Sunday, 18 April 2021

जब जापान की इंपीरियल आर्मी कोलकाता पर बम गिराए थे

 बात 1942 की है। दूसरा विश्व युद्ध चल रहा था। ब्रिटेन, अमेरिका समेत पश्चिमी देशों का गठबंधन जापान, जर्मनी जैसे देशों के खिलाफ युद्ध लड़ रहा था। भारत ब्रिटेन का उप-निवेश था। ब्रिटेन भारत की जमीन का इस्तेमाल युद्ध के दौरान अपने सहयोगियों तक मदद पहुंचाने में कर रहा था। इसका नतीजा ये रहा कि आज ही के दिन 1942 में जापान की इंपीरियल आर्मी एयरफोर्स ने कोलकाता पर बम गिराए थे। आधी रात को की गई बमबारी की वजह से शहर की कई अहम इमारतें तबाह हो गईं थीं।



दरअसल, जापान से चीन लोहा ले रहा था। चीन को युद्ध का सामान ब्रिटेन, अमेरिका पहुंचाते थे। और उसके लिए एक ही रास्ता था, जो भारत से होकर जाता था। जापान इस सप्लाई चेन को तोड़ना चाहता था। इसलिए उसने कोलकाता पर हमला कर दिया। भारत का एयर डिफेंस सिस्टम दिन में बहुत मजबूत था। इसलिए जापान ने बम गिराने के लिए रात का समय चुना। इस हमले में जापानी एयरफोर्स ने हावड़ा ब्रिज और बंदरगाह को निशाना बनाया था, जो उस वक्त दुनिया के सबसे बड़े पुल की लिस्ट में तीसरे नंबर पर था।


हालांकि, अंधेरा होने की वजह से यह बम हावड़ा ब्रिज पर नहीं गिरे, बल्कि एक होटल के ऊपर गिरे थे। उस दौर में रात में कोलकाता की लाइट काट दी जाती थी और कई अहम बिल्डिंग्स को काले रंग से रंग दिया गया था। 1942 से 1944 के बीच जापान ने कोलकाता पर कई बार हमले किए थे।


जब भारतीय स्पिनर ने टेस्ट की एक इनिंग में 9 विकेट लिए


1959 में आज ही दिन भारत के जस्सू पटेल ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 9 विकेट लिए थे। पटेल का यह रिकॉर्ड लंबे समय तक बरकरार रहा। 1983 में कपिल देव ने एक इनिंग में 9 विकेट लेकर उनके रिकॉर्ड की बराबरी की। 40 साल बाद फरवरी 1999 में अनिल कुंबले ने एक इनिंग में सभी 10 विकेट लेकर जस्सू पटेल का रिकॉर्ड तोड़ा। कुंबले एक इनिंग के सभी 10 विकेट लेने वाले दुनिया के दूसरे खिलाड़ी थे। उनसे पहले जुलाई 1956 में इंग्लैंड के जिम लेकर एक इनिंग में 10 विकेट ले चुके थे।


भारत और दुनिया में 20 दिसंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं इस प्रकार हैंः


1999: चीन और पुर्तगाल के समझौते के बाद मकाउ का चीन का हिस्सा बना ।


1998: बिल क्लिंटन और कैनेथ स्टार को टाइम मैगजीन ने पर्सन ऑफ द इयर घोषित किया।


1988: वोटिंग की उम्र 21 से घटाकर 18 साल करने का बिल राज्यसभा में पास हुआ। इसके बाद 28 मार्च 1989 को राष्ट्रपति के साइन करने बाद ये बिल कानून बना।


1971: जरनल याह्या खान ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति का पद छोड़ा। उनकी जगह जुल्फिकार अली भुट्टो राष्ट्रपति बने।


1963: जर्मनी में बर्लिन की दीवार को पहली बार पश्चिमी बर्लिन के लोगों के लिए खोला गया।


1960: उत्तराखंड के मौजूदा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का जन्मदिन।


1951: पहली बार न्यूक्लियर पावर रिएक्टर से अमेरिका में बिजली बनाई गई।

Source- Dainik Jagran

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Friday, 16 April 2021

जहानाबाद के पूर्वी सरेन में बंपर उपज से गदगद हुए किसान !

 

    पूर्वी सरेन में क्रॉप कटिंग का आयोजन



इन दिनों बिहार में गेहूं की फसल की कटाई जोर शोर से चल रही है सभी किसान अपने अपने खेत में फसल की कटाई शुरू कर दी है ! गेहूं की फसल (Wheat Crop) पककर तैयार हो गई है। इन पके फसलों को देखकर लगता है जैसे प्रकृति ने सुनहरी चादर बिछा रखी हो। किसान भी लहलहाती फसलों को देखकर गदगद हैं। वे अच्छी पैदावार की उम्मीद में हैं। क्रॉप कटिंग में की गई गणना से इसकी पूरी संभावना है कि इस बार उपज अच्‍छी होगी। 

सांख्यिकी विभाग की ओर से हर साल फसल की कटनी करवाकर उपज का आकलन किया जाता है। रिपोर्ट सरकार को भी भेजी जाती है

 इसी फसल कटाई के तहत आज गुरुवार को जहानाबाद जिले के मखदुमपुर प्रखंड के पूर्वी सरेन के नारायनपुर मे किसान कविता कुमारी के खेत में कृषि विभाग एवं आत्मा के तहत रवि फसल गेहूं की क्रॉप कटिंग का आयोजन किया गया ! 

