Sunday, 6 March 2022

ड्रग इंस्पेक्टर घुस लेते गिरफ्तार, बोली पैसा ऊपर तक जाता है।

 

ड्रग इंस्पेक्टर घुस लेते गिरफ्तार, बोली पैसा ऊपर तक जाता है। 

मेडिकल की दुकानों की निरीक्षण करने के लिए नियुक्त जयपुर की ड्रग इंस्पेक्टर को जयपुर की एसीबी विभाग की टीम द्वारा रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया गया है। ड्रग इंस्पेक्टर का नाम सिंधु कुमारी है । इस ड्रग इंस्पेक्टर के जिम्मे 500 मेडिकल दुकान है । जिससे वो हर महीने 5000 हजार रुपया पर मेडिकल स्टोर से वसूलती थी । ये न्यूज www.operafast.com पर पढ़ रहे हैं


ड्रग इंस्पेक्टर की गिरफ्तारी के बाद इस तरह की धांधली का खुलासा हुआ है । यह गिरफ्तारी जयपुर की एबीसी टीम ने की है । गिरफ्तारी के बाद सिंधु कुमारी कह रही है की मुझे वली का बकरा बनाया गया है । यह पैसा ऊपर तक पहुंचती है। ड्रग कंट्रोलर से लेकर सभी अधिकारियों तक यह पैसा जाता है । इसलिए सभी 500 दुकानों से प्रत्येक माह 5000 का वसूली करना पड़ता है । वसूली नही करने पर रेगिस्तान के छोटे शहरों में ट्रांसफर करने के धमकी दी जाती थी।


नही पहुंची बैठक में


जिस वक्त ड्रग इंस्पेक्टर रिश्वत लेते पकड़ी गई ठीक उसी वक्त मेडिकल विभाग में मीटिंग चल रही थी। वो बुलाने के बाद भी बैठक में नही गई बल्कि रिश्वत लेने जयपुर के एक रेस्टोरेंट में मेेडिकल स्टोर वाले सेे पैसा लेने पहुंच गई। जयपुर की सेठी कॉलोनी का भी जिम्मा सिंधु कुमारी के ही पास थी ।



क्या है मामला

मानसरोवर निवासी परिवादी ने पिछले दिनों एसीबी में शिकायत दी थी कि ड्रग इंस्पेक्टर सिंधू कुमारी वसूली के लिए दबाव बना रही है। रुपए नहीं देने पर भारी जुर्माना लगाने और मेडिकल दुकान को सीज करने की धमकियां दे रही है। शिकायत के मुताबिक सिंधू कुमारी ने 10 हजार रुपए मांगे थे। 5 हजार रुपए लेने के दौरान एसीबी ने शिकायत का सत्यापन किया और शुक्रवार 4 फरवरी को दूसरी किश्त के 5 हजार रुपए लेते समय एसीबी ने ड्रग इंस्पेक्ट सिंधू कुमारी को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। अब एसीबी के एडिशनल एसपी बजरंग सिंह शेखावत की टीम ड्रग इंस्पेक्टर के आवास की तलाशी ले रही है।




इस संबंध में जयपुर के मेडिकल स्टोर वाले का कहना है कि यह बात आम है ड्रग इंस्पेक्टर के लिए पूरे देश में यही हाल है । जिस दिन इन जैसे सरकारी लुटेरों को महीनादारी मिलनी बंद हो जाती है,उसी दिन व्यापारी के प्रतिष्ठान पर अनियमितता का आरोप लगा कर छापा मारने पहुंच जाते हैं,और वाहवही लूट लेते हैं। लुटेरे है आखिर कुछ तो लूटेंगे। 90 % सरकारी अधिकारी रिश्वत से अपना जीवन यापन कर रहे है क्योंकि सैलरी कम होती हैं इनकी ।



