मैं समय से स्कूल नहीं आऊंगी, जो करना है कर लीजिए, जिसके पास जाना है जाइए
आजकल सरकारी स्कूल में केवल नौकरी की प्राथमिकता रह गई है। समय से आना जाना और पढ़ाना ऐसी बातें महज औपचारिकता मात्र रह गई है। ये समाचार आप www.operafast.com पर पढ़ रहे हैं।
बिहार वैशाली जिले के एक स्कूल में कार्यरत एक शिक्षिका सरकार को आईना दिखा रही है । ऐसे शिक्षिका को बिना देरी किए तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए। ऐसे लोग पर सख्ती से कार्रवाई होनी चाहिए ।
तो सुनिए ये शिक्षिका महोदय का कहना है कि
" मैं समय से स्कूल नहीं आऊंगी, जो करना है कर लीजिए, जिसके पास जाना है जाइए, मुझे आने में लेट होगा ही, मैं आऊंगी देर से मगर जाऊंगी अपने समय से ही" । यह कहना है वैशाली के महनार प्रखंड के मध्य विद्यालय गोरीगामा की शिक्षिका रेणु कुमारी का। रेणु कुमारी का यह वीडियो एक ग्रामीण ने बनाया है और अब यह वीडियो वायरल हो रहा है। वायरल वीडियो में ग्रामीण शिक्षिका से समय से आने की अपील कर रहे हैं और शिक्षिका साफ तौर से समय से आने से इंकार कर रही है।
अगर मैडम की बात करें तो मैडम ठीक कह रही है क्योंकि जो अधिकारी है सब कमीशन से लिप्त हैं,सही से जांच नहीं होता है, सब फाइल और रजिस्टर पर सिर्फ दिखावा किया जाता हैं।
इसी गांव के कुछ लोग अपने बच्चों के नामांकन के लिए स्कूल में पहुंचे थे। उस दौरान प्रधानाध्यापक कार्यालय में शिक्षकों के देर से आने की शिकायत मिलने पर बातचीत चल रही थी। इस विषय पर जैसे ही ग्रामीणों ने शिक्षिका रेणु कुमारी को टोका वैसे ही शिक्षिका भड़क गई और कहने लगी मैं देर से आऊंगी और अपने समय से जाऊंगी। जिसको जो करना है कर ले। स्कूल 6:30 बजे से चलता है मैं 7:00 बजे-7:30 बजे आऊंगी। मुझे दूर से आना होता है मुझे आने में तो लेट होगा ही।
ग्रामीणों ने एक लिखित शिकायत दी है। इस लिखित शिकायत में लिखा है कि शिक्षिका हाजीपुर से आया जाया करती हैं और कभी समय से नहीं आती है। 7:30 बजे सुबह के बाद ही आती है। समय से विद्यालय आने के सवाल पर वह बहुत गुस्से में आ गई उन्होंने कहा कि मैं समय से नहीं आऊंगी जो करना है कर लीजिए और गाली गलौज शुरू कर दी। इस आवेदन के साथ उचित कार्रवाई करने का अनुरोध भी किया गया है। स्थानीय ग्रामीण ने कहा कि अपनी बेटी का नामांकन कराने आए थे और अपनी रिश्तेदार का भी एडमिशन कराना था। रेणु मैडम 8:00 बजे आती है और जब हम लोग बोले कि आप लोग 8:00 AM बजे क्यों आते हैं जब कि 6:30 AM में आना है। बोला गया कि स्कूल है तो टाइम से आइए तो वह बोली कि हम 7:00 AM बजे से 8:00 बजे आएंगे. आपको जो करना है कीजिए, जहां जाना है जाइए। एक और व्यक्ति ने भी उन्हें टाइम से आने के लिए कहा लेकिन वह भी गुस्साने लगी और कहने लगी जो कर सकते है कर लीजिए हम टाइम से नही आएंगे।
अगर देखा जाए तो ऐसा बोलना उचित नही है।
लेकिन ये भी देखना होगा कि ऐसी बात क्यों बोलने के लिए मजबूर हुई। ये बात नही कि शिक्षकगण ये नही जानती कि ये असंगत और असंवैधानिक बात है।
शिक्षकगण का प्रतिष्ठा सरकार, अधिकारी व जनप्रतिनिधि के रवैए से समाप्त हो चुकी है।
सब शिक्षकगण को दुधारू गाय समझ चुके है।अत्यधिक दुःखद और असम्मानजनक जीवन जीने के लिए मजबूर है। ये लोग मानसिक, आर्थिक और शारीरिक से प्रताड़ित हो रहे है। अल्प साधन मे राज्य के बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं।
सरकार नीति एसी रूम मे बैठकर बनाती है तो ये सब बाते सामान्य ही रहेगी। मीडीया कर्मी जाकर जब मन हो तब माईक और कैमरा सामने लगा देते है जैसे कि कोई फिल्म कलाकार या नेता हों। कैमरा के सामने अच्छे अच्छे को बोलती बंद हो जाती है।
इन सब बातो का ध्यान हम सब को रखना चाहिए।
एक कहावत प्रचलित है.....