इस क्राप कटिंग में प्रखंड कृषि पदाधिकारी नागेश्वर मांझी प्रखंड तकनीकी प्रबंधक राम विवेक मिश्रा कृषि समन्वयक सत्येंद्र नारायण गौतम, किसान सलाहकार नंद किशोर कुमार के नेतृत्व में कराया गया ! यह कटिंग 10×5 वर्ग मीटर में कराई गई !

 जिसमें 20.2 किलोग्राम गेहूं की फसल हुआ यानी 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त हुआ । इस मौके पर सुनील कुमार, रंजीत कुमार,एवं अन्य किसान मौजुद थे।

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Wednesday, 14 April 2021

मखदुमपुर के अकौना गांव में गेहूं की क्रॉप कटिंग

 

मखदुमपुर के अकौना गांव में गेहूं की क्रॉप कटिंग




बिहार सरकार द्वारा अपने किसानों को अधिक से अधिक फसल  उपजाने  हेतु  समय-समय पर किसान सलाहकार कृषि समन्वयक के माध्यम से उन्नत बीजों की आपूर्ति, सिंचाई पर सब्सिडी, कृषि फसलों का चयन, कीटनाशकों का प्रयोग इत्यादि पर अधिक ध्यान दिया गया है ! सरकार की  कोशिश रहती है की  अन्नदाता किसान अपने  आवश्यकता के साथ-साथ दूसरे लोगों  की भी आवश्यकता की पूर्ति कर सकें , इसलिए वह जीत तो मेहनत करते हैं !

सनद रहे कि बिहार में रबी फसलों की कटाई जोरों से चल रही है इस रवि फसल में खासकर गेहूं की कटाई किसानों के द्वारा किया जा रहा है बिहार में सामान्यतः गेहूं फसलों की कटाई मार्च अप्रैल महीने में की जाती है !

मंगलवार को मखदुमपुर प्रखंड के विभिन्न पंचायत में कृषि विभाग के निर्देशन में पंचायत स्तर पर क्रॉप कटिग का कार्य पूरा कर लिया गया है। जानकार सूत्रों के मुताबिक क्रॉप कटिग के बाद इस बार गेहूं का उत्पादन 33 फीसदी कम होने का अनुमान लगाया गया है।


गेहूं फसल कटनी प्रयोग   प्रखंड मखदुमपुर के पंचायत मकरपुर के ग्राम अकौना में संयुक्त कृषि विभाग एवं सांख्यिकी विभाग के द्वारा रबी फसल के तहत गेहूं का ग्रुप कटिंग का आयोजन किया गया ! 

क्रॉप कटिंग किसान नागेंद्र सीएम अनिल यादव के खेत में किया गया इस क्रॉप कटिंग में 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज मापा गया इस मौके पर पंचायत के कृषि समन्वयक राघवेंद्र कुमार, किसान सलाहकार अनंत कुमार, किसान नागेंद्र, अनिल यादव, प्रोफ़ेसर अमरेंद्र प्रसाद, नागेंद्र कुमार, उदय कुमार आदि मौजूद थे !

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चलता रहूंगा पथ पर , 

चलने में माहिर बन जाऊंगा 

या तो मंजिल मिल जाएगी

 या अच्छा मुसाफ़िर बन जाऊंगा !



जी हां ! आपने ठीक पढ़ा !

जो लोग हिम्मत करते हैं, वे मिसाल बन जाते हैं, तरक्की की दुनिया में आगे बढ़ जाते हैं ! ऐसे ही भारत में लाखों लोग हिम्मती हैं जो अपने हिम्मत के बल पर निरंतर आगे बढ़ जाते हैं ! ऐसे ही एक कहानी बिहार के मधेपुरा जिले का दिलखुश कुमार का है ! आज दिलखुश कुमार Aryago कंपनी के फाउंडर हैं जिन्हें एक इंटरव्यू में आईफोन का लोगो नहीं पहचान पाने के कारण नौकरी नहीं मिली थी ! आज वह कई लोगों को नौकरी मुहैया करा चुके हैं , दिलखुश कुमार ने अपनी कहानी को सोशल मीडिया पर पोस्ट किए हैं जो उन्हीं की भाषा में हुबहू हम यहां लिख रहे हैं :- 


लंबी दूरी तय करने में वक्त तो लगता है साहब

आज मैं अपने ड्रीम फ़ोन iPhone 11 (256 GB) का बेसब्री से इंतजार कर रहा था, अमेज़न वाले को इसे आज डिलीवर करना देना था, जैसे जैसे समय बीत रहा था, मिलने की बेचैनी बढ़ती जा रही थी, अंततः आज 4 बजे मिलन हो ही गया.  आज से लगभग 10 वर्ष पूर्व सहरसा में जॉब मेला लगा था. मैं भी बेरोजगार की श्रेणी में खरा था, पापा मिनी बस चलाते थे, तनख्वाह लगभग 4500 थी. जिसमें घर चलाना कठिन हो रहा था, ऐसे में मुझे नौकरी की जरूरत महसूस होने लगी, मैंने भी उस मेले में भाग लिया जहां, पटना की एक कंपनी ने अपने सारे दस्तावेज जमा किए थे, उसी कंपनी के एक साहब थे, उन्होंने कहा, आपका आवेदन पटना भेज रहे हैं.  5 अगस्त को पटना के SP वर्मा रोड़ में आ जाइएगा, वहां इंटरव्यू होगा. वहां सफ़ल हो गए तो 2400 रुपए महीने की सैलरी मिलेगी. मैं उस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहा था, कई रात ठीक से सो नहीं पाया था. बस उसी नौकरी के बारे में सोचता रहता था. लगभग 1 हफ्ता इंतजार के बाद 5 तारीख़ आ ही गई. सुबह 5 बजे सहरसा से पटना की ट्रेन थी, जो 11 बजे तक पटना पहुंचा देती थी. इंटरव्यू का वक्त 3 बजे का था.

