Tuesday, 30 November 2021

7 साल के स्टूडेंट का संन्यासी बनने का क्या है मायने ।

 

7 साल के स्टूडेंट का संन्यासी बनने का क्या है मायने ।


सन्यास क्या है ? इसका अर्थ होता है सांसारिक बन्धनों से मुक्त होकर निष्काम भाव से प्रभु का निरन्तर स्मरण करते रहना। हमारे शास्त्रों में संन्यास को जीवन की सर्वोच्च अवस्था कहा गया है। संन्यास का व्रत धारण करने वाला संन्यासी कहलाता है। लेकिन 7 साल का लड़का सन्यास जीवन अपना ले , ये सोचने वाली बात है।
गुजरात के सूरत में जैन समाज के द्वारा आयोजित किए गए धार्मिक समारोह में 7 साल से लेकर 70 साल के वृद्ध तक सन्यास जीवन अपना लिया । अब उनका धन दौलत और परिवार से मोह भंग हो गया है। सन्यास लेने वाले में 15 करोड़पति है। सन्यास लेने वाले में स्टूडेंट से लेकर डॉक्टर और इंजीनियर तक शामिल है अब तो भगवत भजन और भगवान की तपस्या में लीन हो जायेंगे । ये लोग काफी सुखी संपन्न है ।


इन लोगों ने शांति-कनक श्रमणोपसाक ट्रस्ट-आध्यात्म परिवार द्वारा पांच दिनों तक चलने वाले दीक्षा महोत्सव में के समापन होने पर संन्यास जीवन अपनाया । अब संन्यास लेने के बाद ये जैन भिक्षु बन गए ।


इस धार्मिक संगठन ने इस दिन को ऐतिहासिक दिन बताते हुए कहा कि जब 40 हजार से अधिक भक्तों के साथ एक सामूहिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया , इसमें 75 लोगों ने संन्यास ग्रहण किया जिसमे सूरत, अहमदाबाद और मुंबई के लोग जैन भिक्षु और नन बने गए। इनमें सभी की आयु 7 से 70 वर्ष के बीच है । यह न्यूज विश्लेषण आप www.operafast.com पर पढ़ रहे हैं।


अब आते है असली बात पर । संन्यासी बनने की खबरें तो बहुत दिनों से मिलती रही हैं लेकिन इन संन्यासियों में से कितने निर्वाण को, मोक्ष को, आत्मज्ञान को उपलब्ध हुए ऐसी कोई ख़बर नहीं मिलती..! 


 सन्यास जीवन अपनाने की खबर मीडिया में बढ़ा चढ़ा कर बताया जाता है , उनकी फोटो दिया जाता है । 4-5 दिवसीय धार्मिक आयोजन किया जाता है तो देश के साथ साथ विदेश में भी यह खबर चली जाती है की सूरत में 75 जैनों ने संन्यास जीवन अपनाया । लेकिन उसके बाद क्या हुआ, कितने को मोक्ष मिला , कितने निर्वाण प्राप्त किया , इसकी भी जानकारी जरूर देना चाहिए ।
जीवन ही ख़राब करना है तो देश- समाज के लिए बरबाद करो..!


भगवान श्री कृष्ण ने गीता उपदेश में अर्जुन को सन्यास योग से अच्छा नैष्कर्म्य अर्थात निष्काम कर्मयोग को अच्छा बताया है,आप  गृहस्थ जीवन भी जिये ओर परमात्मा का नाम सुमिरन भी करे।लेकिन ये जो तीक्ष्ण व्रत ऒर कठोर तप को तपते है जैसे मुँह पर पट्टी बांधना, भूखे रहना ,सर के बाल तोड़कर दर्द सहन करना सब तप में शामिल है,ओर भगवान कहते है कि हे अर्जुन जो घोर तप को तपते है वो शरीर मे बैठे मुझ अंतर्यामी को भी क्रश करने वाले है।





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