Tuesday, 31 December 2024

व्यथित न्यायकर्मी सामूहिक अवकाश पर जाने को विवश

व्यथित न्यायकर्मी सामूहिक अवकाश पर जाने को विवश

बिहार व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ पटना के अध्यक्ष श्री राजेश्वर तिवारी जी द्वारा आम जनता के नाम एक अपील जारी किया गया है। जिसमें उन्होंने सिविल कोर्ट में न्याय के लिए आनेवाले आम जनता को दिनांक 16/01/2025 से होने वाले असुविधा के लिए बिहार राज्य कोर्ट कर्मचारी संघ क्षमा प्रार्थी कहा है।


बिहार सरकार के विधि विभाग ने ज्ञापांक 8164 / दिनांक 20/12/2024 के माध्यम से , माननीय सर्वोच्च न्यायालय/माननीय उच्च न्यायालय,पटना द्वारा पारित कई अंतिम आदेशों को निरस्त करते हुए, एक ऐसा सकारण आदेश निर्गत किया है, जो सरकार की निरंकुशता का परिचायक है। बिहार सरकार के द्वारा इस तरह के कृत्य से संवैधानिक न्यायिक संस्था का गंभीर मजाक उड़ाया गया है।

फलस्वरूप अत्यंत व्यथित होकर हम न्यायिक कर्मी दिनांक 16/01/2025 से न्यायिक आदेशों की गरिमा बहाल होने तक सामूहिक अवकाश पर जाने को विवश हैं।

Sunday, 29 December 2024

किन किन ट्रेनों का बदला टाइम



दक्षिण पूर्व रेलवे में एक जनवरी से बड़ा बदलाव होने जा रहा है. इसके तहत करीब 20 ट्रेनों का समय बदलने वाला है. करीब 15 मिनट से लेकर आधे घंट तक का बदलाव किया गया है. वहीं ट्रेनों का नंबर भी बदला गया है। कुल 44 ट्रेनों का नंबर बदल दिया गया है. इसे एक जनवरी 2025 से लागू किया गया है. ट्रेनों का नंबर प्लेट बदला जा रहा है. कोल्हान के विभिन्न स्टेशन से होकर गुजरने वाली 44 ट्रेनों के नंबर एक जनवरी से बदल जाएंगे।


किन-किन ट्रेनों का बदला समय

टाटानगर एर्नाकुलम एक्सप्रेस सुबह 5.15 की जगह 5 बजे खुलेगी।

टाटानगर-विशाखापत्तनम सुबह 7.20 के बदले 7.25 बजे खुलेगी।

टाटानगर यशवंतपुर शाम 6.15 के बजाय शाम 5.45 बजे खुलेगी।

टाटानगर- बेंगलुरू एक्सप्रेस शाम 7.15 के बजाय शाम 5.45 बजे खुलेगी।

टाटा-बिलासपुर एक्सप्रेस शाम 7.45 बजे के बदले शाम 7 बजे खुलेगी।

टाटानगर-राउरकेला मेमू शाम 3.35 के बदले शाम 5.20 बजे खुलेगी।

टाटानगर-ब्रह्मपुर वंदे भारत दोपहर 2.50 बजे के बदले दोपहर 2.30 खुलेगी।

टाटानगर- बक्सर सुबह 8.15 के बदले सुबह 7.55 बजे खुलेगी।

टाटानगर- हटिया दोपहर 12.00 के बजाय सुबह 11.50 बजे खुलेगी।

टाटानगर- गोड्डा दोपहर 2.15 के बदले दोपहर 2.00 बजे खुलेगी।

टाटानगर- जम्मू शाम 5.05 के बदले शाम 4.55 बजे खुलेगी।

टाटानगर- अमृतसर जलियांवाला बाग एक्सप्रेस रात 8.55 के बदले रात 8.30 बजे खुलेगी।

टाटानगर- थावे छपरा रात 9.10 के बजाय रात 8.45 बजे खुलेगी।

टाटानगर-कटिहार रात 9.10 के बदले रात 8.45 बजे खुलेगी।

टाटा-पटना वंदे भारत ट्रे न सुबह 5.30 के बदले 5.25 बजे खुलेगी।

टाटानगर- बादामपहाड़ मेमू ट्रेन सुबह 4.00 के बदले शाम …4.15 बजे खुलेगी।

टाटानगर- बादामपहाड़ मेमू ट्रेन सुबह 9.50 के बदले 9.35 बजे खुलेगी।

टाटा- जयनगर शाम 6.50 बजे के बजाय शाम 6.40 बजे खुलेगी।

टाटा- पटना ट्रेन शाम 5.30 बजे के बजाय शाम 5.25 बजे खुलेगी।

टाटा- आरा ट्रेन सुबह 8.15 बजे के बजाय सुबह 7.55 बजे खुलेगी।





Saturday, 28 December 2024

सभी विभागों में मिली प्रोन्नति, तो न्याय विभाग में क्यों रुकी उन्नति, 16 जनवरी से हड़ताल का आवाह्न.....

