाकर लोगों को वर्मीकंपोस्ट के बारे में बताते थे। इस तरह धीरे-धीरे लोग उनसे जुड़ते गए। अब वे देशभर में अपना खाद सप्लाई कर रहे हैं। कई लोगों ने तो एडवांस बुकिंग कर ली है। उन्होंने मेरठ में ही 300 से ज्यादा वर्मीकंपोस्ट बेड लगाए हैं। हर महीने वे 100 टन से ज्यादा खाद तैयार करते हैं।


वर्मीकंपोस्ट कैसे तैयार की जाती है !

अमित बताते हैं कि वर्मीकंपोस्ट तैयार करने के कई तरीके हैं। लोग अपनी सुविधा के मुताबिक कोई भी तरीका अपना सकते हैं। सबसे आसान तरीका है बेड सिस्टम। इसमें तीन से चार फीट चौड़ा और जरूरत के हिसाब से लंबा बेड बनाया जाता है। इसके लिए जमीन पर प्लास्टिक डाल दी जाती है। फिर उसके चारों तरह ईंट से बाउंड्री दी जाती है। बीच में गोबर डालकर उसे अच्छी तरह से फैला दिया जाता है। उसके बाद केंचुआ डालकर ऊपर से पुआल या घासफूस डालकर ढंक दिया जाता है। फिर इसके ऊपर नियमित रूप से पानी का छिड़काव किया जाता है।


बेड की लंबाई कितनी हो, गोबर और केंचुआ का अनुपात क्या हो, इसको लेकर वे कहते हैं कि किसान अपनी जरूरत के हिसाब से बेड की लंबाई रख सकता है। लेकिन उसे ध्यान रखना होगा कि उसी अनुपात में उसके पास मटेरियल भी होना चाहिए। अमूमन एक फिट लंबे बेड के लिए 50 किलो गोबर की जरूरत होती है। अगर हम 30 फीट लंबा बेड बना रहे हैं तो हमें 1500 किलो गोबर और 30 किलो केंचुआ चाहिए।

अगर किसी किसान के पास गोबर की उपलब्धता कम है, तो वह 30 फीसदी गोबर और बाकी घासफूस या ऐसी कोई भी चीज मिला सकता है जो आसानी से सड़ सके। एक फुट के बेड के लिए एक किलो केंचुए की जरूरत होती है। अगर केंचुआ कम होगा, तो खाद तैयार होने में वक्त ज्यादा लगेगा। पर्याप्त तौर पर सभी चीजें मिलाने के बाद 30 फीट लंबे बेड से खाद बनने में एक महीने का वक्त लगता है।


अमित कहते हैं कि केंचुए की कई प्रजातियां होती हैं। मैं जो यूज करता हूं, वो है आस्ट्रेलियाई आइसोनिया फेटिडा। यह एक दिन में एक किलो गोबर खाता है और वह डबल भी हो जाता है। यानी जो लोग खाद के साथ केंचुए का बिजनेस करना चाहते हैं, उनके लिए यह बेहतर विकल्प है।


इसके लिए क्या- क्या चीजें जरूरी हैं?

अमित के मुताबिक, इसके लिए सबसे जरूरी चीज जमीन और उसकी लोकेशन है। जमीन ऐसी जगह होनी चाहिए, जहां पानी उपलब्ध हो और वहां आने-जाने के लिए रास्ता हो। ये भी ध्यान रखना जरूरी है कि वहां जलजमाव न होता हो। इसके बाद लंबी प्लास्टिक शीट, गोबर, पुआल और केंचुए की जरूरत होती है।



क्या- क्या सावधानियां जरूरी हैं?

अमित बताते हैं कि गोबर 15-20 दिन से ज्यादा पुराना नहीं चाहिए। ऐसा होने पर गोबर में पाई जाने वाली मीथेन गैस केंचुए के लिए नुकसानदायक हो जाती है। इसके साथ ही नियमित रूप से पानी का छिड़काव जरूरी है। साथ ही बेड की ऊंचाई डेढ़ फीट से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।


कम लागत में ज्यादा मुनाफा कैसे कमाएं?

