‘जंजीर बढ़ा कर साध मुझे,
हाँ, हाँ दुर्योधन! बाँध मुझे।
‘बाँधने मुझे तो आया है,
जंजीर बड़ी क्या लाया है?
‘हित-वचन नहीं तूने माना,
मैत्री का मूल्य न पहचाना,
तो ले, मैं भी अब जाता हूँ,
अन्तिम संकल्प सुनाता हूँ।
याचना नहीं, अब रण होगा,
जीवन-जय या कि मरण होगा।
आखिर तू भूशायी होगा,
हिंसा का पर, दायी होगा।’
उपर्युक्त कविता का भावार्थ निकालना चाहेंगे सुनिश्चित है यह श्री कृष्ण भगवान का संवाद है जो श्री श्री कृष्ण भगवान ने दुर्योधन को समझाते हुए कहा था युद्ध को छोड़कर पांडवों से सुलह कर लो अन्यथा इसका परिणाम बहुत ही भयंकर होगा !
लेकिन मैं यहां पर श्री कृष्ण दुर्योधन और पांडवों की बात नहीं कर रहा हूं मैं बिहार के बाहुबली पूर्व सांसद पप्पू रंजन की बात कर रहा हूं जिन्होंने हाल ही में राजीव प्रताप रूडी के द्वारा दिए गए बेकार एंबुलेंस के फोटो लेकर मीडिया में देने के कारण विशेष रूप से चर्चित हुए उनके समर्थकों का कहना है कि बिहार सरकार पप्पू यादव को गिरफ्तार करके बहुत गलती कर रही है उन्हें छोड़ देना चाहिए क्योंकि अबे आप पुराना वाला बाहुबली नहीं है बल्कि एक समाजसेवी के रूप में अपने आप को पहचान बनाने में लगे हुए हैं !
उनके समर्थकों का कहना है कि अगर आप बिहार को बचाना चाहते हैं। बिहार में गौतम बुद्ध और महावीर के परोपकार की परंपरा को बचाना चाहते हैं। गरीबों और जरूरमंद लोगों की आवाज बुलंद रखना चाहते हैं। लोकतंत्र को बरकरार रखना चाहते हैं। तो प्रदेश भर में सरकार के इस रवैये के खिलाफ गिरफ्तारी को तैयार रहिए। आज मौका है, नहीं तो बाद में पछतावे के कुछ नहीं मिलेगा और सेवा व मदद को कोई नहीं आएगा।
पप्पू यादव जी गरीबों के मसीहा है जो गरीबों का सेवा करते थे ! बिहार सरकार को रास नहीं आया और अपना नाकामी छुपाने की की कोशिश में पप्पू यादव को गिरफ्तार किया और बता देना चाहता हूं ! जब पटना में बाढ़ आया था इतना भारी शरीर लेकर हर संभव मदद करता था और जो सरकार में था वह हाफ पैंट पहन कर भाग रहे थे इस वक्त हम लोगों को रोड पर उतरना चाहिए !
यह गिरफ्तारी पप्पू यादव जी का नहीं हुआ है बल्कि इंसानियत का गिरफ्तारी किया गया है बेबस लाचार असहाय परिवार का गिरफ्तारी हुआ है, उस उम्मीद की किरण का गिरफ्तार हुआ है जो आज भी नजर गड़ाए हुए हैं कि कोई मदद कर दे ना हमारा पेशेंट हमारा मरीज बच जाएगा यह गिरफ्तारी उन सभी लोगों का है जिनको पीड़ा में पप्पू यादव जी खड़े रहे हैं यह गिरफ्तारी पप्पू यादव जी का ही नहीं हुआ है बल्कि उस हर मन (दिल) का गिरफ्तारी किया गया है जिस मन का हीरो पप्पू यादव जी हैं !
चाहे चमकी बुखार हो या पटना का भीषण बाढ़ या फिर अब कोरोना महामारी की तबाही, सबसे आगे आकर लोगों की दुख की घड़ी में कोई आम लोगों को मदद कर रहा है तो वो 'पप्पू यादव' ही हैं, बिहार सरकार द्वारा पप्पू यादव को गिरफ्तार करना बेहद निंदनीय है, हर बिहारी को पप्पू यादव की रिहाई के लिए आवाज उठाना चाहिए।
गिरफ्तारी का कारण चाहे जो भी हो इतना तो साफ है कि यह व्यक्ति समाजिक सदभाव के नजरिये से शाहबुद्दीन से भी ज्यादा ख़तरनाक है, संवेदनशील मुद्दों पर समाज को भड़काने का काम और सस्ती राजनिती करके कोई समाज का नेता नहीं बन सकता, 1990 में पुलिस वाले की मूंछ उखाड़ी,डीएसपी को चलती कार के सामने धकेला, 1998 में अजीत सरकार की हत्या में उम्र कैद ,इंस्पेक्टर की हत्या का आरोप जैसे सैंकड़ों आपराधिक मामले, CAA ,NRC जैसे मामलों में मुस्लिम टोलों में जाकर मुसलमानों को भड़काना, समाज में जातिवाद का आग भड़काकर अपनी राजनीतिक रोटी सेंकना ।
चंद रुपये और कुछ दूध ब्रेड के पैकेट बांटकर एक दुर्दांत अपराधी समाज का मसीहा कैसे बन सकता है ?
