बिहार में शिक्षा व्यवस्था का क्या हाल है ये किसी को बताने की जरूरत नही है वो भी सरकारी स्कूल की। कोई भी अविभावक शायद ही अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ता हो, लेकिन जब आपको मालूम चले की बिहार के गोपालगंज जिले में एक ऐसा भी स्कूल है जहां अधिकारी अपने जांच के दौरान शिक्षक को क्लास में सोता मिले। ये समाचार www.operafast.com पर पढ़ रहे हैं ।
जी हां। एक ऐसी ही तस्वीर बिहार के गोपालगंज जिले से सामने आई है, जो राज्य में बेहतर शिक्षा व्यवस्था के दावों की पोल खोलती नजर आती है। दरअसल मामला गोपालगंज जिले के बैकुंठपुर प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय दिघवा का है, जहां शुक्रवार को क्लास रूम में छात्रों को पढ़ाने की बजाय शिक्षक सो रहे थे । इसी दौरान शिक्षा विभाग के निर्देश पर बैकुंठपुर के बीडीओ अशोक कुमार जांच करने स्कूल पहुंच गये और उन्होंने शिक्षक को क्लास में सोते देखा तो उनके भी होश उड़ गये ।
शिक्षक की जब नींद खुली तो सामने बीडीओ अशोक कुमार को देख उक्त शिक्षक हैरान परेशान रह गए । ऐसी स्थिति में शिक्षक की दिमाग की बाती गुल हो गया था और समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या जवाब दें । हालांकि, बीडीओ ने शिक्षक को समझाकर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ नहीं करने हिदायत दी है । वहीं निरीक्षण के दौरान स्कूल की दुर्दशा को गंभीरता से लेते हुए बीडीओ ने इस मामले में कार्रवाई की अनुसंशा करने की बात कही है। बीडीओ ने स्कूल की व्यवस्थाओं को और बेहतर बनाने की बात भी कही है।
इस संबंध में स्कूल के अन्य शिक्षक से बात करने पर पता चला की वो शिक्षक अल्माईजर जैसे बिमारी से गंभीर रुप से पिडित है , डाक्टर के अनुसार कम से कम दो माह का आराम साथ मे चिकित्सा चाहिए । ज्ञात हो कि वही साथ काम करने वाले नियमित शिक्षको कि छ: माह का चिकित्सा अवकाश मिलता है , महिला शिक्षको को छ: माह का मातृत्व अवकाश मिलता है लेकिन नियोजित शिक्षको को मात्र 20 दिन का चिकित्सा अवकाश है ।
संबंधित शिक्षक दवा खा कर कक्षा मे बैठा था जिसके असर से वह नींद से ज्यादा अचेता अवस्था मे थे ।
वहीं इस बारे में बीडीओ अशोक कुमार ने बताया कि आदेश आने के साथ ही स्कूल की जांच करने पहुंचे तो चौकाने वाला नजारा सामने आया। ऐसी गलती दोबारा न हो, इसके लिए शिक्षक को हिदायत दी गयी।
जैसा की आप जानते ही हैं कि कुछ दिन पहले शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव ने स्कूलों की जांच के लिए निर्देश दिया था, जिसके बाद जिला प्रशासन के अधिकारियों ने स्कूलों में जांच अभियान चलाया।
कुछ शिक्षक साथी इस तरह के जांच से गुस्से में थे उनका कहना था कि मिड्ल स्कूल को उच्चत्तर माध्यमिक स्कूल में उत्क्रमित कर मिड्ल के हेडमास्टर से जबर्दस्ती संचालन करवाया जा रहा है।मिड्ल का शिक्षक न बी एड है न योग्य, इस कारण से मिड्ल का स्तर भी गिरा है। हेडमास्टर मिड्ल का खीचड़ी और हाई स्कूल का सारे कार्य में दौड़ते दौड़ते पागल हो गया है। क्या ए संभव है कि क्लास में 40 मिनट कोई पढ़ाए और और शिक्षक की नींद न खुले ? इनका नाम है हुसैन सर ए बहुत दिन से डिप्रेशन की दवा खा रहे है।
जब दो वर्ष से लॉकडाउन था, स्कूल में पढ़ाई बंद था तो फिर मैट्रिक और इंटर का इतना अच्छा परीक्षा फल कैसे आया ? शिक्षक पढ़ाते नहीं हैं, बच्चे ट्यूशन से तैयारी करते हैं। जब से सर्व शिक्षा औऱ मध्याह्न भोजन आया प्रतिदिन निरीक्षण और प्रतिवेदन से शिक्षा का सर्वनाश हो गया। सरकारी स्कूलों के शिक्षक का बच्चा भी सरकारी स्कूलों में नहीं पढ़ता है, सरकार को चाहिए कि सभी सरकारी स्कूल का निजीकरण कर दें । निजीकरण से शिक्षक खुले बाजार में अपना मूल्य तय कर लेंगे अथवा स्वतः मूल्य तय हो जाएगा।
सरकार के गलत नीतियों की वजह से बीमार है शिक्षक। पत्रकार, सचिव, अध्यक्ष, लोकल विलेज पोलटिक्स ,कोचिंग , प्राइवेट, स्कूल,,आदि पोलटिक्स । ये तनावपूर्ण माहौल, मध्यान्ह भोजन ऑफिक्सरों का टॉर्चर । शिक्षक बहुत सपने लेकर जाता है पर धीरे धीरे इन सिस्टम से हार जाता और बीमार पड़ जाता है ।
देश समाज गुरु परम्परा को नष्ट किया है शिक्षक का मनोबल टूटा इस लिए वह भूल गया है कि वह एक गुरु है ।तो वह सोयेगा ही।
भारत को विश्व गुरु बनाकर मास्टरजी सो रहे थे
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