Friday, 2 December 2022

जब सानिया मिर्जा युवा दिलों पर राज करती थी और आज......

जब सानिया मिर्जा युवा दिलों पर राज करती थी और आज......

सानिया मिर्जा पिछले दशक में नारीवाद की सबसे मजबूत प्रतीक रही हैं। एक दकियानूसी बैकग्राउंड से निकल कर कभी "छोटे कपड़ों" के के लिए तो कभी खेलने को लेकर जारी हुए फतवों से जूझते हुए सफलता के शिखर पर पहुँची सानिया छा गयी थीं। उनकी उपलब्धियों पर भारत झूमता था। यह समाचार www.operafast.com पर पढ़ रहे हैं।



सन दो हजार के दशक में युवा हुए लड़कों में अधिकांश ऐसे हैं जिनके होठों पर सानिया मिर्जा का नाम आते ही एक रोमांटिक मुस्कान तैर उठती है। सब उनसे प्रेम करते थे। वे इकलौती गैर सिनेमाई लड़की थीं जिसकी तस्वीरें हीरोइनों से अधिक बिकीं और लड़कों के कमरों की दीवालों पर टँगी थी। क्षेत्रीय भाषाओं में सैकड़ों लोकगीत बने उनके नाम पर, और शायद ही कोई पत्रिका हो जिसकी कवर स्टोरी न रही हो सानिया पर।

भारत में स्त्रीवाद जब असफल लेखिकाओं का प्रलाप भर रह गया था, तब सानिया ने बताया कि मजबूत स्त्री होने का अर्थ सुबह से शाम तक पुरुषों को गाली देना नहीं है, बल्कि पुरुषों के वर्चस्व वाले क्षेत्र में भी अपना सशक्त स्थान बना लेना है। उसने अपने जीवन के लिए अनेक निर्भीक निर्णय लिए। परिवार द्वारा तय की गई शादी से अंतिम क्षण में इनकार कर अपनी सगाई तोड़ देना हो, या भारत के परंपरागत शत्रु देश में विवाह करने का निर्णय लेना हो...  या फिर उतनी सफलता के बाद भी किसी तलाकशुदा से विवाह का निर्णय, इसके लिए बड़े साहस की आवश्यकता थी। पाकिस्तानी से विवाह करना उनके परिवार को भले कम चुभा हो, पर उनके भारतीय प्रसंशकों को बहुत अखड़ी थी यह बात।



खैर...

सानिया उन विषयों पर भी निर्भीकता से बोल देती थीं, जिसपर उनके समाज की लड़कियां सोच भी नहीं पातीं। यह बहुत बड़ी बात थी।

इधर कुछ दिन से सानिया तलाक की खबरों को लेकर फिर चर्चा में हैं। खबरों के अनुसार क्रूर पुरुषवादी मानसिकता वाले पाकिस्तानी समाज के शोएब सानिया के बाद तीसरा विवाह करने जा रहे हैं। वैसे तो पाकिस्तान जैसे देश में यह आश्चर्यजनक बात नहीं है, पर देखना यह होगा कि क्या सानिया जैसी स्वतंत्र स्त्री इसे स्वीकार करती है।

वैसे तथ्य यह भी है कि जब सानिया ने शोएब से विवाह किया था तब भी उनके लिए शोएब ने अपनी पहली पत्नी को छोड़ा था। अब वे तीसरी पत्नी के लिए सानिया को छोड़ रहे हैं। यदि वह ठीक था तो यह भी ठीक है, और अगर यह बेवफाई है, तो वह भी बेवफाई थी।


हमारी पीढ़ी की महिलाओं के लिए ज़रूरी यह है कि जितना उन में आधुनिकता बोध है उतना ही परम्परा बोध भी बचा रहे क्योंकि गलत परम्पराओं के कांटे सबके पैरों में चुभते हैं।

शोएब ने पहली वाली को छोड़कर सानिया से निकाह किया, अपनी औकात से बेहतर और काबिल लडकी मिलने के बावजूद कौम की जन्मजात आदत गई नहीं, और भाईजान तीसरी हसीना के चक्कर में पड़ गए। अब वह दो दो औरतों के साथ दगा करके भी कौम के हीरो बने रहेंगे और तीसरी के साथ मज़े से जिंदगी भी काटेंगे। दूसरी तरफ अपना सब निचोड़वाकर सानिया को खाली हाथ अपने मुल्क लौटना पड़ रहा है, तलाकशुदा के टैग के साथ। ये एक कौम में इतनी बड़ी हस्ती की हैसियत है, बाकी की औरतों का हाल तो आप सोच सकते हैं।

सानिया से कोई हमदर्दी नहीं, क्योंकि उसने दुश्मन मुल्क से रिश्ता जोड़ा, जबकि हिंदुस्तान में ही उस पे मरने वाले लाखो युवा थे, काबिल थे, मुसलमान भी थे। लेकिन उन सभी को ठुकरा कर स्वार्थी बनकर वह उस मुल्क को भी भूल गई थी जिसने उसे इतनी इज्जत दी, कामयाबी दी। इंसान के कर्म कभी भी उसका पीछा नहीं छोड़ते ।
साभार

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