Tuesday, 8 June 2021

किसानों को वैक्सीनेशन के बारे में जागरूक ना करने पर स्पष्टीकरण नोटिस

 

कोरोना संक्रमण के दूसरे लहर से देश की हालत कहीं बेकाबू है तो कहीं सामान्य ! लेकिन इस वायरस का बुरा असर लगभग हर राज्य में देखने को मिल रहा है ! इस बुरे असर को नियंत्रण करने के लिए भारत के कई राज्यों में पूर्ण लॉकडाउन लगाया जा चुका है ! भारत में बनी दो तरह के वैक्सीन है और डाक्टरों के अनुसार दोनों वैक्सीन कोरोना वायरस पर बहुत ही असरदार है ! 



लेकिन बिहार के कई जिलों में इसके बारे में कई तरह के अफवाह फैलाई जा चुकी है ! जिसमें बिहार की जनता,  किसान, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में इस अफवाह के कारण वैक्सीन लगवाने से कतरा रहे हैं,  उनका मानना है कि वैक्सीन लगवाने से नपुंसकता फैल सकती है या फिर बांझपन का भी असर हो सकता है ! ऐसे एक तरह के वायरल मैसेज में दावा किया जा रहा है कि वैक्सीन में ऐसे तत्वों का मिश्रण है जिससे व्यक्ति की मौत भी हो सकती है लेकिन डॉक्टरों के अनुसार यह सब अफवाह है इसे ना माने ! भारत में बनी दोनों  वैक्सीन- कोवीशील्ड और कोवैक्सीन  काफी सुरक्षित और असरकारक है ! यह समाचार आप HINDI news पर पढ़ रहे हैं !


इस भ्रांतियां से निपटने के लिए बिहार सरकार ने कृषि विभाग के  जिला कृषि पदाधिकारी को भार सौंपा है इसी सिलसिले में जहानाबाद जिले के सभी प्रखंड के सभी पंचायतों में  ऐसी भ्रांतियां से निपटने के लिए बिहार सरकार के कृषि विभाग ने  प्रत्येक जिले के जिला कृषि पदाधिकारी को भार सौंपा है ! जिसके लिए वैक्सीनेशन प्रोग्राम के बारे में जहानाबाद जिले जागरूकता लाने के  लिए  सभी प्रखंड कृषि पदाधिकारी कृषि समन्वयक और किसान सलाहकार को इस अभियान पर लगाया गया था जिसके तहत पंचायत में किसानों को भक्ति नहीं लगाया गया था !


इसी सिलसिले में जहानाबाद जिले के सभी प्रखंड के सभी पंचायतों में  ऐसी भ्रांतियां से निपटने के लिए बिहार सरकार के कृषि विभाग ने  प्रत्येक जिले के जिला कृषि पदाधिकारी को भार सौंपा है ! जिसके लिए वैक्सीनेशन प्रोग्राम के बारे में जहानाबाद जिले में जागरूकता लाने के  लिए  सभी प्रखंड कृषि पदाधिकारी कृषि समन्वयक और किसान सलाहकार को इस अभियान पर लगाया गया था जिसके तहत पंचायत में किसानों को  कैंप लगाकर वैक्सीन लगाया गया था !


लेकिन जहानाबाद के जिला कृषि पदाधिकारी के द्वारा जिले के प्रखंड रतनी फरीदपुर के  सेसम्मा पंचायत, घोसी प्रखंड के लखावर पंचायत और हुलासगंज प्रखंड के  बौरी  पंचायत का  भ्रमण करने पर पता चला के कुछ भ्रांतियां के वजह से किसान वैक्सीन नहीं  ले रहे हैं !


ऐसा प्रतीत होता है कि प्रखंड कृषि पदाधिकारी, कृषि समन्वयक , किसान सलाहकार के द्वारा लोगों को जागरूक नहीं किया गया है जो बहुत ही खेद जनक स्थिति है ! जिला कृषि पदाधिकारी के द्वारा स्पष्टीकरण प्राप्त करने तथा लाइन लिस्ट तैयार कर उप विकास आयुक्त तथा प्रखंड के वरीय पदाधिकारी को कल बुधवार तक उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है !

इन लोगों को स्पष्टीकरण में बताने के लिए कहा गया है कि किस परिस्थिति में किसानों को जागरूक नहीं किया गया ? क्यों नहीं इसे वरीय पदाधिकारी के आदेश का उल्लंघन और कर्तव्यहिनता मानते हुए आपके विरुद्ध कार्रवाई किया जाए !