सुबह जैसे ही उठे मूसलाधार बारिश की आवाज़ सुनाई दी, बाहर निकला तो देखा बहुत तेज बारिश हो रही थी. समझ मे नहीं आ रहा था स्टेशन कैसे पहुंचूंगा. हमारे गांव से स्टेशन की दूरी 10 किलोमीटर है. अंत में अपने एक परिचित के सहयोग से प्लस्टिक से पूरे शरीर को ढक कर स्टेशन पहुंचा और ट्रेन पकड़कर पटना के लिए चल पड़ा. मन से ईश्वर को याद करते-करते पटना पहुंचा. लेकिन बारिश ने पटना में भी पीछा नहीं छोड़ा. मैं अपने जीवन में पहली बार पटना आया था. जगह का कोई ज्ञान नहीं था. रेलवे प्लेटफॉर्म पर ही एक महानुभाव से जब एसपी वर्मा रोड का पता पूछा तो वह बोले, बस है 5 मिनट का रास्ता है. मैंनें कुछ देर बारिश बंद होने का इंतजार किया. जब बारिश नहीं रुकी तो भींगते ही एसपी वर्मा रोड निकल गया.

जिस बिल्डिंग में घुसा, उसमे मेरे जैसे 10 से 15 लोग पहले से मौजूद थे. सब बारी-बारी से अपना इंटरव्यू देकर निकल रहे थे. जब मेरी बारी आई तो मैं भी अंदर गया. सामने 3 पुरुष और 2 महिलाएं बैठी हुई थी. प्रणाम पाती किए तो साहब लोगों को बुझा गया कि लड़का पियोर देहाती है. नाम पता परिचय संपन्न होने के बाद एक साहब अपना फोन उठाए. फोन का लोगो मुझे दिखाते हुए बोले, इस कंपनी का नाम बताओ?

मैंने वो लोगो उस दिन पहली बार देखा था. मुझे नहीं पता था इसलिए मैंने कह दिया सर मैं नहीं जानता हूं, तब साहब का जवाब आया ये iphone है और ये Apple कंपनी का है.  मेरी नौकरी तो नहीं लगी, वापस गांव आया और विरासत में मिली ड्राइवरी के गुण को पेशा बनाकर पिताजी के रास्ते पर ही निकल पड़ा और आज….. साहब का iphone दिखाने का स्टाइल कल तक मेरी आंखों में घूम रहा था ! आज iphone आ गया अब शायद आज से साहब याद नहीं आएंगे !


उन्होंने अपनी एक कहानी एक मीडिया वाले से बातचीत में बताया कि कैसे Aryago कंपनी की स्थापना की !


         पिता जी ड्राइवर हैं, इसलिए ड्राइवरों की जिंदगी को बहुत करीब से देखा है. हमेशा ही मन में था कि ड्राइवरों के लिए कुछ करना है. मैंने पढ़ाई सिर्फ मैट्रिक तक ही की है, ऐसे में ठेकेदारी करने लगा. कुछ पैसा जमा हुआ तो यह बिजनेस खोलने की बात मन में आई. जैसे हर छोटो गांव-शहर में होता है. सबने बहुत टांग खींची, हितोत्साहित भी किया, लेकिन मैं अड़ा रहा. अपना प्लान लेकर गाड़ी के ऑनर्स के पास गया तो सभी कहते कि 100-200 रुपए के लिए अपनी लाखों की गाड़ी नहीं देंगे. ऐसे में मैंने अपने पैसे से 2 पुरानी गाड़ियां खरीदकर बिजनेस शुरू किया. लोगों ने जब देखा कि इसमें तो दिन के 1000-1500 रुपए मिल जाते हैं, तो उन्होंने अपनी गाड़ियां भी जोड़ीं. अभी कंपनी से 200 से ज्यादा गाड़ियां जुड़ी हैं.

जब बिजनेस को ऑनलाइन ले जाने की बात आई, तो एक बेहतरीन आईटी वाला इंसान चाहिए था. ऐसे में मैं अपने दोस्त अवधेश के पीछे पड़ गया. वह एचसीएल में अच्छी भली नौकरी कर रहा था. उसे भी डर था कि अच्छी नौकरी छोड़ गांव जाउंगा तो लोग क्या कहेंगे. कई महीनों तक उसे समझाया, तब अवधेश राजी हुआ. वही पूरा आईटी सेक्शन संभालता है. मार्केटिंग के लिए अपने बचपन के दौस्त चेतन के पीछे 3 साल पड़ा रहा. तब जाकर उसने क्विकर कंपनी को छोड़कर मुझे जॉइन किया. अब बेहतरीन टीम बन चुकी है मधेपुरा, सहरसा, सुपौल सहित हम लोग 7 शहरों में पहुंच चुके हैं. अब 2023 तक बिहार के हर गांव को शहर से कनेक्ट करने का इरादा है !

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राजगीर एक धार्मिक स्थल

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Monday, 12 April 2021

सनातन धर्म लोगों को वाकई बेवकूफ बनाता है ?

 एक पंडितजी को नदी में तर्पण करते देख एक #फकीर अपनी बाल्टी से पानी गिराकर जाप करने लगा कि..



"मेरी प्यासी गाय को पानी मिले।"


पंडित जी के पूछने पर उस फकीर ने कहा कि... 


जब आपके चढ़ाये जल और भोग आपके पुरखों को मिल जाते हैं तो मेरी गाय को भी मिल जाएगा।


इस पर पंडितजी बहुत लज्जित हुए।"


यह मनगढ़ंत कहानी सुनाकर एक इंजीनियर मित्र जोर से ठठाकर हँसने लगे और मुझसे बोले कि - 


"सब पाखण्ड है जी..!"