अमित हजारों किसानों को ट्रेंड कर चुके हैं। वे कहते हैं कि वर्मीकंपोस्ट तैयार करने के लिए बहुत ज्यादा लागत की जरूरत नहीं होती। बहुत कम लागत से इसकी शुरुआत की जा सकती है। हमें पहले एक बेड से शुरुआत करनी चाहिए। वो बेड तैयार हो जाए, तो उसी के केंचुए से दूसरी और फिर ऐसे करके तीसरी, चौथी बेड तैयार करनी चाहिए।


वर्मीकंपोस्ट बनने के बाद ऊपर से खाद निकाल ली जाती है और नीचे जो बचता है, उसमें केंचुए होते हैं। वहां से जरूरत के हिसाब से केंचुए निकालकर दूसरे बेड पर डाले जा सकते हैं। ऐसा करने से हमें बार-बार केंचुआ खरीदने की जरूरत नहीं होगी। उनके मुताबिक खाद की लागत 3 रुपए प्रति किलो आती है। वह इसे थोक में छह रुपए से लेकर बीस रुपए प्रति किलो तक बेचते हैं।

Sunday 7 March 2021

1 अप्रैल से लागू होगा नए लेवर कोड वेज नियम , पड़ेगा आप के वेतन पर असर

 
1 अप्रैल से लागू होगा नए लेवर कोड वेज नियम , पड़ेगा आप के वेतन पर असर


आप केंद्रीय कर्मचारी हैं या फिर किसी कंपनी में काम करते हैं तो 1 अप्रैल से लागू किए जाने वाले नए कोड वेज का असर आपको देखने को मिल सकता है ! पिछले साल संसद में पास नया कोड वेज को अप्रैल 2021 से लागू किया जा रहा है ! केंद्र सरकार के बनाए लेबर कोड वेज के अनुसार बहुत कुछ बदलने वाला है ! इस साल जीएसटी में भी बदलाव होगा जिससे आपके बिजनेस पर भी कुछ असर देखने को मिल सकता है ! 
 
श्रम मंत्रालय द्वारा बनाए गए कोड के अनुसार कर्मचारियों के काम के घंटे और सीटीसी पर देखा जा सकता है ! हो सकता है, आपके वेतन पहले की अपेक्षा कुछ कम आए बाकी का कुछ अंश आपके पीएफ ग्रेच्युटी में जमा कर दिया जाए !सप्ताह में किए जाने वाले काम के घंटा कुछ कम हो सके क्योंकि नए कोड के अनुसार आपको सप्ताह में अधिकतम 48 घंटे में काम करने हैं !

श्रम कानूनों में बदलाव के तहत कंपनियों को कर्मचारियों की बेसिक सैलरी उनके सीटीसी की तुलना में 50 फीसदी करनी होगी. दरअसल नए कानूनों के तहत कर्मचारी के भत्ते कुल वेतन के 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकते. इसका असर ये होगा कि कर्मचारी को मिलने वाली ग्रेच्युटी में बढ़ोतरी होगी. साथ ही बोनस, पेंशन और पीएफ योगदान, एचआरए, ओवरटाइम आदि को वेतन से बाहर रखना होगा. इन्हीं बदलावों के कारण एक अप्रैल से कर्मचारियों के सैलरी स्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा !


नए साल से कामकाज के घंटों में भी बदलाव होने जा रहा है ! हफ्ते में अब कंपनियां 48 घंटे से ज्यादा काम नहीं करा सकतीं ! इसके लिए वर्किंग ऑवर में बदलाव होगा ! नए नियम के मुताबिक हफ्ते में 4 दिन काम और तीन दिन आराम मिलेगा ! लेकिन इस नए नियम में एक दिन में किए जाने वाले काम का घंटा बढ़ सकता है ! 48 घंटे के हिसाब से एक दिन में कम से कम 12 घंटे काम करना पड़ सकता है ! इससे पहले की तुलना में ऑफिस में ज्यादा वक्त देना पड़ सकता है लेकिन तीन दिन का आराम भी मिलेगा !

बजट में ऐलान के मुताबिक ईपीएफ में भी बड़ा बदलाव होगा. बजट में ऐलान किया गया था कि पीएफ में साल में 2.5 लाख रुपये तक टैक्स फ्री है. इसके बाद के पीएफ पर जो भी ब्याज बनेगा, उस पर टैक्स लगेगा !

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Saturday 6 March 2021

CASH AWARDS FOR MERITORIOUS SERVICE

 

Cash award and certificates are issued to the following employees at TI/TJ section.

S/Shri.