कितने अपहरणों को अंजाम देने वाला पप्पू यादव, अभी वह फरार है अपहरण के इस मामले में भी। अपराधी पप्पू यादव की गिरफ्तारी स्वागतयोग्य है। जिस व्यक्ति के खिलाफ राज्य के विभिन्न पुलिस थानों में 30 से अधिक मुकदमे दर्ज हों, फिरौती के पैसे से समाज सेवा करने वाला समाजसेवी तो कतई नहीं हो सकता है। माननीय न्यायालय के इसी आदेश को देख लीजिये। माननीय न्यायालय ने इसी साल 22 मार्च को यह आदेश दिया है। इसमें अपहरण करने, फिरौती मांगने, भीड़ के साथ दंगा फैलाने जैसे संगीन आरोप हैं। इस मामले में भी पप्पू यादव को अदालत के समक्ष पेश करने को कहा गया है। आप लोग भी खुद देख लीजिये। यह मेरा आरोप नहीं है। स्वयं न्यायालय का आदेश है यह। ऐसे 30 से अधिक मामले जिस व्यक्ति के खिलाफ हों, उसका खुले घूमना समाज और सभ्य लोगों के लिये जोखिम है। मैं इस असामाजिक व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिये प्रशासन की प्रशंसा करता हूं।
कोरोना काल में लॉकडाउन के उल्लंघन मामले में पप्पू यादव को मंगलवार को पटना पुलिस ने गिरफ्तार किया और बाद में तीन दशक पुराने मामले में उन्हें मधेपुरा जेल भेज दिया. पप्पू यादव की गिरफ्तारी ने बिहार की राजनीतिक तपिश को बढ़ा दिया है !
बिहार का वो बाहुबली जो रॉबिन हुड बनने की कोशिश में पहुंच गया जेल !
पप्पू यादव ने राजनीति में कदम रखने से पहले ही बाहुबली के रूप में अपनी छवि बना ली थी. पप्पू यादव ने साल 1990 में सियासत में कदम रखा और वह सिंहेसरस्थान विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पहली बार विधायक बने और फिर पलटकर नहीं देखा. 90 के दशक की शुरुआत में पप्पू यादव और आनंद मोहन (राजपूत नेता जो अभी जेल में हैं) के बीच जातीय वर्चस्व की लड़ाई में जमकर खून खराबा हुआ !
जन अधिकार पार्टी सुप्रीमो और पूर्व सांसद पप्पू यादव की गिरफ्तारी 32 साल पुराने मामले में हुई है। पटना में पप्पू यादव की गिरफ्तारी के बाद अब उनको मधेपुरा ले जाया गया। मंगलवार सुबह में पटना स्थित आवास से पप्पू यादव की गिरफ्तारी हुई तो लॉकडाउन के उल्लंघन समेत अन्य मामलों में अरेस्टिंग के कयास लगाए जा रहे थे लेकिन शाम होते-होते मामला मधेपुरा से जुड़े एक केस का निकला।
पप्पू यादव की पत्नी और सुपौल की पूर्व सांसद रंजीत रंजन ने मीडिया में बड़ा बयान दिया है। रंजीत रंजन ने पप्पू यादव की जान को खतरा बताया है। उधर पुलिस कस्टडी से पप्पू यादव ने भी इसी बात दोहराया है और कहा कि सरकार उन्हें मारना चाहती है। पप्पू यादव की गिरफ्तारी के बाद मीडिया से बातचीत में उनकी पत्नी रंजीत रंजन ने कहा कि 'पप्पू यादव लगातार अपने घर परिवार को छोड़कर जरूरतमंदों की मदद कर रहे थे। ये पूरी दुनिया देख रही थी। जो हालात देश में और खासकर बिहार में है, उसे देखते हुए जनप्रतिनिधि होने के नाते आमलोगों की मदद करते हैं।
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