भूमध्यय सागर और मृत सागर के बीच इसराइल की सीमा पर बसा यरुशलम एक शानदार शहर है। शहर की सीमा के पास दुनिया का सबसे ज्यादा नमक वाला डेड सी यानी मृत सागर है। कहते हैं यहां के पानी में इतना नमक है कि इसमें किसी भी प्रकार का जीवन नहीं पनप सकता और इसके पानी में मौजूद नमक के कारण इसमें कोई डूबता भी नहीं है।
इसराइल का एक हिस्सा है गाजा पट्टी और रामल्लाह, जहां फिलीस्तीनी मुस्लिम लोग रहते हैं और उन्होंने इसराइल से अलग होने के लिए विद्रोह छेड़ रखा है। ये लोग यरुशलम को इसराइल के कब्जे से मुक्त कराना चाहते हैं।
अंतत: इस शहर के बारे में जितना लिखा जाए, कम है। काबा, काशी, मथुरा, अयोध्या, ग्रीस, बाली, श्रीनगर, जफना, रोम, कंधहार आदि प्राचीन शहरों की तरह ही इस शहर का इतिहास भी बहुत महत्व रखता है।
यरुशलम यहूदी पन्थ, ईसाई पन्थ और इस्लाम पन्थ, तीनों की पवित्र नगरी है। ये शहर ईसाइयत, इस्लाम और यहूदी धर्म के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों है, ये तीनों ही धर्म अपने उद्गम को बाइबल के चरित्र अब्राहम से जोड़कर देखते हैं !
इतिहास गवाह है कि येरुशलम प्राचीन यहूदी राज्य का केन्द्र और राजधानी रहा है। यहीं यहूदियों का परमपवित्र सोलोमन मन्दिर हुआ करता था, जिसे रोमनों ने नष्ट कर दिया था। ये शहर ईसा मसीह की कर्मभूमि रहा है। यहीं से हज़रत मुहम्मद जन्नत गए थे। यहीं पवित्र गुंबदाकार 'डोम ऑफ़ रॉक' यानी क़ुब्बतुल सख़रह और अल-अक्सा मस्जिद है ! यह एक पठार पर स्थित है जिसे मुस्लिम हरम अल शरीफ़ या पवित्र स्थान कहते हैं !
राजधानी होने के अलावा यह एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल भी है। इस शहर में 158 गिरिजाघर तथा 73 मस्जिदें स्थित हैं। इन गिरिजाघरों और मस्जिदों के अलावा भी यहाँ देखने लायक बहुत कुछ है। द इजरायल म्यूजियम, याद भसीम, नोबेल अभ्यारण, अल अक्सा मस्जिद, कुव्वत अल सकारा, मुसाला मरवान, सोलोमन टेम्पल, वेस्टर्न वॉल, डेबिडस गुम्बद आदि। यहाँ के प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं।
यहूदियों का कहना है कि 640 ई. में येरुसलम पर मुस्लिमों का नियंत्रण था। इस दौरान मुस्लिमों ने 957 ई. पूर्व बने उनके पहले टेंपल (मंदिर) पर 691 ई. में गुंबद का निर्माण कराया। इसे ही डोम ऑफ राक्स कहते हैं। 702 ई. में मुसलमानों ने 352 ई.पूर्व बने उनके दूसरे मंदिर के ढांचे और स्थान पर अल-अक्सा मस्जिद का निर्माण कराया।
इसलिए यह क्षेत्र मूल रूप से यहूदियों का पवित्र स्थल है और इस पर उनका अधिकार है। यहूदी इस मस्जिद की पश्चिमी दीवार को पूजते हैं। उनका दावा है कि यह 352 ई. पूर्व बनी थी। इस मस्जिद के नीचे की जमीन को यहूदी, ईसाई और मुसलमान तीनों पवित्र मानते हैं।
इसके एक तरफ फिलिस्तीनी रहते हैं।
फिलिस्तीनी हरम-अल-शरीफ में प्रवेश कर सकते हैं और अल अक्सा में नमाज अता कर सकते हैं। यह लंबे समय तक होता आया। लेकिन पिछले कई दशकों से करीब-करीब हर रमजान के समय में यहां टकराव की आशंका बनी रहती है।
इस बार इस्राइल ने फिलिस्तीनियों से इस स्थान को खाली कराना शुरू कर दिया और इसने युद्ध जैसा रूप लेना शुरू कर दिया है। फिलिस्तीनियों के संगठन हमास ने इस्राइल पर पहले 1500 के करीब राकेट बरसाए। इस्राइल ने अपनी तकनीक और एयर डिफेंस के सहारे इस हमले को काफी हद तक बेअसर कर दिया। हमास के कमांडर को मार गिराया। जवाब में हमास ने हमला तेज कर दिया है।
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