1.JM.Mahendhiran,TI/TJ

2.J.Sambath Kumar, SMR/TJ

3.Sunil Sharma, SMR/NMJ.

4. Manikandan, SM/SGM

5.Ramamoorthy, Pman/KDE

6.Prabu, Pman/TJ

7.Udayakumar,Pman/TJ

8.V.Ramanathan, Pman/NMJ.

For meritorious service.

👍 👎


कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन को आज 100 दिन

 


कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन को आज 100 दिन पूरे हो गए हैं. इसी मौके पर किसान नेता चक्का जाम कर रहे हैं. किसानों की कोशिश है कि लगातार इस तरह के कार्यक्रम करके सरकार पर दबाव बनाया जा सके ताकि उनकी ओर से बातचीत की पहल शुरू की जाए. किसान बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन सरकार की ओर से अभी उन्हें आमंत्रित नहीं किया गया है. सरकार और किसान नेताओं के बीच पहले कई दौर की बैठक हो चुकी है, बावजूद इसके गतिरोध बरकरार है !


100 दिन पूरे होने पर आज दिल्ली व दिल्ली की सीमाओं के विभिन्न विरोध स्थलों को जोड़ने वाले केएमपी एक्सप्रेसवे पर 5 घंटे की नाकाबंदी की जाएगी !

वहीं किसान टोल प्लाजा को टोल फीस जमा करने से भी मुक्त करेंगे!


किसान संगठनों ने बताया है कि यह आंदोलन पूरी तरह से शांतिपूर्ण होगा. संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रदर्शनकारियों से आह्वान किया है कि 100 दिन पूरे होने पर काली पट्टी बांध अपना विरोध दर्ज कराएं !


संसद ने किसानों के लिए 3 नए कानून बनाए हैं.

पहला है ''कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020''. इसमें सरकार कह रही है कि वह किसानों की उपज को बेचने के लिए विकल्प को बढ़ाना चाहती है. किसान इस कानून के जरिये अब एपीएमसी मंडियों के बाहर भी अपनी उपज को ऊंचे दामों पर बेच पाएंगे.


दूसरा कानून 'कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत अश्वासन और कृषि सेवा करार विधेयक, 2020' है, जिसकी अधिक चर्चा कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के विवाद में समाधान के मौजूदा प्रावधानों के संदर्भ में की जा रही है !

कोरोना वैक्सीन की कीमत तय

तीसरा कानून 'आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक, 2020' है. यह कानून आने वाले निकट भविष्य में खाद्य पदार्थों की महंगाई का दस्तावेज है. इस कानून के जरिए निजी क्षेत्र को असीमित भंडारण की छूट दी जा रही है. उपज जमा करने के लिए निजी निवेश को छूट होगी !

Friday 5 March 2021

1 मार्च को 25 रुपए बढ़ गया LPG सिलेंडर का दाम

 

1 मार्च को 25 रुपए बढ़ गया LPG सिलेंडर का दाम


मालूम हो कि गैर-सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडर की कीमतें 1 मार्च, 2021 को, 25 तक बढ़ गई थीं। इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के अनुसार 1 मार्च से गैर-रियायती एलपीजी की कीमत ₹ 819 प्रति सिलेंडर (14.2 किलोग्राम) हो गया है। देश की सबसे बड़ी फ्यूल रिटेलर इंडियन ऑयल ब्रांड इंडेन के तहत एलपीजी की आपूर्ति करती है। आमतौर पर, गैर-सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडरों की दरों की समीक्षा मासिक आधार पर की जाती है और प्रत्येक महीने के पहले दिन पर कोई भी परिवर्तन होता है। स्थानीय करों के कारण देश के विभिन्न हिस्सों में रसोई गैस की दरें भिन्न हैं। फरवरी 2021 के महीने में एलपीजी की कीमतों में लगभग तीन गुना बढ़ोतरी हुई थी। एलपीजी रसोई गैस की दरों में बढ़ोतरी ऐसे समय में हुई है जब पेट्रोल और डीजल की कीमतें चार मेट्रो शहरों में सभी समय के उच्च स्तर को छू चुकी हैं। वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि के बीच, तेल विपणन कंपनियों ने सभी महानगरों में ईंधन दरों में वृद्धि की। आमतौर पर, गैर-सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडरों की दरों की मासिक आधार पर समीक्षा की जाती है और किसी भी परिवर्तन को हर महीने के पहले दिन लागू किया जाता है। स्थानीय करों में भिन्नता के कारण देश भर के विभिन्न हिस्सों में खाना पकाने की गैस की दरें भिन्न हैं। ग्राहक को बाजार मूल्य के आधार पर एलपीजी सिलेंडरों के लिए आवश्यक अतिरिक्त खरीदारी करनी होगी। 12 रीफिल के वार्षिक कोटे पर सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी की राशि महीने-दर-महीने बदलती रहती है। एलपीजी पर सब्सिडी मोटे तौर पर कच्चे तेल के साथ-साथ विदेशी विनिमय दरों जैसे कारकों से निर्धारित होती है।


