आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस, जाने पुरुष दिवस क्यों मनाया जाता है ।
आखिर 8 मार्च को क्या हुआ था ?
जिस दिन रूसी महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन शुरू किया था, वह रूस में इस्तेमाल होने वाले जूलियन कैलेंडर के मुताबिक़, 23 फ़रवरी और रविवार का दिन था। यही दिन ग्रेगॉरियन कैलेंडर के मुताबिक़, आठ मार्च था और तब से इसी दिन अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाने लगा। ये न्यूज आप www.operafast.com पर पढ़ रहे हैं ।
अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस की शुरुआत 1999 में त्रिनिदाद एवं टोबागो से हुई थी। तब से प्रत्येक वर्ष 19 नवम्बर को “अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस” दुनिया के 30 से अधिक देशों में मनाया जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी इसे मान्यता देते हुए इसकी आवश्यकता को बल दिया और पुरजोर सराहना एवं सहायता दी है।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर कहीं महिलाओं को तोहफे दिए जाते हैं तो कहीं महिलाओं को इस दिन की ढेर सारी शुभकामनाएं दी जाती हैं । लेकिन पुरुषों का क्या? क्या महिला दिवस की तरह कोई पुरुष दिवस भी होता है? जी हां, बिल्कुल होता है और लोग इसे मनाते भी हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि इसकी लोकप्रियता महिला दिवस जितनी नहीं है। तो चलिए जानते हैं पुरुष दिवस के बारे में कि ये कब, क्यों और किस लिए मनाया जाता है ?
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की तर्ज पर अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस भी है, हालांकि इसकी जानकारी बहुत कम लोगों का है। भारत समेत 80 से अधिक अन्य देशों में अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाया जाता है. यह दिवस खासकर पुरुषों को भेदभाव, शोषण, उत्पीड़न हिंसा और असमानता से बचाने और उन्हें उनके अधिकार दिलाने के लिए मनाया जाता है. इस दिवस को हर साल 19 नवंबर को मनाया जाता है, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने मान्यता दी है।
अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस का मुख्य उद्देश्य पुरुषों को दुनिया में लाने के लिए सकारात्मक मूल्य दिखाना है, जो पुरुष पहचान के व्यावहारिक पक्ष को प्रोत्साहित करता है और इसके साथ ही उन सामाजिक मुद्दों को उजागर करता है जो पुरुषों और लड़कों का सामना करते हैं।
अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस हर साल 19 नवंबर को मनाया जाता है। पुरुष दिवस का फोकस पुरुषों और बच्चों के स्वास्थ्य, लैंगिक समानता और आदर्श पुरुषों के बारे में दुनिया को बताना होता है। पुरुष दिवस 1960 के दशक से ही मनाया जा रहा है। इस दिन पुरुषों की उपलब्धियों का उत्सव मनाया जाता है और साथ ही समाज, परिवार, विवाह और बच्चों की देखभाल में पुरुषों के सहयोग पर भी बात होती है।
भले ही आपको ऐसा लगे कि भारत पुरुष प्रधान देश है और यहां महिलाओं को ध्यान में रखते हुए महिला दिवस जैसे उत्सव मनाने जरूरी हैं। लेकिन यकीन मानिए, पुरुष भी कम बेचारे नहीं हैं। पुरुषों की भी अपनी ऐसी समस्याएं हैं, जिनसे उन्हें जूझना पड़ता है. यकीन न हो तो कुछ आंकड़े आपका ध्यान इस ओर खींचने में मदद कर सकते हैं। 76 फीसदी आत्महत्याएं पुरुष करते हैं, 85 फीसदी बेघर लोग पुरुष हैं, 70 फीसदी हत्याएं पुरुषों की हुई हैं, घरेलू हिंसा के शिकारों में भी 40 फीसदी पुरुष हैं। तो अगर महिला और पुरुष को समानता के पैमाने पर रखना है तो महिला दिवस के साथ-साथ पुरुष दिवस भी मनाना जरूरी है। इन्हीं सब कारणों के चलते पुरुष दिवस को भी मनाया जाता है।
2007 में पहली बार भारत में अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाया गया । तब से हर साल 19 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाया जाता है। यह दिन दुनिया भर के पुरुषों के लिए समर्पित है। पुरुषों को विशेष महत्व देने के लिए इस दिन कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
यह भारत में उतना लोकप्रिय नहीं है, लेकिन धीरे-धीरे इस दिन को मनाने का जोर पकड़ने लगा है । निजी संगठन, एनजीओ और सिविल सोसाइटी लोगों को प्रोत्साहित कर रहे हैं कि वे पुरुषों के अधिकारों के लिए आवाज उठाएं।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पहली बार कब मनाया गया ?
साल 1911 में 19 मार्च को पहली बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। इसका आयोजन पहली बार डेनमार्क और जर्मनी में किया गया। साल 1921 में इस तारीख को बदलकर 8 मार्च कर दिया गया।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस किसकी याद में मनाया जाता है ?
जिस दिन रूसी महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन शुरू किया था, वह रूस में इस्तेमाल होने वाले जूलियन कैलेंडर के मुताबिक़, 23 फ़रवरी और रविवार का दिन था। यही दिन ग्रेगॉरियन कैलेंडर के मुताबिक़, आठ मार्च था और तब से इसी दिन अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाने लगा।
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