Saturday 12 August 2023

पुरानी पेंशन बहाली आंदोलन में 2023 यादगार वर्ष बन सकता है।

पुरानी पेंशन बहाली आंदोलन में 2023 यादगार वर्ष बन सकता है।

D N Singh

2004 में एन पी एस लागू होने के बाद से लेकर 2018 तक पुरानी पेंशन बहाल करो, कहने वाले देश भर में केवल मुट्ठी भर लोग थे और जो थे भी वे सब एकदम गुमनाम से ही थे।



देश के ज्यादातर बड़े और जाने माने कर्मचारी नेता यह सोचकर चुप बैठे थे कि सरकार ओ पी एस को बहाल तो करेगी नही, ओ पी एस बहाल करो बोलकर या इस मांग का समर्थन करने पर कही बड़े नेता होने का खिताब खतरे में न पड़ जाए। दूसरी बात यह भी थी कि कुछ बड़े नेताओं ने एन पी एस का समर्थन किया था। वे अब विरोध किस मुंह से करे। अगर बोलेंगे तो लिफाफे और अनुकम्पा याद दिलाई जायेंगी।

यूपी में अटेवा और उससे विकसित होकर देश स्तर पर बने संगठन एन एम ओ पी एस ने पहली बार देश में यह आवाज बुलंद की - " पुरानी पेंशन बहाल करो " इन्होंने यह नारा भी दिया कि - " जो पेंशन की बात करेगा, वही देश पर राज करेगा " "पेंशन हमारा अधिकार , हम लेकर रहेंगे।" वोट फॉर ओ पी एस को इन्होंने रणनीति बनाया।

वर्ष 2018 में रामलीला मैदान दिल्ली में एन एम ओ पी एस ने एक शानदार कार्यक्रम ओ पी एस की मांग के लिए आयोजित किया था । इसमें लगभग देशभर से लगभग ७०-८० हजार कर्मचारियों ने भाग लिया था।


जन पक्ष के विख्यात पत्रकार रवीश कुमार ने एन डी टी वी पर इस कार्यक्रम पर एक रिपोर्ट पेश की तो पूरे देश की निगाह इस रिपोर्ट के जरिए पुरानी पेंशन बहाल कराने की आवाज पर गई।

इस आवाज ने लाखो एन पी एस कर्मचारियों के कान खड़े कर दिए। इंसाफ पसंद अनेक लोगो का भी इस पर ध्यान गया। मैं भी उनमें से एक हूं।

, यह आवाज किसकी है ? ये कौन लोग है ? यह तलाश शुरू हो गई। अटेवा, ऊ प्र और एन एम ओ पी एस पुरानी पेंशन बहाल करने की आवाज बुलंद करने वाले संगठन के रूप में राष्ट्र स्तर पर सामने आये।

इन्ही संगठनो के शीर्ष नेतृत्व में से एक और एन एम ओ पी एस के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु की पहचान राष्ट्र स्तर पर बनी और पांच राज्यो में पुरानी पेंशन बहाल कराने की उपलब्धि तक आते आते विजय कुमार बंधु को देशभर में पेंशन पुरुष कहा जाने लगा।

मैने विजय कुमार बंधु को जामिया मिल्लिया यूनिवर्सिटी, दिल्ली के एक होल में आयोजित मीटिंग में संबोधित करते हुए पहली बार देखा और सुना था।

एकदम साधारण सी कद काठी के शिक्षक, साधारण देहाती वेशभूषा, सांवला/ गेहुआ रंग, सामान्य से कम लंबाई, सीधा सरल स्वभाव लेकिन भाषण में दिए तर्को और दावों में दम था। उनके विचारो में ऊंचाई थी, उनकी सारी बात सहमति लायक थी, दावे यकीन लायक और समर्थन के काबिल थे।


बंधु जी कह रहे थे कि हम सब संगठित होकर ओ पी एस की मांग करे, एकजुट होकर वोट फॉर ओ पी एस की राह पर चले तो वह दिन दूर नही है, जब एन पी एस को लाइलाज बीमारी समझने वाले कर्मचारी नेता भी ओ पी एस के समर्थन में आयेंगे। ज्यादातर राजनीतिक पार्टियां भी ओ पी एस दिलाने के वादे करेंगी। नेता चीख चीख कर ओल्ड पेंशन बहाल कराने के वादे करेंगे। आप खड़े होइए और हमारा साथ दीजिए। पुरानी पेंशन सौ प्रतिशत बहाल होगी।

हमे बोलने के लिए कहा गया तो हमने पुरानी पेंशन बहाल करने की अहमियत को स्वीकार किया। इसे बेहद जरूरी बताया और ताउम्र अपनी क्षमता के अनुसार साथ देने का आश्वासन दिया।

मैं इस कार्यक्रम में आमंत्रित अतिथि था, उन दिनों दिल्ली के दास एवम स्टेनो केडर्स की वेलफेयर एसोशिएशन का अध्यक्ष था, मैं कर्मचारी आंदोलन में दिल्ली का उस वक्त का एक जाना माना चेहरा भी था, बंधु जी ने एन एम ओ पी एस (National Movement for old Scheme) लिखी एक टोपी पहनाकर मुझे दिल्ली एन एम ओ पी एस का संरक्षक बना दिया।