'वैसे नही कोई बेवफा होता!'
दरअसल बिहार में शिक्षक किसी न किसी राजनीतिक दल से जुड़े होते है और इस कारण जब भी कोई कार्यवाही की बात आती है ऐसे शिक्षकों पर तो उनको संरक्षण देने वाले राजनेता अधिकारियों पर दबाव बना कर दंडात्मक कार्यवाही नही होने देते । इस कारण यह शिक्षिकाएं दबंग बन जाती है और बेचारे बाल छात्र अच्छी शिक्षा से वंचित रह जाते है ।
चूंकि किसी बहुत मजबूत पैरवी की बदौलत इनकी बहाली होती है इसीलिए ये लोग ढीठ और दबंग बन जाते हैं, इन लोगों को जनवरी , फरवरी लिखने नहीं आता । सामान्य ज्ञान का कोई मतलब नहीं , पहाड़ा भी नहीं जानते ।
एक शिक्षिका का रिश्तेदार ने बताया कि स्कूल का समय 6:30 बजे है दूर से आने वाली महिला शिक्षकों को काफी परेशानी होती है उतना सबेरे सवारी नहीं मिलती है तो स्वाभाविक है देर तो होगी। बिहार सरकार अपनी नीतियों में सुधार नहीं कर रही है। 2006 से 2022 लगभग 16 वर्षों के अंदर कितने ही महिला शिक्षकों की शादी हुई है जो नौकरी के कारण अपने ससुराल में में नहीं रहकर अपने मायके में रह रही है जो ससुराल में है उसे आने जाने में परेशानी हो रही है। सरकार का ध्यान इस तरफ नहीं है।
बता दें कि आए दिन स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता और शिक्षकों की उपस्थिति पर सवाल उठते रहे हैं। मगर गोरीगामा मध्य विद्यालय से आई इस तस्वीर ने सब कुछ साफ कर दिया है। ग्रामीणों का आरोप है कि जब प्रधानाध्यापक कार्यालय में सभी शिक्षकों के सामने ही महिला शिक्षिका ने जिस प्रकार के तेवर अपने अधिकारों का दुरुपयोग करने का दिखाया।
इसकी शिकायत मौजूद प्रधानाध्यापक को पहले करनी चाहिए थी। मगर इस दौरान न तो उन्होंने एक शब्द ही बोला और ना ही इसकी शिकायत विभाग को की। मजबूरन ग्रामीणों को शिकायत करना पड़ा। हालांकि ग्रामीणों का आरोप कितना सही है यह तो जांच का विषय है। लेकिन जिस तरह की तस्वीरें जिस तरह का वीडियो वायरल हो रहा है। उससे तो यही लगता है की बिहार की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए हर स्तर पर सरकार को काम करने की जरूरत है।
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