शायद मैं कुछ ज्यादा ही सहिष्णु हूँ... 


इसीलिए, लोग मुझसे ऐसी बकवास करने से पहले ज्यादा सोचते नहीं है क्योंकि, पहले मैं सामने वाली की पूरी बात सुन लेता हूँ... उसके बाद उसे जबाब देता हूँ।


खैर... मैने कुछ कहा नहीं ....


बस, सामने मेज पर से 'कैलकुलेटर' उठाकर एक नंबर डायल किया... 

और, अपने कान से लगा लिया।


बात न हो सकी... तो, उस इंजीनियर साहब से शिकायत की।


इस पर वे इंजीनियर साहब भड़क गए।


और, बोले- " ये क्या मज़ाक है...??? 'कैलकुलेटर' में मोबाइल का फंक्शन भला कैसे काम करेगा..???"


तब मैंने कहा.... तुमने सही कहा...

वही तो मैं भी कह रहा हूँ कि.... स्थूल शरीर छोड़ चुके लोगों के लिए बनी व्यवस्था जीवित प्राणियों पर कैसे काम करेगी ???


इस पर इंजीनियर साहब अपनी झेंप मिटाते हुए कहने लगे- 

"ये सब पाखण्ड है , अगर ये सच है... तो, इसे सिद्ध करके दिखाइए"


इस पर मैने कहा.... ये सब छोड़िए

और, ये बताइए कि न्युक्लियर पर न्युट्रॉन के बम्बार्डिंग करने से क्या ऊर्जा निकलती है ?


वो बोले - " बिल्कुल ! इट्स कॉल्ड एटॉमिक एनर्जी।"


फिर, मैने उन्हें एक चॉक और पेपरवेट देकर कहा, अब आपके हाथ में बहुत सारे न्युक्लियर्स भी हैं और न्युट्रॉन्स भी...!


अब आप इसमें से एनर्जी निकाल के दिखाइए...!!


साहब समझ गए और थोड़े संकोच से बोले-

"जी , एक काम याद आ गया; बाद में बात करते हैं "


कहने का मतलब है कि..... यदि, हम किसी तथ्य को प्रत्यक्षतः सिद्ध नहीं कर सकते तो इसका अर्थ है कि हमारे पास समुचित ज्ञान, संसाधन या अनुकूल परिस्थितियाँ नहीं है।


इसका मतलब ये कतई नहीं कि वह तथ्य ही गलत है.


क्योंकि, सिद्धांत रूप से तो हवा में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन दोनों मौजूद है..

फिर , हवा से ही पानी क्यों नहीं बना लेते ???


अब आप हवा से पानी नहीं बना रहे हैं तो... इसका मतलब ये थोड़े न घोषित कर दोगे कि हवा में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन ही नहीं है।


हमारे द्वारा श्रद्धा से किए गए सभी कर्म दान आदि आध्यात्मिक ऊर्जा के रूप में हमारे पितरों तक अवश्य पहुँचते हैं।


इसीलिए, व्यर्थ के कुतर्को मे फँसकर अपने धर्म व संस्कार के प्रति कुण्ठा न पालें...!


और हाँ...


जहाँ तक रह गई वैज्ञानिकता की बात तो....


क्या आपने किसी भी दिन पीपल और बरगद के पौधे बीज बोकर लगाए हैं...या, किसी को ऐसा करते हुए देखा है?

क्या पीपल या बरगद के बीज मिलते हैं ?

इसका जवाब है नहीं....।


ऐसा इसीलिए है क्योंकि... बरगद या पीपल की कलम जितनी चाहे उतनी रोपने की कोशिश करो परंतु वह नहीं लगेगी।


इसका कारण यह है कि प्रकृति ने यह दोनों उपयोगी वृक्षों को लगाने के लिए अलग ही व्यवस्था कर रखी है।


जब कौए इन दोनों वृक्षों के फल को खाते हैं तो उनके पेट में ही बीज की प्रोसेसिंग होती है और तब जाकर बीज उगने लायक होते हैं।


उसके पश्चात कौवे जहां-जहां बीट करते हैं, वहां-वहां पर ये दोनों वृक्ष उगते हैं।


और... किसी को भी बताने की आवश्यकता नहीं है कि पीपल जगत का एकमात्र ऐसा वृक्ष है जो round-the-clock ऑक्सीजन देता है और वहीं बरगद के औषधीय 

 गुण अपरम्पार है।


साथ ही आप में से बहुत लोगों को यह मालूम ही होगा कि मादा कौआ भादो महीने में अंडा देती है और नवजात बच्चा पैदा होता है।


तो, कौवे की इस नयी पीढ़ी को पौष्टिक और भरपूर आहार मिलना जरूरी है...


शायद, इसीलिए ऋषि मुनियों ने कौवों के इन नवजात बच्चों के लिए ही हर छत पर श्राद्ध पक्ष में पौष्टिक आहार की व्यवस्था कर दी होगी।


जिससे कि कौवों की नई पीढ़ी का पालन पोषण हो जाये......


इसीलिए.... श्राघ्द का तर्पण करना न सिर्फ हमारी आस्था का विषय है बल्कि यह प्रकृति के रक्षण के लिए नितांत आवश्यक है।


साथ ही... जब आप पीपल के पेड़ को देखोगे तो अपने पूर्वज तो याद आएंगे ही क्योंकि उन्होंने श्राद्ध पक्ष का प्रावधान दिया था इसीलिए यह दोनों उपयोगी पेड़ हम देख रहे हैं।


अतः.... सनातन धर्म और उसकी परंपराओं पे उंगली उठाने वालों से इतना ही कहना है कि.... 

