इस बार जुलाई 2022 में होने वाले राष्ट्रपति के चुनाव के लिए बीजेपी ने अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार की नाम की घोषणा कर दी है । यह नाम है झारखंड के पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू का। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भारतीय जनता पार्टी की ओर से राष्ट्रपति उम्मीदवार के नाम का ऐलान करते वक्त बताया इस बार को बीजेपी के तरफ से राष्ट्रपति का उम्मीदवार घोषित किया जा रहा है जो एक आदिवासी महिला है। ये समाचार आप www.operafast.com पर पढ़ रहे हैं।
जे पी नड्डा ने अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि देश को पहली बार आदिवासी समुदाय से एक राष्ट्रपति देने की तैयारी है। उन्होंने बताया कि इस बार पूर्वी भारत से किसी व्यक्ति को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाने के लिए सहमति बनी थी लेकिन अंत में यह विचार किया गया कि अभी तक आदिवासी समाज से भारत के राष्ट्रपति कोई भी महिला नहीं बनी है ऐसे में बैठक के बाद बीजेपी की ओर से राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए द्रौपदी मुर्मू के नाम पर मुहर लगा दी गई।
हम आपको बता दें कि जिस प्रकार से शिक्षा के क्षेत्र में काम किया है। अपने जीवन में लंबे समय तक शिक्षा किया है।
जैसा कि आप जानते हैं कि जानते हैं कि द्रोपदी मुर्मू 2015 से लेकर 2021 तक झारखंड के राज्यपाल रही है। ओडिसा की रहने वाली मुर्मू बीजेपी की ओर से आदिवासी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य रह चुकी है। ऐसे हम आपको यह बता दें कि द्रोपदी मुर्मू ओडिसा में विधायक के रुप में भी अच्छा काम की है उन्हें साल 2007 में नीलकंठ अवार्ड से सम्मानित किया गया था ।
जैसा कि आप जानते है कि इस वर्ष 18 जुलाई को भारत के राष्ट्रपति के लिए चुनाव होना है और वोटों की गिनती 21 जुलाई को की जाएगी इसके लिए भारत के चुनाव आयोग ने एक अधिसूचना जारी कर दी है अधिसूचना जारी किए जाने के साथ ही अमन की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है अगर आप भी चाहते हैं राष्ट्रपति चुनाव में भाग लें तो इसके लिए नामांकन की अंतिम तिथि 29 जून है।
द्रौपदी मुर्मू भारत की अगली राष्ट्रपति होंगी। वह भी पहली अनुसूचित जनजाति महिला राष्ट्रपति । NDA पक्ष के पास अपने उम्मीदवार को जीताने के लिए काफी वोट हैं। कोई दिक़्क़त नहीं आएगी। उनके सामने विपक्ष की तरफ से यशवंत सिन्हा उम्मीदवार होंगे। सांकेतिक लड़ाई के लिए शुभकामनाएँ।
जो भी राष्ट्रपति बने वह देश के प्रति जवाबदेह हो। न की सरकार की पार्टी का कहा बिना हां न के स्वीकार कर ले। अपना विवेक भी इस्तेमाल करने वाला हो। पार्टी का एहसान उतारने वाला तो कदापि नहीं।
द्रौपदी मुर्मू को अगर किसी से नहीं सिखना है तो प्रणब मुखर्जी के कार्यकाल से। 2014 के बाद प्रणब मुखर्जी ने मोदी कैबिनेट की सलाह पर दो बार दस्तख़त किए और उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा। अरुणाचल प्रदेश में तो गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति शासन लागू हुआ था। दोनों ही मामले में अदालत ने फ़ैसला पलट दिया था। उत्तराखंड हाई कोर्ट ने कहा था कि राष्ट्रपति कोई राजा नहीं होता है। ये दोनों ख़बरें आपको याद दिलाएँगी कि मोदी राज में भी कांग्रेस राज की तरह राष्ट्रपति शासन का दुरुपयोग हो चुका है।
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