Thursday 22 June 2023

पुरानी पेंशन बहाली हेतु जल संसाधन मंत्री से गुहार, देंगे पूरा साथ

 पुरानी पेंशन बहाली हेतु जल संसाधन मंत्री से लगाई गुहार

पटना(22.06.2023):- नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम पुरानी पेंशन प्रतिबद्ध संगठन की बिहार इकाई द्वारा आज श्री संजय कुमार झा, माननीय मंत्री, जल संसाधन विभाग, बिहार, पटना से मिलकर बिहार राज्य में पुरानी पेंशन योजना लागू करने के संबंध में अनुरोध किया गया । माननीय मंत्री को टीम द्वारा एनपीएस की खामियों और पुरानी पेंशन से सरकारी कर्मियों और राज्य सरकार को होने वाले लाभ के संबंध में जानकारी दी गई । ये समाचार www.pkonline.co.in पर पढ़ रहे हैं।


    प्रदेशअध्यक्ष श्री वरुण पांडेय  द्वारा इस संबंध में बताया गया कि हम लोग बार-बार माननीय मुख्यमंत्री से अनुरोध कर रहे हैं, पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा अब राष्ट्रीय मुद्दा बन चुका है इसलिए हम लोग अभी भी इस उम्मीद में है कि सकारात्मक सोच वाले माननीय मुख्यमंत्री शीघ्र ही इस मामले पर निर्णय लेकर राज्य कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा करेंगे।

   

बिहार प्रदेश अध्यक्ष ने जल संसाधन मंत्री से पुरानी पेंशन की गुहार लगाते हुए राज्य के नई पेंशन प्रणाली से आच्छादित राज्य कर्मियों एवं राज्य सरकार के व्यापक हित को ध्यान में रखते हुए बिहार में पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने के संबंध में जोर दिया।


श्री पाण्डेय दिनम्रतापूर्वक बोले कि 01 सितंबर 2005 से राज्य के कर्मचारियों/ पदाधिकारियों हेतु लागू पुरानी पेंशन योजना को समाप्त किए जाने तथा इससे उत्पन्न कठिनाईयों की तरफ आकृष्ट करते हुए कहना है कि बिहार में राज्य कर्मियों के लिए 01 सितंबर 2005 से केंद्र की तर्ज पर नई पेंशन योजना लागू की गई है, जिसके तहत प्रति माह उन कर्मियों के वेतन से 10 प्रतिशत राशि की कटौती की जाती है तथा 14 प्रतिशत राशि राज्य सरकार के अंशदान के रूप में उसमें जोड़कर PFRDA (पी०एफ० आर० डी०ए०) के. तहत एनएसडीएल (NSDL) नामक एक एजेंसी को भेजी जाती है।

एक सामान्य आकलन के अनुसार बिहार में इस समय दो लाख से अधिक एनपीएस आच्छादित सरकारी सेवक है और राज्य सरकार को नई पेंशन प्रणाली के तहत प्रतिवर्ष अरबों रूपए एनएसडीएल के पास जमा करना पड़ता है। एनएसडीएल द्वारा इस राशि- का निवेश शेयर बाजार में किया जाता है और कर्मियों के सेवानिवृत्ति के उपरांत निवेशित कुल फण्ड का 60 प्रतिशत राशि कर्मी/ उनके आश्रित को दी जाती है तथा शेष 40 प्रतिशत राशि अनिवार्य रूप से किसी पेंशन फंड में डाल दी जाती है। उसी 40 प्रतिशत की राशि पर उन कर्मियों का फिक्स्ड पेंशन तय होता है। यह फिक्स्ड पेंशन ऊट के मुंह में जीरे के समान अर्थात् यह राशि उनके वेतन का 10 प्रतिशत से भी कम होती है।


एक संवेदनशील जननेता होने के नाते आप महसूस कर सकते हैं, कि सेवानिवृत्ति की अगली तिथि से कर्मियों को अगर उस वेतन का मात्र 10 प्रतिशत पेंशन के रूप में प्राप्त हो तो जीवनयापन कितना कठिन हो जाएगा। उक्त राशि से गरिमापूर्ण जीवन जीना संभव नहीं है। इसके अतिरिक्त भी नई पेंशन व्यवस्था में बहुत सारी खामिया है जिसके कारण सरकारी सेवकों द्वारा देश भर में इसका विरोध किया जा रहा है जिसकी तुलनात्मक विवरणी सलग्न है। इसी आलोक में राज्य कर्मियों के हित को देखते हुए राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड पंजाब एवं हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों ने संवेदनशीलता दिखाते हुए नई पेंशन व्यवस्था को बदल कर अपने राज्य में पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू कर दी है, तथा कर्नाटक अतिशीघ्र पुरानी पेंशन व्यवस्था अपने राज्य में लागू करने जा रही है। भवदीय को यह भी अवगत कराना है कि अगर एनपीएस को बदलकर पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू कर दी जाएगी तो राज्य सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष एनएसडीएल में अरबों रूपए जमा न कर उसके बदले उस राशि का उपयोग राज्य के विकास कार्यों में किया जा सकेगा। साथ ही कर्मियों का 10 प्रतिशत राशि का योगदान जीपीएफ (GPF) में होगा, उसका भी उपयोग राज्य के विकास कार्यों में किया जा सकेगा।

मौके पर संगठन के उपमहासचिव सज्जन जी झा, उर्दू मीडिया प्रभारी मो नसरुल्ला  इत्यादि उपस्थित थे।

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