जब दुनिया में तुम्हारे ईसा-मूसा-और कथित विद्वानों आदि का नामोनिशान नहीं था...


उस समय भी हमारे ऋषि मुनियों को मालूम था कि धरती गोल है और हमारे सौरमंडल में 9 ग्रह हैं।


साथ ही... हमें ये भी पता था कि किस बीमारी का इलाज क्या है...

कौन सी चीज खाने लायक है और कौन सी नहीं...?


देश की आजादी के बाद 70 वर्षों में इन्हीं बातों को सत्ता के संरक्षण में वामी बकैतों द्वारा अंधविश्वास और पाखंड साबित करने का काम हुआ है। 


अब बदलते परिवेश में धीरे-धीरे सनातन संस्कृति पुनर्जीवित हो रही है ।

     साभार :-  फेसबुक

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* लोको पायलट का ड्राइविंग कब आसान होती है !

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Sunday, 11 April 2021

लोको पायलट का ड्राइविंग कब आसान होती है !

 

लोकोमोटिव में प्रकाश के Twin बीम के साथ एक शक्तिशाली हेड लाइट होती है जो ट्रैक पर लोको पायलट के दृष्टिकोण को स्पष्ट करती है। व्यावहारिक रूप से, रात में ड्राइविंग दिन के समय की तुलना में आसान है।



ड्राइवर बहुत दूर से सिग्नल देख सकता है जो ड्राइविंग में बहुत मदद करता है।


और लुक आउट caution एक विशेष प्रकार की caution है जो केवल दिन के समय में होता है।  लुक आउट  कौशन रात में नहीं रहने से ड्राइविंग में लोको पायलट को बहुत मदद मिलता है !


रात में मवेशियों की संभावना कम हो जाती है, यह ड्राइविंग के लिए भी बहुत उपयोगी है।


रात में लाइन पर काम करने वाला कोई पीडब्लूआई ट्रैकमैन नहीं होता है। जो ड्राइविंग के लिए मदद करता है।


इसलिए दिन के समय के बजाय रात में ड्राइविंग करना आसान है !


आप एक्सप्रेस ट्रेन में रात को भी यात्रा करते समय, दरवाजे पर खड़े होकर देख सकते हैं काली अंधेरी रात में अंधेरा को चीरते हुए ट्रेन बीम लाइट रेलवे ट्रैक के दोनों तरफ और पटरी पर तेज गति से चलते हुए ट्रैक के आगे लगभग आधा किलोमीटर तक फैला होता  है !


इस अंधेरी रात में गार्ड और लोको पायलट वॉकी टॉकी पर आपस में बातचीत करते हुए लाल पीले और हरे रंग की रोशनी   वाले  सिग्नल को नियमानुसार पास  करते हुए मस्ती से चले जाते हैं !

आधा किलोमीटर प्रकाश फैलाना उन ट्रेनों के दुर्घटनाओं से बचने के लिए पर्याप्त नहीं है, जिनकी गति एक ही गति से बाइक या कार की गति से बहुत अधिक है ...


संकेत एक प्रमुख भूमिका निभा रहे होंगे क्योंकि अंधेरे में उनकी दृश्यता कई बार बढ़ जाती है ... लेकिन फिर भी  दुर्घटनाओं को रोकने में बहुत ही मुश्किल आती है !


जब ट्रेन काले घने अंधेरे  चैनल या गुफा में प्रवेश करती है तो रात को लोको पायलट को अंधेरी सुरंग में देखना बहुत ही मुश्किल हो जाता है ऐसी स्थिति में  हेड लाइ 100 मीटर के आसपास रोशनी देता है !


लोको पायलट रेलवे में  सबसे ईमानदार लोग हैं। रेलवे में हर अधिकारी अपने मोटर कार के केबिन में लगातार अंतराल पर जांच करते हैं और सुरक्षा उपकरणों की उपलब्धता, सावधानी के आदेश की सलाह, लोको पायलट की चिकित्सा स्थिति, थायरो रिफ्रेशर प्रशिक्षण विवरण शामिल हैं। इस जांच को फुट प्लेट निरीक्षण कहा जाता है।

 अगर सही तरीके से आंका जाए तो रेलवे में लोको पायलट काम के प्रति निष्ठावान रहता है अक्सर रेलवे के पदाधिकारी footplate इंस्पेक्शन के नाम पर  लोको केबिन में यात्रा  करते पाए जाते हैं , ऐसी स्थिति में उनका प्रशिक्षण सैटिफिकेट, caution order, जीआरएस बुक , एल्कोहलिक प्रशिक्षण इत्यादि जांच करते हैं  ! 

कुल मिलाकर यह देखा जाए , लोको पायलट का  काम कठिन है ! और उनके लिए Day के बजाय रात में ड्राइविंग करना  सुरक्षित और आसान है !

* संपूर्ण लॉकडाउन के बजाय टीका उत्सव मनाए !

* काश ! मैं भी प्रधानमंत्री होता

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Saturday, 10 April 2021

काश ! मैं भी प्रधानमंत्री होता

 माननीय आडवाणी जी को 2014 में पीएम उम्मीदवार के रूप में पेश क्यों नहीं किया गया?

आम जनता के मन में यह प्रश्न हमेशा उठता होगा !

 उस वक्त उनके सामने ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हो गई थी के वे प्रधानमंत्री बनते बनते रह गए !


