बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ ने आज रविवार को पटना स्थित संघ भवन में एक बैठक का आयोजन किया जिसमें उपस्थित संघ के सभी पदाधिकारी एवं विभिन्न जिला से आए हुए प्रतिनिधियों ने इस बैठक में भाग लिया। इस बैठक में सर्वसम्मति से राज्य सरकार के विरोध में कई बिंदुओं पर निर्णय लिया गया। इस बैठक में स्पष्ट रूप से कहा गया कि बिहार सरकार के द्वारा माननीय उच्च न्यायालय एवं माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित अनुशंसा का पालन नहीं किया जा रहा है जिसके विरोध स्वरूप आगामी 1 फरवरी 2023 से लेकर 4 फरवरी 2023 तक अपनी 5 सूत्रीय मांगों को ना माने जाने को लेकर काली पट्टी लगाकर विरोध प्रदर्शन करेंगे। यह समाचार www.operafast.com पर पढ़ रहे हैं।
इनके 5 सूत्रीय मांग निम्नलिखित है जिसे राज्य सरकार नहीं मान रही है।
* बिहार सरकार के द्वारा माननीय उच्च न्यायालय के आदेशानुसार वर्ग 3 के कर्मचारी को कार्यक्षमता तथा स्नातक योग्यता के अनुरूप वेतन दिया जाए।
* बिहार सरकार के द्वारा माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित शेट्टी कमीशन के अनुसार अनुशंसा को हूबहू लागू करने के संबंध में।
* किसी भी जिला में मृत कर्मचारी के आश्रितों को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति ।
* किसी भी जिले में वरीयता के आधार पर खाली पड़े पदों पर पदोन्नति एवं पदस्थापना।
* जिला जज महोदय के द्वारा संघ के जिला इकाई के पदाधिकारियों को मानसिक तौर पर प्रताड़ित करना तथा संघ के पदाधिकारियों को मुख्यालय में पदस्थापित नहीं किया जाना के विरोध।
बिहार राज्य के व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ के राज्य कार्यकारिणी के पदाधिकारी गण एवं विभिन्न जिलों से आए हुए प्रतिनिधि उपस्थित होकर विभिन्न समस्याओं पर विस्तृत रूप से चर्चा की जिसमें वेतन विसंगति का निराकरण के बारे में चर्चा करते हुए अध्यक्ष राजेश्वर तिवारी ने कहा बिहार सरकार व्यवहार न्यायालय के कर्मचारियों का वेतन विसंगति का निराकरण जानबूझकर नहीं कर रही है जबकि उच्च न्यायालय के द्वारा इसके अनुपालन हेतु पहले ही निर्देश दिया गया था लेकिन आज तक राज्य सरकार द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई।
उन्होंने कहा शेट्टी कमीशन के अनुशंसा का भी राज्य सरकार अनुपालन नहीं कर रही है जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने शेट्टी कमीशन की अनुशंसा का लाभ 01/04/2003 के प्रभाव से देने की बात कही थी परंतु खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का राज्य सरकार अवहेलना करते हुए उसका अनुपालन आज तक हुबहू नहीं कर सकी।
बैठक में उपस्थित सदस्यों के द्वारा बताया गया कि वर्षों से किसी भी न्यायालय के मृतक कर्मचारी के आश्रितों को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति नहीं की जा रही है जो कि एक राज्य में दो नियम प्रभावी है एक तरफ राज्य सरकार अपने मृत कर्मचारी के आश्रितों को तत्काल अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति कर रही है वही व्यवहार न्यायालय के कर्मचारियों के अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति प्रतिशत के आधार पर की व्यवस्था कर रही है।
न्यायालय के कर्मी को वरीयता के अनुरूप पदोन्नति एवं पदस्थापना से संबंधित बातों पर चर्चा करते हुए उपस्थित सदस्यों ने बताया कि किसी भी जिला में कर्मियों को व्यक्तियों के बावजूद वरीयता के अनुरूप पदोन्नति एवं पदस्थापना नहीं किया जा रहा है जूनियर कर्मियों को सिरिस्तेदार एवं वरीय कर्मियों को द्वितीय श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में पदस्थापित किया जा रहा है। तथा एक ही कर्मचारी को कई न्यायालय का प्रभारी बना दिया जा रहा है।
बैठक में आगे चर्चा करते हुए बताया गया कि न्यायिक पदाधिकारियों द्वारा संघ के पदाधिकारियों को प्रताड़ित किया जा रहा है तथा असंसदीय भाषा का प्रयोग करते हैं तथा उनका स्थानांतरण करने की धमकी देते हैं तथा कुछ जिला न्यायाधीश महोदय द्वारा स्थानांतरण भी किया जा चुका है।
इस बैठक में चर्चा करते हुए कहा कि जिला न्यायालय में कर्मचारियों के लिए शुद्ध पेयजल, शौचालय, कैंटीन जैसी अन्य मूलभूत सुविधाओं की घोर अभाव होने के कारण कर्मचारियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है जिस कारण उनके स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। जबकि हर जिला न्यायालय में बहुत से महिला कर्मी की नियुक्ति भी है जिन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
किसी भी जिला में सरकारी आवास की व्यवस्था नहीं है जिसके कारण कर्मचारी गण सरकार द्वारा दिए जा रहे आवास भत्ता से ज्यादा किराया देने के बावजूद शहर से दूर किराया लेकर रहते हैं। जिसके कारण उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है जबकि शेट्टी कमीशन के अनुशंसा में प्रयाप्त आवास की व्यवस्था करने का भी निर्देश है।
शेट्टी कमीशन के अनुशंसा के आलोक में तृतीय वर्ग के कर्मियों के लिए प्रसाद उसके लिए राज्य सरकार के द्वारा एक निश्चित राशि देने का प्रावधान होने के बावजूद राज्य सरकार द्वारा इस संबंध में कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है इसी क्रम में प्रत्येक जिला के कर्मचारियों के लिए कोऑपरेटिव सोसायटी विकसित करने की निर्देश का भी अनुपालन नहीं किया जा रहा है ।
बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय संघ के कर्मचारियों के द्वारा संघ भवन में हो रहे बैठक में संघ के अध्यक्ष राजेश्वर तिवारी, महासचिव सत्यार्थ सिंह, उपाध्यक्ष महेश पासवान, समेत प्रेम प्रकाश, रंजय कुमार, जयाप्रभा, शशिकांत सिंह, शशि भूषण सिंह, अजय शंकर, मोहम्मद मेराज, राजेश कुमार, उमेश कुमार मिश्र, संजीव कुमार चौधरी, अर्जुन कुमार, सौरभ कुमार, अजीत कुमार, राज प्रकाश, मोहम्मद शहजाद, श्रीकांत कुमार, हेमंत कुमार, प्रवीण कुमार, विशाल दयाल समेत कई कर्मचारी उपस्थित थे।
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