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Sunday, 6 June 2021

"Eco system restoration" is theme for southern Railway

 

World Environment Day is celebrated once a year on 5th June every year by the United Nations in order to save the environment, this program is done in 143 countries of the world, it is organized by the head of government of each country, all the offices, NGO offices, heads of the general public. Celebrated in its own way whose main objective is to promote to keep the environment green. You reading this news on Hindi news.



In this connection, at Ponmalai Railway Station of Tiruchirappalli Division of Southern Railway, Station Manager Shri P Sesuraj celebrated by planting a tree. On this occasion all the station superintendent points man train clerk, signal maintainer were present. All these people took a pledge to save the environment.

This pledge were-


World Environment Day Pledge

“On this Day, / I solemnly affirm that / I will rededicate to the

cause of protection of environment / and will do my best to

observe rules, / regulations and procedures / and develop

attitudes and habits / conducive for achieving these objectives.

I fully realise that / use and disposal of non-Eco friendly

materials / will result in / general degradation of environment.

I will use Eco-friendly products. / I will not use disposable

Plastic products / like cups, small covers or carry bags. / I will

follow reuse culture. / I will use public transport / as far as

possible. / I will meet vehicle emission standards. / I will avoid

use of air horns. / I will segregate / waste generated at home. /

I will support community based waste management. /

I will do everything possible / for the protection of environment

/ in the interest of self, my family, my community / and the nation at large.



As per Railway Board's instructions under reference, World Environment Day

is observed in Tiruchchirappalli Division on 05.06.2021.

The theme for the current year is "Eco-system restoration" with special focus

on enhancing the relationship with nature. This year also mark the launch of the UN

Decade on Eco-system restoration 2021-2030.

The following activities duly following the COVID -19 protocols may be carried

out during World Environment Day -2021.

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Saturday, 5 June 2021

किसानों को 90% अनुदान कर बीज वितरण

 

बिहार के सभी जिले में मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार योजना के तहत सभी प्रखंड के पंचायतों में कल से बीज वितरण शुरू हो गया इसी अभियान के तहत मखदुमपुर प्रखंड के भी सभी पंचायतों में बीज का वितरण शुरू हुआ !



 यह बीज का वितरण किसानों को मखदुमपुर के  ई- किसान भवन में किया गया मुख्यमंत्री  तीव्र बीज विस्तार योजना के तहत 90% अनुदान पर किसानों को 6 किलो बीज दिया जाता है एवं मिनी कीट 80% अनुदान पर एक किसान को 24 किलो तक दिया जाता है ! मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार योजना में एवं मिनी कीट शंकर धान योजना में किसानों को अनुदान की राशिकाट कर दे दी  जाती है ! जैसे कि मुख्यमंत्री योजना में किसान से 10% राशि ली जाती है ! अनुदान की राशि छोड़ दी जाती है तत्काल एवं अन्य योजना श्री विधि धान जीरो टिलेज योजना, तनाव रोधी, योजना के तहत किसानों को 100% अनुदान पर बीज उपलब्ध कराया जाता है इस योजना में किसानों को पहले पैसा लगाना होता है उसके बाद पूरी राशि उनके खाते में भेज दिए जाते हैं ! 


इसी तरह पूर्वी सरेन के कृष्णा प्रसाद, सत्येंद्र प्रसाद के समेत  प्रखंड के सैकड़ों किसान लाभान्वित हुए ! बीज वितरण में प्रखंड कृषि पदाधिकारी नागेश्वर मांझी कृषि समन्वयक राघवेंद्र कुमार , रंगेश कुमार , अभिषेक कुमार, किसान सलाहकार नंद किशोर कुमार, राजीव कुमार समेत मखदुमपुर प्रखंड के सभी किसान सलाहकार उपस्थित थे !  किसानों को इस समय बीज वितरण का उद्देश्य है कि समय पर रोहिणी नक्षत्र में किसान बिचड़ा को क्षेत्र में गिरा दें ताकि समय धान की रोपाई शुरू हो जाए !


 क्या है मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार कार्यक्रम

योजना का उद्देश्य राज्य के सभी राजस्व गाँवो में एक साथ उन्नत प्रभेदों के बीज उपलब्ध कराकर बीज उत्पादन हेतु किसानों को प्रोत्साहित करना है। आधार बीज का वितरण सभी जिला एवं प्रखंड मुख्यालयों में शिविर आयोजित कर किया जाता है। बीज वितरण के समय ही सभी चयनित किसानों को प्रखंड स्तर पर बीजोत्पादन का प्रशिक्षण दिया जाता है।

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Wednesday, 2 June 2021

बिहार के हर पंचायत में वर्षा मापक यंत्र

 बिहार के हर पंचायत में वर्षा मापक यंत्र Rain Gauge लगाने का फैसला।


 बिहार सरकार अपने कृषि उत्पाद को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है इसी प्रयास के तहत कृषि विभाग द्वारा बिहार के हर जिले के हर पंचायत में वर्षा मापी यंत्र लगाने का फैसला किया है यह वर्षा मापी यंत्र किस स्थान पर लगाया जाए इसके लिए किसान समन्वयक और किसान सलाहकारों के द्वारा भूमि का सर्वेक्षण करवाया जा रहा है !