पिछले दो लोकसभा चुनावों में भाजपा अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रही थी और दोनों चुनाव हार गई। 2009 के लोकसभा चुनाव में, लालकृष्ण आडवाणी को एक पीएम उम्मीदवार के रूप में पेश किया गया था, लेकिन भाजपा सरकार को जीतने और सरकार बनाने में सफल नहीं थी।


नरेंद्र मोदी, जो एक पीएम के रूप में पेश होने से पहले मुख्यमंत्री थे, एक गतिशील और स्वच्छ छवि के नेता थे। वह युवा पीढ़ियों में बहुत लोकप्रिय थे। उस समय में बेहतर विकास और प्रगति के लिए संपूर्ण भारत में गुजरात मॉडल बहुत लोकप्रिय था। मोदी ने चौतरफा भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के लिए पिछली कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा है। आम आदमी के साथ उनकी कनेक्टिविटी बहुत फलदायी दिख रही थी और भाजपा सरकार के पक्ष में कहानी कह रही थी।

 इसलिए भाजपा संसदीय बोर्ड ने फैसला किया कि नरेंद्र मोदी 2014 में भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे। लालकृष्ण आडवाणी ने यहां मोदी के चयन का विरोध किया। मोदी ने भाजपा के पक्ष में सभी पहलुओं में स्थितियों को सकारात्मक बनाया और भाजपा ने सफलतापूर्वक सरकार बनाई।

इसलिए आडवाणी के पीएम बनने की उम्मीद पूरी नहीं हुई। 2019 में भी, भाजपा मोदी के नेतृत्व में लोकसभा चुनाव के लिए आई और भारी जीत के साथ जीत हासिल की।

2019 के लोकसभा चुनाव में, आडवाणी गांधीनगर से सांसद के उम्मीदवार भी नहीं थे। इसका मतलब यह नहीं है कि वह उपेक्षित है। वह अब 91 साल से ऊपर का है और उसे आराम देने की जरूरत है। नरेंद्र मोदी अभी भी लालकृष्ण आडवाणी के प्रति बहुत सम्मान रखते हैं और उन्हें हमेशा एक संरक्षक के रूप में माना जाता है। हम भाजपा को एक मजबूत पार्टी के रूप में आकार देने के आडवाणी के महत्व को नजरअंदाज नहीं कर सकते।

* कोरोना टीका दिवस

* दिन में कुछ देर मौन जरूर रहना चाहिए, इससे हमारी वाणी...

* कोविड-19 और जगन्नाथ पुरी का रहस्य

एक और कारण है ... आरएसएस नहीं चाहता कि आडवाणी पीएम बनें क्योंकि जब 2003-4 में बीजेपी सत्ता में थी, तो आडवाणी पाकिस्तान की यात्रा पर थे, जिन्ना की सराहना की और यहां तक ​​कि उनकी कब्र पर जाकर सम्मान भी दिया। इसके कारण RSS ने आडवाणी की बहुत आलोचना की और वहाँ से वे RSS की उन पर दृष्टि बुरी थी ……। और सभी जानते हैं कि RSS की नींव भाजपा है !


Friday, 9 April 2021

संपूर्ण लॉकडाउन के बजाय टीका उत्सव मनाए !

 

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी वर्तमान कोविद -19 स्थिति और टीकाकरण की आगे की रणनीति के बारे में चर्चा करने के लिए गुरुवार को सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ एक आभासी बैठक किए ! क्योंकि देश में कोरोना की दूसरी संक्रमण की लहर तेजी से फैलता जा रहा है !



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की ! इस बैठक में बढती हुई कोरोना संक्रमण और वैक्सीन की उपलब्धता को देखते हुए कई बिंदुओं पर चर्चा की !

 इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अभी संपूर्ण लॉकडाउन की जरूरत नहीं है Night curfew का क्योंकि काफी है, उन्होंने जोर देकर कहा कि नाइट curfew की जगह कोरोना curfew का इस्तेमाल किया जाना चाहिए !


 पीएम मोदी ने कहा 11 अप्रैल को ज्योतिबा फुले दिवस है और 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती है इसके बीच मे कोरोना टीका दिवस मनाना चाहिए ! इससे लोगों को भी सही संदेश जाएगा !


यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब भारत ने बुधवार को कोरोनोवायरस रोग (कोविद -19) के प्रतिदिन 126,200 से अधिक मामलों में एक रिकॉर्ड बनाया है, जिसने देश भर में अधिक क्षेत्रों को लॉकडाउन जैसे प्रतिबंधों को प्रसारण की श्रृंखला को तोड़ने के लिए मजबूर किया है।


पिछले 24 घंटे में कोविड-19 के 1,26,789 नए मामले सामने आए हैं. देश में अब तक 1,29,28,574 लोग कोरोना से संक्रमित हुए हैं और 1,66,862 मरीजों की मौत हुई है !


11 अप्रैल से 14 अप्रैल के बीच मनाए जाने वाले टीका दिवस पर हम लोगों को प्रयास होना चाहिए कि अधिक से अधिक लोगों को वैक्सीन लगना चाहिए ! उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि जिनका भी उम्र 45 से अधिक है उनको नजदीक के सरकारी अस्पताल में ले जाएं और vaccine लगवाने में मदद करें !


प्रधानमंत्री ने कहा कि लोगों को पहले से अधिक Alert होना चाहिए कोविड-19 से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हुए कम से कम 30 व्यक्ति को जांच किया जाना चाहिए !

* कुछ देर मौन रहने के फायदे

आरबीआई का मौद्रिक नीति

Thursday, 8 April 2021

दिन में कुछ देर मौन जरूर रहना चाहिए, इससे हमारी वाणी...

