क्या आप 52 वर्षों तक संघ मुख्यालय पर तिरंगा नहीं फहराने का कारण जानते हैं ?
RSS ने 52 वर्षों तक भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा क्यों नही फहराया ?
ब्रिटिश शासन से अपनी स्वतंत्रता प्राप्त करने के 75 वां वर्ष पूर्ण करने के उपलक्ष्य में भारत आजादी का अमृत महोत्सव का आयोजन कर रहा है, जिसके समारोह मार्च, 2021 से शुरू हुए। आजादी का अमृत महोत्सव समारोह पर हर घर तिरंगा अभियान का शुरुआत 2 अगस्त से किया गया था। इस कदम के समर्थन में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के हर नागरिकों को घर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए बोला है। उन्होंने उनसे 2 अगस्त से 15 अगस्त के बीच राष्ट्रीय ध्वज को अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स की प्रोफाइल पिक्चर के रूप में लगाने के लिए भी कहा। छात्रों को भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के बारे में इन दिलचस्प तथ्यों के बारे में पता होना चाहिए। यह न्यूज www.operafast.com पर पढ़ रहे हैं।
अनुचित उपयोग रोकथाम अधिनियम 1950 की संख्या 12 के अनुसार भारत में कोई भी व्यक्ति राष्ट्रीय ध्वज का प्रदर्शन, प्रतीक और नाम का उपयोग नही कर सकेगा। साथ ही राष्ट्रीय सम्मान के अपमान की रोकथाम अधिनियम, 1971 (संख्या 69) के प्रावधानों के तहत भी भारतीय ध्वज का उपयोग निजी भवन या निजी कारण के लिए नही किया जा सकता था। बाद में फिर भारतीय ध्वज संहिता, 2002, सभी संबंधितों के मार्गदर्शन और लाभ के लिए ऐसे सभी कानूनों, परंपराओं, प्रथाओं और निर्देशों को एक साथ लाने का एक प्रयास किया गया। जिसके मुताबिक आप अपने घर पर भी तिरंगा फहरा सकते हैं ।अधिवक्ता बी एम बिराजदार ने कहा था कि "भारतीय ध्वज संहिता 2002 ध्वज के सम्मान और गरिमा के अनुरूप तिरंगे के अप्रतिबंधित प्रदर्शन की अनुमति देता है ।
आप ये बात शोशल मीडिया पर अक्सर पढ़ते होंगे कि आरएसएस यानी स्वयं सेवक संघ 1950 से 2002 तक राष्ट्रीय झंडा तिरंगा नहीं फहराया, तो इस राष्ट्रीय ध्वज के न फहराने का सच क्या है ? ये आपको मालूम नही होगा। आज हम आपको इसी सच से अवगत कराएंगे।
आरएसएस के विरोधी खेमे या विपक्ष के लोग अक्सर ये प्रश्न उठते रहते हैं कि 1950 के बाद RSS ने तिरंगा फहराना बंद कर दिया ।
आखिर क्यों ?
आज़ादी के बाद संघ की शक्ति लगातार बढ़ती जा रही थी और संघ ने राष्ट्रीय पर्व जैसे 15 अगस्त और 26 जनवरी जोर शोर से मनाने शुरू कर दिए थे, जनता ने भी इसमे बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेना शुरू कर दिया । इससे नेहरू को अपना सिंहासन डोलता नज़र आया और बड़ी ही चालाकी से उन्होंने भारत के संविधान में एक अध्याय जुड़वा दिया "National Flag Code".
नेशनल फ्लैग कोड को संविधान की अन्य धाराओं के साथ 1950 में लागू कर दिया गया और इसी के साथ तिरंगा फहराना अपराध की श्रेणी में आ गया।e इस कानून के लागू होने के बाद राष्ट्रीय ध्वज केवल सरकारी भवनों पर कुछ विशेष लोगों द्वारा ही फहराया जा सकता था और यदि कोई व्यक्ति इसका उल्लंघन करता तो उसे सश्रम कारावास की सज़ा का प्रावधान था।
अर्थात कानून के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज अब संघ की शाखाओं में नही फहराया जा सकता था क्योंकि वे सरकारी भवन न होकर, निजी स्थान थे । संघ ने कानून का पालन किया और तिरंगा फहराना बंद कर दिया।
यह कानून नेहरू के डर के कारण बनाया गया था वरना इसका कोई औचित्य नही था क्योंकि आज़ादी की लड़ाई में तो प्रत्येक आम आदमी तिरंगा हाथ में लेकर सड़कों पर होता था। परन्तु अचानक उसी आम आदमी और समस्त भारत की जनता से उनके देश के झंडे को फहराने का अधिकार छीन लिया गया और जिस तिरंगे के लिए लाखों लोग बलिदान हो गए वह तिरंगा फहराने का अधिकार अब केवल वैसे लोगों के अधीन हो गया था जो शासन तंत्र में बैठे थे और सरकारी के नाम पर केंद्र से लेकर राज्य तक कांग्रेस के शासन होने के कारण दूसरा व्यक्ति को ये अवसर नही मिल रहा था। यानी नेहरू गांधी परिवार की संपत्ति बन चुका था।
नवीन जिंदल जब अमेरिका में पढ़ते थे तब वह हर निजी प्रतिष्ठान हर दुकान हर माल पर अमेरिका का राष्ट्रीय झंडा फहराते देखते थे तब उनके भी मन में था कि अमेरिकन की तरह हम भारतीयों को अपना राष्ट्रीय झंडा अपने ऑफिस या अपने घर या अपने प्रतिष्ठान में फहराने का अधिकार क्यों नहीं मिला ।
कांग्रेस के सांसद नवीन जिंदल ने अपनी फैक्ट्री 'जिंदल विजयनगर स्टील्स' में तिरंगा फहराया और उनके विरुद्ध FIR दर्ज करने के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया. इसके बाद उन्होंने लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी और 2002 में उच्च न्यायालय ने यह आदेश जारी किया कि भारत का ध्वज प्रत्येक नागरिक फहरा सकता है। अपने निजी भवन पर भी फहरा सकता है। बशर्ते वे राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान का ध्यान रखे और तिरंगे को Flag Code के अनुसार फहराए। इसके बाद से आज तक निरंतर संघ की हर शाखा में तिरंगा फहराया जा रहा है।
आज वही कांग्रेसी प्रश्न उठा रहे हैं जो राष्ट्रगान के समय कुर्सी से उठते भी नही, बैठे रहते हैं। आपको गूगल पर कई कांग्रेसियों और वामपंथियों के ब्लॉग मिल जाएंगे जिसमें तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया होगा परन्तु हर जगह एक बात जरूर मिलेगी कि 1950 से पहले और 2002 के बाद संघ तिरंगा फहराता आ रहा है।
तो अब आपको पता चल गया कि तिरंगे का असली दोषी कौन था ?
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