Friday, 7 October 2022

एसबीआई में बैंक अकाउंट बंद करेंगे सरकारी कर्मी, ये है बड़ी वजह...

पेंशन विहीन कर्मी एसबीआई से है नाराज, बैंक अकाउंट बंद कर करेंगे बोझ कम 

पुरानी पेंशन से विहीन केंद्र सरकार और सभी राज्यों के सरकारी कर्मी किसी भी तरह सरकार तथा एनएसडीएल के सांठ गांठ से संचालित न्यू पेंशन स्कीम से बाहर आने के लिए उतावले हैं। उतावले इतने की जो भी पुरानी पेंशन मिलने की प्रक्रिया में अड़चने पैदा करें उसे बख्शने के मुड में नहीं है। ऐसे लोगों को भी मुंह तोड़ जवाब देना जानते हैं। यह समाचार www.operafast.com  पर पढ़ रहे हैं।



SBI द्वारा कर्मचारियों की ओल्ड पेंशन स्कीम को देश पर बोझ बताने संबंधी बयान के बाद देने पर कर्मचारियों ने जमकर खड़ी खोटी सुनाई। सभी रेल कर्मचारियों ने एक मत होकर ओपीएस को बोझ बताने वाले बयान को लेकर कड़ी निन्दा की है। इस पर केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी एक साथ अब एसबीआई को सबक सिखाने के मुड में आ गए है। उनका कहना है कि हमे अपने SBI के बैंक खाते बंद कर , SBI का भी बोझ कम कर देना चाहिए।



आज पटना में रेलवे कर्मचारी परिवार के तत्वाधान में यातायात परिचालन, कैरिज एंड वैगन तथा कमर्शियल विभाग के कई कर्मचारियों द्वारा पटना जंक्शन पर एक बैठक कर निर्णय लिया कि एसबीआई को पुरानी पेंशन बोझ लगती है तो हम सभी एनपीएस अच्छादित कर्मी अपने स्टेट बैंक से सैलरी अकाउंट को बंद कर किसी अन्य बैंक के ब्रांच में नया खाता जल्द ही खुलवाएंगे। इसके लिए एक मैन टू मैन कॉन्टैक्ट प्रोग्राम चलाया जाएगा जिसमें बिहार सरकार के पेंशन विहीन कर्मचारियों को शामिल किया जाएगा। बैठक को संबोधित करते हुए अमरजीत कुमार ने कहा कि इस अक्टूबर माह में कम से कम 5000 अकाउंट को एसबीआई से बंद करवाने के लक्ष्य रखा गया है।



स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के सीनियर अधिकारियों को डर है कि पुरानी पेंशन को जल्द लागू होने से एसबीआई जैसी संस्थाओं के पास सरकार के 14% और कर्मचारियों के वेतन का 10% अंश जाना बंद हो जायेगा, इसलिए ये लोग अनाप शनाप बयान देने में लगा है। ऐसे सरकार एनएसडीएल के माध्यम से कुल जमा राशि का 33% भाग स्टेट बैंक के शेयर में निवेश करती है।

लेकिन उन्हें यह नही मालूम है कि एनपीएस पर सरकार हर साल लगभग 1200 करोड़ रुपए एनएसडीएल के खाते में डालती है जबकि कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन लागू होते ही यह रकम सालाना 500 करोड़ पर सिमट जाएगी। इसमें सरकार का फायदा ही फायदा है, लेकिन पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए एनपीएस पर अड़ी है।

हम आपको बता दें कि ऐसा ही बयान दैनिक जागरण के सम्पादकीय पर एक लेख के रूप में छपा था जिसका कर्मचारियों ने जोरदार विरोध किया, दैनिक जागरण के प्रति को जलाकर विरोध किया था जबकि बहुत सारे कर्मचारियों ने दैनिक जागरण लेना बंद कर दिया। ठीक इसी प्रकार एसबीआई में भी अकाउंट बंद करने की खबर आनी शुरू हो गया है।


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