दीपावली पर कैसे करें मंत्र पूजा के साथ धन की प्राप्ति
दिवाली पूजा से पहले करें ये चीजें
दिवाली के दिन की पूजा से पहले घर की साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें। वातावरण की शुद्धता के लिए पूजा से पहले पूरे घर में और विशेष तौर पर पूजा वाली जगह पर गंगाजल अवश्य छिडकें। इसके बाद रंगोली बनाएं।
प्रदोष काल में महालक्ष्मी पूजन का महत्व
कार्तिक अमावस्या तिथि पर महालक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है। दिवाली पर अमावस्या के दिन प्रदोष काल होने पर लक्ष्मी पूजन का विधान होता है। प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त को कहा जाता है। यह समय लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे उत्तम और श्रेष्ठ माना गया है। इसके अलावा प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न में पूजन करना सर्वोत्तम माना गया है। इस दौरान जब वृषभ, सिंह, वृश्चिक और कुंभ राशि लग्न में उदित हों तब माता लक्ष्मी का पूजन किया जाना चाहिए।
लक्ष्मी को धन/संपत्ति की देवी माना जाता है। वहीं भगवान गणेश बुद्धि और कार्य को सफल करने वाले देवता माने जाते हैं। लक्ष्मी पूजा में मीठे का भोग जैसे खीर, मिठाई, हलवा व मोदक का भोग लगाया जाता है। दीपावली के मौके पर बहुत से लोग व्रत भी रखते हैं और देवी-देवताओं के साथ अपने पूर्वजों के नाम का दिया भी जलाते हैँ !
यह त्योहार कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस दिन लक्ष्मीजी की पूजा का विशेष महत्व होता है। लक्ष्मी पूजन से घर पर धन और सुख-समृद्धि आती है।
लक्ष्मी जी पूजन कितने बजे का है?
दिवाली पर लक्ष्मी पूजन मुहूर्त शाम 06 बजकर 09 मिनट से रात 08 बजकर 20 मिनट तक है। पूजन अवधि 01 घंटे 55 मिनट की है। आपको बता दें, इस साल 2021 में दिवाली का पर्व बहुत ही शुभ योग में मनाया जाएगा।
लक्ष्मी और गणेश की पूजा एक साथ क्यों होती है?
दिवाली पर घरों में इन मूर्तियों को स्थापित कर पूजन करने से धन और सद्बुद्धि दोनों प्राप्त होती है. शास्त्रों के अनुसार लक्ष्मी जी को धन का प्रतीक माना गया है, जिसकी वजह से लक्ष्मी जी को इसका अभिमान हो जाता है !यही कारण है कि दिवाली के दिन माता लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश की पूजा की जाती है !
लक्ष्मी जी को कौन सा फल पसंद है?
मखाना- मखाना देवी लक्ष्मी को बहुत पसंद होता है क्योंकि यह कमल के फूल के बीज से बनता है इसलिए इसे फूल मखाना भी कहा जाता है. मां लक्ष्मी के भोग में यह अनिवार्य रुप से चढ़ता है. मखाने की खीर बनाकर तथा उसे घी में हल्का सेंककर भी भोग दिवाली की पूजा के समय लगाया जाता है !
कौन हैं लक्ष्मी
देवी लक्ष्मी को धन और सम्रद्धि की देवी कहा जाता है। सनातन धर्म के विष्णु पुराण में बताया गया है कि लक्ष्मी जी भृगु और ख्वाती की पुत्री हैं और स्वर्ग में यह वास करती थी। समुद्रमंथन के समय लक्ष्मी जी की महिमा का व्याख्यान वेदों में बताया गया है। लक्ष्मी जी ने विष्णु जी को अपने पति के रुप में वरण किया जिससे इनकी शक्तियां और प्रबल हुई मानी जाती हैं।
लक्ष्मी का अभिषेक दो हाथी करते हैं। वह कमल के आसन पर विराजमान है। लक्ष्मी जी के पूजन में कमल का विशेष महत्त्व बताया गया है। क्योकि यह फूल कोमलता का प्रतीक है इसलिए माँ लक्ष्मी जी की पूजा में इसका स्थान आता है। लक्ष्मी जी के चार हाथ बताये गये हैं। वे एक लक्ष्य और चार प्रकृतियों (दूरदर्शिता, दृढ़ संकल्प, श्रमशीलता एवं व्यवस्था शक्ति) के प्रतीक हैं और माँ लक्ष्मी जी सभी हाथों से अपने भक्तों पर आशीर्वाद की वर्षा करती हैं। इनका वाहन उल्लू को बताया गया है जो निर्भीकता का सूचक है।
माँ लक्ष्मी जी की मुख्य पूजा तो वैसे दिवाली पर की जाती है किन्तु लक्ष्मी पूजा निरंतर करना, और भी ज्यादा फलदायक माना जाता है।
लक्ष्मी पूजन में क्या क्या सामान चाहिए?
मां लक्ष्मी की पूजा (Laxmi Puja) में कलावा, पूजा में आपको, कुमुकम, अक्षत (चावल), नारियल, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, अगरबत्तियां, मिट्टी, दीपक, रूई, शहद, दही, गंगाजल, गुड़, धनिया, फल, फूल, जौ, गेहूं, दूर्वा, चंदन, सिंदूर, पंचामृत, दूध, मेवे, खील, बताशे, जनेऊ, श्वेस वस्त्र, इत्र, चौकी, कलश, कमल गट्टे की माला, शंख, आसन, थाली, रोली, लाल वस्त्र , पांच सुपारी, लौंग, पान के पत्ते, घी, कलश, कलश के लिए आम का पल्लव, चौकी, समिधा, हवन कुण्ड, हवन सामग्री, कमल गट्टे, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल), फल, बताशे, मिठाईयां, पूजा में बैठने हेतु आसन, हल्दी, अगरबत्ती, कुमकुम, इत्र etc
लक्ष्मी पूजन के दूसरे दिन क्या करना चाहिए?
