Saturday 24 September 2022

सोनू सूद के कार्यक्रम में मनीष कश्यप और आयोजकों के बीच क्या हुआ था।



सोनू सूद के कार्यक्रम में मनीष कश्यप और आयोजकों के बीच क्या हुआ था

जानते हैं आप सोनू सूद बिहार क्यों आए थे ? उनको बिहार किसने बुलाया था। और किस तरह से आदर्श आनंद ने रो गाकर अपनी भद्द पिटवा दी। अगर आप जानेंगे तो आपके पैरों तले की जमीन भले ना खिसके, लेकिन आप यह सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि यहां कहानी होती कुछ और है। बताइए कुछ और जाती है। और आप समझते कुछ और हैं। यह समाचार www.operafast.com  पर रहे हैं।


दरअसल सोनू सूद को बिहार मनीष कश्यप ने नहीं बुलाया था मतलब कि सोनू सूद मनीष कश्यप के कहने पर बिहार नहीं आए थे बल्कि उन्हें श्री नरेंद्र एवं विजयलक्ष्मी ने बुलाया था। उन्हें बुलाया गया था क्योंकि पटना के बापू सभागार में एक फैशन शो का एक कार्यक्रम था उस फैशन शो का नाम था फेस ऑफ पाटलिपुत्र सीजन 3। उसमें लड़के और लड़कियां शिरकत कर रहे थे। जिस के मुख्य अतिथि के तौर पर सोनू सूद को बुलाया गया था। सोनू सूद बिहार इसलिए आए थे क्योंकि बिहार में एक अस्पताल और एक स्कूल उन्हें खोलना था जिसमें गरीब के बच्चे पढ़ सके और एक ऐसा अस्पताल जिसमें गरीब का इलाज हो सके।



सोनू सूद बिहार आ तो गए। एयरपोर्ट पर उतर भी गए। उन्हें वहां जाना है जैसा कि जिस ने बुलाया था। वह हवाई अड्डा पर रिसीव भी करने गया। लेकिन सोनू सूद को मनीष कश्यप का गाड़ी शायद ज्यादा पसंद आ गया था। वह उस आर्गेनाइजेशन के गाड़ी में ना बैठकर के मनीष कश्यप के गाड़ी में बैठ गए। इस खेल के शुरू होने से पहले की कहानी हम बताते हैं। सोनू सूद के आगमन के बारे में मनीष कश्यप ने जमकर प्रचार किया था। जिससे सभी को लग रहा था कि पटना के गांधी मैदान स्थित बापू सभागार में बहुत जबरदस्त भीड़ रहेगी। इसलिए आयोजक ने बापू सभागार में सोनू सूद के कार्यक्रम के लिए शिरकत करने वालों के लिए टिकट निर्धारित कर दी। टिकट का दर इतना हाई रख दिया गया कि आम आदमी उस टिकट को खरीद ही नहीं सकता। 1500 , 600, और ₹300 रुपए। लेकिन जब वह सब टिकट बिका ही नहीं तो फिर उसका दाम आधा कर दिया गया यानी ₹1500 का क्रिकेट का दर 700, ₹600 का क्रिकेट 300 और 300 रुपए के टिकट का दर 150 रुपए।



सोनू सूद पटना के एयरपोर्ट पर उतर चुके थे मनीष कश्यप सोनू सूद को अपने गाड़ी में बैठा चुके थे। सोनू सूद लिट्टी चोखा खा रहे थे। बिहार के तरफदारी में 4 शब्द बोल रहे थे। फिर भी सोनू सूद के आने के उपलक्ष में बापू सभागार भर ही नहीं रहा था। टिकट बुकिंग नहीं हो रहा था । बहुत से लोगों को लगता था कि सोनू सूद आए थे और बापू सभागार भीड़ से खचाखच भरा था। उस सभागार में 5000 लोग बैठ सकते थे लेकिन सच तो यह है कि हजार से डेढ़ हजार लोग ही उस हाल में मौजूद थे। उसमें भी तकरीबन करीब 300 पत्रकार होंगें। अब पत्रकार इसलिए आए थे क्योंकि मनीष कश्यप ने सभी को आमंत्रित किया था। जैसे ही सोनू सूद मनीष कश्यप के गाड़ी में बैठे हैं वैसे ही पूरी कहानी पलट गई। 

 शाम 4:00 बजे तक सोनू सूद को बापू सभागार में आना था लेकिन शाम 7:00 बजे तक को सभागार में आएं नहीं। क्योंकि बापू सभागार भर नहीं रहा था। टिकट बिक नहीं रहा था। इसलिए सोनू सूद से पहले मनीष कश्यप आए और मनीष कश्यप के साथ वहां कुछ ऐसा मामला हुआ कि मैं सच सच यहां लिख नहीं सकता। जिसके बाद मनीष कश्यप गायब हो गए। कहां गायब हो गए जो कोई नहीं जानता। सोनू सूद का कार्यक्रम हुए, सोनू सूद ने बिहार की तारीफ की उन्होंने लिट्टी चोखा की तारीफ की। कुछ गाने पर ठुमके लगाए। वहां पर सब का कार्यक्रम हुआ। अगर किसी का कार्यक्रम नहीं हुआ तो वह था मनीष कश्यप का कार्यक्रम। मनीष कश्यप को सोनू सूद के मंच पर खड़े होकर भाषण देने थे। आदर्श आनंद का कार्यक्रम होना था। धन्यवाद की एक लड़की थी जो एक पाव पर चलकर आई थी उसका कार्यक्रम होना था। कुछ और साथी भी गांव के थे जो सोनू सूद पर कुछ रैंप सॉन्ग गाने आए थे। सोनू सूद खान सर से मिलने वाले थे। सोनू सूद एसके झा सर से मिलने वाले थे।



