Saturday, 31 August 2024

तीन वन्देभारत को प्रधानमंत्री ने दिखाए हरी झंडी, जाने स्टॉपेज, टाइमिंग और रूट

तीन वन्देभारत को प्रधानमंत्री ने दिखाए हरी झंडी,  जाने स्टॉपेज, टाइमिंग और रूट

आज शनिवार 31 अगस्त 2024 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के द्वारा तीन नई वंदे भारत को हरी झंडी दिखाया गया। इन तीनों वंदे भारत ट्रेन में अपने अपने क्षेत्र के लोगों को विश्व स्तरीय तीव्र गति के साथ साथ आरामदायक सुविधा मिलेगी। यह तीनों ट्रेन आज उत्तरप्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक के लोगों को सौगात के तौर पर मिला है।




ये तीन वंदे भारत ट्रेन निम्न रेल मार्ग पर चलेगी। जिसे प्रधानमंत्री ने वर्चुअल रूप से 12.30 में हरी झंडी दिखाकर रवाना किए।

1. मेरठ सिटी - लखनऊ वंदे भारत ।
2. चेन्नई एगमोर - नागरकोइल वंदे भारत ।

3. मदुरै - बैंगलोर वंदे भारत


अगर पूरे भारत की बात करे तो अभी 102 वंदे भारत ट्रेनें चल रही है।
👉 कर्मचारियों को पुरानी पेंशन के बजाय UPS देकर उसके अपने जमा पूंजी पर भी कैची...

मेरठ सिटी से लखनऊ चलने वाली वन्देभारत एक्सप्रेस मेरठ से सुबह 06.35 में चलकर लखनऊ चारबाग 13.45 में पहुंचेगी। यह कुल 458 km दूरी तय करेगी। यह मुरादाबाद और बरेली स्टेशन पर भी रुकेगी। वापसी में लखनऊ से 14.45 में खुलकर मेरठ 22.00 बजे पहुंचे। यह सप्ताह में मंगलवार को नही चलेगी।



ठीक इसी तरह चेन्नई एगमोर से नगरकोइल के लिए सुबह 05.00 बजे खुलकर नागरकोइल 13.50 में पहुंचेगी। यह कुल 723 km की दूरी तय करेगी । रास्ते में तामब्राम, विल्लुपुरम, त्रिचि, डिंडीगुल, मदुरै, कोविलपट्टी, तिरुनेलवेली स्टेशन पर रुकेगी। वापसी में नागरकोइल से 14.20 में चलकर चेन्नई एगमोर 23.00 बजे पहुंचेगी।



तीसरी वन्देभारत मदुरै से 05.15 में चलकर 13.00 बैंगलोर कैंट पहुंचेगी। रास्ते में यह डिंडीगुल, तिरुचिरापल्ली, करूर, नामक्काल, सलेम, कृष्ण राजपुरम स्टेशन पर रुकेगी। वापसी में 13.30 में बैंगलोर कैंट से खुलकर 21.45 में मदुरै पहुंचेगी।






यूपीएस पेंशन स्कीम: बड़े धोखे हैं इस राह

यूपीएस पेंशन स्कीम: बड़े धोखे हैं इस राह में

(आलेख : वरिष्ठ पत्रकार राजेश यादव)

अपने पोलैंड और यूक्रेन के दौरे से लौटते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट की बैठक कर केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए सेवानिवृत होने के बाद एक नए पेंशन स्कीम को मंजूरी दे दी।