गैंस सिलेंडर पर मिलता है बीमा


गैंस सिलेंडर पर बीमा भी होता है। जिसका इस्तेमाल एलपीजी सिलेंडर में विस्फोट या कोई हानि में किया जा सकता है। रसोई गैस उपलब्ध करवा रही कंपनियां इंश्योरेंस करवाती है। इस बीमा की कुछ शर्ते होती हैं। कंपनियां तीन तरह का इंश्योरेंस ग्राहकों को देती है। किसी के मरने पर 6 लाख रुपए का कवर होता है। वहीं घायल होने पर 30 लाख का इंश्योरेंस होता। जिसमें दो से ज्यादा लोगों को 2 लाख रुपए तक का इलाज होता है। जबकि संपत्ति को नुकसान होने पर दो लाख का बीमा मिलता है। इसके लिए ऑयल कंपनियां कोई चार्ज नहीं लेती है। कोई अनहोनी होने पर इंश्योरेंस कंपनी पैसा ऑयल कंपनी को ट्रांसफर करती है। जिसके बाद विक्टिम तक मदद पहुंचाई जाती है।


जानें रसोई गैस बचाने की टिप्स


गौरतलब है कि रसोई गैस के दाम लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। ऐसे में आप कुछ सावधानी अपनाकर गैस बचा सकते हैं। सबसे पहले रात को गैस सिलेंडर की नॉब बंद करे। जहां तक हो सके हमेशा खाना ढककर ही पकाएं। फ्रोजन फूड, दूध, सब्जियों को पकाने से कम से कम 1-2 घंटे पहले फ्रिज से बाहर निकाल लें। खाना बनाते वक्त सही साइज के पैन या कड़ाही का इस्तेमाल करना चाहिए। बड़े पैन या कड़ाही होने से उन्हें गर्म होने और खाना पकाने में गैस की खपत ज्यादा होती है। मीट, चिकन, दाल और सब्जियों को उबालने में गैस की खपत ज्यादा होती है। इसलिए प्रेशर कुकर का इस्तेमाल करना चाहिए। समय-समय पर सिलेंडर के रेग्युलेटर, पाइप और बर्नर को चेक करें, कहीं गैस लीक तो नहीं कर रही है।


पेटीएम पर सिलेंडर बुकिंग पर कैशबैक


वहीं पेटीएम सिलेंडर बुकिंग पर कैशबैक दे रहा है। जो भी कस्टमर 31 मार्च से पहले एप के माध्यम से बुकिंग करेंगे उन्होंने 100 रुपए तक का कैशबैक मिलेगा। इस ऑफर का एक बार ही इस्तेमाल की किया जा सकता है।


गैस सिलेंडर बुकिंग आसान, एक ही समय में तीन डीलरों से रिफिल ऑर्डर ऐसे करें


जैसे ही एलपीजी की कीमत बढ़ रही है, एलपीजी गैस सिलेंडर उपयोगकर्ताओं के लिए कुछ अच्छी खबर है, अब उपभोक्ताओं को जल्द ही तीन डीलरों से बुकिंग करने का विकल्प मिलेगा। यह स्पष्ट रूप से उन उपभोक्ताओं की मदद करने के लिए किया गया है, जिन्हें एक विशेष गैस डीलर के रूप में भुगतना पड़ता है, समय पर एलपीजी गैस सिलेंडर देने में विफल रहता है। इसकी पुष्टि तेल सचिव तरुण कपूर ने की। घरेलू रसोई गैस या तरल पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) की कीमत में 1 मार्च को 25 रुपये प्रति सिलेंडर की बढ़ोतरी की गई थी। नवीनतम मूल्य वृद्धि के बाद, 14.2 किलोग्राम के घरेलू एलपीजी सिलेंडर की कीमत अब दिल्ली में 819 रुपये है। 28 फरवरी को पीटीआई से बात करते हुए, तेल सचिव ने कहा, "योजनाएँ रसोई गैस को कम से कम पहचान दस्तावेजों के साथ प्रदान करने के काम में हैं और खाना पकाने की गैस का लाभ उठाने के स्थान के निवास प्रमाण पर जोर दिए बिना। इसके अलावा, उपभोक्ताओं को जल्द ही एक विकल्प मिलेगा।