सभी विभागों में मिली प्रोन्नति, तो न्याय विभाग में क्यों रुकी उन्नति, 16 जनवरी से हड़ताल का आवाह्न.....

बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ के आह्वान पर बिहार के सभी न्यायालय के कर्मचारीयों द्वारा कलमबंद हड़ताल किए जाने का निर्णय लिया गया है। यह हड़ताल 16 जनवरी 2025 से किया जाना सुनिश्चित किया गया है।



संघ के अध्यक्ष श्री राजेश्वर तिवारी जी के द्वारा बताया गया कि बिहार सरकार के विधि, वित्त एवं कार्मिक विभाग ने कई वर्षों से माननीय सर्वोच्च एवं उच्च न्यायालय के अंतिम आदेशों का लगातार उल्लंघन कर अवमानना का कार्य किया है ऐसे में हमारी एक मात्र मांग है कि :-

1. दोषी अधिकारी के विरूद्ध न्यायालय के अवमानना की करवाई कर दंडित किया जाय,

2. माननीय न्यायालय के विभिन्न आदेशों के अनुरूप 16.01.2025 तक सचिवालय सहायक के समतुल्य वेतन उत्क्रमण, विभिन्न प्रोन्नति लाभ तथा उनके आर्थिक लाभ का भुगतान सुनिश्चित किया जाय,

3. सेवा कल के दौरान मृत कर्मी को उनकी योग्यता के आधार पर अनुकंपा पर लंबित नियुक्ति 16.01.2025 तक सुनिश्चित किया जाय।

न्यायपालिका के दैनिक गुणवत्तापूर्ण कार्यशैली कार्यपालिका के कार्यशैली से श्रेष्ठ होने के कारण अतुलनीय है। हमारा कार्य दैनिक वाद संचालन, वादों को भिन्न चरणों में कोर्ट डेयरी में अंकित कर, दैनिक आदेश फलक तैयार करना, निष्पादित वाद में Decree/ Probate/ Succession आदि प्रमाण पत्र निर्गत करने में भूमिका न्याय को अंतिमता प्रदान करने का कार्य हमलोग की कार्यशैली श्रेष्ठ घोषित करती हैं । जिला न्यायपालिका का स्थान उत्कृष्ट होने के कारण बिहार में न्यायिक पदाधिकारीगण जो राज्य स्तर के पदाधिकारी हैं के वेतनमान एवं अन्य भत्ता केंद्रीय स्तर के सर्वोच्च पद IAS/ IPS से भी अधिक प्रदान किया गया है । अतः जिला न्यायालय के स्थापना की तुलना मुफशिल या कलेक्ट्रेट आदि से कदापि नहीं की जा सकती।

Thursday, 26 December 2024

वेतन और प्रोन्नति के लिए न्यायिक कर्मचारियों ने की हड़ताल की घोषणा

वेतन और प्रोन्नति के लिए न्यायिक कर्मचारियों ने की हड़ताल की घोषणा 

पटना,26 दिसम्बर। बिहार भर के अदालतों के कर्मचारी अपने बेहतर वेतनमान औऱ पदोन्नति के लिए 16 जनवरी से हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है।
कर्मचारियों की आपातकालीन बैठक आज बांकीपुर स्थित व्यवहार न्यायालय स्थित संघ कार्यालय में हुई जिसमें सभी जिलों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया एवं सर्वसम्मति से अपनी चार सूत्री मांगों के समर्थन में हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है।



बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष राजेश्वर तिवारी ने आज यहां कहा कि न्यायालय के कर्मचारी पटना उच्च न्यायालय की उदासीनता एवं राज्य सरकार की हठधर्मिता के कारण पूरे राज्य की अधीनस्थ अदालतों के कर्मचारी हड़ताल पर जाने को विवश हो गए है।

उन्होंने विधि सचिव की 20 दिसम्बर के सकारण आदेश की भर्त्सना की है,जिसमें न्यायिक कर्मियों की वेतन बढ़ोतरी की पटना उच्च न्यायालय की अनुशंसा अमान्य कर दी गई है । अभी तक पटना उच्च न्यायालय एवं राज्य सरकार ने न्यायिक कर्मचारियों के बेहतर वेतनमान औऱ पदोन्नति के लिए पहल नहीं किया है।

श्री तिवारी ने कहा कि पिछले 30 सालों से न्यायिक कर्मचारियों को प्रोन्नति एवं उनके योग्यता के अनुसार वेतन ही नहीं दिया गया है। उन्होंने ने बताया कि वर्ष 1985 के पूर्व सचिवालय, उच्च न्यायालय के सहायकों एवं न्यायालय के लिपिकों का योग्यता मैट्रिक थी एवं वेतनमान समान था, वर्ष 85 सभी की योग्यता स्नातक डिग्री कर दी गई और सचिवालय एवं उच्च न्यायालय के सहायकों का वेतनमान बढ़ाया गया और जिला अदालतों के कर्मचारियों को वेतनमान और निम्नतर कर दिया गया और प्रोन्नति के दरवाजे बंद कर दिया गया है।

