बिहार के पटना जिला अंतर्गत नौबतपुर के पास तरेत पाली मठ में बागेश्वर धाम सरकार श्री धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी का हनुमान कथा का आज 5 वॉ और अंतिम दिन था। श्री बागेश्वर सरकार तमाम विरोधों के बाबजूद बिहार में ये कथा 13 मई से शुरू होकर 17 मई तक चला। दूसरे दिन दिव्य दरबार भी लगाएं जिसमें जिसमे रोग बीमारी ठीक होने से लेकर बिजनेस नौकरी तक का आशीर्वाद दिएं। ये समाचार www.operafast.com पर पढ़ रहे हैं।
आज कथा के अंतिम दिन रावण हनुमान प्रसंग में उन्होंने बताए कि जब हनुमान जी अशोक वाटिका में वन उपवन को उखाड़ने पर पकड़कर रावण के पास ले जाया गया था तो घमंड में रावण ने हनुमान जी को कहा कि तुम हमसे बड़े नहीं हो सकते नहीं हो सकते क्योंकि तेरा अधिक से अधिक पांच मुख है लेकिन मेरा 10 मुख है इसलिए लोग मुझे दशानन भी कहते हैं । रावण विद्वान ब्राह्मण होने के बाबजूद अभिमानी था उसने अपने गुरु को भी प्रणाम नही किया है। जबकि उन्हें दंडवत होकर प्रणाम करना चाहिए था। लेकिन रावण ने गुरु को दंडवत होकर क्या वो तो झुककर भी प्रणाम नहीं किया। रावण अपना सिर कटकर शंकर जी को चढ़ा दिया था लेकिन झुका नही था। जो अभिमानी होता है वो कट जाता है लेकिन झुकता नहीं। धीरेंद्र शास्त्री जी कथा कहते हुए एक शायरी के लहजे में कहा कि -
झुकता वही है जिसमें जान होती है ।
अकड़ मुर्दों की पहचान होती है।
अहम की अकड़ ज्यादा चल नहीं सकती,
मौत के घड़ी कभी टल नहीं सकती।
लूट कर दौलत भले ही जमा कर लो,
पर पाप की कमाई कभी फल नहीं सकती।
बाबा ने कहा कि ओ बिहार के पागलों , जिस में "मै " कि हवा लगी। उसे न तो दवा लगी, ना ही दुआ लगी। उन्होंने ने बताया कि रावण अभिमानी था, इसलिए न तो अभिमान में जिओ ना ही अपमान में जियो। जीना हो तो भगवान में जिओ।
प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए कहा कि रावण में अभिमान था। रावण बलवान था फिर भी बाली ने 6 माह तक रावण को अपने भुजा में दबाकर रखा था।
रामचरित मानस में तीन वीर हुए है। पहला लक्ष्मण जी वीर थे, दूसरे हनुमान जी महावीर हुए और तीसरे राम जी रघुवीर हुए। उन्होंने ने अपने बारे में बताया कि लोग पूछते हैं कि आपका इतना विरोध होता है तो आपको डर नहीं लगता। तो मैंने बताया कि मारने वाला भगवान है , तो बचाने वाला भी भगवान है तो फिर क्यों डरूं। भगवान की लाठी जब टूटती है तो आवाज नहीं होता। सीधे चमड़ी उधेड़ जाति है।
बागेश्वर बाबा ने भोजपुरी में संगीत भी गाया कि बबुआ GM होइहें, DM होइहें, उसके ऊपर सीएम होंगे न।
ये भी एक आश्चर्य की बात है कि बिहार में एक छब्बीस साल का लड़का आता है और दूसरे दिन 8 से 10 लाख लोगों की भीड़ जुट जाती है। यह 10 लाख की भीड़ एक जाति की नहीं है।
बागेश्वर वाले बाबा कथा का समापन होते हुए सभी से हाथ जोड़कर विनती भी करते हैं कि हमारे नाम पर कोई झगड़ा मत करना।
बागेश्वर वाले बाबा बिहार के नौबरपुर के तरेट पाली में भक्तों के भीड़ को देखकर गदगद थे। वे बिहार में आगे भी आते रहेगें। उनका 29 सितंबर 2023 से बिहार के गया में कार्यक्रम तय हो गया है। जबकि मुजफ्फर पर और बक्सर में भी आने का कार्यक्रम तय हो रहा है।
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