सत्य ही शिव हैं और शिव ही सुंदर है। तभी तो भगवान आशुतोष को सत्यम शिवम सुंदर कहा जाता है। भगवान शिव की महिमा अपरंपार है। भोलेनाथ को प्रसन्न करने का ही महापर्व है...शिवरात्रि...जिसे त्रयोदशी तिथि, फाल्गुण मास, कृष्ण पक्ष की तिथि को प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है। महाशिवरात्रि पर्व की विशेषता है कि सनातन धर्म के सभी प्रेमी इस त्योहार को मनाते हैं।
हिंदू धर्म में हर माह मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है, लेकिन फाल्गुन माह में आने वाली महाशिवरात्रि (Mahashivratri) का खास महत्व होता है. माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था. ... इसके बाद से हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है !
महाशिवरात्रि के दिन आज हरिद्वार में महाकुंभ का पहला शाही स्नान है, इसलिए आज जूना अखाड़ा, आह्वान अखाड़ा, अग्नि अखाड़ा और किन्नर अखाड़ा करीब 11 बजे हर की पौड़ी ब्रह्मकुंड पर स्नान करने के लिए पहुचेंगे. इसके बाद निरंजनी अखाड़ा और आनंद अखाड़ा करीब 1 बजे हर की पौड़ी ब्रह्मकुंड पर स्नान करेंगे. इसके बाद महानिर्वाणी अखाड़ा और अटल अखाड़ा करीब 4 बजे हर की पौड़ी ब्रह्मकुंड पर स्नान करेंगे !
महाशिवरात्रि के दिन भक्त जप, तप और व्रत रखते हैं और इस दिन भगवान के शिवलिंग रूप के दर्शन करते हैं। इस पवित्र दिन पर देश के हर हिस्सों में शिवालयों में बेलपत्र, धतूरा, दूध, दही, शर्करा आदि से शिव जी का अभिषेक किया जाता है। देश भर में महाशिवरात्रि को एक महोत्सव के रुप में मनाया जाता है क्योंकि इस दिन देवों के देव महादेव का विवाह हुआ था।
हमारे धर्म शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि महाशिवरात्रि का व्रत करने वाले साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है। जगत में रहते हुए मुष्य का कल्याण करने वाला व्रत है महाशिवरात्रि। इस व्रत को रखने से साधक के सभी दुखों, पीड़ाओं का अंत तो होता ही है साथ ही मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है। शिव की साधना से धन-धान्य, सुख-सौभाग्य,और समृद्धि की कमी कभी नहीं होती। भक्ति और भाव से स्वत: के लिए तो करना ही चाहिए सात ही जगत के कल्याण के लिए भगवान आशुतोष की आराधना करनी चाहिए। मनसा...वाचा...कर्मणा हमें शिव की आराधना करनी चाहिए। भगवान भोलेनाथ..नीलकण्ठ हैं, विश्वनाथ है।
हिंदू पंचांग के अनुसार महाशिवरात्रि हर वर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आती है. इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व गुरुवार 11 मार्च को मनाया जाएगा. शिव भक्तों के लिए महाशिवरात्रि सबसे बड़ा दिन होता है.
महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर कई प्रकार की चीजें अर्पित की जाती है. लेकिन कुछ चीजों को शिवलिंग पर नहीं चढ़ाया जाता. जानते हैं ये चीजें कौन सी हैं और इन्हें शिवलिंग पर क्यों नहीं चढ़ाया जाता है !
तुलसी: वैसे तो हिंदू धर्म में तुलसी का विशेष महत्व है लेकिन इसे भगवान शिव पर चढ़ाना मना है.
तिल: शिवलिंग पर तिल भी नहीं चढ़ाया जाता है. मान्याता है कि तिल भगवान विष्णु के मैल से उत्पन्न हुआ है इसलिए इसे भगवान शिव को अर्पित नहीं किया जाता.
टूटे हुए चावल: टूटे हुए चावल भी भगवान शिव को अर्पित नहीं किए जाते हैं. शास्त्रों के मुताबिक टूटा हुआ चावल अपूर्ण और अशुद्ध होता है.
कुमकुम: भगवान शिव को कुमकुम और हल्दी चढ़ाना भी शुभ नहीं माना गया है.
नारियल: शिवलिंग पर नारियल का पानी भी नहीं चढ़ाया जाता. नारियल को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है. देवी लक्ष्मी का संबंध भगवान विष्णु से है इसलिए नारियल शिव को नहीं चढ़ता.
शंख: भगवान शिव की पूजा में कभी शंख का प्रयोग नहीं किया जाता. शंखचूड़ नाम का एक असुर भगवान विष्णु का भक्त था जिसका वध भगवान शिव ने किया है. शंख को शंखचूड़ का प्रतीक माना जाता है. यही कारण है कि शिव उपासना में शंख का इस्तेमाल नहीं होता.
केतकी का फूल: भगवान शिव की पूजा में केतकी के फूल को अर्पित करना वर्जित माना जाता है.
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