हम आपको बता दें कि जहानाबाद जिला के मखदुमपुर प्रखंड के तहत आने वाले पूर्वी सरेन और पश्चिमी सरेन कृषि समन्वयक श्री सत्येंद्र नारायण गौतम, किसान सलाहकार श्री नंद किशोर कुमार और टाटा कंपनी की ओर से आए हुए सर्वेक्षण कर्ता रामपुकार कुमार के द्वारा किया गया ! 

यह वर्षा मापी यंत्र पूर्वी सरेन के नंदनपुरा गांव मै पैक्स गोदाम के पास लगाया जाएगा और पश्चिमी सरेन पंचायत सरेनडीह के पैक्स गोदाम के पास लगाया जाएगा ! यह मापी यंत्र लगने से पंचायत में कितने सेंटीमीटर की वर्षा हुई, यह पता लगाना बेहद आसान हो जाएगा ! इसी के आधार पर कम वर्षा या ज्यादा वर्षा होने का पता लग सकता है जिससे फसल की क्षति का अनुमान लगाना आसान होगा !

पंचायत के किसान सलाहकार श्री नंद किशोर कुमार द्वारा यह पूछने पर कि बारिश मापने की इकाई क्या होती है और कैसे बारिश को मापा जाता है ? इस पर बताया कि अक्सर टीवी, न्यूज़ चैनल में हम देेखते रहते है कि यहाँ 2 mm तो वहां 5 mm तो कहीं कहीं 250 mm तक बारिश हो जाती है इसके लिए चौड़े मुंह का बर्तन उपयोग में लाया जाता है। जिसका पेंदी से लेकर ऊपर तक का क्रॉस सेक्शन समान होता है। इसको ऐसी जगह पर रख दिया जाता है जहां वर्षा का जल बिना किसी व्यवधान के इस में गिरता है तथा किसी निर्धारित समय अवधि में इसमें एकत्र पानी की ऊंचाई उस अवधि में वर्षा की माप कहलाती है।


किस स्थान पर कितनी वर्षा हुई है इसे मापने के लिए एक यंत्र काम में लाया जाता है जिसे हिंदी में वर्षामापी का जाता है तथा अंग्रेजी में इसे Rain gauge कहते हैं।


इसी बात पर कृषि समन्वयक श्री सत्येंद्र नारायण गौतम ने बताया हमेशा सही जानकारी दें यह जरूरी नहीं है क्योंकि कई बार बारिश बहुत तेज तूफान के साथ होती है ऐसे में पानी सही तरह से यंत्र में नहीं जा सकती नहीं जा पाता और यंत्र के टूटने फूटने की संभावना भी रहती है। इसका उपयोग बड़े इलाकों की वर्षा मापने के लिए नहीं किया जा सकता है।


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Tuesday, 1 June 2021

हनुमान बाहुक का चमत्कारी पाठ

हनुमान बाहुक का चमत्कारी पाठ

हनुमान बाहुक का ये चमत्कारी पाठ सभी प्रकार के शारीरिक कष्टों से मुक्ति देता है !



   मान्यता है कि समस्त संसार में जब-जब हनुमान चालीसा, सुंदरकांड, रामचरित मानस, रामायण, आदि का पाठ किया जाता है तो हनुमान जी वहां जरूर मौजूद होते हैं। वे किसी ना किसी वेश में भक्तों के बीच उपस्थित होते हैं। लेकिन उन्हें पहचानने के लिए गहरी भक्ति भावना की आवश्यकता होती है। और जो उन्हें पहचान ले उसका जीवन हनुमान जी सफल बना देते हैं।



आपने हनुमान चालीसा के बारे में तो बहुत सुना होगा। उसके महत्व एवं चमत्कारी असर के बारे में भी जाना होगा, समझा होगा और शायद महसूस भी किया होगा।

   


 हनुमान बाहुक के 44 चरणों का पाठ करने वाले इंसान के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।