अभी तो इस बारे में चर्चा ही चल रही थी कि सरकार जल्द ही एनपीएस स्कीम पर पुनर्विचार कर रही है, लेकिन किसी ने भी उम्मीद नहीं की थी कि एनडीए सरकार इस बार आम लोगों के बीच बढ़ते असंतोष को इतनी जल्दी से निपटाने के लिए व्याकुल है। इसलिए, पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएस), नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) के बाद अब केंद्र सरकार एकीकृत पेंशन स्कीम (यूपीएस) के साथ नमूदार हुई है, जिसे देख कर्मचारी वर्ग के एक हिस्से में ख़ुशी की लहर दौड़ रही थी, लेकिन अब जैसे-जैसे इसके विस्तार में जा रहे हैं, तो कई लोगों को तो एनपीएस स्कीम ही बेहतर जान पड़ रही है।
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हम यहाँ पर ओपीएस, एनपीएस और यूपीएस का तुलनात्मक अध्ययन करने के बजाय फिलहाल यही समझते हैं कि वे कौन से प्रमुख झटके यूपीएस में केंद्र सरकार और राज्य सरकार के कर्मचारियों को लगने वाले हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि उनके सामने जो पेश किया गया है, वह देखने में तो ओपीएस जैसा नजर आता है, लेकिन वास्तविकता में यह कर्मचारियों की जिंदगी भर की गाढ़ी कमाई पर लूट की योजना कहीं अधिक है। इसलिए हम सिर्फ ग्रेच्युटी और रिटायरमेंट के बाद पेंशन फंड से मिलने वाली एकमुश्त राशि पर ध्यान केंद्रित करेंगे।


ग्रेच्युटी पर डाका


सबसे पहले ग्रेच्युटी के मुद्दे पर गौर करते हैं। इसके तहत अभी तक 35 वर्ष सेवाकाल पूरा करने वाले व्यक्ति को सेवानिवृत्त होने पर 20 लाख रूपये की रकम (25 लाख रूपये तक) एकमुश्त मिला करती थी। यूपीएस में इसमें तगड़ी गिरावट देखने को मिलने वाली है। उदाहरण के लिए, यदि सेवानिवृत्त के समय किसी कर्मचारी का अंतिम वेतन 1 लाख रूपये है, और उसने 35 वर्षों तक अपनी सेवाएं प्रदान की हैं तो ग्रेच्युटी के तौर पर इसकी गणना इस प्रकार से की जाएगी।



अंतिम वेतन 100000 रुपए / 10 = 10,000x 70 = 7,00,000 रुपये। इसमें आपके समूचे 35 वर्षीय कार्यकाल को छमाही में बांटा गया है, जिसके कारण ग्रेच्युटी को हर छमाही के हिसाब से 70 आँका गया है। यदि कार्यकाल 25 वर्ष का होता है तो उस केस में यह रकम 50 छमाही के हिसाब से 5 लाख रुपये रह जाएगी। इस प्रकार कह सकते हैं कि हर कर्मचारी से सरकार ने ग्रेच्युटी में 15 लाख रुपये तो हजम ही कर लिए।


सेवानिवृत्त होने के बाद मिलने वाली एकमुश्त रकम सफाचट है।


यह दूसरा मामला है, जिस पर लोगों का ध्यान पहले गया है और यह तो एनपीएस के मुकाबले भी बेहद भयावह है। एनपीएस स्कीम के तहत कर्मचारी को अपने वेतन का 10% अंशदान पेंशन फंड में देना पड़ता था, जिस पर सरकार भी बराबर का अंशदान जमा कराती थी, जिसे 2019 में सरकार ने बढ़ाकर 14% कर दिया था। यूपीएस में तो इसे और भी बढ़ाकर सरकार ने 18.5% कर दिया है।


लेकिन ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है! यही तो असली कैच है। रिटायरमेंट पर आपको इस फंड में से मात्र 10% रकम ही एकमुश्त मिलने जा रही है, बाकी 90% फंड सरकार के ही कब्जे में रहने वाला है। इसे ऐसे समझते हैं।


मान लेते हैं कि आपका औसत वेतन 1 लाख रुपये प्रति माह है। पेंशन फंड के लिए आपके वेतन से 10% अर्थात 10 हजार रुपये का अंशदान होगा और सरकार की ओर से 18,500 रुपये का योगदान किया जाएगा। 35 वर्ष की सर्विस पूरी करने के बाद (बिना ब्याज के भी) यह रकम 1 करोड़ 19 लाख 70 हजार रुपये होती है। एनपीएस स्कीम के तहत कर्मचारी को 60% हिस्सा रिटायरमेंट के वक्त एकमुश्त दे दिया जाता था, मतलब कि 71 लाख 82 हजार रुपये आपको पेंशन फंड से एकमुश्त मिल जाते, और बाकी 40% से आपको शेयर बाजार में निवेश से जो कुछ भी मिलता, वह मासिक पेंशन के तहत मिलता रहता, जो कि ओपीएस की तुलना में बेहद नाकाफी था।


