बिहार सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से सरकार के उपसचिव रजनीश कुमार ने बिहार के सभी जिला पदाधिकारी को एक पत्र जारी कर पटना उच्च न्यायलय के आदेश को अति महत्वपूर्ण बताते हुए कहा है कि पटना उच्च न्यायालय द्वारा पारित न्यायदेश को अक्षरशः पालन करना सुनिश्चित किया जाए जिसमे जातिगत आधार पर हो रहे जनगणना का कार्य को तत्काल प्रभाव से स्थगित करने को कहा गया है। साथ ही अबतक हुए गणना के डाटा को सुरक्षित रखा जाय। यह समाचार www.operafast.com पर पढ़ रहे हैं।
बिहार सरकार के उक्त पत्र में लिखा गया है माननीय उच्च न्यायालय, पटना द्वारा C.W.J. C. No. 5542 / 2023 एवं विषयांकित अन्य वादों की समेकित सुनवाई करते हुए आज दिनांक 04.05.2023 को बिहार जाति आधारित गणना, 2022 की प्रक्रिया को स्थगित करने का आदेश पारित किया गया है जिसका कार्यकारी अंश निम्नवत है :-
"ऐसी परिस्थितियों में, हम राज्य सरकार को निर्देश देते हैं कि वह जाति- आधारित जनगणना को तुरंत बंद करे और यह सुनिश्चित करे कि पहले से ही एकत्र किए गए डेटा को सुरक्षित रखा जाए और रिट याचिका में अंतिम आदेश पारित होने तक किसी के साथ साझा न किया जाए।"
अतः अनुरोध है कि उपर्युक्त न्यायादेश में पारित न्याय निर्णय का अक्षरशः अनुपालन सुनिश्चित किया जाय एवं अपने स्तर से सभी पदाधिकारियों , कर्मियों को आवश्यक निर्देश देने की कृपा की जाय। कृपया इसे सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाय।
जैसा कि आप जानते हैं कि बिहार सरकार अधिवक्ता पी के शाही से हाईकोर्ट में जज साहब पूछे कि ये जातिगत जनगणना कराने से बिहार को क्या हासिल होगा। इसका क्या फायदा है। जिसका जवाब अधिवक्ता पी के शाही नहीं दे पाए। पटना हाईकोर्ट के न्यायधीश ने जातीय जनगणना पर रोक लगाते हुए कहा कि अब तक आपने जो डेटा जुटाया है वो नष्ट नहीं कर सकते। इसे सुरक्षित रखिएगा। अगले सुनवाई पर काम आएगा।
पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बैंच ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से पूछा कि क्या आपने जातीय आधार पर जनगणना करवा रहे हैं इसके संबंधित कोई कानून बनाया है। इसपर बिहार सरकार के मुख्य अधिवक्ता पी के शाही ने जवाब दिया कि विधान सभा और विधान परिषद के सदस्यों के सहमति से ये करवाया जा रहा है। जातीय आधार पर जनगणना की अगली तारीख 3 जुलाई 2023 को रखा गया है। जातीय जनगणना में 500 करोड़ से ज्यादा खर्च हो रहा है। इतना खर्च होने के बाद सरकार किसको क्या देगी। किस आदमी को कितना फायदा होगा। इसकी भी जवाबदेही तय होनी चाहिए। क्योंकि जातीय जनगणना में 500 करोड़ से ऊपर खर्च होगा जो जनता के द्वारा दिया गया tax का पैसा है।
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