दीपावली पर लक्ष्मी पूजन के बाद घर के सभी कमरों में शंख और घंटी बजाना चाहिए। ...
दीपावली पर तेल का दीपक जलाएं और दीपक में एक लौंग डालकर हनुमानजी की आरती करें। ...
किसी शिव मंदिर जाएं और वहां शिवलिंग पर अक्षत यानी चावल चढ़ाएं। ...
दीपावली पर महालक्ष्मी के पूजन में पीली कौड़ियां भी रखनी चाहिए।
Which direction should Lakshmi face at home?
वास्तु के अनुसार पूजा का घर उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए। पूजा घर में आप माता लक्ष्मी को उत्तर दिशा में इस प्रकार स्थापित कर सकते हैं कि जब भी आप उनकी पूजा करें तो आपका मुख उत्तर की ओर हो।
लक्ष्मी माता की पूजा कैसे करे?
पूजन शुरू करने से पहले चौकी को धोकर उस पर रंगोली बनाएं और चौकी के चारों तरफ चार दीपक जलाएं। जिस जगह पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा को स्थापित करने जा रहे हैं, वहां पर थोड़ा सा चावल जरूर रखें। मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए उनके बायीं ओर भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्थापित करें।
सभी तरह के पूजन सामग्री को एकत्रित कर चौकी के पास जल से भर कलश रख दें। दीपक मेंइनमें तेल-बत्ती डालकर जलाएं। फिर जल, मौली, चावल, फल, गुढ़, अबीर, गुलाल, धूप आदि से विधिवत पूजन करें। पूजा पहले पुरुष तथा बाद में स्त्रियां करें। पूजा के बाद एक-एक दीपक घर के कोनों में जलाकर रखें। इसके बाद शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए पूजा आरंभ कर दें।
महालक्ष्मी पूजन की सरल विधि
समस्त सामग्री एकत्र करने के बाद और सारी तैयारी पूरी होने के बाद कैसे करें महालक्ष्मी की पूजा, जानें यहां
सबसे पहले पवित्रीकरण करें।
आप हाथ में पूजा के जलपात्र से थोड़ा सा जल ले लें और अब उसे मूर्तियों के ऊपर छिड़कें। साथ में मंत्र पढ़ें।
इस मंत्र और पानी को छिड़ककर आप अपने आपको पूजा की सामग्री को और अपने आसन को भी पवित्र कर लें।
ॐ पवित्रः अपवित्रो वा सर्वावस्थांगतोऽपिवा।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स वाह्यभ्यन्तर शुचिः॥
पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग षिः सुतलं छन्दः
कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥
अब पृथ्वी पर जिस जगह आपने आसन बिछाया है, उस जगह को पवित्र कर लें और मां पृथ्वी को प्रणाम करके मंत्र बोलें-
ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता।
त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥
पृथिव्यै नमः आधारशक्तये नमः
अब आचमन करें
पुष्प, चम्मच या अंजुलि से एक बूंद पानी अपने मुंह में छोड़िए और बोलिए-
ॐ केशवाय नमः
और फिर एक बूंद पानी अपने मुंह में छोड़िए और बोलिए-
ॐ नारायणाय नमः
फिर एक तीसरी बूंद पानी की मुंह में छोड़िए और बोलिए-
ॐ वासुदेवाय नमः
फिर ॐ हृषिकेशाय नमः कहते हुए हाथों को खोलें और अंगूठे के मूल से होंठों को पोंछकर हाथों को धो लें। पुनः तिलक लगाने के बाद प्राणायाम व अंग न्यास आदि करें। आचमन करने से विद्या तत्व, आत्म तत्व और बुद्धि तत्व का शोधन हो जाता है तथा तिलक व अंग न्यास से मनुष्य पूजा के लिए पवित्र हो जाता है।
आचमन आदि के बाद आंखें बंद करके मन को स्थिर कीजिए और तीन बार गहरी सांस लीजिए। यानी प्राणायाम कीजिए क्योंकि भगवान के साकार रूप का ध्यान करने के लिए यह आवश्यक है। फिर पूजा के प्रारंभ में स्वस्तिवाचन किया जाता है। उसके लिए हाथ में पुष्प, अक्षत और थोड़ा जल लेकर स्वतिनः इंद्र वेद मंत्रों का उच्चारण करते हुए परम पिता परमात्मा को प्रणाम किया जाता है। फिर पूजा का संकल्प किया जाता है। संकल्प हर एक पूजा में प्रमुख होता है।
लक्ष्मी पूजन करते समय जिस उद्देश्य से पूजन कर रहे हैं उस वक्त अपने मन में मनोकामना को रखते हुए आंखें बंद कर हाथ में अरवा चावल रोली फूल सुपारी पैसे और जल लेकर संकल्प करना चाहिए इससे माता लक्ष्मी प्रसन्न होते हैं, इच्छित वरदान देते हैं !
धन प्राप्ति के लिए कौन सा मंत्र जाप?
1. मंत्र- 'ॐ हनुमते नम:' का जाप नित्य रोज करने से, आर्थिक और वित्तीय क्षेत्र में लाभ प्राप्त होता है।
2. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।।
3. ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:।
माता लक्ष्मी के इस मंत्र का जाप करने से आर्थिक समस्याएं दूर हो जाती हैं।
इस मैसेज के साथ ही आप सभी को लक्ष्मी पूजा एवं दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं !
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