हमने यह सम्मान ,जिम्मेदारी हृदयतल की गहराइयों से स्वीकार की और आज तक निर्वाह करते आ रहे है। आगे भी करते रहने का पक्का इरादा है। जंतर मंतर पर धरने के दौरान मैने विजय बंधु और साथियों का आमरण अनशन करने का प्रोग्राम टलवाया और दुश्मनों से खाकर लड़ने का आह्वान किया। इसके साथ ही सब के लिए खाने के बंदोबस्त का वादा किया, हमने इस वादे को बाखूबी निभाया भी। बाहर से एन पी एस साथियों ने बताया कि खाना भी खाने लायक था। पुरानी पेंशन बहाल कराने के आंदोलन में यहां पहली बार हमारी पहचान बनी। विभिन्न राज्यों से आए एन पी एस साथियों ने इसे बहुत सराहा था। इसमें मदद करने वाले ज्यादातर OPS वाले ही थे।

उसके बाद लखनऊ,अमरोहा, दिल्ली के अनेक कार्यक्रमों में मैने भाग लिया। बंधु जी से लगातार संबंध संपर्क बना रहा है। एन पी एस निजीकरण भारत छोड़ो यात्रा में मैं चंपारण बिहार से यूपी में अमरोहा तक और फिर गाजियाबाद से अलीगढ़ तक रहा, अटेवा, एन एम ओ पी एस , पुरानी पेंशन बहाली के आंदोलन के कार्य कर्ताओ के हाव भाव और हौसले को देखा और समझा। अनेक भाई बहनों से इस यात्रा के दौरान परिचय हुआ।

पेंशन सत्याग्रह सह निजीकरण भारत छोड़ो यात्रा बिहार के चंपारण से 01 जुन से शुरू होकर 04 जुन तक चला था, जिसमें nmops के बिहार प्रदेश अध्यक्ष वरुण पाण्डेय का सहयोग भी मिला।

जिस तरह वोट फॉर ओ पी एस की रणनीति पर चलकर अब तक पांच प्रदेशों में पुरानी पेंशन बहाल कराने में सफलता मिल चुकी है। मैं पूरी तरह से आश्वस्त हूं कि उसी तरह पुरानी पेंशन पूरे देश में बहाल कराने में कर्मचारी जल्द ही सफल हो जायेंगे। बशर्ते वे एकजुट होकर इसी राह पर आगे बढ़ते रहे। विचलित न हो और बिखरे नही।

10 अगस्त 2023 को दिल्ली के रामलीला मैदान में अनेक कर्मचारी संगठनों के संयुक्त मोर्चा की एक बहुत बड़ी रैली आयोजित हुई है, उसमे एक स्वर से सभी नेताओ द्वारा ओ पी एस बहाल करने की मांग सरकार से की गईं है।

मैने देखा कि चारो ओर ओ पी एस के झंडे भी लगाए गए थे। अखबारों में भी ओ पी एस बहाल कराने की मांग की ही खबरे प्रकाशित हुई है। यह बहुत अच्छी खबर है,क्योंकि इनमें से अनेक कर्मचारी नेता एवम संगठन पहले एन पी एस की वकालत किया करते थे और एन पी एस को लागू कराने में सरकार के साथ थे और पांच राज्यो में पुरानी पेंशन बहाल होने तक चुप चाप बैठे थे।

मेरे विचार से यह बदलाव एन एम ओ पी एस और अटेवा के सतत चलाए गए पुरानी पेंशन बहाली आंदोलन का ही शानदार परिणाम है। यह आंदोलन की बहुत बड़ी उपलब्धि अर्थात जीत है कि अब सभी कर्मचारी यह कहने लगे है कि ओ पी एस बहाल कराने से कम कुछ भी नही चाहिए। वी वांट ओ पी एस , पुरानी पेंशन बहाल करो, नारे लग रहे थे। हर कर्मचारी चाहता भी यही है। सोचने में आया यह बदलाव पेंशन आंदोलन की बहुत बड़ी जीत है। यह अच्छा संकेत है। नेतागण अब एनपीएस में संशोधन की बात नही कर पायेंगे। जो करेगा, उसका अस्तित्व खतरे पड़ना तय है।

अब जरूरत इस बात की है कि सारे कर्मचारी एकजुट होकर वोट फॉर ओ पी एस की रणनीति पर आगे बढ़े , तो उनकी जीत निश्चित होगी।

मैं समस्त एन पी एस कर्मचारियों को इस बदलाव की बहुत बहुत बधाई एवम हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं कि अब पुरानी पेंशन बहाल हो, सबका मुद्दा बन गया है। एन पी एस में संशोधन अब स्वीकार नहीं करना है।

सारे कर्मचारी इस बात पर एकजुट रहे तो वोट फॉर ओ पी एस और ज्यादा प्रभावी एवम सफलता का आधार बनेगा। सारे कर्मचारी याद रखे -

तीर से न तलवार से,

पेंशन मिलेगी वोट के प्रहार से ,

अब तक जीते, पांच प्रदेश,

आगे जीतेंगे, पूरा देश ,

अगर सभी एन पी एस वाले भाई बहन आपस में इस बात पर सहमत हो जाए, तो वर्ष 2023 उनके लिए बहुत भाग्यशाली वर्ष बन सकता है। जो भाई बहन 10 अगस्त को दिल्ली आए थे, उन्हे बहुत बहुत साधुवाद देता हूं। अगर वे सब 01 अक्तूबर 2023 को भी दिल्ली आना याद रखेंगे तो सफलता की अग्रिम बधाई देना चाहूंगा। पुरानी पेंशन सौ प्रतिशत बहाल हो जायेगी।

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