Thursday, 13 July 2023

सरकार अरबों रुपए जमा करती है NSDL के खाते में, फिर भी नही मिलती पुरानी पेंशन

सरकार अरबों रुपए जमा करती है NSDL के खाते में, फिर भी नही मिलती पुरानी पेंशन, प्रदेश कांग्रेस के नेता से पुरानी पेंशन के लिए गुहार

पटना(13.07.2023):- एनएमओपीएस (पुरानी पेंशन प्रतिबद्ध संगठन) की बिहार इकाई द्वारा आज बिहार प्रदेश कांग्रेस विधायक दल के नेता डॉ शकील अहमद खान से मिलकर बिहार राज्य में पुरानी पेंशन योजना लागू करने के संबंध में अनुरोध किया गया। डॉक्टर शकील अहमद खान को टीम द्वारा एनपीएस की खामियों और पुरानी पेंशन से सरकारी कर्मियों और राज्य सरकार को होने वाले लाभ के संबंध में जानकारी दी गई। यह समाचार www.operafast.com पर पढ़ रहे हैं।


प्रदेश अध्यक्ष वरुण पांडेय द्वारा इस संबंध में बताया गया कि हम लोग बार-बार माननीय मुख्यमंत्री से अनुरोध कर रहे हैं, पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा अब राष्ट्रीय मुद्दा बन चुका है इसलिए हम लोग अभी भी इस उम्मीद में है कि सकारात्मक सोच वाले माननीय मुख्यमंत्री शीघ्र ही इस मामले पर निर्णय लेकर राज्य कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा करेंगे।

प्रदेश महासचिव शशि भूषण कुमार द्वारा एनपीएस की खामियों की ओर इंगित करते माननीय विधायक से इस तथ्य को माननीय मुख्यमंत्री को अवगत कराने का अनुरोध किया गया ।

श्री पाण्डेय ने उनका ध्यान 01 सितंबर 2005 से राज्य के कर्मचारियो, पदाधिकारियों हेतु लागू पुरानी पेंशन योजना को समाप्त किए जाने तथा इससे उत्पन्न कठिनाईयों की तरफ आकृष्ट करते हुए कहा गया कि बिहार में राज्य कर्मियों के लिए 01 सितंबर 2005 से केंद्र की तर्ज पर नई पेंशन योजना लागू की गई है, जिसके तहत प्रति माह उन कर्मियों के वेतन से 10 प्रतिशत राशि की कटौती की जाती है तथा 14 प्रतिशत राशि राज्य सरकार के अंशदान के रूप में उसमें जोड़कर PFRDA (पी०एफ० आर०डी०ए०) के तहत एनएसडीएल (NSDL) नामक एक एजेंसी को भेजी जाती है।


एक सामान्य आकलन के अनुसार बिहार में इस समय दो लाख से अधिक एनपीएस आच्छादित सरकारी सेवक हैं और राज्य सरकार को नई पेंशन प्रणाली के राहत प्रतिवर्ष अरबों रूपए एनएसडीएल के पास जमा करना पड़ता है एनएसडीएल द्वारा इस राशि का निवेश शेयर बाजार में किया जाता है और कर्मियों के सेवानिवृत्ति के उपरांत निवेशित कुल फण्ड का 60 प्रतिशत राशि कर्मी उनके आश्रित को दी जाती है तथा शेष 40 प्रतिशत राशि अनिवार्य रूप से किसी पेंशन फंड में डाल दी जाती है उसी 40 प्रतिशत की राशि पर उन कर्मियों का फिक्स्ड पेंशन तय होता है। यह फिक्स्ड पेंशन ऊट के मुंह में जीरे के समान अर्थात् यह राशि उनके वेतन का 10 प्रतिशत से भी कम होती है।

एक संवेदनशील जननेता होने के नाते आप महसूस कर सकते हैं कि सेवानिवृत्ति की अगली तिथि से कर्मियों को अगर उस वेतन का मात्र 10 प्रतिशत पेंशन के रूप में प्राप्त हो तो जीवनयापन कितना कठिन हो जाएगा। उक्त राशि से गरिमापूर्ण जीवन जीना संभव नहीं है। इसके अतिरिक्त भी नई पेंशन व्यवस्था में बहुत सारी खामियां है जिसके कारण सरकारी सेवकों द्वारा देश भर में इसका विरोध किया जा रहा है ।

इसी आलोक में राज्य कर्मियों के हित को देखते हुए राजस्थान, छत्तीसगढ़ झारखंड, हिमाचल प्रदेश में जहाँ आपकी पार्टी की सरकार है वहाँ पुरानी पेंशन लागू कर दी गयी है। पंजाब जैसे राज्यों ने भी संवेदनशीलता दिखाते हुए नई पेंशन व्यवस्था को बदल कर अपने राज्य में पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू कर दी है. तथा कर्नाटक में भी आपके सरकार द्वारा अतिशीघ्र पुरानी पेंशन व्यवस्था अपने राज्य में लागू करने जा रही है। इसके लिए हम सभी कर्मी आपकी पार्टी को हृदय से धन्यवाद और शुभकामनाएँ देते हैं आपकी पार्टी ने हम पेंशन विहीन कर्मचारियों का दर्द महसूस किया है। बिहार में आप सरकार के प्रमुख सहयोगी हैं इसलिए हम सभी आपके तरफ आशा भी नजरों से देख रहे हैं।

प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव तिवारी द्वारा माननीय विधायक को बताया गया कि कांग्रेस पार्टी द्वारा ही पुरानी पेंशन के मुद्दे को चुनावी मुद्दा बनाया गया है और जिन जिन राज्यों में कांग्रेस पार्टी द्वारा पुरानी पेंशन की घोषणा का वादा किया उन उन राज्यों में उनकी सरकार बनी, ऐसी स्थिति में उनसे बिहार में भी इस आंदोलन को सफल बनाने और इसे समर्थित करने का अनुरोध किया गया।

प्रदेश मुख्य प्रवक्ता संतोष कुमार द्वारा बिहार में भी इस मुहिम को कांग्रेस का समर्थन दिए जाने की अपील की गई।

माननीय विधायक ने अपने स्तर से इस मामले को सरकार के समक्ष रखने का आश्वासन दिया।

एनएमओपीएस के प्रतिनिधिमंडल में प्रदेश अध्यक्ष, महासचिव, उपाध्यक्ष, मुख्य प्रवक्ता के अतिरिक्त कोशी प्रभारी,नीरज मिश्रा, उर्दू मीडिया के प्रभारी मोहम्मद नसरुल्लाह इत्यादि शामिल रहे।

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