A history was created by Indian Railways on National Safety Day on Friday. On this day, an attempt was made by the Indian Railways to collide two trains at full speed. Such an attempt was made by the Railways as a demo for testing the 'Kavach' Protection System. During this test, two rails were run face to face on the same track. you are reading this news on www.operafast.com
लेकिन ये टकराने से पहले ही रुक गई। ये टक्कर की डेमो साउथ सेंट्रल रेलवे के सिकंदराबाद के पास किया गया । ये घटना संत नगर रेलवे स्टेशन से लिंगमपल्ली रेलवे स्टेशन के बीच हुई।
But it stopped before hitting it. The demo of this collision was done near Secunderabad of South Central Railway. The incident took place between Sant Nagar railway station and Lingampalli railway station.
Railway Minister Ashwini Vaishnav himself became a witness to this incident. Ashwini Vaishnav himself was sitting in the loco of one train and the chairman of the Railway Board was sitting with the officers sitting in another train coming from the opposite.
इस घटना के गवाह खुद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव बने । अश्विनी वैष्णव खुद एक ट्रेन के लोको में बैठे थे और सामने से आ रही दूसरे ट्रेन में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन बैठे अधिकारियों के साथ बैठे थे।
ये दो ट्रेनों कोआपस में टकराकर परीक्षण करने की कोशिश का मुख्य कारण है कि आत्मनिर्भर भारत के तहत 2000 km तक की रेल नेटवर्क को कवच सुरक्षा यंत्र के तहत लाने की योजना है । ये परियोजना दक्षिण मध्य रेलवे के 1098 किलोमीटर रेल नेटवर्क पर लगाया जा चुका है । अगले चरण में दिल्ली मुंबई और दिल्ली हावड़ा रेल रूट पर लगाए जाने की योजना को मूर्तरूप देने की कोशिश है ।
जैसा की आप जानते है कि साल 2022 के केंद्रीय बजट में कवच तकनीक को आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत लाए जाने की योजना है । इस परियोजना में रक्षा कवच अब तक 65 इंजनों में लगाया जा चुका है।
( See collision Video of 2 trains )
The main reason for trying to test these two trains by collision is that under self-reliant India, there is a plan to bring the rail network up to 2000 km under armor protection device. This project has been implemented on 1098 km rail network of South Central Railway. In the next phase, the plan is to be implemented on the Delhi Mumbai and Delhi Howrah rail routes.
As you know, there is a plan to bring armor technology under the self-reliant India campaign in the Union Budget of 2022. Raksha Kavach in this project has so far been fitted in 65 locomotives.
In this technique, when the train passes through such a signal from where the train is not allowed to proceed, then its danger signal is sent. If the driver of the train fails to stop the train, then the brakes are applied automatically through the technique and the train is saved from any accident. This technology works on high frequency radio communication.
आखिर क्या है ये तकनीक
इस तकनीक में जब ट्रेन ऐसे सिग्नल से गुजरती है जहां से ट्रेन को आगे बढ़ने की परमिशन नही होती तो इसके खतरे वाली सिग्नल भेजा जाता है । अगर ट्रेन के ड्राइवर रेलगाड़ी को रोकने में विफल होता है तो फिर कचच तकनीक के जरिए ट्रेन में ब्रेक अपने आप लग जाता है और किसी होने वाले एक्सीडेंट से ट्रेन बच जाती है । यह तकनीक हाई फ्रीक्वेंसी रेडियो कम्युनिकेशन पर काम करता है ।
कवच ऐसी देशी तकनीक है जिसे लागू किए जाने के बाद से दो ट्रेनों में टक्कर नही होगी । साथ ही साथ ये दुनिया की सबसे सस्ती तकनीक है ।
आखिर क्या है ये तकनीक
इस तकनीक में जब ट्रेन ऐसे सिग्नल से गुजरती है जहां से ट्रेन को आगे बढ़ने की परमिशन नही होती तो इसके खतरे वाली सिग्नल भेजा जाता है । अगर ट्रेन के ड्राइवर रेलगाड़ी को रोकने में विफल होता है तो फिर कचच तकनीक के जरिए ट्रेन में ब्रेक अपने आप लग जाता है और किसी होने वाले एक्सीडेंट से ट्रेन बच जाती है । यह तकनीक हाई फ्रीक्वेंसी रेडियो कम्युनिकेशन पर काम करता है ।
कवच ऐसी देशी तकनीक है जिसे लागू किए जाने के बाद से दो ट्रेनों में टक्कर नही होगी । साथ ही साथ ये दुनिया की सबसे सस्ती तकनीक है ।
Kavach is such an indigenous technology that after its implementation, there will be no collision between two trains. At the same time, it is the cheapest technology in the world.
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