उन्होंने कहा कि हर न्यायमण्डल के तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी जिस पद पर बहाल होते है उसी पद पर सेवानिवृत्त हो रहे है।

पटना उच्च न्यायालय ने न्यायालय के कर्मचारियों के वेतन और प्रोन्नति के मामलों को दशकों से लटका रखा है और अनुकंपा नियुक्ति पर भी रोक लगा दी है। उन्होंने स्नातक वेतनमान, प्रोन्नति, अनुकंपा नियुक्ति एवं प्रोन्नति के लिए सेवा शर्त नियमावली में संशोधन की अविलंब मांग की है जिससे न्यायालयों में कर्मचारी गरिमापूर्ण कार्य संपादित कर सके।

न्यायालय में अवसादपूर्ण कार्यप्रणाली ने सभी कर्मचारियों को रोगग्रस्त कर दिया है और उचित वेतन और प्रोन्नति के अभाव में कई कर्मचारी काल कलवित होते जा रहे है।

न्यायालय के कर्मचारियों को चौबीसों घंटे और सालों कार्य करना पड़ रहा है और छुट्टियों के दिन भी अभियुक्तों को रिमांड कराने, प्रोटोकॉल ड्यूटी सहित कई कार्य करना पड़ता है।

श्री तिवारी ने कहा कि प्रायः सभी न्यायमण्डल के चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को प्रोन्नति ही नहीं मिली है और न्यायालय के चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी अधिकांश स्नातक डिग्री हासिल कर नौकरी कर रहे है और कुछ विधि स्नातक भी हैं।

कर्मचारी नेता ने खेद व्यक्त किया कि आजतक पिछले 30 सालों से न्यायालय के कर्मचारियों की प्रोन्नति के लिए पटना उच्च न्यायालय में कोई सकारात्मक पत्र निर्गत किया हो या विधि विभाग ही कोई स्पष्ट दिशा निर्देश जारी किया हो।

उन्होंने कहा कि पटना उच्च न्यायालय हो चाहे विधि विभाग हो हर बार कर्मचारियों की प्रोन्नति की संचिका पर टांग ही अड़ाने के कारण सभी न्यायमण्डल के कर्मचारियों द्वारा प्रोन्नति या अनुकम्पा नियुक्ति के लिए उच्च न्यायालय में रिट याचिका दाखिल किया है जो वर्षों तक लंबित है।

अतः न्यायिक कर्मचारियों ने स्नातक स्तर का वेतन एवं वेतन विसंगति के मामले के निराकरण एवं शेट्टी कमीशन की अनुशंसा के आलोक में कालबद्ध पदोन्नति एवं मृत कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकम्पा के आधार पर शीघ्र नौकरी को लेकर राज्यभर की अधीनस्थ अदालतों में अपना आंदोलन तेज करने का निर्णय लिया है।

कर्मचारी संघ के अध्यक्ष ने कहा कि वेतन विसंगति एवं पदोन्नति के लिये स्पष्ट निर्देश के लिए मुख्य न्यायाधीश एवं महानिबंधक पटना उच्च न्यायालय से बार बार मांग पत्र सौंपा गया है। बिहार सरकार के विधि सचिव एवं वित्त सचिव से भी स्पष्ट मार्गदर्शन देने का अनुरोध किया गया है।

संघ के अध्यक्ष ने कहा कि मांगों के विपरीत राज्य सरकार द्वारा विभिन्न न्यायमण्डलों से किसी मुद्दे पर मांगे गए मार्गदर्शन के आलोक में हर बार अलग अलग पत्र जारी कर न्यायिक कर्मचारियों के मुद्दे को और जटिल बना दिया गया है।

उन्होंने बताया कि न्यायिक कर्मचारियों के वेतन और पदोन्नति के लिए गठित केंद्रीयकृत समिति भी अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं ले सकी है और उसे भी मार्गदर्शन की ही प्रतीक्षा है।

श्री तिवारी ने कहा कि राज्य भर के न्यायिक कर्मचारियों को दशकों से उचित वेतनमान और पदोन्नति से वंचित रखा गया है और अदालतों को न्यायिक कर्मचारियों के लिए यातनागृह बना दिया गया है।

उन्होंने बताया कि विभिन्न न्यायमण्डलों में उच्चतर पदों पर कर्मचारियों को प्रभारी बनाकर कार्य संपादित कराया जा रहा है और उच्चतर पद के अनुरूप वेतन से वंचित कर दिया गया है। इससे कर्मचारियों में गहरा आक्रोश एवं अवसाद हैं।