कहता है इतिहास, जगत में हुआ एक ही नर ऐसा,
रण में कुटिल काल-सम क्रोधी, तप में महासूर्य जैसा।
हिंदू धर्म के भगवान के छठे अवतार की आज जयंती मनाई जाती है। जब भी शस्त्र और शास्त्र के प्रकांड विद्वान भगवान परशुराम का नाम आता है तो क्रोध का भान होता है। आप लोग भगवान परशुराम के क्रोध को रामायण में देख चुके हैं , शास्त्रों में पढ़ चुके हैं। ऐसे कहा जाता है कि भगवान परशुराम पृथ्वी को क्षत्रिय विहीन कर चुके थे। भगवान परशुराम का जन्म वैशाख माह के शुक्ल पक्ष के तृतिया को हुआ था इस दिन अक्षय तृतीया भी मनाई जाती है। ये समाचार www.operafast.com पर पढ़ रहे हैं।
परशुराम जी ने क्यों काटा अपनी मां का गला…??
एक बार महर्षि जमदग्नि की पत्नी देवी रेणुका सरोवर में स्नान के लिए गई थीं, वहां राजा चित्ररथ को नौका विहार करते देख रेणुका के मन में विकार उत्पन्न हो गया, यह विकार देख ऋषि जमदग्नि को अत्यंत क्रोध आया।
ऋषि जमदग्नि ने क्रोध वश अपने पुत्रों को माता रेणुका का वध करने का आदेश दिया, पर मां से मोह के कारण एक भी पुत्र यह ना कर सका. इससे ऋषि का क्रोध और भी ज्यादा बढ़ गया और उन्होंने अपने सभी पुत्रों को बुद्धि विवेक से मार जाने का शाप दिया।
इसके बाद जब उन्होंने रेणुका के वध का आदेश परशुराम को दिया तो पिता की आज्ञा का पालन करते हुए परशुराम जी ने अपना परशु उठाकर रेणुका का सिर धड़ से अलग कर दिया। यह देख परशुराम के पिताजी उन पर प्रसन्न हुए और उन्हें तीन वरदान मांगने को कहा।
पिता के कहे अनुसार परशुराम जी ने उनसे तीन वरदान मांगे। पहला माता को फिर से जीवित करने का, दूसरा भाइयों की बुद्धि ठीक करने का और तीसरा दीर्घायु-अजेय होने का, पिता ने परशुराम को तीनों ही वरदान दिए, जिसके बाद परशुराम जी सदा के लिए अजेय और अमर हो गए।
परशुराम जी ने क्यों काटा अपनी मां का गला…??
एक बार महर्षि जमदग्नि की पत्नी देवी रेणुका सरोवर में स्नान के लिए गई थीं, वहां राजा चित्ररथ को नौका विहार करते देख रेणुका के मन में विकार उत्पन्न हो गया, यह विकार देख ऋषि जमदग्नि को अत्यंत क्रोध आया।
ऋषि जमदग्नि ने क्रोध वश अपने पुत्रों को माता रेणुका का वध करने का आदेश दिया, पर मां से मोह के कारण एक भी पुत्र यह ना कर सका. इससे ऋषि का क्रोध और भी ज्यादा बढ़ गया और उन्होंने अपने सभी पुत्रों को बुद्धि विवेक से मार जाने का शाप दिया।
इसके बाद जब उन्होंने रेणुका के वध का आदेश परशुराम को दिया तो पिता की आज्ञा का पालन करते हुए परशुराम जी ने अपना परशु उठाकर रेणुका का सिर धड़ से अलग कर दिया। यह देख परशुराम के पिताजी उन पर प्रसन्न हुए और उन्हें तीन वरदान मांगने को कहा।
पिता के कहे अनुसार परशुराम जी ने उनसे तीन वरदान मांगे। पहला माता को फिर से जीवित करने का, दूसरा भाइयों की बुद्धि ठीक करने का और तीसरा दीर्घायु-अजेय होने का, पिता ने परशुराम को तीनों ही वरदान दिए, जिसके बाद परशुराम जी सदा के लिए अजेय और अमर हो गए।
No comments:
Post a Comment