इनकी गिरफ्तारी पर एक अन्य मेडिकल स्टोर वाले के गुस्सा साफ दिख रहा था , वो बोले जा रहा था कि हर भ्रष्टाचारी का ये ही काम है जहां भी जिम्मेदारी दी गई है वहीं महीने बाध रहे हैं। हर डीएम भट्टों से वसूली कर रहे हैं एसडीएम कर रहे हैं। सरकार में बैठे विधायक क्या कार्यकर्ताओं से लेकर मंत्री तक सबको पता है लेकिन आज तबाही के रास्ते पर चलने को मजबूर है । जब तक इन्हें बंधक बनाकर इनको गुंडागर्दी पर लगाम नहीं लगाएंगे, तब तक ये नहीं डरेंगे । आज गुंडागर्दी का आलम यह है कि हर क्षेत्र में बेधड़क वसूली जारी है । सरकारी कर्मचारी नही ये कलम के गुंडे है । सरकार के खिलाफ लोगों में इतना रोश यूं ही नहीं है।अब सरकार मजबुरी का फायदा उठाने में लगी है। आज कही कोई नज़ीर नहीं बन रही कि सरकार ने भ्रष्टाचार पर कोई चोट की हो। चरण सिंह चौधरी जी ने इन्स्पेक्टर राज खत्म किया था आज तक पुजे जाते हैं। इन लोगों ने फिर से बहाल किया है।




500 दुकानों के निरीक्षण की जिम्मेवारी हो तो उन्हें सुधारने व नियम कानून लागू करवाने की बजाय यही तरीका अपनाया जा रहा है यह रेड उन सभी अधिकारियों को संकेत है कि वो समझ जाएं ।




सिंधु कुमारी का कहना 100 फीसदी सत्य है फिर भी घुस के पैसे तो कभी कभी वमुश्किल 1 फीसद ही घातक हो जाते है।भ्रष्टाचार अब एक अंतहीन फलदार पेड़ बन चुका है जिसे अमरत्व का वरदान मिल चुका है।

ये काम तो पूरे देश के ड्रग इंस्पेक्टर करते है और इसमे मेडिकल स्टोर बालो का भी पूरा सहयोग रहता है ।क्योंकि बो भी तमाम तरह के वैध अवैध दवाएं बेचते है, और बो भी बगैर डाँ.के पर्चे के। किसी भी मेडिकल स्टोर का रिकॉर्ड चेक कर लो 90 फीसदी बिल फर्जी ही मिलेंगे।




आज के युवा सरकारी नौकरी के पीछे भागते है । आजकल के लड़के और लड़कियां और उनके माता पिता भाई भी यही चाहते है किसी भी तरह सरकारी नौकरी मिल जाये ,सरकारी नौकरी मिली तो बल्ले ही बल्ले ।

और तो और दामाद भी सरकारी नौकर हो तो सोने में सुगन्ध, चपरासी से लेकर बाबू तक ओर ऊँचा से ऊँचा अधिकारी सब घूस लेते हैं ।




रिश्वतखोरी! Top से lower level तक समाज में फैला हुआ है। एक दूसरे को देख देख कर आगे बढ़ने की जो अप्रत्याशित 'होढ़' मची है वही तो समाज में गलत Corruption की जड़ है। और सच भी तो यही है।




और ये कौन सी नई बात है, सभी को पता है की बिना लिए दिए हिंदुस्तान में कोई काम हो ही नही सकता, ये तो कभी कभी सुर्खियों में लाया जाता है ये दिखाने के लिए की हमारा भारत भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई भी कर रहा है।




ये धांधली हर राज्य में ज्यादा है । मेडिकल फील्ड में खासकर ड्रग इंस्पेक्टर जो थोड़ी सी कमी होने पर लाइसेंस रद्द करने की धमकी देकर लाखो ऐंठ लेते है ।


25 लाख महीने में से 50% इनका मान के चले तो 12.5 लाख रुपये होता है । इतना ज्यादा नाजायज कमाई करने वाला को ही निजीकरण से सबसे ज्यादा तकलीफ होती है !

अगर सिंधु कुमार की बात मान ली जाए कि ये पैसा ऊपर तक जाता है । तो एबीसी अधिकारी को यह पता करना चाहिए की उन्हें पैसे लेने भेजता कौन था। उन्हें उगाही के लिए मजबूर कौन करता था ।





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