मछली पालन कैसे करें। सरकार से कितना मिलेगा सब्सिडी
मत्स्य पालन हेतु तालाब का निर्माण
मछली का पालन करने हेतु किसी भी उपलब्ध पोखर या तालाब जो 6 से 8 फुट गहरा हो तथा जिसमें कम से कम 6 माह तक पानी रहता हो। उसका उपयोग किया जा सकता है । परंतु उचित आय के लिए कम से कम 1 हेक्टर क्षेत्रफल का तालाब ज्यादा फायदेमंद होगा। इसकी लंबाई 200 से 500 मीटर तथा चौड़ाई 20 से 50 मीटर गहराई 2 मीटर होनी चाहिए। वैसे किसी भी आकार के तालाब में मछली पालन किया जा सकता है। यह जानकारी आप www.operafast.com पर प्राप्त कर रहे हैं।
तालाब की तैयारी
नए एवं पुराने तलाब के तैयारी में मुख्य भिन्नता यह है कि पुराने तालाब में से प्रभावी एवं अवांछनीय मछलियों का निकाल देना एवं जलीय खरपतवार का नियंत्रण आवश्यक है, जबकि नए बने तालाबों में उपयुक्त कार्रवाई की आवश्यकता नहीं होती है।
परभक्षी एवं अवांछनीय मछलियों का उन्मूलन
वैसे अच्छी मछलियां जो स्वभाव से मांसाहारी होती है तथा अन्य फालतू मछलियों का शिकार कर उन्हें खा जाती है। इसके अतिरिक्त कुछ मछलियां होती है जो आर्थिक दृष्टि से उतना महत्वपूर्ण नहीं होती है। इनकी क्षमता अत्याधिक फालतू मछलियों के उपस्थित होने से अत्याधिक कुछ विशेष लाभ नही होती है। बल्कि समस्या पैदा होती है इस तरह से यह मछली पालन में बाधा उत्पन्न करती है।
वनस्पति विष
उपरोक्त कार्य हेतु मत्स्य विष महुआ का खली है इससे 2000 से 2500 प्रति हेक्टेयर या डेरीस का चूरा 60 से 100 किलोग्राम की दर से प्रयोग करने पर लगभग सभी तरह की मछलियां समाप्त हो जाती है।
अन्य विष
एल्ड्रिन 0.2 पीपीएम, डाई एल्ड्रिन 0.001पीपीएम, एंनड्रीन 0.001 पीपीएम ब्लीचिंग पाउडर 300 से 350 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग कर सकते है। ये विष ज्यादा विषैले होते है इसका असर ज्यादा दिन तक रह सकता है।
कोई भी विष गर्मी के दिनों में खासकर जबकि तालाब में पानी की मात्रा सबसे कम, तापमान अधिक हो ऐसी अवस्था में प्रयोग करने से ज्यादा प्रभावी व किफायती रहता है कोई भी विष मछली के बीज संचयन से 15 से 30 दिन पूर्व डालना चाहिए तथा मत्स्य बीज डालने से पूर्व तालाब में उसके जैसे देने पर आकलन अवश्य करना चाहिए।
जलीय खरपतवार का नियंत्रण
पालने वाली मछलियों की अच्छी बढ़त एवं उनको पकड़ने में आसानी हेतु तालाब से जल्दी खर पतवार का नियंत्रण अति आवश्यक है इसे मानव या मशीन के द्वारा निकालना होगा।
रसायनिक विधि के द्वारा खर पतवार को सफाई के लिए विभिन्न प्रकार के रसायनों का प्रयोग किए जाते हैं।
उदाहरण के लिए...
* सतह पर बैठने वाले पत्तेदार वनस्पतियों हेतु 2-4 D, 5 से 10 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर का छिड़काव प्रभावी रहता है।
* जलमग्न वनस्पतियों हेतु अमोनिया घोल 10 से 15 पीपीएम की दर से पानी के अंदर डाला जाता है
* शैवाल आदि हेतु डाययुरान अथवा सिमाजिन आदि 0.1 से 0.3 पीपीएम की दर से प्रभावी रहता है।
जैविक नियंत्रण
मुलायम जलमग्न वनस्पति जैसे हाइड्रिला नाजायज आदि के नियंत्रण हेतु ग्रास कार्प 150 से 200 ग्राम पर हेक्टेयर की दर से संचय किया जा सकता है। इस दर पर एक दो माह में ही इन वनस्पतियों का संपूर्ण उन्मूलन हो जाता है यह विधि सबसे सुरक्षित एवं लाभकारी है।
चुने और खाद का प्रयोग
* तालाब के पानी की पीएच के अनुसार तालाब में खाद डालने से पूर्व 250 से 500 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बुझा हुआ चुना घोल बनाकर तालाब में चारो ओर डालें।
* कार्बनिक खाद में गोबर 10 से 15 टन प्रति हेक्टेयर या मुर्गी की बीट 6 टन प्रति हेक्टेयर का एक तिहाई हिस्सा मछली के बीज डालने से 1 सप्ताह पहले घोल बनाकर पूरे तालाब में छिड़काव करवा दें । शेष बचा खाद, पालन अवधि के अनुसार मासिक अथवा पखवाड़े की सम किस्तों में डाले। यदि महुआ के खली का प्रयोग किया गया हो तो प्रारंभिक की आधी ही डालें।
अकार्बनिक खाद में यूरिया 100 से 150 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष या सिंगल सुपर फास्फेट 150 से 200 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष एक के बाद एक किश्तों में डालें।
मछली के बीज के मात्रा एवं संचयन
