पटना 06 अप्रैल , आगामी 16 अप्रैल को नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (पुरानी पेंशन बहाली हेतु प्रतिबद्ध राष्ट्रीय संगठन) के तत्वावधान में आयोजित पेंशन संवैधानिक मार्च के संबंध में एनएमओपीएस बिहार द्वारा आज माननीय मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिया गया जिसकी प्रतिलिपि उपमुख्यमंत्री, मुख्य सचिव एवं जिला पदाधिकारी पटना को भी दी गई। यह समाचार operafast Hindi news पर पढ़ रहे हैं।
विदित हो कि एनएमओपीएस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा 16 अप्रैल 2023 को देशभर के सभी जिलों में पेंशन संवैधानिक मार्च निकाले जाने की घोषणा की गई है, यह कार्यक्रम बिहार के सभी जिलों में भी आयोजित की जाएगी जिसके तहत बिहार के सभी एनपीएस कर्मी 16 अप्रैल 2023 को दोपहर 11:00 से 1:00 के बीच पेंशन संवैधानिक मार्च निकालेंगे तथा सरकार के समक्ष पुरानी पेंशन योजना लागू करने हेतु अपनी आवाज बुलंद करेंगे।
एनएमओपीएस के प्रदेश अध्यक्ष वरुण पांडे तथा प्रदेश महासचिव शशि भूषण के द्वारा बताया गया कि पुरानी पेंशन बहाली हेतु चरणबद्ध आंदोलन के क्रम में यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।
श्री पाण्डेय के द्वारा दिए गए ज्ञापन के सम्बन्ध में कहा गया है कि भारत सरकार द्वारा दिनांक 01.01.2004 या उसके बाद नियुक्त कर्मियों के लिए उस समय प्रचलित पुरानी पेंशन योजना के स्थान पर नई अशंदायी पेंशन योजना लागू करने के उपरांत राज्य सरकार द्वारा भी उक्त योजना के अनुरूप दिनांक 01.09.2005 के प्रभाव से राज्यकर्मियों के लिए भी बिहार सरकारी कर्मचारी अंशदायी पेंशन योजना 2005 लागू कर दी गई है।
नई अंशदायी पेंशन योजना के लागू होने से राज्यकर्मियों को विभिन्न प्रकार की कठिनाई हो रही है एवं सेवानिवृत्ति अथवा उसके पूर्व मृत्यु के उपरांत मिलने वाली पेंशन की राशि बहुत ही कम होती है, जो वृद्धावस्था में आवश्यक जीवन निर्वाह के लिये पर्याप्त नहीं है, जिससे राज्य सरकार के कर्मी वृद्धावस्था में सामाजिक प्रतिष्ठा एवं सुरक्षा को लेकर आशंकित है।
उल्लेखनीय है कि नई पेंशन प्रणाली में शेयर बाजार पर आधारित पेशन मिलेगा, जिसमें नुकसान की संभावना बनी रहती है बिहार सरकार द्वारा प्रति माह कर्मियों के पेंशन के नाम पर 14 प्रतिशत राशि अपने हिस्से का और 10 प्रतिशत राशि कर्मियों के वेतन से काटकर एजेंसी के पास जमा किया जाता है जिसका फायदा कर्मियों को मिलने की कोई गारंटी नहीं है, बल्कि राज्य सरकार को भी प्रतिमाह राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है और कर्मियों में भी अंसतोष व्याप्त है। इस बात से स्पष्ट है कि NPS से नुकसान सरकार और कर्मियों दोनों को रहा है।
विदित हो कि भारत सरकार का उक्त आदेश राज्यों के लिए बाध्यकारी नहीं इसी के आलोक में राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, हिमाचल प्रदेश एवं पंजाब सरकार द्वारा अपने कर्मियों के लिए नई पेंशन योजना (NPS) को समाप्त करते हुए पुरानी पेंशन योजना लागू करने की घोषणा की गयी है। पश्चिम बंगाल में अभी भी पुरानी पेंशन योजना लागू है। इसी तरह दिल्ली विधानसभा द्वारा पुरानी पेंशन बहाल करने के लिए प्रस्ताव को लेकर केन्द्र सरकार को प्रेषित किया गया है। उसके बाद आंध्रप्रदेश केरल सिक्किम एक महाराष्ट्र की सरकार ने भी पुरानी पेंशन बहाल करने हेतु कमिटी गठित की है। इन तथ्यों के आलोक में स्पष्ट होता है कि पुरानी पेंशन योजना लागू करने के लिए राज्य सरकार स्वतंत्र है।
एक संवेदनशील मुख्यमंत्री होने के नाते बिहार का सरकारी सेवक वर्ग आपसे भी उम्मीद करता है कि आप उनकी पीड़ा को समझते हुए राज्य कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन योजना बहाली के संबंध में न्यायोचित निर्णय लेंगे। वर्ष 2005 में पदभार ग्रहण करने के पश्चात् से लेकर आज तक महोदय द्वारा अनेक महत्वपूर्ण एवं कल्याणकारी निर्णय लिए गये, जिसे धरातल पर मूर्तरूप देने का कार्य इन्हीं सरकारी सेवकों द्वारा किया गया। कोविड के काल में इन्ही सरकारी सेवकों ने अपनी सुरक्षा की परवाह न करते हुए राज्य के नागरिकों के सुरक्षा आवागमन चिकित्सा जैसे अनेकों कार्यों का निष्पादन किया।
