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न्यू पेंशन स्कीम से अच्छादित सरकारी कर्मी बहुत ही जोर शोर से पुरानी पेंशन लागू करवाने के लिए प्रयासरत हैं और सभी सरकारी कर्मी चाहते हैं कि उनकी सेवानिवृत्ति होने पर पुरानी पेंशन ही मिले, जो मूल वेतन का 50% हो । इसके लिए वे लोग विभिन्न संगठन बनाकर सरकार के खिलाफ काला बिल्ला लगाकर प्रदर्शन कर रहे हैं, तो कहीं जनसभा कर रहे हैं। कहीं बैठक कर सभी कर्मचारियों को एकजुट करने में लगे हुए हैं। अगर अगर ऐसी स्थिति में कोई व्यक्ति पुरानी पेंशन को सरकार पर बोझ बता दें तो ऐसे कर्मचारियों पर क्या गुजरेगा। निश्चित है उनमें उबाल आएगा और बवाल मचाएगा। ये समाचार www.operafast.com पर पढ़ रहें हैं।
जी, मैं बिल्कुल सही कह रही हूं क्योंकि दैनिक जागरण के 4 अक्टूबर के अंक में डा. अजय कमरिया ने पुरानी पेंशन को लेकर एक लेख लिखा है, जिसका शीर्षक था "पुरानी पेंशन की बहाली के खतरे।"
बस फिर क्या था सभी सरकारी कर्मी जो अभी न्यू पेंशन स्कीम के अंतर्गत आते हैं उनका गुस्सा उबाल तक आ गया और उन्होंने सोशल मीडिया पर बायकॉट दैनिक जागरण ट्रेंड करवाने लग गए, अखबार के प्रति जलाने लगे। सरकारी कर्मियों को कहना है कि यह दैनिक जागरण अखबार सरकार के दबाव में पैसा लेकर ऐसा लेख लिख रहा है। कुछ कर्मचारियों ने तो दैनिक जागरण अखबार को देश के प्रति खतरा बता दिया है सरकारी कर्मचारी कहते हैं कि जो अखबार अपने कर्मचारियों को सही वेतन नहीं देता है और फर्जी हस्ताक्षर कर हक मार देता है। ऐसे में इस अखबार से उम्मीद ही क्या की जा सकती है। सरकारी कर्मियों ने दैनिक जागरण के प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया, उसके व्यवसाय और संस्थानों को बहिष्कार का ऐलान कर दिया है। कुछ कर्मियों ने दैनिक जागरण के बॉयकॉट का अभियान सोशल मीडिया पर चलाया और इस अखबार के प्रति को जलाते हुए सोशल मीडिया पर तस्वीरें ही पोस्ट की है।
जैसा कि आप जानते हैं कि बाजपेयी सरकार ने 2004 में ही इन कर्मियों की पुरानी पेंशन को बंद कर दिया था उसके बाद सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को पेंशन के रूप में 1000 से 2000 के बीच पेंशन मिलता है। इसके बदले में उनके वेतन से 10% एक मुश्त प्रति महीना काट लिया जाता है। साथ में सरकार भी अपने द्वारा अरबों रुपया न्यू पेंशन स्कीम के एजेंसी को देती है। इसके बावजूद सेवानिवृत्त कर्मियों को भरण पोषण लायक पेंशन नहीं मिलता। जरा सोचिए 2000 प्रति महीना में क्या होगा।
एक बैठक कर नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के सेंट्रल टीम और बिहार टीम ने सभी कर्मियों को दैनिक जागरण पेपर नही खरीदने की सलाह दी है। इस टीम के बिहार प्रदेश अध्यक्ष वरुण पांडे ने कहा कि सभी कर्मियों को दैनिक जागरण का हर हाल में बहिष्कार करना चाहिए। उन्होंने कहा अजय खमरिया ने जो लेख लिखा है वो क्षमा योग्य नहीं है। इस लेख में सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देना आर्थिक रूप से जोखिम पूर्ण नीति बताया है जिसका सामाजिक न्याय और सुरक्षा के साथ कोई भी संबंध नहीं है। इस तरह के पेंशन विरोधी लेख में जगह-जगह कटाक्ष किया गया है। पेंशन विहीन कर्मचारियों ने इस अखबार पर आरोप लगाते हुए कहा दैनिक जागरण संस्थान ने सरकार से मिलीभगत कर देश की सेवा करने वाले सरकारी कर्मचारियों के पुरानी पेंशन के खिलाफ लेख लिखकर जहर उगला है इसलिए यह अखबार सरकारी कर्मचारियों के साथ साथ देश के प्रति खतरनाक है, जिसका पूर्ण रूप से बहिष्कार जरूरी है।
एक कर्मी ने गुस्से में कहा कि सरकार कारपोरेट जगत के मित्रों के 11 लाख करोड़ रुपए माफ कर दिया, ना जाने कितने लाख करोड़ रुपए लेकर भाग गए। इससे अर्थव्यवस्था चौपट नही हुई, नेता पेंशन लेते हैं उससे अर्थव्यवस्था चौपट नही हुई। केवल सरकारी कर्मियों के पेंशन ही देशहित में नही है। इस तरह के लेख लिखने वाला चाटुकार और दलाल ही देश को गर्त में ले जा रहा है।
