Sunday, 9 March 2025

न्यायालय कर्मचारी संघ के पुनः अध्यक्ष चुने गए राजेश्वर तिवारी

न्यायालय कर्मचारी संघ के पुनः अध्यक्ष चुने गए राजेश्वर तिवारी

पटना 9 मार्च।  बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ के चुनाव में अध्यक्ष के रूप में पुनः राजेश्वर तिवारी एवं महासचिव के रूप में सत्यार्थ सिंह आज पटना में चुन लिए गये है।



कर्मचारियों के संघ के अध्यक्ष पद दुबारा चुने जाने के बाद श्री राजेश्वर तिवारी ने कहा कि राज्य की अधीनस्थ अदालतों के हजारों कर्मचारियों को कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश सहित वरिष्ठ न्यायाधीशों के प्रोन्नति एवं अन्य मांगों पर अविलंब विचार करने के आश्वासन के एक माह बाद भी कोई प्रोन्नति आदि का लाभ नहीं मिल पाया है।



बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष राजेश्वर तिवारी ने आज यहां बताया कि जनवरी में कर्मचारियों ने अपनी अनिश्चितकालीन हड़ताल पटना उच्च न्यायालय के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार के आश्वासन के बाद वापस ले लिया था लेकिन दुर्भाग्य है कि कर्मचारियों को आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिल सका है।

कर्मचारी संघ के अध्यक्ष ने कहा कि 6 मार्च को कर्मचारियों की समस्या और मांगों को लेकर पटना उच्च न्यायालय के महानिबंधक के साथ वार्ता हुई हैं जिसमें सकारात्मक परिणाम का आश्वासन संघ को मिला है।

श्री तिवारी ने बताया कि अभी तक पटना उच्च न्यायालय एवं राज्य सरकार ने न्यायिक कर्मचारियों के बेहतर वेतनमान औऱ पदोन्नति के लिए पहल नहीं किया है। पूरे राज्य में अनुकम्पा नियुक्ति की प्रक्रिया या तो रोक लगा दिया गया है या कई मामलों को अस्वीकृत कर दिया गया है।

अतः न्यायिक कर्मचारियों ने स्नातक स्तर का वेतन , वेतन विसंगति एवं पदोन्नति के लिये स्पष्ट निर्देश के लिए मुख्य न्यायाधीश एवं महानिबंधक पटना उच्च न्यायालय से बार बार मांग पत्र सौंपा गया है। बिहार सरकार के विधि सचिव एवं वित्त सचिव से भी न्यायलीय कर्मचारियों की समस्याओं और मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने का अनुरोध किया गया है।

संघ के अध्यक्ष ने कहा कि मांगों के विपरीत राज्य सरकार द्वारा विभिन्न न्यायमण्डलों से किसी मुद्दे पर मांगे गए मार्गदर्शन के आलोक में हर बार अलग अलग पत्र जारी कर न्यायिक कर्मचारियों के मुद्दे को और जटिल बना दिया गया है।

उन्होंने बताया कि न्यायिक कर्मचारियों के वेतन और पदोन्नति के लिए गठित केंद्रीयकृत समिति भी अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं ले सकी है और उसे भी मार्गदर्शन की ही प्रतीक्षा है। उन्होंने बताया कि पटना उच्च न्यायालय के पास अधीनस्थ अदालतों के कर्मचारियों की प्रोन्नति या अन्य किसी समस्याओं के लिए कोई खाका या ब्लूप्रिंट आज तक नहीं है, नतीज़तन सभी न्यायिक कर्मचारियों का प्रोन्नति आदि दशकों से ठप है।

श्री तिवारी ने कहा कि राज्य भर के न्यायिक कर्मचारियों को दशकों से उचित वेतनमान और पदोन्नति से वंचित रखा गया है और अदालतों को न्यायिक कर्मचारियों के लिए यातनागृह बना दिया गया है।

उन्होंने बताया कि विभिन्न न्यायमण्डलों में उच्चतर पदों पर कर्मचारियों को प्रभारी बनाकर कार्य संपादित कराया जा रहा है और उच्चतर पद के अनुरूप वेतन से वंचित कर दिया गया है।

इससे कर्मचारियों में गहरा आक्रोश एवं अवसाद हैं।

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