माना जाता है कि इसका विधि से पाठ करते हुए समस्त क्रिया अपनाने से हनुमानजी की कृपा से शरीर की समस्त पीड़ाओं से आपको मुक्ति मिल जाएगी। इसके साथ ही यदि जीवन में रुके हुए काम हैं या कोई इच्छा पूर्ण नहीं हो रही, तब भी हनुमान बाहुक का पाठ करना लाभदायक सिद्ध होता है।


हनुमान बाहुक के लाभ: यदि आप गठिया, वात, सिरदर्द, कंठ रोग, जोड़ों का दर्द आदि तरह के दर्द से परेशान हैं, तो जल का एक पात्र सामने रखकर हनुमान बाहुक का 26 या 21 दिनों तक मुहूर्त देखकर पाठ करें। प्रतिदिन उस जल को पीकर दूसरे दिन दूसरा जल रखें। हनुमानजी की कृपा से शरीर की समस्त पीड़ाओं से आपको मुक्ति मिल जाएगी।


हनुमान बाहुक: के लाभ

हनुमान बाहुक का पाठ भक्त को भूत-प्रेत जैसी बाधाओं से भी दूर रखता है। ऐसी किसी भी प्रकार की बुरी शक्ति हनुमान बाहुक का पाठ करने वाले भक्त के आसपास भी नहीं आती है।


हनुमान बाहुक के पाठ से भक्त के आसपास एक रक्षा कवच बन जाता है, जिसके कारण किसी भी प्रकार की नकारात्मक शक्ति उसे छू भी नहीं सकती।


हनुमान बाहुक का पाठ के नियम


हनुमान बाहुक का पाठ करने के लिए कोई विशेष नियम नहीं है। आप कभी भी, कहीं भी यह पाठ कर सकते हैं। लेकिन यदि आप तुरंत फल पाना चाहते हैं तो इसके लिए एक शास्त्रीय तरीका मौजूद है।


इसके तहत हनुमान बाहुक का पाठ करने के लिए आप हनुमान जी की एक तस्वीर लें। साथ ही श्रीराम की तस्वीर को भी उसके साथ रखकर, सामने बैठ जाएं। इसके बाद दोनों तस्वीरों के सामने घी का दिया जलाएं और साथ में तांबे के गिलास में पानी भरकर भी रख दें।


इसके बाद ही पूरे मन से हनुमान बाहुक का पाठ करें। जैसे ही पाठ समाप्त हो तो तांबे के बर्तन में रखा हुआ पानी पीड़ित व्यक्ति को पिला दें या जिस किसी के हित के लिए भी यह पाठ किया गया हो उसे पिला दें।


पानी के साथ आप पूजा के दौरान हनुमान जी को तुलसी के पत्ते भी अर्पित कर सकते हैं। यह पवित्र तुलसी के पत्ते पूजा को अधिक सकारात्मक बनाते हैं। पाठ खत्म होने पर पीड़ित व्यक्ति को तुलसी के ये पत्ते भी खिला दें।


इस तरह से व्यक्ति सभी प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से दूर रहता है। केवल कष्ट होने पर ही नहीं, बल्कि रोजाना भी हनुमान बाहुक का पाठ करना फलदायी होता है।


                                        पाठ

गो-पद पयोधि करि होलिका ज्यों लाई लंक, निपट निसंक परपुर गलबल भो ।

द्रोन-सो पहार लियो ख्याल ही उखारि कर, कंदुक-ज्यों कपि खेल बेल कैसो फल भो ।।

संकट समाज असमंजस भो रामराज, काज जुग पूगनि को करतल पल भो ।

साहसी समत्थ तुलसी को नाह जाकी बाँह, लोकपाल पालन को फिर थिर थल भो ।।६

 

 

कमठ की पीठि जाके गोडनि की गाड़ैं मानो, नाप के भाजन भरि जल निधि जल भो ।

जातुधान-दावन परावन को दुर्ग भयो, महामीन बास तिमि तोमनि को थल भो ।।

कुम्भकरन-रावन पयोद-नाद-ईंधन को, तुलसी प्रताप जाको प्रबल अनल भो ।

भीषम कहत मेरे अनुमान हनुमान, सारिखो त्रिकाल न त्रिलोक महाबल भो ।।७

 

 

दूत रामराय को, सपूत पूत पौनको, तू अंजनी को नन्दन प्रताप भूरि भानु सो ।

सीय-सोच-समन, दुरित दोष दमन, सरन आये अवन, लखन प्रिय प्रान सो ।।

दसमुख दुसह दरिद्र दरिबे को भयो, प्रकट तिलोक ओक तुलसी निधान सो ।

ज्ञान गुनवान बलवान सेवा सावधान, साहेब सुजान उर आनु हनुमान सो ।।८

 

 

