बिहार के हर पंचायत में वर्षा मापक यंत्र Rain Gauge लगाने का फैसला।
बिहार सरकार अपने कृषि उत्पाद को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है इसी प्रयास के तहत कृषि विभाग द्वारा बिहार के हर जिले के हर पंचायत में वर्षा मापी यंत्र लगाने का फैसला किया है यह वर्षा मापी यंत्र किस स्थान पर लगाया जाए इसके लिए किसान समन्वयक और किसान सलाहकारों के द्वारा भूमि का सर्वेक्षण करवाया जा रहा है !
हम आपको बता दें कि जहानाबाद जिला के मखदुमपुर प्रखंड के तहत आने वाले पूर्वी सरेन और पश्चिमी सरेन कृषि समन्वयक श्री सत्येंद्र नारायण गौतम, किसान सलाहकार श्री नंद किशोर कुमार और टाटा कंपनी की ओर से आए हुए सर्वेक्षण कर्ता रामपुकार कुमार के द्वारा किया गया !
यह वर्षा मापी यंत्र पूर्वी सरेन के नंदनपुरा गांव मै पैक्स गोदाम के पास लगाया जाएगा और पश्चिमी सरेन पंचायत सरेनडीह के पैक्स गोदाम के पास लगाया जाएगा ! यह मापी यंत्र लगने से पंचायत में कितने सेंटीमीटर की वर्षा हुई, यह पता लगाना बेहद आसान हो जाएगा ! इसी के आधार पर कम वर्षा या ज्यादा वर्षा होने का पता लग सकता है जिससे फसल की क्षति का अनुमान लगाना आसान होगा !
पंचायत के किसान सलाहकार श्री नंद किशोर कुमार द्वारा यह पूछने पर कि बारिश मापने की इकाई क्या होती है और कैसे बारिश को मापा जाता है ? इस पर बताया कि अक्सर टीवी, न्यूज़ चैनल में हम देेखते रहते है कि यहाँ 2 mm तो वहां 5 mm तो कहीं कहीं 250 mm तक बारिश हो जाती है इसके लिए चौड़े मुंह का बर्तन उपयोग में लाया जाता है। जिसका पेंदी से लेकर ऊपर तक का क्रॉस सेक्शन समान होता है। इसको ऐसी जगह पर रख दिया जाता है जहां वर्षा का जल बिना किसी व्यवधान के इस में गिरता है तथा किसी निर्धारित समय अवधि में इसमें एकत्र पानी की ऊंचाई उस अवधि में वर्षा की माप कहलाती है।
किस स्थान पर कितनी वर्षा हुई है इसे मापने के लिए एक यंत्र काम में लाया जाता है जिसे हिंदी में वर्षामापी का जाता है तथा अंग्रेजी में इसे Rain gauge कहते हैं।
इसी बात पर कृषि समन्वयक श्री सत्येंद्र नारायण गौतम ने बताया हमेशा सही जानकारी दें यह जरूरी नहीं है क्योंकि कई बार बारिश बहुत तेज तूफान के साथ होती है ऐसे में पानी सही तरह से यंत्र में नहीं जा सकती नहीं जा पाता और यंत्र के टूटने फूटने की संभावना भी रहती है। इसका उपयोग बड़े इलाकों की वर्षा मापने के लिए नहीं किया जा सकता है।
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