कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन को आज 100 दिन पूरे हो गए हैं. इसी मौके पर किसान नेता चक्का जाम कर रहे हैं. किसानों की कोशिश है कि लगातार इस तरह के कार्यक्रम करके सरकार पर दबाव बनाया जा सके ताकि उनकी ओर से बातचीत की पहल शुरू की जाए. किसान बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन सरकार की ओर से अभी उन्हें आमंत्रित नहीं किया गया है. सरकार और किसान नेताओं के बीच पहले कई दौर की बैठक हो चुकी है, बावजूद इसके गतिरोध बरकरार है !
100 दिन पूरे होने पर आज दिल्ली व दिल्ली की सीमाओं के विभिन्न विरोध स्थलों को जोड़ने वाले केएमपी एक्सप्रेसवे पर 5 घंटे की नाकाबंदी की जाएगी !
वहीं किसान टोल प्लाजा को टोल फीस जमा करने से भी मुक्त करेंगे!
किसान संगठनों ने बताया है कि यह आंदोलन पूरी तरह से शांतिपूर्ण होगा. संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रदर्शनकारियों से आह्वान किया है कि 100 दिन पूरे होने पर काली पट्टी बांध अपना विरोध दर्ज कराएं !
संसद ने किसानों के लिए 3 नए कानून बनाए हैं.
पहला है ''कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020''. इसमें सरकार कह रही है कि वह किसानों की उपज को बेचने के लिए विकल्प को बढ़ाना चाहती है. किसान इस कानून के जरिये अब एपीएमसी मंडियों के बाहर भी अपनी उपज को ऊंचे दामों पर बेच पाएंगे.
दूसरा कानून 'कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत अश्वासन और कृषि सेवा करार विधेयक, 2020' है, जिसकी अधिक चर्चा कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के विवाद में समाधान के मौजूदा प्रावधानों के संदर्भ में की जा रही है !
तीसरा कानून 'आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक, 2020' है. यह कानून आने वाले निकट भविष्य में खाद्य पदार्थों की महंगाई का दस्तावेज है. इस कानून के जरिए निजी क्षेत्र को असीमित भंडारण की छूट दी जा रही है. उपज जमा करने के लिए निजी निवेश को छूट होगी !
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