दवन-दुवन-दल भुवन-बिदित बल, बेद जस गावत बिबुध बंदीछोर को ।

पाप-ताप-तिमिर तुहिन-विघटन-पटु, सेवक-सरोरुह सुखद भानु भोर को ।।

लोक-परलोक तें बिसोक सपने न सोक, तुलसी के हिये है भरोसो एक ओर को ।

राम को दुलारो दास बामदेव को निवास, नाम कलि-कामतरु केसरी-किसोर को ।।९।।

 

महाबल-सीम महाभीम महाबान इत, महाबीर बिदित बरायो रघुबीर को ।

कुलिस-कठोर तनु जोरपरै रोर रन, करुना-कलित मन धारमिक धीर को ।।

दुर्जन को कालसो कराल पाल सज्जन को, सुमिरे हरनहार तुलसी की पीर को ।

सीय-सुख-दायक दुलारो रघुनायक को, सेवक सहायक है साहसी समीर को ।।१०।।

 

रचिबे को बिधि जैसे, पालिबे को हरि, हर मीच मारिबे को, ज्याईबे को सुधापान भो ।

धरिबे को धरनि, तरनि तम दलिबे को, सोखिबे कृसानु, पोषिबे को हिम-भानु भो ।।

खल-दुःख दोषिबे को, जन-परितोषिबे को, माँगिबो मलीनता को मोदक सुदान भो ।

आरत की आरति निवारिबे को तिहुँ पुर, तुलसी को साहेब हठीलो हनुमान भो ।।११।।

 

 

सेवक स्योकाई जानि जानकीस मानै कानि, सानुकूल सूलपानि नवै नाथ नाँक को ।

देवी देव दानव दयावने ह्वै जोरैं हाथ, बापुरे बराक कहा और राजा राँक को ।।

जागत सोवत बैठे बागत बिनोद मोद, ताके जो अनर्थ सो समर्थ एक आँक को ।

सब दिन रुरो परै पूरो जहाँ-तहाँ ताहि, जाके है भरोसो हिये हनुमान हाँक को ।।१२।।

 

 

सानुग सगौरि सानुकूल सूलपानि ताहि, लोकपाल सकल लखन राम जानकी ।

लोक परलोक को बिसोक सो तिलोक ताहि, तुलसी तमाइ कहा काहू बीर आनकी ।।

केसरी किसोर बन्दीछोर के नेवाजे सब, कीरति बिमल कपि करुनानिधान की ।

बालक-ज्यों पालिहैं कृपालु मुनि सिद्ध ताको, जाके हिये हुलसति हाँक हनुमान की ।।१३।।

 

 

करुनानिधान, बलबुद्धि के निधान मोद-महिमा निधान, गुन-ज्ञान के निधान हौ ।

बामदेव-रुप भूप राम के सनेही, नाम लेत-देत अर्थ धर्म काम निरबान हौ ।।

आपने प्रभाव सीताराम के सुभाव सील, लोक-बेद-बिधि के बिदूष हनुमान हौ ।

मन की बचन की करम की तिहूँ प्रकार, तुलसी तिहारो तुम साहेब सुजान हौ ।।१४।।

 

 

मन को अगम, तन सुगम किये कपीस, काज महाराज के समाज साज साजे हैं ।

देव-बंदी छोर रनरोर केसरी किसोर, जुग जुग जग तेरे बिरद बिराजे हैं ।

बीर बरजोर, घटि जोर तुलसी की ओर, सुनि सकुचाने साधु खल गन गाजे हैं ।

बिगरी सँवार अंजनी कुमार कीजे मोहिं, जैसे होत आये हनुमान के निवाजे हैं ।।१५।।

 

 

जान सिरोमनि हौ हनुमान सदा जन के मन बास तिहारो ।

ढ़ारो बिगारो मैं काको कहा केहि कारन खीझत हौं तो तिहारो ।।

साहेब सेवक नाते तो हातो कियो सो तहाँ तुलसी को न चारो ।

दोष सुनाये तें आगेहुँ को होशियार ह्वैं हों मन तौ हिय हारो ।।१६।।

 

 

तेरे थपे उथपै न महेस, थपै थिरको कपि जे घर घाले ।

तेरे निवाजे गरीब निवाज बिराजत बैरिन के उर साले ।।

संकट सोच सबै तुलसी लिये नाम फटै मकरी के से जाले ।

बूढ़ भये, बलि, मेरिहि बार, कि हारि परे बहुतै नत पाले ।।१७।।

 