लेकिन यूपीएस स्कीम के तहत इतनी बड़ी धनराशि में से कर्मचारी को मात्र 12 लाख रुपये ही एकमुश्त रकम हाथ आएगी। आपके संचित धन का 90% हिस्सा, अर्थात 1.20 करोड़ रुपये अब आप भूल जायें। इतनी बड़ी रकम को गंवाकर अब आपको एनपीएस की तुलना में एक सम्मानजनक मासिक पेंशन मिलने वाली है। यह रकम क्या होगी ? यदि आपकी बेसिक सैलरी आखिरी सेवाकाल में औसत 50 हजार रुपये है तो आपको 50% अर्थात 25,000 रुपये मासिक पेंशन पाने का हकदार बना दिया गया है। लेकिन आपने गंवाया कितना ?


मान लेते हैं कि देश में जीवन प्रत्याशा दर सरकारी कर्मचारियों को हासिल बेहतर भोजन और स्वास्थ्य सुविधाओं के चलते 67 के बजाय 75 वर्ष है। ऐसे में अगले 15 वर्षों तक 25000+DA की रकम 45-50 लाख रुपये से अधिक नहीं होती। इसका अर्थ हुआ कि बाजार से मिलने वाले लाभ की तो बात ही छोड़ दें, आप सरकार से पेंशन फंड में जमा अपनी मूल रकम का भी 50% इस्तेमाल करने से पहले इस दुनिया से विदा हो सकते हैं। इसके अलावा, पेंशनधारक की मृत्यु हो गई तो परिवार को मिलने वाली राशि घटकर 60% अर्थात 15 हजार रुपये हो जाएगी।


ओपीएस में न तो कर्मचारी कोई कोई अंशदान देना होता था, और ऊपर से उसे अंतिम तनख्वाह की आधी रकम के बराबर का पेंशन मिला करता था, जिसे भाजपा राज में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने 2004 से खत्म कर एनपीएस स्कीम के तहत नए कर्मचारियों को डाल दिया था। धीरे-धीरे एनपीएस को सभी राज्य सरकारों ने भी अपना लिया, सिवाय पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और केरल के, क्योंकि इन राज्यों में वामपंथी सरकारें थीं। बाद में त्रिपुरा में वाम मोर्चा सरकार के पतन के बाद भाजपा ने आते ही एनपीएस स्कीम को लागू कर दिया था।


2014 तक कांग्रेस ने भी एनपीएस के खिलाफ कोई आवाज नहीं उठाई थी, लेकिन 2014 और 2019 में दो-दो बार नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हिन्दुत्ववादी विचारधारा की लहर की काट के लिए कांग्रेस ने कुछ राज्यों राजस्थान, हिमाचल और आप पार्टी ने पंजाब में ओपीएस स्कीम को बहाल कर दिया है, लेकिन केंद्रीय वित्त मंत्रालय जब तक कर्मचारियों की पुरानी जमा राशि को इन राज्यों को वापस कराने के लिए कदम नहीं उठाती, यह मामला उलझा रहेगा।


दो दिन पहले जब यूपीएस स्कीम की घोषणा की गई तो अधिकांश को लगा कि मोदी सरकार आगामी चार राज्यों में विधानसभा चुनावों के मद्देनजर यह फैसला लेने को मजबूर हुई है। लेकिन अब जैसे-जैसे धुंध साफ़ हो रही है, ऐसा लगता है कि असल में यह सारा खेल तो लाखों करोड़ रुपयों को कॉर्पोरेट के लिए दबाकर रखने का खेला हो रहा है।


सीटू के राष्ट्रीय महासचिव तपन सेन ने यूपीएस स्कीम को ख़ारिज करते हुए खुलासा किया है कि इस नई स्कीम के माध्यम से मोदी सरकार का मकसद सिर्फ बड़े पूंजीपतियों के हितों को साधने से अधिक कुछ नहीं है। उनके मुताबिक, एनपीएस के तहत कुल 31 जुलाई 2024 तक देश के कुल 99,77,165 कर्मचारियों की 10 लाख 53 हजार 850 करोड़ रुपये के पेंशन फंड को Asset under Management (AUM) के तहत डाला गया है।


