बिहार राज्य के कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन के मांग हेतु मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा।
एनएमओपीएस बिहार द्वारा बिहार में नई पेंशन प्रणाली लागू होने के दिन दिनांक 1 सितंबर 2005 को काले दिवस के रूप में मनाने हेतु दिनांक 1 सितंबर 2022 को काला बिल्ला लगाकर काम करने का निर्णय लिया गया है। प्रदेश अध्यक्ष श्री वरुण पांडे एवं प्रदेश महासचिव श्री शशि भूषण द्वारा इस संबंध में माननीय मुख्यमंत्री, माननीय उपमुख्यमंत्री, वित्त मंत्री, तथा मुख्य सचिव को ज्ञापन दिया गया है। यह समाचार www.operafast.com पर पढ़ रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि बिहार में नई पेंशन योजना से आच्छादित लगभग ढाई लाख अधिकारी एवं कर्मचारी कार्यरत हैं और यह सभी अधिकारी एवं कर्मचारी दिनांक 1 सितंबर 2022 को नई पेंशन प्रणाली के विरोध में काला दिवस के रूप में मनाते हुए काली पट्टी लगाकर अपने कार्यों का निष्पादन करेंगे।
प्रदेश अध्यक्ष द्वारा बताया गया कि इस कार्य में राज्य के लगभग सभी सेवा संवर्ग के लोग शामिल होंगे और 13 अगस्त को बैठक में लगभग सभी सेवा संवर्ग के पदाधिकारियों द्वारा सर्वसम्मति से 1 सितंबर को काले दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है। एनएमओपीएस बिहार की टीम पुरानी पेंशन लागू करने हेतु चरणबद्ध आंदोलन के मूड में है, राजस्थान छत्तीसगढ़ एवं पड़ोसी राज्य झारखंड में पुरानी पेंशन योजना लागू होने के उपरांत प्रदेश में भी पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग जोर पकड़ने लगी है।
आज नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के बैनर तले बिहार राज्य कर्मियों को भी दूसरे राज्यों की भांति पुराने पेंशन योजना से आच्छादित करने हेतु इस बिहार राज्य के राज्य कर्मियों ने मुख्यमंत्री सचिवालय में मुख्यमंत्री से मिलकर नई अंशदाई पेंशन योजना के बारे में अवगत कराया।
उन्होंने मुख्यमंत्री से बातचीत ने बताया कि भारत सरकार द्वारा 01 जनवरी 2004 या उसके बाद नियुक्त कर्मियों के लिए प्रसिद्ध पुरानी पेंशन योजना के स्थान पर नई अंशदाई योजना लागू करने से राज्य कर्मियों को विभिन्न प्रकार की कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है और सेवानिवृत्त होने वाले या उससे पूर्व मृत्यु होने वाले राज कर्मियों को मिलने वाली पेंशन की राशि बहुत ही कम होती है जो व्यवस्था में आवश्यक जीवन निर्वाह
के लिए प्राप्त नहीं है जिससे राज्य कर्मी वृद्धावस्था में सामाजिक प्रतिष्ठा एवं सुरक्षा को लेकर आशंकित हैं।
आगे मुख्यमंत्री से बात करते हुए अवगत करवाया कि नई पेंशन प्रणाली में कर्मियों और सरकार दोनों का अंश शेयर बाजार में निवेश किया जाता है और उस पर आधारित आय पर ही पेंशन मिलता है, जिससे नुकसान की संभावना हमेशा बनी रहती है । बिहार सरकार द्वारा प्रतिमाह कर्मियों के पेंशन के नाम पर सरकार 14% राशि अपने हिस्से का और 10% राशि कर्मियों के वेतन से काट कर कुल वेतन का 24% एजेंसी के पास जमा किया जाता है जिसका फायदा कर्मियों को मिलने की कोई भी गारंटी नहीं है।
इस प्रकार सरकार को भी लगभग ₹6000 करोड़ राजस्व का नुकसान हो रहा है इसके बाबजूद कर्मियों में भी असंतोष व्याप्त है । अगर यही पैसा भविष्य निधि में जमा रहता तो इस राशि का उपयोग राज सरकार राज्य के विकास के कई कार्यों में कर सकती थी स्पष्ट है कि एनपीएस से राज्य सरकार और कर्मचारी दोनों को नुकसान ही हो रहा है।
विदित हो कि भारत सरकार के उक्त आदेश राज्यों के लिए बाध्यकारी नहीं है इसी आलोक में राजस्थान और छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा अपने कर्मियों के लिए नई पेंशन योजना को समाप्त करते हुए पुरानी पेंशन योजना लागू कर दिया गया है।
साथ में झारखंड सरकार द्वारा भी अपने कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू करने के लिए मंत्रिपरिषद की स्वीकृति के पश्चात उच्च स्तरीय समिति गठित दी है जबकि पश्चिम बंगाल में अभी ही पुरानी पेंशन योजना ही लागू है स्पष्ट होता है कि पुरानी पेंशन योजनाओं के लिए राज्य सरकार स्वतंत्र है। नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के सदस्यों ने मुख्यमंत्री को झारखंड राजस्थान और छत्तीसगढ़ के की कॉपी संलग्न की गई कॉपी भी दिखाई।
आगे ज्ञापन को सौंपते हुए कहा कि एक संवेदनशील मुख्यमंत्री होने के नाते बिहार का सरकारी सेवक आपसे भी उम्मीद करता है कि आप उनकी पीड़ा को समझते हुए राज्य कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन योजना बहाली के संबंध में न्याय उचित निर्णय देंगे वर्ष 2005 में पदभार ग्रहण करने के पश्चात से लेकर आज तक महोदय द्वारा अनेक महत्वपूर्ण एवं कल्याणकारी निर्णय लिए गये जिसे धरातल पर मूर्त रूप देने का कार्य इन्हीं सरकारी सेवकों द्वारा किया गया। कोरोना काल में भी अपनी सुरक्षा की परवाह न करते हुए राज्य के नागरिकों के जान-माल आवागमन चिकित्सा जैसी अनेकों कार्यो का निष्पादन किया।
नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम बिहार के राज्य कर्मियों के मांग के अनुरूप बिहार में नई पेंशन अंशदायी योजना को निरस्त किया जाए और पुरानी पेंशन योजना को पुनर्स्थापित किया जाए । बिहार राज्य के अधिकारी सेवक संघ की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार बिहार के सभी NPS कर्मी 1 सितंबर 2022 को विरोध स्वरूप काला बिल्ला लगाकर कार्य निष्पादन करेंगे।
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