Thursday, 9 November 2023

बकरीद पर बकरा काटने मना नही करते हो तो दिवाली पर पटाखे क्यों ना चलाये ? पहले असली हिंदू बनिए...

असली हिंदू बनिए, पाखंडी नही। बकरीद पर बकरा काटने मना नही करते हो तो दिवाली पर पटाखे क्यों ना चलाये ?


हिन्दू सूर्य ,चाँद ,धरती , नदी ,वृक्षों को पूजते है । सोच कर देखिए कि सबसे ज्यादा आक्सीजन देने वाले पीपल को हमने सालीग्राम जी का निवास माना , सबसे ज्यादा औषधीय गुणों वाली तुलसी को आँगन में अनिवार्य रूप से रोपित किया । वट सावित्री में बरगद का पूजन और सबसे ज्यादा दुधारू पशु को माँ के रूप में पूजा ।


हवा को "मारुति देव" माना और देवालय और शिवालय पहाड़ों पर बनाये ताकि दर्शन के साथ साथ व्यक्ति प्रकृति से जुड़े । आज विश्व के सबसे बड़े हिन्दू देश में विश्व के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर है ।

हो सकता है आप जिस शहर में रह रहे हो वहाँ साँस लेने के लिए संघर्ष नही करना पड़ रहा हो मगर दिल्ली, गाजियाबाद ,नोएडा ,जयपुर , कलकत्ता,मुम्बई, मुजफ्फरनगर ,चंडीगढ़ , विश्व के सबसे ज्यादा प्रदूषित 25 शहरों में है जिसमें दिल्ली ने सबसे ऊपर जगह बनाई है । महाराष्ट्र, बंगाल, पंजाब,राजस्थान के ये सारे शहर विश्व पटल पर जहरीली हवा के कारण चर्चित है जो कि हर भारतीय के लिए चिंता का विषय है ।

आज दिल्ली में जहाँ प्रदूषण की वजह से सामने वाली बिल्डिंग नही दिखती ,जहाँ पाँच मिनिट खुले में खड़े होने से नाक में धुँए का अहसास और कंठ के भीतरी भाग में खुजलाहट होती है , जहाँ साँस लेने पर लगता है जैसे छाती पर वज़न रखा है और हवा भीतर नही पहुँच रही , जहाँ आँखे जल रही है । दिल्ली के राज्यपाल ने आपातकाल बैठक ली जिसमें डीजल गाड़ियों को हप्ते भर के लिए बंद किया , स्कूल में दिवाली नही प्रदूषण की वजह से बहुत पहले से छुट्टियाँ लग गई ताकि बच्चें घर में बंद रहे और प्रदूषण से बचें ।

लोगों ने शाम की वाक छोड़ दी । यदि आपका कोई परिचित इन शहरों में हो तो पूछिएगा कि क्या यहाँ लोग महीनों खाँसते है । प्रदूषण का स्तर सामान्य से 400 पार है जो कि बेहद गम्भीर स्थिति के पैमाने को भी क्रॉस कर चुकी है । कुतर्क यह है कि एक दिन के फटाके से प्रदूषण नही रुकेगा। मालूम है नही रुकेगा मगर पहले से ही जानलेवा स्थिति में मारक उछाल आ जाता है । खतरनाक स्तर 400 का एयर क्वालिटी इंडेक्श 800 पार कर जाता है । हम अपने वार्निंग स्तर तक खतरनाक बढ़े कोलेस्ट्रॉल को लेकर सजग रहते है मगर पड़ोसी के लिए नही । तो क्या यदि आपके शहर में बाहर निकलने से तबियत नही खराब हो रही तो दूसरे शहरों के जो लोग समस्या बता रहे है उनको उकसायेंगे ? जरा इन शहरों के लोगों से बात करिएगा ।

सोचकर देखिए ये उस देश की जहरीली हवा है जहाँ बहुसंख्यक हिन्दू निवास करते है जो प्रकृति पूजक है । दिल्ली और उत्तरभारत के अन्य शहर समुद्र से अधिक दूरी की भौगौलिक स्थिति की वजह से ठंड आते ही भारी हवा की वजह से गैस चैंबर बन जाते है । धुंध की वजह से सड़क दुर्घटनाओं में हर साल लोग मरते है । फेफड़ों के गंभीर मरीज बनते है । प्रदूषण की वजह पटाखे नही है लेकिन पटाखों के बाद ए क्यू आई दुगुना हो जाता है हर साल । इस बार भी समाचार पढ़ लीजिएगा ।

धार्मिक किताबों में भी लिखा है मरीज, गर्भवती , वृद्ध व्रत ना रखे । परिवार में गम्भीर शुगर पेशेंट जिसका शुगर लेवल खतरे को पार कर जानलेवा हो चुका हो को त्यौहारों पर भी हम मिठाई नही खाने देते । प्रदूषित हवा को फटाकों के बारूद से और ज्यादा जहरीला मत बनाइये क्योकि देश के ये शहर पहले ही वेंटिलेटर पर है ।

इस साल दिल्ली में गोद के नन्हें बच्चों को महीनों खाँसते और स्वास्थ्य के ऊपर आये संकट की वज़ह से समझ आ रहा है कि वास्तव में यहाँ पटाखों पर बैन की जरूरत है । दिवाली की सोचकर दहशत हो रही है । दिवाली का ऐसा ख़ौफ़ पहली बार हुआ है।

सर्वाधिक प्रदूषित दस में तीन भारत (दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता ) के है। हम इस श्रेणी में बंग्लादेश और पाकिस्तान के साथ खड़े है । पर्यावरण विभाग देश की हवा के लिए क्या उपाय कर रहा है इस पर जरूर चर्चा होनी चाहिए ।सम्पन्न लोग कमरों , आफिस से लेकर कार तक में एयर प्यूरीफायर में रहते है । भारतवासियों के लिए कितना शर्मनाक है कि 50 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में 39 शहर भारत के है जहाँ एयर क्वालिटी इंडेक्स हमेशा खतरनाक होता है , जहाँ तुरंत पैदा हुआ बच्चा भी हर दिन 20 सिगरेट के धुँए से ज्यादा जहर अपनी साँसों में खींच रहा है ।

व्हाट्सएप पर पटाखे जलाने के फतवे जारी करने वाले ये लोग क्या अपने घर में दमे के मरीज को कमरा बंद कर बारूद के धुँए में रखेंगे ? दिल्ली सचमुच गैस चेम्बर बन चुकी है । असली हिन्दू बनिये जो सबसे पहले प्रकृति की पूजा करता है । मित्रों में साझा करें या न करें पर विचार अवश्य कीजिए‌ कि दिपावली के आगमन पर ही इतना भाषण और शोध क्युं? दोषी कौन....
साभार

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