Sunday, 11 April 2021

लोको पायलट का ड्राइविंग कब आसान होती है !

 

लोकोमोटिव में प्रकाश के Twin बीम के साथ एक शक्तिशाली हेड लाइट होती है जो ट्रैक पर लोको पायलट के दृष्टिकोण को स्पष्ट करती है। व्यावहारिक रूप से, रात में ड्राइविंग दिन के समय की तुलना में आसान है।



ड्राइवर बहुत दूर से सिग्नल देख सकता है जो ड्राइविंग में बहुत मदद करता है।


और लुक आउट caution एक विशेष प्रकार की caution है जो केवल दिन के समय में होता है।  लुक आउट  कौशन रात में नहीं रहने से ड्राइविंग में लोको पायलट को बहुत मदद मिलता है !


रात में मवेशियों की संभावना कम हो जाती है, यह ड्राइविंग के लिए भी बहुत उपयोगी है।


रात में लाइन पर काम करने वाला कोई पीडब्लूआई ट्रैकमैन नहीं होता है। जो ड्राइविंग के लिए मदद करता है।


इसलिए दिन के समय के बजाय रात में ड्राइविंग करना आसान है !


आप एक्सप्रेस ट्रेन में रात को भी यात्रा करते समय, दरवाजे पर खड़े होकर देख सकते हैं काली अंधेरी रात में अंधेरा को चीरते हुए ट्रेन बीम लाइट रेलवे ट्रैक के दोनों तरफ और पटरी पर तेज गति से चलते हुए ट्रैक के आगे लगभग आधा किलोमीटर तक फैला होता  है !


इस अंधेरी रात में गार्ड और लोको पायलट वॉकी टॉकी पर आपस में बातचीत करते हुए लाल पीले और हरे रंग की रोशनी   वाले  सिग्नल को नियमानुसार पास  करते हुए मस्ती से चले जाते हैं !

आधा किलोमीटर प्रकाश फैलाना उन ट्रेनों के दुर्घटनाओं से बचने के लिए पर्याप्त नहीं है, जिनकी गति एक ही गति से बाइक या कार की गति से बहुत अधिक है ...


संकेत एक प्रमुख भूमिका निभा रहे होंगे क्योंकि अंधेरे में उनकी दृश्यता कई बार बढ़ जाती है ... लेकिन फिर भी  दुर्घटनाओं को रोकने में बहुत ही मुश्किल आती है !


जब ट्रेन काले घने अंधेरे  चैनल या गुफा में प्रवेश करती है तो रात को लोको पायलट को अंधेरी सुरंग में देखना बहुत ही मुश्किल हो जाता है ऐसी स्थिति में  हेड लाइ 100 मीटर के आसपास रोशनी देता है !


लोको पायलट रेलवे में  सबसे ईमानदार लोग हैं। रेलवे में हर अधिकारी अपने मोटर कार के केबिन में लगातार अंतराल पर जांच करते हैं और सुरक्षा उपकरणों की उपलब्धता, सावधानी के आदेश की सलाह, लोको पायलट की चिकित्सा स्थिति, थायरो रिफ्रेशर प्रशिक्षण विवरण शामिल हैं। इस जांच को फुट प्लेट निरीक्षण कहा जाता है।

 अगर सही तरीके से आंका जाए तो रेलवे में लोको पायलट काम के प्रति निष्ठावान रहता है अक्सर रेलवे के पदाधिकारी footplate इंस्पेक्शन के नाम पर  लोको केबिन में यात्रा  करते पाए जाते हैं , ऐसी स्थिति में उनका प्रशिक्षण सैटिफिकेट, caution order, जीआरएस बुक , एल्कोहलिक प्रशिक्षण इत्यादि जांच करते हैं  ! 

कुल मिलाकर यह देखा जाए , लोको पायलट का  काम कठिन है ! और उनके लिए Day के बजाय रात में ड्राइविंग करना  सुरक्षित और आसान है !

* संपूर्ण लॉकडाउन के बजाय टीका उत्सव मनाए !

* काश ! मैं भी प्रधानमंत्री होता

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