Sunday 5 February 2023

काली पट्टी बांध व्यवहार न्यायलय कर्मी ने किया काम, अब आंदोलन की तैयारी

काली पट्टी बांध व्यवहार न्यायलय कर्मी ने किया काम, अब आंदोलन की तैयारी
शेट्टी आयोग की सिफारिश सरकार लागू करे- प्रदेश अध्यक्ष तिवारी

बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय संघ के बैनर तले राज्य के न्यायलय कर्मियों ने 01 से 04 फरवरी तक काली पट्टी बांधकर अपने कर्तव्य स्थल पर काम किया। ये समाचार www.operafast.com पर पढ़ रहे हैं।


बिहार की समस्त न्यायपालिका के कर्मचारियों ने राज्य सरकार के समक्ष वर्षों से लम्बित अपनी 05 सूत्रीय मांग की पूर्ति न होने के विरोध में 01 फरवरी से 04 फरवरी तक अपना कार्य काली पट्टी बांध कर किया। इस संदर्भ में बिहार व्यवहार न्यायालय संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजेश्वर तिवारी जी ने कहा कि हम सभी न्यायालय के कर्मचारियों को दशकों से हमारी मांगों के लिए उपेक्षित किया जाता रहा है। उन्होंने आगे बताया कि 1985 में ही जब सचिवालय सहायक और बिहार सरकार के सभी स्नातक कर्मचारियों की योग्यता में वृद्धि की गई थी। उसी समय मैट्रिक से स्नातक वेतनमान में वृद्धि इसी वर्ष माननीय उच्च न्यायालय द्वारा सिविल कोर्ट के कर्मचारियों को भी मैट्रिक की मेरिट से स्नातक कर उनका पद सहायक से क्लर्क कर दिया गया तथा सरकार को वेतन देने का निर्देश दिया गया।

माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पुन: 2003 में माननीय शेट्टी आयोग ने सिफारिश की कि बिहार के सभी न्यायालय कार्मिक समूह 3 के कर्मचारियों को 3 संवर्गों में विभाजित कर दो अन्य ग्रुप बनाने के निर्देश दिए गए।जबकि अन्य प्रशासनिक विभागों के 1 पद, प्रत्येक पाँच वर्ष पर कर्मचारियों की नियमित पदोन्नति, नियुक्ति के साथ अतिरिक्त वेतन वृद्धि, कर्मचारी के लिए आवास निःशुल्क चिकित्सा योजना, सहकारी समिति आदि का प्रावधान किया गया। राज्य सरकार में मृत कर्मचारी के आश्रित को उसी तरह के एक पद पर तत्काल नियुक्ति करने की सिफारिश की लेकिन 38 वर्ष बीत जाने के बाद भी हमारी स्थिति कार्यालय के सरकारी अभिलेखों में धूल फाकने तक ही सीमित है।

सरकार लगातार हमारी मांगों की अनदेखी कर रही है। इस संदर्भ में हमारे द्वारा कई बार माननीय न्यायालय के समक्ष रिट भी की गई, जिसमें माननीय सरकार को शेट्टी आयोग के निर्देशानुसार हमारी सभी समस्याओं में सुधार करने तथा बेहतर सेवा नियम लागू करने का निर्देश दिया गया। वर्ष 2017 में कर्मचारियों के लिए नियमावली भी लागू की गई थी, जिसमें सभी वर्गों के कर्मचारियों को 5 वर्ष पूर्ण होने पर पदोन्नति का प्रावधान किया गया था, लेकिन सरकार द्वारा पदोन्नति का कोई पद सृजित नहीं किया गया और पुनः 2022 में सरकार नए नियम लाकर सारी सुविधाएं छीन लीं। सरकार की इस दोहरी और अस्पष्ट नीति के कारण अधिकांश कर्मचारी बिना किसी पदोन्नति और वेतन वृद्धि के सेवानिवृत्त हो रहे हैं।

संघ के महासचिव सत्यार्थ सिंह का कहना है कि हमारी लंबित मांगें, जो वर्षों से सरकार के सामने पड़ी हुई हैं, सभी कर्मचारियों को पोशाक भत्ता, कार्यालय में बुनियादी ढांचा, अदालत परिसर में शौचालय, कैंटीन कॉमन रूम आदि के अनुरूप है। शेट्टी आयोग की सिफारिशें पूरी नहीं की गईं। इस वजह से हम पूरे बिहार में काली पट्टी बांधकर काम किया। वहीं संगठन सचिव अविनाश कुमार का कहना है कि प्रदेश के सभी न्यायिक कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर सतर्क व जागरूक हैं साथ ही अपनी मांगों को पूरा नहीं किये जाने के विरोध में राज्य संघ के निर्देश पर प्रदेश भर के सभी 9000 कर्मचारी काली पट्टी बांधकर 4 दिनों तक साथ रहे। इस तरह हमलोगों के बीच सामंजस्य में और अधिक वृद्धि हुई है।अगर सरकार हमारी मांगें पूरी नहीं करती है तो हम संवैधानिक तरीके से अत्यधिक कड़ा विरोध करने पर मजबूर होंगे ।

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