 कहानी- 


दिन में कुछ देर मौन जरूर रहना चाहिए, इससे हमारी वाणी प्रभावशाली हो जाती है


विवेकानंद कम बोले, लेकिन इतना अच्छा बोले कि पूरी दुनिया पर छा गए थे। स्वामीजी के गुरु रामकृष्ण परमहंस इतने अच्छा वक्ता नहीं थे। उनके मन में जो आता था, वह बोल देते थे। परमहंसजी को समाधि बहुत गहरी लगती थी इसीलिए उनका मौन बहुत प्रभावशाली था।


गुरु के रूप में उन्होंने अपना मौन स्वामी विवेकानंद को दिया था और स्वामीजी के माध्यम से परमहंसजी का मौन मुखर होकर निकला। जब विवेकानंदजी पहली बार अमेरिका गए, तब भारत का दृश्य ये था कि 1857 का स्वतंत्रता संग्राम विफल हो गया था। झांसी की रानी शहीद हो गई थीं। तात्या टोपे को फांसी हो चुकी थी। बहादुर शाह जफर कैद हो गए थे। हजारों भारतीय मौत के घाट उतार दिए गए थे। पराजय और अपमान की वजह से भारतीयों में हीन भावना थी।


उस समय में विवेकानंद ने अमेरिका की धरती से पूरे विश्व में भारत को सम्मान दिलाया था। सबसे अधिक उनकी वाणी प्रभावशाली थी। युवा संन्यासी ने वाणी के माध्यम से भारत के अध्यात्म को दुनिया में परिचित कराया था। शिकागो में जब उन्होंने भाषण दिया था, उसकी अवधि थी सिर्फ चार मिनट। करीब सात हजार श्रोता सामने बैठे थे।


स्वामीजी के चार मिनट के भाषण को सुनकर लगातार दो मिनट तक तालियां बजी थीं। जब किसी ने विवेकानंदजी से पूछा कि आपने ये कमाल कैसे किया? तब उन्होंने कहा, 'मेरे गुरु ने समाधि, मेडिटेशन के माध्यम से जो मौन साधा था, वही मौन मुझे दिया और मैंने उस मौन को मुखर किया है। ये सब उसी मौन का प्रभाव है।'


सीख- हम दिनभर में चाहे कितने भी व्यस्त रहें, लेकिन थोड़ा समय मेडिटेशन के लिए जरूर निकालना चाहिए। ध्यान से मानसिक तनाव दूर होता है। कुछ देर मौन रखें। ज्यादा बोलने वाले लोगों के शब्दों का प्रभाव खत्म हो जाता है। जितना जरूरी हो, उतना ही बोलना चाहिए।

* रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति

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Wednesday, 7 April 2021

रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की घोषणा

 

रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की घोषणा

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर श्री शशिकांत दास ने आज बुधवार को मौद्रिक नीति की घोषणा की इस तरह की घोषणा भारतीय रिजर्व बैंक प्रत्येक 2 महीने  पर  करती है !

मौद्रिक नीति पॉलिसी की घोषणा के कुछ मुख्य बातें हैं:-

1. रेपो दर में कोई बदलाव नहीं,  यह पांचवीं बार ज्यों का त्यों 4   प्रतिशत बना हुआ है !



2.  चालू वित्तीय वर्ष के लिए वार्षिक दर 10.4% अभी भी बना हुआ है,  इसमें भी किसी तरह के बदलाव नहीं किया गया !


3. रिजर्व बैंक के अनुसार वार्षिक वृद्धि दर बनाए रखने के लिए  मौद्रिक नीति में उदारता की नीति बनाए रखा जाएगा !


4. महंगाई दर को लक्षित स्तर पर बनाए रखा जाएगा !

5.   कोरोना वायरस ने आर्थिक सुधार को प्रभावित किया है,  इसलिए कोरोना वायरस को काबू करने की जरूरत है !

6. July September  माह में  जीडीपी में 26.2 , 8.3 प्रतिशत बढ़ोतरी की अनुमान,  जबकि दिसंबर और मार्च में  5.6% and  5.2% यह आंकड़ा रह सकता है ! 7. खुदरा महंगाई दर को संशोधित कर मार्च 2020 21 में 5 % रहने का अनुमान !


6. July September  माह में  जीडीपी में 26.2 , 8.3 प्रतिशत बढ़ोतरी की अनुमान,  जबकि दिसंबर और मार्च में  5.6% and  5.2% यह आंकड़ा रह सकता है !


 7. खुदरा महंगाई दर को संशोधित कर मार्च 2020 21 में 5 % रहने का अनुमान !

8. जून माह में खुदरा महंगाई दर 5% रहने का अनुमान !

 

9. उत्पादक क्षेत्रों में पर्याप्त कर्ज उपलब्ध करवाने के लिए प्रणाली में नकदी उपलब्धता को सुनिश्चित किया जाएगा !


10. नए loan उपलब्ध करवाने के लिए  नाबार्ड, सिडबी और एनएचबि को 50000 करोड़ के अतिरिक्त नकदी उपलब्ध करवाया जाएगा !


11. वैश्विक रुकावट से कंपनी को बचाए रखने एवं स्थिरता बनाए रखने के लिए जो भी संभव होगा किया जाएगा ! 

12. पेमेंट बैंकों की ग्राहकों की सुविधा के लिए अधिकतम लिमिट को एक लाख से बढ़ाकर  200000 किया जाएगा !

* कोरोना वैक्‍सीन के लिए रजिस्‍ट्रेशन कैसे कराएं?