मुफ्त एलपीजी कनेक्शन का दायरा पहले से बहुत बढ़ा


इस बीच, मुफ्त एलपीजी कनेक्शन योजना मोदी सरकार का एक सुधार है जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इनडोर घरेलू प्रदूषण से छुटकारा पाने और महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार के लिए प्रशंसित है। और अब, सरकार की योजना है कि अगले दो वर्षों में जरूरतमंदों को एक करोड़ से अधिक मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन दिया जाए और देश में स्वच्छ ईंधन के 100 प्रतिशत तक पहुँच प्राप्त करने के लिए रसोई गैस की पहुँच को आसान बनाया जाए। पीटीआई को दिए एक साक्षात्कार में कपूर ने कहा कि रसोई गैस के आक्रामक रोलआउट के साथ, केवल चार वर्षों में गरीब महिलाओं के घरों में रिकॉर्ड तोड़ 8 करोड़ मुफ्त एलपीजी कनेक्शन प्रदान किए गए, जिससे देश में एलपीजी उपयोगकर्ताओं की संख्या लगभग 29 करोड़ हो गई। केंद्रीय बजट ने इस महीने की शुरुआत में प्रधान मंत्री उज्ज्वला (पीएमयूवाई) योजना के तहत एक करोड़ से अधिक मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन देने की योजना की घोषणा की। "हमारी योजना दो वर्षों में इन अतिरिक्त एक करोड़ कनेक्शनों को पूरा करने की है।"


एलपीजी सब्सिडी की जांच कैसे करें


- पेज पर "अपनी एलपीजी आईडी जानने के लिए यहां क्लिक करें" पर क्लिक करें। (...


- एक पॉप-अप आपको अपने वितरक की कंपनी चुनने का संकेत देगा: भारत गैस / एचपी गैस / इंडेन। ...


- लैंडिंग पेपर आपसे ग्राहक का विवरण पूछेगा। ...


- फिर कैप्चा कोड दर्ज करें और "आगे बढ़ें" पर क्लिक करें।


- आपकी एलपीजी आईडी पृष्ठ के निचले सिरे पर दिखाई देनी चाहिए।


एलपीजी सब्सिडी ऑनलाइन ऐसे पाएं


आपको इंडेन की वेबसाइट पर जाना होगा और उस लिंक पर क्लिक करना होगा, जो कहता है कि 'PAHAL स्थिति जांचें'। ग्राहक दो विकल्पों के माध्यम से अपनी स्थिति का पता लगा सकते हैं। पहले एक में, उन्हें वितरक का नाम, एलपीजी आईडी या आधार नंबर या उनका उपभोक्ता नंबर और क्लिक आगे बढ़ाना होगा।


बैंक खाते में एलपीजी गैस सब्सिडी कैसे प्राप्त करें


यदि आप एलपीजी कनेक्शन का उपयोग करते हैं, तो आप अपने आधार को अपने कनेक्शन से जोड़कर सीधे अपने बैंक खाते में सब्सिडी प्राप्त कर सकते हैं। गैस कंपनियां कई तरह के तरीके पेश करती हैं जिनसे आप अपने आधार को अपने एलपीजी कनेक्शन से जोड़ सकते हैं। आप एक वितरक पर कॉल करके, IVRS के माध्यम से या एसएमएस भेजकर ऐसा कर सकते हैं।


वर्तमान एलपीजी सब्सिडी क्या है?


