Sunday 19 September 2021

जीएसटी में पेट्रोल डीजल आने से अर्थव्यवस्था कैसे गिरेगी ? जाने यहां !

 जीएसटी में पेट्रोल डीजल आने से अर्थव्यवस्था गिर जाएगी

पेट्रोल और डीजल जीएसटी के दायरे में आ जाए तो आम जनता को बहुत ही राहत मिलेगी लेकिन ऐसा असंभव है हाल ही में जीएसटी काउंसिल के 45 में बैठक हुई जिसमें जीएसटी के तहत पेट्रोल और डीजल को लाने के लिए आपसी सहमति नहीं बन पाई ! 



जरा सोचिए डीजल पेट्रोल सस्ता हो जाए तो आम आदमी को मौज ही मौज रहेगी ! लेकिन अर्थव्यवस्था में आय पर अचानक गिरावट आने से जीडीपी नुकसान के कारण बहुत नीचे चल जाएगी ! भारतीय अर्थव्यवस्था गिर जाने से शेयर मार्केट पर भी असर पड़ेगा जिससे निवेश करने वाले आम जनता को बहुत ही नुकसान होगा ! 

आजकल ऐसा ही कुछ पेट्रोल-डीज़ल के साथ है, जिसकी हर रोज़ बढ़ती कीमतों ने जनता को ख़फ़ा कर रखा है और सरकार के सामने सवालों की बाढ़ आ गई है !

मोदी सरकार का सिरदर्द बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल के दाम भी दम साधे बैठे हैं !

कुछ समय पहले ही आई ECOWRAP की रिपोर्ट के अनुसार जीएसटी के दायरे में आने के बाद पेट्रोल करीब 30 रुपये और डीजल करीब 20 रुपये तक सस्ता हो जाएगा। यानी ऐसा होने के बाद दिल्ली में पेट्रोल करीब 72 रुपये प्रति लीटर और डीजल करीब 70 रुपये प्रति लीटर हो जाएगा।


पेट्रोलियम उत्पादों से भरा सरकारी खजाना


सरकार का पेट्रोलियम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क कलेक्शन चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में 48 प्रतिशत बढ़ गया है, और इस दौरान हासिल हुआ अतिरिक्त कलेक्शन पूरे वित्त वर्ष के दौरान तेल बॉन्ड देनदारी का तीन गुना है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय के तहत लेखा महानियंत्रक के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल-जुलाई 2021 के दौरान उत्पाद शुल्क कलेक्शन एक लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 67,895 करोड़ रुपये था। और जैसे ही टैक्स की बात चलती है तो एक बार फिर ये चर्चा चल पड़ती है कि क्या पेट्रोल-डीज़ल को जीएसटी के दायरे में लाना चाहिए ताकि उस पर टैक्स कम लगे और ग्राहकों को भी फ़ायदा हो !



चौंकाने वाली बात है कि महंगाई के इस दौर में भी ऐसा कम ही होता कि देश भर में एक ही उत्पाद के दामों को लेकर बवाल मचा हो !


एक्साइज़ ड्यूटी केंद्र सरकार लगाती है जबकि वैट की दर अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग हो सकती है. यही वजह है कि राज्यों और उनके शहरों में पेट्रोल या डीज़ल के दाम भी अलग होते हैं !

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि परिषद ने पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे से बाहर रखने का फैसला किया है क्योंकि मौजूदा उत्पाद शुल्क और वैट को एक राष्ट्रीय दर में शामिल करने से राजस्व प्रभावित होगा



वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की शुक्रवार को एक बड़ी बैठक में पेट्रोल और डीजल को अप्रत्यक्ष कर के दायरे में लाने की उम्मीद थी। हालांकि, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जीएसटी परिषद को लगा कि यह पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाने का समय नहीं है।


परिषद ने पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे से बाहर रखना जारी रखने का फैसला किया क्योंकि मौजूदा उत्पाद शुल्क और वैट को एक राष्ट्रीय दर में शामिल करने से राजस्व प्रभावित होगा।


GST परिषद ने आज केरल HC के आदेश के अनुसार पेट्रोल और डीजल को GST के तहत लाने के मुद्दे पर चर्चा की। लेकिन फैसला किया कि यह इसके लिए समय नहीं है," एफएम सीतारमण ने लखनऊ में बैठक के बाद कहा।


राज्यों ने डीजल, पेट्रोल और पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में शामिल करने के लिए बातचीत शुरू करने की किसी भी योजना का भी विरोध किया है।


डीजल में मिश्रण के लिए बायो-डीजल पर जीएसटी दर 12% से घटाकर 5% कर दी गई, जबकि माल ढुलाई के लिए राष्ट्रीय परमिट शुल्क को जीएसटी से छूट दी गई है।

वित्त मंत्री ने कहा कि पट्टे पर दिए गए विमानों के आयात को भी आई-जीएसटी के भुगतान से छूट दी गई है

एफएम सीतारमण की अध्यक्षता और राज्यों के वित्त मंत्रियों की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद की 45 वीं बैठक, कोरोनोवायरस महामारी की शुरुआत के बाद से पहली शारीरिक बैठक है। पिछली ऐसी बैठक 20 महीने पहले 18 दिसंबर, 201 को हुई थी ! For more news Click here


जितनी तेल की कीमत होती है लगभग उतना ही टैक्स भी लगता है. कच्चा तेल ख़रीदने के बाद रिफ़ाइनरी में लाया जाता है और वहां से पेट्रोल-डीज़ल की शक्ल में बाहर निकलता है.


इसके बाद उस पर टैक्स लगना शुरू होता है. सबसे पहले एक्साइज़ ड्यूटी केंद्र सरकार लगाती है. फिर राज्यों की बारी आती है जो अपना टैक्स लगाते हैं. इसे सेल्स टैक्स या वैट कहा जाता है !

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