न्यू पेंशन स्कीम से अच्छादित सरकारी कर्मी बहुत ही जोर शोर से पुरानी पेंशन लागू करवाने के लिए प्रयासरत हैं और सभी सरकारी कर्मी चाहते हैं कि उनकी सेवानिवृत्ति होने पर पुरानी पेंशन ही मिले, जो मूल वेतन का 50% हो । इसके लिए वे लोग विभिन्न संगठन बनाकर सरकार के खिलाफ काला बिल्ला लगाकर प्रदर्शन कर रहे हैं, तो कहीं जनसभा कर रहे हैं। कहीं बैठक कर सभी कर्मचारियों को एकजुट करने में लगे हुए हैं। अगर अगर ऐसी स्थिति में कोई व्यक्ति पुरानी पेंशन को सरकार पर बोझ बता दें तो ऐसे कर्मचारियों पर क्या गुजरेगा। निश्चित है उनमें उबाल आएगा और बवाल मचाएगा। ये समाचार www.operafast.com पर पढ़ रहें हैं।
जी, मैं बिल्कुल सही कह रही हूं क्योंकि दैनिक जागरण के 4 अक्टूबर के अंक में डा. अजय कमरिया ने पुरानी पेंशन को लेकर एक लेख लिखा है, जिसका शीर्षक था "पुरानी पेंशन की बहाली के खतरे।"
बस फिर क्या था सभी सरकारी कर्मी जो अभी न्यू पेंशन स्कीम के अंतर्गत आते हैं उनका गुस्सा उबाल तक आ गया और उन्होंने सोशल मीडिया पर बायकॉट दैनिक जागरण ट्रेंड करवाने लग गए, अखबार के प्रति जलाने लगे। सरकारी कर्मियों को कहना है कि यह दैनिक जागरण अखबार सरकार के दबाव में पैसा लेकर ऐसा लेख लिख रहा है। कुछ कर्मचारियों ने तो दैनिक जागरण अखबार को देश के प्रति खतरा बता दिया है सरकारी कर्मचारी कहते हैं कि जो अखबार अपने कर्मचारियों को सही वेतन नहीं देता है और फर्जी हस्ताक्षर कर हक मार देता है। ऐसे में इस अखबार से उम्मीद ही क्या की जा सकती है। सरकारी कर्मियों ने दैनिक जागरण के प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया, उसके व्यवसाय और संस्थानों को बहिष्कार का ऐलान कर दिया है। कुछ कर्मियों ने दैनिक जागरण के बॉयकॉट का अभियान सोशल मीडिया पर चलाया और इस अखबार के प्रति को जलाते हुए सोशल मीडिया पर तस्वीरें ही पोस्ट की है।
जैसा कि आप जानते हैं कि बाजपेयी सरकार ने 2004 में ही इन कर्मियों की पुरानी पेंशन को बंद कर दिया था उसके बाद सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को पेंशन के रूप में 1000 से 2000 के बीच पेंशन मिलता है। इसके बदले में उनके वेतन से 10% एक मुश्त प्रति महीना काट लिया जाता है। साथ में सरकार भी अपने द्वारा अरबों रुपया न्यू पेंशन स्कीम के एजेंसी को देती है। इसके बावजूद सेवानिवृत्त कर्मियों को भरण पोषण लायक पेंशन नहीं मिलता। जरा सोचिए 2000 प्रति महीना में क्या होगा।
एक बैठक कर नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के सेंट्रल टीम और बिहार टीम ने सभी कर्मियों को दैनिक जागरण पेपर नही खरीदने की सलाह दी है। इस टीम के बिहार प्रदेश अध्यक्ष वरुण पांडे ने कहा कि सभी कर्मियों को दैनिक जागरण का हर हाल में बहिष्कार करना चाहिए। उन्होंने कहा अजय खमरिया ने जो लेख लिखा है वो क्षमा योग्य नहीं है। इस लेख में सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देना आर्थिक रूप से जोखिम पूर्ण नीति बताया है जिसका सामाजिक न्याय और सुरक्षा के साथ कोई भी संबंध नहीं है। इस तरह के पेंशन विरोधी लेख में जगह-जगह कटाक्ष किया गया है। पेंशन विहीन कर्मचारियों ने इस अखबार पर आरोप लगाते हुए कहा दैनिक जागरण संस्थान ने सरकार से मिलीभगत कर देश की सेवा करने वाले सरकारी कर्मचारियों के पुरानी पेंशन के खिलाफ लेख लिखकर जहर उगला है इसलिए यह अखबार सरकारी कर्मचारियों के साथ साथ देश के प्रति खतरनाक है, जिसका पूर्ण रूप से बहिष्कार जरूरी है।
एक कर्मी ने गुस्से में कहा कि सरकार कारपोरेट जगत के मित्रों के 11 लाख करोड़ रुपए माफ कर दिया, ना जाने कितने लाख करोड़ रुपए लेकर भाग गए। इससे अर्थव्यवस्था चौपट नही हुई, नेता पेंशन लेते हैं उससे अर्थव्यवस्था चौपट नही हुई। केवल सरकारी कर्मियों के पेंशन ही देशहित में नही है। इस तरह के लेख लिखने वाला चाटुकार और दलाल ही देश को गर्त में ले जा रहा है।
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