दिल्ली और मुंबई में प्रत्येक की दर 694 रुपये प्रति सिलेंडर और चेन्नई में Chennai 610 प्रति सिलेंडर है। वर्तमान में, सरकार प्रत्येक वर्ष प्रति परिवार 14.2 किलोग्राम के 12 सिलेंडरों पर सब्सिडी देती है। उपभोक्ता को बाजार मूल्य पर एलपीजी सिलिंडर की कोई अतिरिक्त खरीद करनी होगी।

-  साभार

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Monday 1 March 2021

केंद्र सरकार के कर्मचारी होंगे मालामाल

 

     महंगाई भत्ते पर अच्छी खबर

केंद्र सरकार कर्मचारियों के हित में जल्द ही महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी का ऐलान कर सकती है। ऐसी उम्मीद है कि केंद्र सरकार होली से पहले DA बढ़ाने संबंधी फैसला लेकर सरकारी कर्मचारियों को सौगात दे सकती है। सरकार यदि डीए को बढ़ाने का ऐलान करती है तो देशभर में 50 लाख सरकारी कर्मचारियों और 61 लाख पेंशनर्स को फायदा होगा। देश के 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा की जा चुकी है। ऐसे में सरकारी कर्मचारियों को खुश करने के लिए महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी का ऐलान भी किया जा सकता है।

केंद्र सरकार में कार्यरत 50 लाख कर्मचारी 60 लाख पेंशनर को जल्द ही अच्छी खबर सुनने को मिल सकता है क्योंकि इस बार केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों की महंगाई भत्ता में कम से कम 4% की बढ़ोतरी करने जा रही है ऐसे भारत सरकार के कर्मचारियों को डेढ़ साल से अपना महंगाई भत्ता बढ़ने का इंतजार है क्योंकि श्रम विभाग ने ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स की घोषणा हाल में की है जिससे कर्मचारियों में महंगाई भत्ता बढ़ने की उम्मीद जगी है केंद्र सरकार ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स एआईसीपीआई के जरिए ही महंगाई भत्ता का कैलकुलेशन करती है !



केंद्रीय कर्मचारियों को 1 जुलाई 2020 से 1 जनवरी 2021 तक का डीए नहीं दिया जाएगा. दरअसल, केंद्र सरकार ने कोराना संकट के कारण अप्रैल 2020 में महंगाई भत्ते पर रोक लगा दी थी. तब की गई केंद्र की घोषणा के मुताबिक, जून 2021 तक केंद्रीय कर्मचारियों को महंगाई भत्ता नहीं मिलेगा !


कर्मचारियों की यात्रा भत्ता भी महंगाई भत्ता पर डिपेंड करता है अगर कर्मचारियों की महंगाई भत्ता चार पर्सेंट की बढ़ोतरी होती है तो TPTA में भी चार परसेंट की बढ़ोतरी होगी !


केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स को 2021 में महंगाई भत्ता (Dearness Allowance) चार प्रतिशत बढ़कर मिलने की उम्मीद जताई गई है। ... इस आधार पर एक जनवरी 2021 से कुल 28 प्रतिशत महंगाई भत्ता बनता है, जबकि इसके पहले जुलाई 2020 से 24 प्रतिशत महंगाई भत्ता देय हो चुका है।

नवंबर 2020 उपभोक्ता मूल्य सूचकांक जारी हो गया है। अगर दिसंबर माह के सूचकांक में कोई वृद्धि या कमी नहीं होती तो 12 माह का औसत सूचकांक 335.25 रहेगा। इस आधार पर एक जनवरी 2021 से कुल 28 प्रतिशत महंगाई भत्ता बनता है, जबकि इसके पहले जुलाई 2020 से 24 प्रतिशत महंगाई भत्ता देय हो चुका है। ऐसी स्थिति में एक जनवरी 2021 से शुद्ध महंगाई भत्ते चार प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी।


केंद्रीय कर्मचारियों के DA में बढ़ोतरी पर फिलहाल रोक चल रही है, लेकिन जब तक यह रोक हटेगी तब उन्‍हें एकसाथ दो साल का फायदा मिलेगा. बता दें कि जनवरी 2020 में केंद्रीय कर्मचारियों का DA 4% बढ़ा था. इसके बाद दूसरी छमाही में 3% इजाफा हुआ. अब जनवरी 2021 में यह 4% बढ़ा है. इससे यह 28% पर पहुंच गया है !


कोरोना महामारी  के कारण 1 जनवरी 2020 से लेकर 30 जून 2021 तक केंद्र सरकार के 50 Lakh employees  और 60 Lakh पेंशनरों का DA फ्रिज किया गया है इससे केंद्र सरकार को कम से कम ₹37000 करोड़ की बचत में इजाफा होगा !

NPS निवेश और उसके पैटर्न चयन का अधिकार


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