Monday 17 May 2021

ब्लैक फंगस के लक्षण और उपचार यहां चेक करें !

 

कैंसर को जानलेवा प्रभाव पैदा करने में कुछ महीने लगते हैं जबकि ब्लैक फंगस से जान कुछ दिनों या घंटों में जा सकती है !

कोरोना मरीजों में फंगल इन्फेक्शन, जिसे 'ब्लैक फंगल इन्फेक्शन' कहा जा रहा है, के मामले बढ़ रहे हैं. इस इंफेक्शन से सबसे बड़ा डर ये है कि ये तेजी फैलता है और लोगों के आंखों की रोशनी चली जाती है या कुछ अंग काम करना बंद कर देते हैं. लेकिन यह 'ब्लैक फंगल इनफेक्शन' या Mucormycosis रहस्यमई नहीं है! यह केवल बहुत दुर्लभ था !



कोरोना मरीजों में दूसरी खतरनाक बीमारी म्यूकर मायकोसिस (ब्लैक फंगस) ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। झारखंड में भी इसके मामले सामने आ रहे हैं। 


कोरोना से तबाही के बीच म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों का पता लगाने की कोशिश की जा रही है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने लोगों को ब्लैक फंगस के शुरुआती लक्षणों की पहचान कर इससे बचने की सलाह दी है, जो कि मुख्यतौर पर महाराष्ट्र में कई मरीजों में देखे गए हैं. हर्षवर्धन ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक पोस्ट में बताया कि जागरूकता और शुरुआती लक्षणों की पहचान कर इसके खतरे से बचा जा सकता है !

क्या हैं लक्षण

ब्लैक फंगस में मुख्य रूप से कई तरह के लक्षण देखे जाते हैं ! 

- आंखों में लालपन या दर्द,

- बुखार, सिरदर्द, खांसी 

- सांस में तकलीफ

- उल्टी में खून 

या मानसिक स्थिति में बदलाव से इसकी पहचान की जा सकती है ! इसलिए इन लक्षणों पर बारीकी से गौर करना चाहिए !



फंगल एटियोलॉजी का पता लगाने के लिए KOH टेस्ट और माइक्रोस्कोपी की मदद लेने से न घबराएं. यदि डॉक्टर्स इसका तुरंत इलाज करने की सलाह दे रहे हैं तो उसे इग्नोर न करें. रिकवरी के बाद भी इसके बताए गए लक्षणों को अनदेखा न करें, क्योंकि कई मामलों में फंगल इंफेक्शन रिकवरी के एक सप्ताह या महीनेभर बाद भी उभरते देखा गया है !


इन कारणों से हो रहा ब्लैक फंगस

अनियंत्रित मधुमेह स्टेरॉयड लेने के कारण इम्यूनोसप्रेशन- कोरोना संक्रमण अधिक होने के कारण अधिक समय आइसीयू में रहना।



क्या कहते हैं एपिडेमियोलॉजिस्ट

मधुमेह से गंभीर रूप से पीड़ित मरीजों में ब्लैक फंगस का खतरा हो सकता है। हालांकि अभी गिने-चुने में ही यह समस्या आई है। इससे बचने के लिए शुगर नियंत्रण में रखने का प्रयास होना चाहिए। स्टेरॉयड के अलावा कोरोना की कुछ दवाओं का उपयोग मरीज की प्रतिरक्षा प्रणाली पर असर डालता है। जब इन दवाओं का उचित उपयोग नहीं किया जाता है तो यह ब्लैक फंगस के खतरे को बढ़ा देता है, क्योंकि मरीज की प्रतिरक्षा प्रणाली फंगल संक्रमण से लड़ने में विफल रहती है। कोरोना से उबरने के बाद लोगों को इसे लक्षण पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए। इससे से बचने के लिए डॉक्टर की सलाह के अनुसार स्टेरॉयड का विवेकपूर्ण उपयोग करना चाहिए। बीमारी का जल्द पता लगने से इसके संक्रमण के उपचार में आसानी हो सकती है !

कैसे बनाता है शिकार-

 एक्सपर्ट्स के मुताबिक, हवा में फैले रोगाणुओं के संपर्क में आने से कोई व्यक्ति फंगल इंफेक्शन का शिकार हो सकता है. ब्लैक फंगस मरीज की स्किन पर भी विकसित हो सकता है. स्किन पर चोट, रगड़ या जले हुए हिस्सों से ये शरीर में दाखिल हो सकता है !


Mucormycosis क्या है?



US सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन(CDS) के अनुसार Mucormycosis एक गंभीर लेकिन दुर्लभ फंगल इंफेक्शन है जो के Moulds के एक ग्रुप, जिसे micromycetes कहते हैं, के कारण होता है.


" यह फंगस हमारे चारों ओर मुक्त रूप में मौजूद होता है लेकिन किसी के शरीर के अंदर इन्फेक्शन को संभव बनाने के लिए इसे एक विशेष इन्वायरमेंट की जरूरत होती है. यह समान्यतः नाक ,साइनस ,आंखों में या दिमाग में पाया जाता है ! "


म्यूकरमाइकोसिस से कैसे बचें- 

ब्लैक फंगस से बचने के लिए धूल वाली जगहों पर मास्क पहनकर रहें. मिट्टी, काई या खाद जैसी चीजों के नजदीक जाते वक्त जूते, ग्लव्स, फु स्लीव्स शर्ट और ट्राउजर पहनें. साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें. डायबिटीज पर कंट्रोल, इम्यूनोमॉड्यूलेटिंग ड्रग या स्टेरॉयड का कम से कम इस्तेमाल कर इससे बचा जा सकता है ! यह समाचार आप cominghindinews.blogspot.com पर पढ़ रहे हैं !



ब्लैक फंगस से बचने के लिए क्या करें- हाइपरग्लीसीमिया (ब्लड शुगर) को कंट्रोल रखें! कोविड-19 से रिकवरी के बाद भी ब्लड ग्लूकोज का लेवल मॉनिटर करते रहें. स्टेरॉयड का इस्तेमाल सिर्फ डॉक्टर्स की सलाह पर ही करें. ऑक्सीजन थैरेपी के दौरान ह्यूमिडिटीफायर के लिए साफ पानी का ही इस्तेमाल करें. एंटीबायोटिक्स या एंटीफंगल दवाओं का इस्तेमाल जरूरत पड़ने पर ही करें !


क्या न करें

ब्लैक फंगस से बचने के लिए इसके लक्षणों को बिल्कुल नजरअंदाज न करें. बंद नाक वाले सभी मामलों को बैक्टीरियल साइनसाइटिस समझने की भूल न करें. खासतौर से कोविड-19 और इम्यूनोसप्रेशन के मामले में ऐसी गलती न करें ! अधिक समाचार पढ़ने के लिए गूगल में cominghindinews.blogspot.com पर सर्च करें !

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