सिंधु तरे, बड़े बीर दले खल, जारे हैं लंक से बंक मवा से ।

तैं रनि-केहरि केहरि के बिदले अरि-कुंजर छैल छवा से ।।

तोसों समत्थ सुसाहेब सेई सहै तुलसी दुख दोष दवा से ।

बानर बाज ! बढ़े खल-खेचर, लीजत क्यों न लपेटि लवा-से ।।१८।।

 

अच्छ-विमर्दन कानन-भानि दसानन आनन भा न निहारो ।

बारिदनाद अकंपन कुंभकरन्न-से कुंजर केहरि-बारो ।।

राम-प्रताप-हुतासन, कच्छ, बिपच्छ, समीर समीर-दुलारो ।

पाप-तें साप-तें ताप तिहूँ-तें सदा तुलसी कहँ सो रखवारो ।।१९।।

 


जानत जहान हनुमान को निवाज्यौ जन, मन अनुमानि बलि, बोल न बिसारिये ।

सेवा-जोग तुलसी कबहुँ कहा चूक परी, साहेब सुभाव कपि साहिबी सँभारिये ।।

अपराधी जानि कीजै सासति सहस भाँति, मोदक मरै जो ताहि माहुर न मारिये ।

साहसी समीर के दुलारे रघुबीर जू के, बाँह पीर महाबीर बेगि ही निवारिये ।।२०।।

 

 

बालक बिलोकि, बलि बारेतें आपनो कियो, दीनबन्धु दया कीन्हीं निरुपाधि न्यारिये ।

रावरो भरोसो तुलसी के, रावरोई बल, आस रावरीयै दास रावरो बिचारिये ।।

बड़ो बिकराल कलि, काको न बिहाल कियो, माथे पगु बलि को, निहारि सो निवारिये ।

केसरी किसोर, रनरोर, बरजोर बीर, बाँहुपीर राहुमातु ज्यौं पछारि मारिये ।।२१।।

 

 

उथपे थपनथिर थपे उथपनहार, केसरी कुमार बल आपनो सँभारिये ।

राम के गुलामनि को कामतरु रामदूत, मोसे दीन दूबरे को तकिया तिहारिये ।।

साहेब समर्थ तोसों तुलसी के माथे पर, सोऊ अपराध बिनु बीर, बाँधि मारिये ।

पोखरी बिसाल बाँहु, बलि, बारिचर पीर, मकरी ज्यौं पकरि कै बदन बिदारिये ।।२२।।

 

राम को सनेह, राम साहस लखन सिय, राम की भगति, सोच संकट निवारिये ।

मुद-मरकट रोग-बारिनिधि हेरि हारे, जीव-जामवंत को भरोसो तेरो भारिये ।।

कूदिये कृपाल तुलसी सुप्रेम-पब्बयतें, सुथल सुबेल भालू बैठि कै बिचारिये ।

महाबीर बाँकुरे बराकी बाँह-पीर क्यों न, लंकिनी ज्यों लात-घात ही मरोरि मारिये ।।२३।।

 

 

लोक-परलोकहुँ तिलोक न बिलोकियत, तोसे समरथ चष चारिहूँ निहारिये ।

कर्म, काल, लोकपाल, अग-जग जीवजाल, नाथ हाथ सब निज महिमा बिचारिये ।।

खास दास रावरो, निवास तेरो तासु उर, तुलसी सो देव दुखी देखियत भारिये ।

बात तरुमूल बाँहुसूल कपिकच्छु-बेलि, उपजी सकेलि कपिकेलि ही उखारिये ।।२४।।

 

करम-कराल-कंस भूमिपाल के भरोसे, बकी बकभगिनी काहू तें कहा डरैगी ।

बड़ी बिकराल बाल घातिनी न जात कहि, बाँहूबल बालक छबीले छोटे छरैगी ।।

आई है बनाइ बेष आप ही बिचारि देख, पाप जाय सबको गुनी के पाले परैगी ।

पूतना पिसाचिनी ज्यौं कपिकान्ह तुलसी की, बाँहपीर महाबीर तेरे मारे मरैगी ।।२५।।

 

 

भालकी कि कालकी कि रोष की त्रिदोष की है, बेदन बिषम पाप ताप छल छाँह की ।

करमन कूट की कि जन्त्र मन्त्र बूट की, पराहि जाहि पापिनी मलीन मन माँह की ।।

पैहहि सजाय, नत कहत बजाय तोहि, बाबरी न होहि बानि जानि कपि नाँह की ।

आन हनुमान की दुहाई बलवान की, सपथ महाबीर की जो रहै पीर बाँह की ।।२६।।

 

 