Monday, 5 April 2021

बिहार मेट्रिक बोर्ड का रिजल्ट जारी , अपना रिजल्ट के लिए यहां क्लिक करें

 



बिहार बोर्ड १० वीं का रिजल्ट २०२१ लाइव अपडेट: बिहार बोर्ड १० वीं की परीक्षा देने वाले उम्मीदवार biharboardonline.bihar.gov.in और biharboardonline.com पर अपना रिजल्ट ऑनलाइन चेक कर सकेंगे। OR,

Click here for online results


बिहार बोर्ड १०२१ रिजल्ट २०२१ लाइव अपडेट्स: बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड ने सोमवार को बीएसईबी १० वीं रिजल्ट २०२१ घोषित किया। इसका परिणाम बिहार के शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने जारी किया।


बिहार बोर्ड मैट्रिक परीक्षा राज्य भर में 1,525 परीक्षा केंद्रों पर आयोजित की गई थी। BSEB मैट्रिक परीक्षा 17 से 24 फरवरी तक आयोजित की गई थी, जबकि रद्द किए गए सामाजिक विज्ञान (पहले बैठे पेपर) की पुन: परीक्षा 8 मार्च को आयोजित की गई थी।


बिहार बोर्ड कक्षा 10 परीक्षाओं की उत्तर कुंजी 20 मार्च, 2021 को जारी की गई थी। उत्तर कुंजी में विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान, अंग्रेजी और मातृभाषा सहित सभी विषयों में पूछे गए वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्नों के सही जवाब शामिल थे।


बिहार बोर्ड 16.54 लाख छात्रों के 25 दिनों के भीतर परिणाम घोषित करने वाला पहला बोर्ड है। बोर्ड द्वारा जारी बयान के अनुसार, 25 दिनों के भीतर 1.01 करोड़ प्रतियों का मूल्यांकन किया गया। बोर्ड का दावा है कि उसी के लिए तकनीक आधारित पहल का इस्तेमाल किया गया है। यह लगातार तीसरा वर्ष है जब बोर्ड ने इतने कम समय में परिणाम जारी किया है।


बिहार बोर्ड ने 5 अप्रैल 2021 को BSEB मैट्रिक रिजल्ट 2021 घोषित किया है। उम्मीदवार BSEB की आधिकारिक साइट के माध्यम से परिणाम की जांच कर सकते हैं। साथ ही, छात्र आधिकारिक वेबसाइट से ही मार्कशीट डाउनलोड कर सकते हैं। जैसा कि देश में COVID19 मामलों के उतार-चढ़ाव के कारण स्कूल बंद हैं, यह डाउनलोड की गई मार्कशीट एक अनंतिम मार्कशीट के रूप में काम करेगी।


कुल 101 छात्रों ने मेरिट सूची में स्थान प्राप्त किया है। मैट्रिक परीक्षा परिणाम 5 अप्रैल को घोषित किया गया था। पहला स्थान संयुक्त रूप से तीन उम्मीदवारों - पूजा कुमारी और शुभदर्शनी सिमुलतला अवसिया विद्यालय (एसएवी) और संदीप कुमार ने 96.80 के साथ साझा किया है। प्रति प्रतिशत है।


कुल 13 छात्रों ने सिमुलतला अवसिया विद्यालय से मैट्रिक परीक्षा में टॉप किया है।

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एक प्रसिद्ध धार्मिक तीर्थस्थल

 

राजगीर पूर्व भारत के बिहार राज्य का पहाड़ियों से घिरा एक प्राचीन शहर है। यह अपने पवित्र स्थलों के लिए जाना जाता है।पहाड़ियों के पास में गर्म स्प्रिंग्स हैं, जो माना जाता है कि इसमें औषधीय गुण हैं !


राजगीर पटना से 100 किमी उत्तर में पहाड़ियों और घने जंगलों के बीच बसा हुआ प्रसिद्ध धार्मिक तीर्थस्थल के रूप में दुनियाभर में लोकप्रिय है। सुरम्य पहाड़ियों के बीच बसा यह शहर बहुत पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करता रहा है। राजगीर से बोध गया 70 किमी की दूरी पर स्थित है। ... ब्रह्मकुंड राजगीर पर्यटन का एक प्रमुख मुख्य अंश है।



राजगीर, बिहार प्रांत में नालंदा जिले में स्थित एक शहर एवं अधिसूचीत क्षेत्र है। यह कभी मगध साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी, जिससे बाद में मौर्य साम्राज्य का उदय हुआ


पटना से 100 किमी दक्षिण-पूर्व में पहाड़ियों और घने जंगलों के बीच बसा राजगीर न केवल एक प्रसिद्ध धार्मिक तीर्थस्थल है बल्कि एक सुन्दर हेल्थ रेसॉर्ट के रूप में भी लोकप्रिय है। यहां हिन्दु, जैन और बौद्ध तीनों धर्मों के धार्मिक स्थल हैं। 

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पटना से 100 किमी दक्षिण-पूर्व में पहाड़ियों और घने जंगलों के बीच बसा राजगीर न केवल एक प्रसिद्ध धार्मिक तीर्थस्थल है बल्कि एक सुन्दर हेल्थ रेसॉर्ट के रूप में भी लोकप्रिय है। यहां हिन्दु, जैन और बौद्ध तीनों धर्मों के धार्मिक स्थल हैं। खासकर बौद्ध धर्म से इसका बहुत प्राचीन संबंध है। बुद्ध न केवल कई वर्षों तक यहां ठहरे थे बल्कि कई महत्वपूर्ण उपदेश भी यहाँ की धरती पर दिये थे। बुद्ध के उपदेशों को यहीं लिपिबद्ध किया गया था और पहली बौद्ध संगीति भी यहीं हुई थी।