मुस्लिमों का पवित्र महीना मुहर्रम होता है। ये बिगत 28 जुलाई गुरुवार से शुरू होकर शुक्रवार 29 जुलाई को समाप्त हो गया है। ऐसे आशूरा मुहर्रम की दशमी को कहा जाता है। आशूरा से एक दिन पहले 9वीं को मुसलमान नमाज पढ़ते हैं।
रेलवे के बेडशीट पर ताजिया
ये पोस्ट लिखने का कारण ये है की एक ताजिया का फोटो वायरल हो रहा है और जिस चादर पर ताजिया रखा है उसपर रेलवे लिखा हुआ है। अब सोशल मीडिया पर लोग तरह तरह के कयास लगा रहे हैं। कोई कह रहा है कि ये ताजिया के नीचे रखा चादर रेलवे से खरीदा गया है तो कोई इसे रेलवे से चुराकर लाया गया बता रहे हैं। एक व्यक्ति ने तो यहां तक कह दी, कि ये रेलवे से चुरााया चादर है और ये ताजमहल अपना बनाने की बात करते हैं जो संभव नहीं है। ऐसे आप ये समाचार www.operafast.com पर पढ़ रहे हैं।
मुहर्रम का महीना मुसलमानों के लिए धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व से भरा हुआ है। ऐसे ये मुहर्रम का पवित्र के साथ साथ इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना होता है। जो मुसलमानों के मदीना हिजरत और 622 ईसवी में पहले राज्य की स्थापना का प्रतीक है।
ताजिया क्यों रखे जाते हैं?
मुहर्रम का महीना इस्लाम धर्म में शोक के रूप में जाना जाता है। इस महीने में उत्सव नहीं होता है। इमाम हुसैन की शहादत पर शोक व्यक्त करते हुए शिया मुस्लिम काले कपड़े पहनकर जुलूस निकालते हैं। इस दिन को कुर्बानी के रूप में याद किया जाता है, साथ ही इस दिन ताजिया निकाले जाते हैं।
मुहर्रम के दिन मुसलमान क्या करते हैं ?
मुहर्रम के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग गमजदा होकर शोक मनाते हैं। इस दिन मुसलमान लोग हुसैन की शहादत को याद करते हैं और उनके प्रति अपना शोक व्यक्त करते हैं। इस दिन देश भर में ताजिये का जुलूस निकाला जाता है। ताजिये का जुलूस इमामबारगाह से निकलता है और कर्बला में जाकर खत्म होता है।
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