एक हेक्टेयर जल क्षेत्र वाले तालाब में 6000 से 10,000 फिंगरलिंग (मछली का दाना या बीज) जो 50 एमएम से बड़ी हो , उसे डालना चाहिए। यदि भारतीय दुकान पर कतला, रोहू, मृगल के बीज उपलब्ध हो, तो उन्हें 4:3:3 अथवा 3:4:3 के अनुपात में डालें। कतला, रोहू , मृगल, कॉमन कॉर्प, सिल्वर कॉर्प, ग्रास कार्प हो तो 2:2:1:2:1 अथवा 2:2:1:1:1:1.5 का अनुपात रखें। बीज की मात्रा व अनुपात का सही निर्धारण मछलियों की वृद्धि के अनुसार पुनः किया जा सकता है।
अधिकांशत: मत्स्य बीज प्लास्टिक बैग में ऑक्सीजन पैकिंग द्वारा ही लाया जाता है। इस तरह लाए गए बीज को सीधे तालाब में नहीं डालें। बीज के पैक को खोल कर थोड़ा तालाब का पानी इसमें डालें। 5-10 मिनट बाद बैग के मुंह को आधा तालाब में डुबोकर रखें। धीरे-धीरे स्वयं पानी में जाने दे । यदि खुले बर्तन में लाया गया हो तो भी उपरोक्त विधि से ही बीज को तालाब में डालें। बीज डालने से पहले तालाब के पानी एवं बीज वाले पानी का तापमान बराबर होने दें । यदि संभव हो तो सुबह 8:00 से 10:00 बजे या शाम को ही फिंगरलिंग (बीज) पानी में डालें।
मछली को दी जाने वाली भोजन
मछली के शारीरिक भार का 2:3 अनुपात में भोजन प्रतिदिन दे । भोजन देने के लिए 20 से 25 मछलियों का औसत भार निकालकर पूरी मछलियों की संख्या से गुणा करें । ग्रास कार्प के लिए हाइड्रिला या अन्य जलीय घास को खाने के लिए दे। ग्रास कार्प मछलियों के भार का दोगुना देना चाहिए । घास को किसी खंभे आदि से बांधकर तालाब में रखें । अन्य मछलियों के लिए धान का पोलिस, मूंगफली की खली खाने को दें । इन्हें वजन से बराबर मात्रा में मिलाकर पानी के साथ गूंथ लें। इसके गूथें बनाकर पानी में जगह-जगह फेंक दें अथवा छिद्र युक्त बोरी में बांधकर या अन्य किसी चीज के सहारे पानी में लटका दें।
मछलियों की अधिक वृद्धि के लिए 30 से 35 प्रोटीन युक्त आहार की आवश्यकता होती है जिसकी पूर्ति धान के कुंडे व खली में छोटे झींगे, सुखी मछलियां, रेशम के कीड़े के सूखे खोल का चूर्ण आदि को मिलाकर देने से हो सकती है।
ऐसे कई तरह के कृत्रिम आहार भी बाजार में उपलब्ध है।
तालाब के निरंतरता बनाए रखने हेतु नियमित अंतराल से अकार्बनिक एवं कार्बनिक खादों का प्रयोग यशमीन इवनिंग कहलाता है जिसे मासिक अथवा पाक्षिक अंतराल से की जा सकती है परंतु निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए खाद की दैनिक मात्रा निम्न प्रकार से देना उपयोगी रहेगा।
गोबर 50 किलो ग्राम
यूरिया 01 किलो ग्राम
सिंगल सु फास्फेट 200 ग्राम
मछली निकलना
तालाब में मछली का बीज डालने के 25 दिन के बाद फसल तैयार हो जाती है। मछलियों की परिधि 0.005 से लेकर 1 केजी 2 से 3 माह में हो जाना चाहिए। उसी समय मछली को निकालना उपयुक्त होगा जल्दी ना हो सके तो 1 वर्ष बाद ही निकाले । आवश्यकतानुसार मछलियों को एक साथ अथवा थोड़ी-थोड़ी निकालना चाहिए।
मछली पालन कौन से महीने में किया जाता है?
मछली पालन कौन से महीने में किया जाता है? मछली का बीज तालाब में मार्च महीने में डालना ज्यादा उचित होता है. मछली कितने दिन में तैयार होती हैं? तालाब में मछली बीज डालने के 25 दिन बाद फसल तैयार हो जाती है ।
मछली पालन में कितना खर्च आता है?
मछली पालन के लिए एक हेक्टेयर तालाब के निर्माण में करीब 5 लाख रुपए की लागत आती है। इसमें कुल राशि का 50 प्रतिशत केंद्र सरकार, 25 प्रतिशत राज्य सरकार अनुदान देती है। शेष 25 प्रतिशत मछली पालक को देना होता है।
मछलियों की विशेषता क्या है?
मछली लंबी एवं कुछ शुंडाकार होती है। इसके शरीर के सिर, घड़ एवं पूँछ तीन भाग होते हैं। प्राय: गिलछद (gill cover) का पश्च किनारा धड़ एवं पूँछ की सीमा माना जाता है। आधुनिक मछलियों में जहाँ रीढ़ समाप्त होती है, वहीं से पूँछ आरंभ होती है।
Mukhumantri Machli Palan Scheme 2022-23 योजना के तहत मिलने वाले लाभ
इस Mukhya mantri Machli Palan Scheme 2022-23 योजना के तहत बिहार सरकार के तरफ से मछली पालन के लिए अनुदान दिया जायेगा
इस योजना के तहत मछली पालन करने वाले किसान को अधिकतम 75% का लाभ दिया जायेगा
जाति वर्ग के आधार इस योजना का लाभ प्रदान किया जायेगा |
इस योजना के तहत अन्य वर्ग के लाभुको को 50 % तथा अति पिछड़ी जाति , अनुसूचित जाति एवं जन जातियो के लाभुको को 70 % अनुदान प्रदान किया जायेगा।
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