सोनू सूद के मंच पर शिवेश मिश्रा का कार्यक्रम होने वाला था। उसी मंच पर बिहार के बड़े-बड़े कलाकारों का कार्यक्रम होने वाला था। लेकिन किसी का नहीं हुआ क्योंकि मनीष कश्यप और उस ऑर्गनाइजेशन से कुछ बिगड़ सी हो गई थी।


बिगड़ी ऐसी कि मनीष कश्यप उस मंच पर चढ़ें ही नहीं। वह मंच पर चढ़े ही नहीं या फिर उन्हें चढ़ने ही नहीं दिया गया। आप फोटो में खुद ही देख लीजिए कि उस मंच पर सोनू सूद के बगल में मनीष कश्यप नजर आ रहे हैं? जब मनीष कश्यप ही मंच पर नजर नहीं आ रहे हैं तो फिर मनीष कश्यप ने जिसे बुलाया है वह फिर मंच पर कैसे नजर आ सकता है। सोनू सूद की मुलाकात ग्रेजुएट चाय वाली से भी होने वाली थी। लेकिन सोनू सूद उससे भी नहीं मिल पाए। मतलब यह समझ लीजिए कि मनीष कश्यप और उस ऑर्गेनाइजेशन से बिगाड़ से हुई । तो उस मंच पर मनीष कश्यप नजर नहीं आए तो सभी लोगों ने , जिस जिस को मनीष कश्यप ने बुलाया था उसने तुरंत ही ये बात भी भाप लिया कि गड़बड़ जरूर कुछ हुई है।


अगर बात करें प्रेस कान्फ्रेस करके मनीष कश्यप की गलती सिद्ध करने वाले का।जी हां। मनीष कश्यप से इतना गलती तो जरूर हुई है कि भागलपुर से कॉमेडियन आनंद आदर्श आया है इतना बड़ा कलाकार आया है जिसका फोन ना उठाने की गलती तो कम से कम ना करनी चाहिए थी। बल्कि फोन करके यह बता देना चाहिए था कि आदर्श भाई सब गड़बड़ हो गया है। हम जो सोचकर बुलाए थे वो सब यहां नही हो पाएगा।

हम को माफ कर दीजिए। आगे से हम ऐसी गलती नहीं करेंगे। इसका पूरा ख्याल रखेंगे। मनीष कश्यप की गलती इतना जरूर है कि उन्होंने आपको भाई समझा। हां उन्होंने आदर्श आनंद को दिलासा दिया कि सोनू सूद के मंच पर आप का कार्यक्रम होगा। लेकिन वह सब नहीं हो पाया। उल्टा आपका खर्चा लग गया उल्टा आपको ठहरने के लिए एक ऐसा होटल दे दिया गया जिसमें मनीष कश्यप नहीं आ सकते। 
इतना तो समझ में आता है कि 2.5 मिलियन फॉलोवर होने के बाद उसके ठहराने के लिए कितना भव्य होटल देना चाहिए। उसे पीने के लिए कितना शानदार विशलैरी के पानी देना चाहिए। 

आदर्श आनंद आपने वह सब बिहार के लोगों को बताया जो नहीं बताना चाहिए था। आपने बताया कि बिहार के धरती पर बिहार के लोगों का अपमान नहीं होना चाहिए। आपका कुछ हो ना हो लेकिन आपको फूल इज्जत मिलनी चाहिए। जब मैं मिले तो दूसरे की इज्जत और चड्डी उछालनी चाहिए। किसी की इज्जत कैसे उतारने चाहिए ऐसा भला आप से अच्छा कौन जानता है। लेकिन जरा सोचिए कि धनबाद से एक लड़की एक पाव पर आई थी। उसका एक पाव नहीं था। वह सोनू सूद से मिलने आई थी। अगर वह प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रही होती तो क्या होता। लोगों की सहानुभूति आपसे ज्यादा कहीं उस लड़की को मिलती। लेकिन जानते हैं उस लड़की ने ऐसा क्यों नहीं किया। क्योंकि वह जानती थी ऐसा हम करेंगे तो बिहार की इज्जत बढेगी नहीं बल्कि घटेगी। ये आपसी मामला है आपसी मामले को आपसी स्तर पर बैठकर सुधारना चाहिए। ऐसा तो है नहीं कि मनीष कश्यप से आपके बनती नहीं है। 

ऐसा भी नहीं है कि फोन पर बातचीत नहीं होती है। ऐसा भी तो नहीं है कि आपका पूछ लेना देना मनीष कश्यप से नहीं है। उन्होंने आपका इंटरव्यू किया है जिस पर 4 से 5 मिलीयन व्यू भी आया है। आराम से बाद में भी फोन कर सकते थे।

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