सिंहिका सँहारि बल, सुरसा सुधारि छल, लंकिनी पछारि मारि बाटिका उजारी है ।

लंक परजारि मकरी बिदारि बारबार, जातुधान धारि धूरिधानी करि डारी है ।।

तोरि जमकातरि मंदोदरी कढ़ोरि आनी, रावन की रानी मेघनाद महँतारी है ।

भीर बाँह पीर की निपट राखी महाबीर, कौन के सकोच तुलसी के सोच भारी है ।।२७।।

 

तेरो बालि केलि बीर सुनि सहमत धीर, भूलत सरीर सुधि सक्र-रबि-राहु की ।

तेरी बाँह बसत बिसोक लोकपाल सब, तेरो नाम लेत रहै आरति न काहु की ।।

साम दान भेद बिधि बेदहू लबेद सिधि, हाथ कपिनाथ ही के चोटी चोर साहु की ।

आलस अनख परिहास कै सिखावन है, एते दिन रही पीर तुलसी के बाहु की ।।२८।।

 

 

टूकनि को घर-घर डोलत कँगाल बोलि, बाल ज्यों कृपाल नतपाल पालि पोसो है ।

कीन्ही है सँभार सार अँजनी कुमार बीर, आपनो बिसारि हैं न मेरेहू भरोसो है ।।

इतनो परेखो सब भाँति समरथ आजु, कपिराज साँची कहौं को तिलोक तोसो है ।

सासति सहत दास कीजे पेखि परिहास, चीरी को मरन खेल बालकनि को सो है ।।२९।।

 

 

आपने ही पाप तें त्रिपात तें कि साप तें, बढ़ी है बाँह बेदन कही न सहि जाति है ।

औषध अनेक जन्त्र मन्त्र टोटकादि किये, बादि भये देवता मनाये अधिकाति है ।।

करतार, भरतार, हरतार, कर्म काल, को है जगजाल जो न मानत इताति है ।

चेरो तेरो तुलसी तू मेरो कह्यो राम दूत, ढील तेरी बीर मोहि पीर तें पिराति है ।।३०।।

 

 

दूत राम राय को, सपूत पूत बाय को, समत्व हाथ पाय को सहाय असहाय को ।

बाँकी बिरदावली बिदित बेद गाइयत, रावन सो भट भयो मुठिका के घाय को ।।

एते बड़े साहेब समर्थ को निवाजो आज, सीदत सुसेवक बचन मन काय को ।

थोरी बाँह पीर की बड़ी गलानि तुलसी को, कौन पाप कोप, लोप प्रकट प्रभाय को ।।३१।।

 

 

देवी देव दनुज मनुज मुनि सिद्ध नाग, छोटे बड़े जीव जेते चेतन अचेत हैं ।

पूतना पिसाची जातुधानी जातुधान बाम, राम दूत की रजाइ माथे मानि लेत हैं ।।

घोर जन्त्र मन्त्र कूट कपट कुरोग जोग, हनुमान आन सुनि छाड़त निकेत हैं ।

क्रोध कीजे कर्म को प्रबोध कीजे तुलसी को, सोध कीजे तिनको जो दोष दुख देत हैं ।।३२।।

 

 

तेरे बल बानर जिताये रन रावन सों, तेरे घाले जातुधान भये घर-घर के ।

तेरे बल रामराज किये सब सुरकाज, सकल समाज साज साजे रघुबर के ।।

तेरो गुनगान सुनि गीरबान पुलकत, सजल बिलोचन बिरंचि हरि हर के ।

तुलसी के माथे पर हाथ फेरो कीसनाथ, देखिये न दास दुखी तोसो कनिगर के ।।३३।।

 

पालो तेरे टूक को परेहू चूक मूकिये न, कूर कौड़ी दूको हौं आपनी ओर हेरिये ।

भोरानाथ भोरे ही सरोष होत थोरे दोष, पोषि तोषि थापि आपनी न अवडेरिये ।।

अँबु तू हौं अँबुचर, अँबु तू हौं डिंभ सो न, बूझिये बिलंब अवलंब मेरे तेरिये ।

बालक बिकल जानि पाहि प्रेम पहिचानि, तुलसी की बाँह पर लामी लूम फेरिये ।।३४।।

 

 

घेरि लियो रोगनि, कुजोगनि, कुलोगनि ज्यौं, बासर जलद घन घटा धुकि धाई है ।

बरसत बारि पीर जारिये जवासे जस, रोष बिनु दोष धूम-मूल मलिनाई है ।।

करुनानिधान हनुमान महा बलवान, हेरि हँसि हाँकि फूँकि फौजैं ते उड़ाई है ।

खाये हुतो तुलसी कुरोग राढ़ राकसनि, केसरी किसोर राखे बीर बरिआई है ।।३५।।

 


