Saturday 29 May 2021

जांच में हजारों टीचर फर्जी

 

बिहार में प्राइमरी स्कूल से लेकर विश्वविद्यालयों तक में शिक्षक नियुक्ति का गोरखधंधा बहुत पहले से चल रहा है। ऐसे-ऐसे उदाहरण मिलेंगे कि दिन में ही तारे नज़र आने लगेंगे। औरतों की नियुक्ति के मामले में तो ऐसे कारनामे १९७० से ही चल रहे हैं, और समय के साथ ही इसका विस्तार होता गया। कालेजों और विश्वविद्यालयों में भी ऐसे-ऐसे लोगों की ऐसे-ऐसे तरीके से नियुक्ति हुई है कि आप दांतों तले उंगलियां दबा लेंगे। यह बिहार है, सभी मिलकर विहार करते रहे हैं।



यहां छुछुंदर के माथे पर चमेली का तेल सही चरितार्थ होता है। शिक्षक विद्वान होते हैं परन्तु शिक्षक की बहाली बिहार में हुआ कहाॅं है। अब आप हीं लोग बता सकते हैं कि शिक्षक की बहाली जिला संवर्ग से होता था और बहाली हुआ ग्राम पंचायत एवं नगर निकाय के स्तर पर। यही कारण है कि इतना गड़बड़ झाला हुआ है। सही से अगर जाॅंच किया जाय तो निश्चित रूप से पच्चास प्रतिशत फर्जी शिक्षक पाये जाएंगे।


बिहार जैसा गुणी राज्य जहां एक और प्रतिभाशाली युवाओं ( प्रशासनिक सेवाओं में अग्रणी) से भरी है।। तो दूसरी और भ्रष्ट शिक्षा व्यवस्था में भी अग्रणी है।। आखिर ऐसा विरोधाभास क्यों।। जाहिर सी बात है कि बिहार राज्य में दौगुली भ्रष्ट व स्वार्थ की राजनीति का बोलबाला हमेशा चरम पर रहा है।। फिर चाहे लालू काल हो या अब नीतीश काल।। हालांकि।। यही हाल देश के अन्य राज्यो में भी है।। मगर, बिहार की बात ही अलग है।



हाईकोर्ट के आदेश के बाद वर्ष शिक्षकों के दस्तावेजों की निगरानी जांच सात वर्षों से मुजफ्फरपुर सहित पूरे बिहार में चल रही है ! इस दौरान कई शिक्षक फर्जी सर्टिफिकेट पर नौकरी करते पाये जाने पर बर्खास्त भी हो चुके हैं तो कई पर एफआईआर भी हो चुका हैं ! हालांकि इस जांच में कई बार पेंच भी फंसा है ! निगरानी का कहना है कि शिक्षा विभाग से उसे पूरे फोल्डर नहीं मिले तो विभाग की दलील है कि उसने सारे दस्तावेज जमा कर दिये हैं !


सूची को एनआईसी पर अपलोड भी करना है ! एनआईसी हमें इसके लिए पासवर्ड और आईडी उपलब्ध करा देगा ! इसके बाद 31 मई तक शिक्षकों की पूरी डिटेल शिक्षा विभाग के पोर्टल पर अपलोड किया जाना है ! इसमें शिक्षकों के प्रखंड के नाम, नियोजन इकाई के नाम पिता या पति के नाम, नियुक्ति की तारीख औ ईपीएफ नंबर बताना है !


बिहार में जाली शिक्षकों की संख्या लगभग लाख से ऊपर है। इस समय जो बैलेंस जांच चल रही है,उससे यह स्पष्ट होता है कि, इसकी संख्या और भी बढ़ सकती है।जैसा कि विजिलेंस की जांच से प्रथम दृष्टया यह स्पष्ट हो गया है।कि जाली शिक्षकों की संख्या बहुत अधिक है। उदाहरण के तौर पर पूरे बिहार में 2005 से लेकर 2015 तक नियोजित किए गए शिक्षकों की संख्या जो विजिलेंस जांच से स्पष्ट होता है और जिसका आज तक कोई कागजात निगरानी को अर्थात फोल्डर उपलब्ध नहीं कराया गया है।


निगरानी जांच में वर्ष 2005 से 2015 तक नियोजित शिक्षकों के साथ नियमित शिक्षक भी जद में आयेंगे ! शिक्षकों की सूची में ऐसे शिक्षकों के भी नाम हैं ! कई शिक्षक ऐसे भी हैं जो वर्षों से बिना अनुपति और सूचना के ड्यूटी से गायब हैं ! इसके अलावा कुछ शिक्षक सेवाकाल में भी मृत हो चुके हैं,उनके दस्तावेज भी भेजे गये हैं! बिहार में ऐसे ऐसे शिक्षक तैनात हैं उसके बारे में सुनकर ही हंसी आती है ! कहीं-कहीं मां और बेटी दोनों शिक्षक है और मां से पहले बेटी रिटायरमेंट हो रही है , कहीं बाप की उम्र भी बेटे से कम है !



सवाल है इसके लिए जिम्मेदार कौन है? जबाब है.. हम, कम से कम पंचायत स्तर पर हुई बहाली में। क्योंकि, पंचायत नियोजन ईकाई में सिर्फ एक सदस्य छोड़कर, शेष सभी सदस्य हमारे ग्रामीण ही होते हैं। क्या मुखिया और ग्रामीणों से ज्यादा रुतवा,

औकाद और कानूनी अधिकार पंचायत सचिव को है। दरअसल हम सब मिल कर इस भ्रष्टाचार को पोषा है, पाला है।

फिर भी ये पनप नहीं पाता, यदि प्रखंड स्तरीय पदाधिकारी द्वारा इसे खाद और पानी नहीं दिया गया होता !



सबसे बड़ा धोखा टीईटी पास छात्रों के साथ हुआ है! जिस नियम के साथ परीक्षा आयोजित की गई थी और रिजल्ट का प्रतिशत इतना कम था कि सारे टीईटी पास का नियोजन हो जाना था। परंतु शिक्षा विभाग में बैठे अशिक्षित या जानबूझकर संशोधन या अटकाने वाले शिक्षाविद ने योग्य छात्रों का भविष्य चौपट कर दिया और सरकार विरोधी लॉबी का ही अधिकांश नियोजन हुआ !

अब भी सरकार को चाहिए कि बिना हील हवाले के टीईटी पास छात्रों का उसी नियमावली पर नियोजन हो जिस नियमावली के अनुसार परीक्षा दिया गया था।



बिहार राज्य का सबसे बडा दुरभागय है।शिक्षक अपने बच्चे को भी सरकारी स्कूल पढाना नही चाहते है क्योकि इनको पता है कि हम सरकारी स्कूल मे कुछ नही करते हैं सिर्फ वेतन उठाते हैं और गरीबों के बच्चों को बर्बाद करते है।जिस राज्य मे भविष्य का निर्माण इस प्रकार हो रहा है उसका मालिक तो उपर वाला ही है।सरकार का इस तरफ एकदम ध्यान नहीं है।

खासतौर से जबसे डबल इन्जन की सरकार आई है शिक्षा पूरी तरह से बरबाद है।


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