मुख्यमंत्री को दिए ज्ञापन में अनुरोध करते हुए कहा है कि बिहार के राज्यकर्मियों की मांग के अनुरूप बिहार में 01.09.2005 के प्रभाव से लागू अंशदायी पेंशन योजना (एन०पी०एस०) को निरस्त किया जाय और पुरानी पेंशन योजना (ओ०पी०एस०) को पुनर्स्थापित किया जाय। अन्यथा बाध्य होकर NMOPS के राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा लिए गये निर्णय के अनुरूप बिहार के सभी NPS से आच्छादित कर्मी दिनांक 16.04.2023 को राज्य के प्रत्येक जिले में पेंशन संवैधानिक मार्च में भाग लेते हुए शांतिपूर्वक तरीके से अपना विरोध दर्ज करने को विवश होंगे।
एनएमओपीएस के प्रदेश अध्यक्ष वरुण पांडे तथा प्रदेश महासचिव शशि भूषण के द्वारा बताया गया कि पुरानी पेंशन बहाली हेतु चरणबद्ध आंदोलन के क्रम में यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।
श्री पाण्डेय के द्वारा दिए गए ज्ञापन के सम्बन्ध में कहा गया है कि भारत सरकार द्वारा दिनांक 01.01.2004 या उसके बाद नियुक्त कर्मियों के लिए उस समय प्रचलित पुरानी पेंशन योजना के स्थान पर नई अशंदायी पेंशन योजना लागू करने के उपरांत राज्य सरकार द्वारा भी उक्त योजना के अनुरूप दिनांक 01.09.2005 के प्रभाव से राज्यकर्मियों के लिए भी बिहार सरकारी कर्मचारी अंशदायी पेंशन योजना 2005 लागू कर दी गई है।
नई अंशदायी पेंशन योजना के लागू होने से राज्यकर्मियों को विभिन्न प्रकार की कठिनाई हो रही है एवं सेवानिवृत्ति अथवा उसके पूर्व मृत्यु के उपरांत मिलने वाली पेंशन की राशि बहुत ही कम होती है, जो वृद्धावस्था में आवश्यक जीवन निर्वाह के लिये पर्याप्त नहीं है, जिससे राज्य सरकार के कर्मी वृद्धावस्था में सामाजिक प्रतिष्ठा एवं सुरक्षा को लेकर आशंकित है।
उल्लेखनीय है कि नई पेंशन प्रणाली में शेयर बाजार पर आधारित पेशन मिलेगा, जिसमें नुकसान की संभावना बनी रहती है बिहार सरकार द्वारा प्रति माह कर्मियों के पेंशन के नाम पर 14 प्रतिशत राशि अपने हिस्से का और 10 प्रतिशत राशि कर्मियों के वेतन से काटकर एजेंसी के पास जमा किया जाता है जिसका फायदा कर्मियों को मिलने की कोई गारंटी नहीं है, बल्कि राज्य सरकार को भी प्रतिमाह राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है और कर्मियों में भी अंसतोष व्याप्त है। इस बात से स्पष्ट है कि NPS से नुकसान सरकार और कर्मियों दोनों को रहा है।
विदित हो कि भारत सरकार का उक्त आदेश राज्यों के लिए बाध्यकारी नहीं इसी के आलोक में राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, हिमाचल प्रदेश एवं पंजाब सरकार द्वारा अपने कर्मियों के लिए नई पेंशन योजना (NPS) को समाप्त करते हुए पुरानी पेंशन योजना लागू करने की घोषणा की गयी है। पश्चिम बंगाल में अभी भी पुरानी पेंशन योजना लागू है। इसी तरह दिल्ली विधानसभा द्वारा पुरानी पेंशन बहाल करने के लिए प्रस्ताव को लेकर केन्द्र सरकार को प्रेषित किया गया है। उसके बाद आंध्रप्रदेश केरल सिक्किम एक महाराष्ट्र की सरकार ने भी पुरानी पेंशन बहाल करने हेतु कमिटी गठित की है। इन तथ्यों के आलोक में स्पष्ट होता है कि पुरानी पेंशन योजना लागू करने के लिए राज्य सरकार स्वतंत्र है।
एक संवेदनशील मुख्यमंत्री होने के नाते बिहार का सरकारी सेवक वर्ग आपसे भी उम्मीद करता है कि आप उनकी पीड़ा को समझते हुए राज्य कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन योजना बहाली के संबंध में न्यायोचित निर्णय लेंगे। वर्ष 2005 में पदभार ग्रहण करने के पश्चात् से लेकर आज तक महोदय द्वारा अनेक महत्वपूर्ण एवं कल्याणकारी निर्णय लिए गये, जिसे धरातल पर मूर्तरूप देने का कार्य इन्हीं सरकारी सेवकों द्वारा किया गया। कोविड के काल में इन्ही सरकारी सेवकों ने अपनी सुरक्षा की परवाह न करते हुए राज्य के नागरिकों के सुरक्षा आवागमन चिकित्सा जैसे अनेकों कार्यों का निष्पादन किया।
मुख्यमंत्री को दिए ज्ञापन में अनुरोध करते हुए कहा है कि बिहार के राज्यकर्मियों की मांग के अनुरूप बिहार में 01.09.2005 के प्रभाव से लागू अंशदायी पेंशन योजना (एन०पी०एस०) को निरस्त किया जाय और पुरानी पेंशन योजना (ओ०पी०एस०) को पुनर्स्थापित किया जाय। अन्यथा बाध्य होकर NMOPS के राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा लिए गये निर्णय के अनुरूप बिहार के सभी NPS से आच्छादित कर्मी दिनांक 16.04.2023 को राज्य के प्रत्येक जिले में पेंशन संवैधानिक मार्च में भाग लेते हुए शांतिपूर्वक तरीके से अपना विरोध दर्ज करने को विवश होंगे।
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