राम गुलाम तु ही हनुमान गोसाँई सुसाँई सदा अनुकूलो ।

पाल्यो हौं बाल ज्यों आखर दू पितु मातु सों मंगल मोद समूलो ।।

बाँह की बेदन बाँह पगार पुकारत आरत आनँद भूलो ।

श्री रघुबीर निवारिये पीर रहौं दरबार परो लटि लूलो ।।३६।।

 


काल की करालता करम कठिनाई कीधौं, पाप के प्रभाव की सुभाय बाय बावरे ।

बेदन कुभाँति सो सही न जाति राति दिन, सोई बाँह गही जो गही समीर डाबरे ।।

लायो तरु तुलसी तिहारो सो निहारि बारि, सींचिये मलीन भो तयो है तिहुँ तावरे ।

भूतनि की आपनी पराये की कृपा निधान, जानियत सबही की रीति राम रावरे ।।३७।।

 

 

पाँय पीर पेट पीर बाँह पीर मुँह पीर, जरजर सकल पीर मई है ।

देव भूत पितर करम खल काल ग्रह, मोहि पर दवरि दमानक सी दई है ।।

हौं तो बिनु मोल के बिकानो बलि बारेही तें, ओट राम नाम की ललाट लिखि लई है ।

कुँभज के किंकर बिकल बूढ़े गोखुरनि, हाय राम राय ऐसी हाल कहूँ भई है ।।३८।।

 

 

बाहुक-सुबाहु नीच लीचर-मरीच मिलि, मुँहपीर केतुजा कुरोग जातुधान हैं ।

राम नाम जगजाप कियो चहों सानुराग, काल कैसे दूत भूत कहा मेरे मान हैं ।।

सुमिरे सहाय राम लखन आखर दोऊ, जिनके समूह साके जागत जहान हैं ।

तुलसी सँभारि ताड़का सँहारि भारि भट, बेधे बरगद से बनाइ बानवान हैं ।।३९।।

 

 

बालपने सूधे मन राम सनमुख भयो, राम नाम लेत माँगि खात टूकटाक हौं ।

परयो लोक-रीति में पुनीत प्रीति राम राय, मोह बस बैठो तोरि तरकि तराक हौं ।।

खोटे-खोटे आचरन आचरत अपनायो, अंजनी कुमार सोध्यो रामपानि पाक हौं ।

तुलसी गुसाँई भयो भोंडे दिन भूल गयो, ताको फल पावत निदान परिपाक हौं ।।४०।।

 

 

असन-बसन-हीन बिषम-बिषाद-लीन, देखि दीन दूबरो करै न हाय हाय को ।

तुलसी अनाथ सो सनाथ रघुनाथ कियो, दियो फल सील सिंधु आपने सुभाय को ।।

नीच यहि बीच पति पाइ भरु हाईगो, बिहाइ प्रभु भजन बचन मन काय को ।

ता तें तनु पेषियत घोर बरतोर मिस, फूटि फूटि निकसत लोन राम राय को ।।४१।।

 

 

जीओं जग जानकी जीवन को कहाइ जन, मरिबे को बारानसी बारि सुरसरि को ।

तुलसी के दुहूँ हाथ मोदक हैं ऐसे ठाँउ, जाके जिये मुये सोच करिहैं न लरि को ।।

मोको झूटो साँचो लोग राम को कहत सब, मेरे मन मान है न हर को न हरि को ।

भारी पीर दुसह सरीर तें बिहाल होत, सोऊ रघुबीर बिनु सकै दूर करि को ।।४२।।

 

 

सीतापति साहेब सहाय हनुमान नित, हित उपदेश को महेस मानो गुरु कै ।

मानस बचन काय सरन तिहारे पाँय, तुम्हरे भरोसे सुर मैं न जाने सुर कै ।।

ब्याधि भूत जनित उपाधि काहु खल की, समाधि कीजे तुलसी को जानि जन फुर कै ।

कपिनाथ रघुनाथ भोलानाथ भूतनाथ, रोग सिंधु क्यों न डारियत गाय खुर कै ।।४३।।

 

कहों हनुमान सों सुजान राम राय सों, कृपानिधान संकर सों सावधान सुनिये ।

हरष विषाद राग रोष गुन दोष मई, बिरची बिरञ्ची सब देखियत दुनिये ।।

माया जीव काल के करम के सुभाय के, करैया राम बेद कहैं साँची मन गुनिये ।

तुम्ह तें कहा न होय हा हा सो बुझैये मोहि, हौं हूँ रहों मौनही बयो सो जानि लुनिये ।।४४।