कल शुक्रवार को बालासोर के बहनागा बाजार स्टेशन पर तीन ट्रेनों की टक्कर हुई, जिसमें 388 लोग मारे गए और करीब 1000 लोग घायल हुए। 100 से अधिक ट्रेनों को कैंसल और मार्ग परिवर्तित किया गया। कई ट्रेन आंशिक तौर पर रद्द किया गया। यह ट्रेनों की टक्कर से देश के जनता भी विचलित हो गए। अब प्रश्न उठता है कि इस ट्रेन दुर्घटना में गलती किसकी है। किसके लापरवाही से इतना बड़ा दुर्घटना हुआ। इसके लिए हम विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा करेंगे। यह समाचार www.pkonline.co.in पर पढ़ रहे हैं।
Section - Balasore Bhadrak
Station - Bahnaga bazar
Line - Double line
Signalling system - SSI
Standard type - I
इस तीन ट्रेन दुर्घटना में प्राथमिक रूप से जो बात सामने आ रही है उसके अनुसार...
बालासोर भद्रक रेल सेक्शन में बालासोर स्टेशन से 24 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बहानगा बाजार नामक रेलवे स्टेशन पर अप और डाउन ट्रेन के लिए एक एक अलग अलग लूप लाइन है। डाउन के लूप लाइन कॉमन लूप लाइन है जिस पर दोनों तरफ से ट्रेन रिसीव किया जा सकता है। ट्रेन को तीव्र गति से रन थ्रू करने के अप और डाउन डायरेेक्शन लिए एक एक मेन लाइन भी है। दरअसल हुआ यह कि जैसे ही ट्रेन नंबर 12841 शालीमार चेन्नई एक्सप्रेस पापनामा स्टेशन से आउट हुआ वैसे ही बहनागा स्टेशन मास्टर सोरों स्टेशन से लाइन क्लियर लेकर ट्रेन के लिए रनथ्रू सिग्नल दे दिया जिसमे लास्ट स्टॉप सिग्नल, स्टार्टर सिग्नल और होम सिग्नल क्लियर कर दिया। सिग्नल क्लियर होते ही इन तीनों सिग्नल कोरोमंडल एक्सप्रेस के लिए ग्रीन हो गया। जब ग्रीन सिग्नल हो तो ट्रेन अधिकतम गति सीमा से जाएगी ही।
Station - Bahnaga bazar
Line - Double line
Signalling system - SSI
Standard type - I
इस तीन ट्रेन दुर्घटना में प्राथमिक रूप से जो बात सामने आ रही है उसके अनुसार...
बालासोर भद्रक रेल सेक्शन में बालासोर स्टेशन से 24 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बहानगा बाजार नामक रेलवे स्टेशन पर अप और डाउन ट्रेन के लिए एक एक अलग अलग लूप लाइन है। डाउन के लूप लाइन कॉमन लूप लाइन है जिस पर दोनों तरफ से ट्रेन रिसीव किया जा सकता है। ट्रेन को तीव्र गति से रन थ्रू करने के अप और डाउन डायरेेक्शन लिए एक एक मेन लाइन भी है। दरअसल हुआ यह कि जैसे ही ट्रेन नंबर 12841 शालीमार चेन्नई एक्सप्रेस पापनामा स्टेशन से आउट हुआ वैसे ही बहनागा स्टेशन मास्टर सोरों स्टेशन से लाइन क्लियर लेकर ट्रेन के लिए रनथ्रू सिग्नल दे दिया जिसमे लास्ट स्टॉप सिग्नल, स्टार्टर सिग्नल और होम सिग्नल क्लियर कर दिया। सिग्नल क्लियर होते ही इन तीनों सिग्नल कोरोमंडल एक्सप्रेस के लिए ग्रीन हो गया। जब ग्रीन सिग्नल हो तो ट्रेन अधिकतम गति सीमा से जाएगी ही।
इसी तरह सोरो स्टेशन से 12864 बैंगलोर हावड़ा एक्सप्रेस आउट होते ही अप मैन लाइन के लिए सभी संबंधित सिग्नल ग्रीन कर दिए गए। मतलब अप और डाउन दोनो ट्रेनों के लिए ग्रीन सिग्नल दे दिया गया जिससे बिना रुके अपने अधिकतम अनुमति प्राप्त स्पीड से पास कर सके। संभवतः इस सेक्शन में मैक्सिमम पार्मिशेबल स्पीड 130 किलोमीटर प्रति घंटे है।
आखिर हुआ यूं कि डाउन लाइन से तीव्र गति से पास करते हुए कोरोमंडल एक्सप्रेस अचानक मेन लाइन के बजाय लूप लाइन में मुड़ गई और अप लूप लाइन में खड़े DDIPN नामक मालगाड़ी में टक्कर मार दी और ट्रेन के 21 में से 19 कोच बेपटरी हो गई।
ठीक उसी समय अप लाइन में आ रही बैंगलोर हावड़ा 12864 एक्सप्रेस कोरोमंडल के साइड से टकरा गई। इस कारण 12841 के 02 कोच और कोरोमंडल के इंजन समेत 05 कोच क्षतिग्रस्त हो गया। साथ ही अन्य 14 कोच भी डिरेल हो गया।
लेकिन प्रश्न उठता है कि रन थ्रो ट्रेन के लिए मेन लाइन का सिग्नल क्लियर होते हुए लूप लाइन में कैसे आया ?
* क्या प्वाइंट पर कोई बड़ा पत्थर रखा था।
* या कोई अपराधिक गतिविधि हुई,
* या प्वाइंट फेल होने के बाद भी शॉर्टकट तरीके से तकनीकी छेड़छाड़ करके सिग्नल ग्रीन करवाया गया।
* रेलवे में सभी सिग्नल ग्रीन तभी होता है जब सभी प्वाइंट मेन लाइन के लिए सेट हो।
लेकिन बात जो भी हो प्राथमिक तौर पर रेल अधिकारी का बयान आया है कि ये अपराधिक घटनाएं नही है बल्कि यह सिग्नल फेल्योर है।
Balasor accident report as per data logger
यह बात उच्चस्तरीय जांच के बाद ही सामने आएगी।
(अपना समाचार 9443486335 पर व्हाट्सएप करें।)
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