दसियों लाख करोड़ रुपये की रकम को पिछले 20 वर्षों के दौरान शेयर बाजार में बढ़कर 8-10 गुना तो हो ही जाना चाहिए था। हमारा शेयर बाजार तो कोविड-19 के बाद से कई गुना बढ़ चुका है, लेकिन एनपीएस के तहत सरकारी बाबुओं को 1200 रुपये से लेकर 5000 रुपये मासिक पेंशन से तो यही समझ आता है कि शेयर बाजार में पैसा डालकर करोड़ों आम भारतीयों की रकम बड़ी पूंजी के हित में डुबाने का ही काम हो रहा है।



पेंशन फंड को विभिन्न फंड्स में डालने का काम सरकार द्वारा नियुक्त नियामक संस्था द्वारा ही किया जाता है, फिर भी दिन प्रतिदिन रिकॉर्ड तोड़ते सेंसेक्स से जब कर्मचारियों को इतनी बुरी तरह से छला गया, तो वे ओपीएस के मुद्दे पर भाजपा के खिलाफ होते जा रहे थे, जिसे रोकने के लिए अब जिस नई स्कीम को एक बार फिर से भाजपा के द्वारा ही लांच किया जा रहा है, वह तो और भी ज्यादा भयावह और क्रोनी-लूट को अंजाम देने वाला है।
लेखक =वरिष्ठ पत्रकार राजेश यादव डलमऊ रायबरेली

Saturday, 24 August 2024

UPS : जानने योग्य प्रमुख बातें

 20:18


केंद्र सरकार ने आज कैबिनेट बैठक में अपने कर्मचारियों को पुरानी पेंशन के बजाय UPS यानी यूनिफाइड पेंशन योजना पास की है। यह योजना 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी। 





एकीकृत पेंशन योजना: जानने योग्य प्रमुख बातें

योजना की कुछ मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:


• सुनिश्चित पेंशन: 25 वर्षों की न्यूनतम योग्यता सेवा के लिए सेवानिवृत्ति से पहले पिछले 12 महीनों में प्राप्त औसत मूल वेतन का 50%

• न्यूनतम 10 वर्ष की सेवा तक कम सेवा के लिए आनुपातिक

• कर्मचारी की मृत्यु से ठीक पहले उसकी पेंशन का 60% सुनिश्चित पारिवारिक पेंशन ।


• न्यूनतम 10 वर्ष की सेवा के बाद सेवानिवृत्ति पर 10000 प्रति माह की दर से न्यूनतम पेंशन सुनिश्चित।

• मुद्रास्फीति सूचकांक: सुनिश्चित पेंशन पर, सुनिश्चित पारिवारिक पेंशन पर और सुनिश्चित न्यूनतम पेंशन पर सेवारत कर्मचारियों के मामले में औद्योगिक श्रमिकों के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (एआईसीपीआई-डब्ल्यू) के आधार पर महंगाई राहत।


• सेवानिवृत्ति पर ग्रेच्युटी के अतिरिक्त एकमुश्त भुगतान।


प्रत्येक छह महीने की सेवा के लिए सेवानिवृत्ति की तिथि पर मासिक परिलब्धियों (वेतन + डीए) का 1/10 वां हिस्सा।


• इस भुगतान से सुनिश्चित पेंशन की मात्रा कम नहीं होगी।

* लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि कर्मचारी का प्रति महीना 10% करने वाला हिस्सा का क्या होगा। वो मिलेगा या नहीं।


Saturday, 17 August 2024

वाणावर पहाड़ दुर्घटना की रिपोर्ट जारी, 48 पुलिसकर्मियों पर करवाई

वाणावर पहाड़ दुर्घटना की रिपोर्ट जारी, 48 पुलिसकर्मियों पर करवाई

जहानाबाद पुलिस के द्वारा एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया गया है कि 12 अगस्त 2024 की रात्रि में बराबर पहाड़ पर स्थित बाबा सिद्धेश्वरनाथ मंदिर में घटित दुखद घटना की जॉच हेतु एक समिति गठित की थी जिसका रिपोर्ट आज सौंप दी गई है।




जॉच समिति से प्राप्त रिपोर्ट में कर्तव्य निर्वहन में शिथिलता बरतने वाले पुलिस पदाधिकारियों एवं कर्मियों के प्रारंभिक जाँच एवं घटना के तुरंत बाद राहत एवं बचाव कार्य में पुलिस बल द्वारा की गई प्रतिक्रिया की समीक्षा की गई। इस समीक्षा के आधार पर पुलिस पदाधिकारी जिला बल के सिपाहियों, बी०एस०ए०पी० एवं बी०एच० जी० द्वारा कर्तव्य निर्वहन में शिथिलता बरतने के आरोप में कुल 48 व्यक्तियों के विरूद्ध शो कॉज जारी करते हुए स्पष्टीकरण की मांग की गई जो निम्नवत हैः-

पुलिस पदाधिकारीः-12 (पु०नि०-1, पु०अ०नि०-07, पु०स०अ०नि०-04)

हवलदार-01

सिपाही-26

गृहरक्षक-09

प्राप्त प्रतिवेदन के आलोक में अब तक कुल 11 पुलिस पदाधिकारी/पुलिस कर्मियों के विरूद्ध स्पष्टीकरण मांग करने के पश्चात निलंबित कर विभागीय कार्यवाही प्रारंभ कर दी गई है, जो निम्न हैः-

पुलिस अवर निरीक्षक-03

पुलिस अवर निरीक्षक-सह-थानाध्यक्ष बराबर थाना-01


पुलिस सहायक अवर निरीक्षक-01


सिपाही-06

थानाध्यक्ष, बराबर थाना को शिथिलता बरतने एवं विधि-व्यवस्था संधारण में असफल रहने के आरोप में निलंबित कर विभागीय कार्यवाही प्रारंभ कर दी गई है। वर्तमान में थानाध्यक्ष, बराबर के पद पर पुलिस निरीक्षक स्तर के पदाधिकारी की प्रतिनियुक्ति अगले आदेश तक की गई है।

Saturday, 10 August 2024

व्यवहार न्यायालय कर्मियों ने की वृक्षारोपण, रखी पांच सूत्रीय मांग

व्यवहार न्यायालय कर्मियों ने की वृक्षारोपण, रखी पांच सूत्रीय मांग

पटना : शुक्रवार को छपरा व्यवहार न्यायालय कर्मचारियों की ओर से न्यायालय परिसर में वृक्षारोपण कार्यकम आयोजित किया गया। जिसमें व्यवहार न्यायालय के कर्मचारियों के द्वारा वृक्षारोपण किया गया। 


      बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष श्री राजेश्वर तिवारी द्वारा प्रत्येक वृक्ष पर अपनी लंबित पॉच सुत्री मांगो को वृक्ष से जोड़कर सभी पौधा में अपनी मांगो की तख्तियां लटकाया गया और प्राकृतिक से प्रार्थना किया गया कि प्रकृति हमारी मांगो को यथाशीघ्र पूर्ति कराने में अपना आर्शीवाद प्रदान करें। इस अवसर पर व्यवहार न्यायालय छपरा के सभी कर्मचारी विभूति कुमार त्रिवेदी, सुमन कुमार, दीपक कुमार, प्रविण कुमार, चन्दन कुमार व अन्य लोग उपस्थित रहें।




व्यवहार न्यायालय कर्मियों की पाँच सूत्री मांग


1. सेठी कमीशन की अनुशंसा को लागु नही किये जाने के विरोध में।

2. माननीय उच्च न्यायालय पटना की स्थायी समिति द्वारा पारित अनुशंसा को लागु करते हुए व्यवहार न्यायालय कर्मचारियों के वेतन विसंगती को दूर नही किये जाने के विरोध में।

3. पद के अनुरूप पदोन्नति एवं A.C.P का लाभ नही दिये जाने के विरोध में।





4. मृत कर्मचारी के आश्रितों के शत प्रतिशत नियुक्ति नही किये जाने के विरोध में।


5. व्यवहार न्यायालय के वर्ग-IV के कर्मचारियों को सहायक संवर्ग में पदोन्नति नही किये जाने के विरोध में।