Wednesday, 2 March 2022

नवीन को ना यूक्रेन ने मारा ना रसिया ने, हुआ भारतीय राजनीतिक शिक्षा प्रणाली का शिकार


नवीन को ना यूक्रेन ने मारा ना रसिया ने, हुआ भारतीय राजनीतिक शिक्षा प्रणाली का शिकार

यूक्रेन के खारकीव शहर में हुई रूसी गोलाबारी में भारत के छात्र नवीन शेखरप्पा (Naveen Shekharappa) की मौत हो गई थी। नवीन का परिवार गहरे सदमे में है। कर्नाटक के हावेरी जिले के मेडिकल छात्र नवीन के पास खाने-पीने का सामान खत्म हो चुका था और वह कुछ खरीदने के लिए बाहर निकले थे। अचानक खारकीव के फ्रीडम स्कवॉयर पर वह एक रूसी रॉकेट (Russian attack in Kharkiv) हमले का शिकार हो गए। इस बीच नवीन के पिता शेखरप्पा ज्ञानगौदर ने देश के शिक्षा प्रणाली पर सवाल उठाए हैं। शेखरप्पा का कहना है कि टॉपर होने के बावजूद नवीन को सरकारी मेडिकल कॉलेज में सीट नहीं मिल सकी। ये न्यूज आप www.operafast.com पर पढ़ रहे है ।


नवीन के पिता शेखरप्पा ज्ञानगौदर ने एक न्यूज चैनल को बताया कि 'हम अपने बेटे के लिए सपने देख रहे थे। अव वे सब टूट चुके हैं। मैंने अपने बेटे को एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए मजबूरी में यूक्रेन भेजा था, क्योंकि एसएसएलसी और पीयूसी एग्जाम में टॉपर होने के बावजूद उसे सरकारी मेडिकल कॉलेज में सीट नहीं मिली थी। रूस और यूक्रेन के बीच पिछले हफ्ते जंग शुरू होने के बाद नवीन ने एक बंकर में शरण ले रखी थी। परिवार के मुताबिक दिन भर में नवीन पांच से छह बार फोन करके अपना हाल बताते थे।
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यूक्रेन भेजना ज्यादा महंगा साबित हुआ

नवीन के पिता सदमे में डूबे हुए हैं। उन्होंने कहा, 'उसे प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में पढ़ाने के लिए मुझे 85 लाख से एक करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते। तभी मैंने फैसला किया कि उसे पढ़ाई के लिए यूक्रेन भेजूंगा। लेकिन यह और ज्यादा महंगा साबित हुआ।'

'राजनैतिक-एजुकेशन सिस्टम और जातिवाद से निराश हूं।


नवीन के पिता शेखरप्पा ज्ञानगौदर ने उन्हें यूक्रेन भेजने के लिए अपने मित्रों और रिश्तेदारों से पैसे उधार लिए थे। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, 'एजुकेशन सिस्टम और जातिवाद की वजह से होनहार होने के बावजूद नवीन को एक सीट नहीं मिल सकी। मैं अपने राजनैतिक सिस्टम, शिक्षा व्यवस्था और जातिवाद से निराश हूं। सब कुछ प्राइवेट इंस्टिट्यूट्स के हाथों में है।



4 दिन से दोस्तों के साथ बंकर में थे नवीन और उस सुबह...


नवीन कुछ दोस्तों के साथ एक अपार्टमेंट में रहते थे। नवीन के दोस्त अमित का कहना है कि स्थानीय समय के मुताबिक सुबह छह बजे नवीन बंकर से निकलकर सिटी सेंटर पर गए। अमित उस दर्दनाक मंजर को बयां करते हुए कहते हैं, 'सुबह सात बजकर 58 मिनट पर अपने एक दोस्त को नवीन ने फोन वॉलेट पर पैसा ट्रांसफर करने के लिए कहा। उसके बाद सुबह आठ बजकर 10 मिनट पर हमें एक कॉल आई, जिसमें कहा गया कि वह अब इस दुनिया में नहीं है। अमित ने आगे बताया कि हम चार दिन से पर्याप्त भोजन और पानी के बगैर बंकर में शरण लिए हुए थे।

'नए साल का जश्न मनाने हम फ्रीडम स्कवॉयर गए थे'


बेंगलुरु में पीएचडी कर रहे नवीन के बड़े भाई हर्षा कहते हैं, जून में उसे आठवें सेमेस्टर का एग्जाम देना था। तुमकुरु जिले की रहने वाली एमबीबीएस सेकेंड सेमेस्टर की छात्रा नंदिनी ने बताया कि उन्हें कॉलेज के वॉट्सऐप ग्रुप पर नवीन की मौत के बारे में पता चला और वह पुराने दिनों की यादों में खो गईं। नंदिनी बताती हैं, 'नए साल के जश्न के लिए हम फ्रीडम स्क्वॉयर पर गए थे। मंगलवार को यह बिल्डिंग ध्वस्त हो गई। नवीन की तरह यह भी हमसे दूर हो गई है।'




नंदिनी बताती हैं कि नवीन की मौत के बाद यूक्रेन में रह रहे स्टूडेंट्स अपनी सुरक्षा को लेकर काफी चिंतित हैं। नंदिनी कहती हैं, 'हर पल के साथ भारी गोलाबारी के बीच हम डरे हुए हैं। हमारे परिजन चिंतित हैं और हमें बंकर नहीं छोड़ने के लिए कहा गया है। यहां हमारे पास पीने के लिए पानी तक नहीं है। 

खारकीव से करीब 1200 किलोमीटर दूर पोलैंड जाना संभव नहीं है। हमें वहां जाने के लिए ट्रेन पकड़नी होगी। हमने भारतीय दूतावास को यहां से सुरक्षित निकालने के लिए कई ई-मेल भेजे हैं। हम रूस के बॉर्डर से सिर्फ 50 किलोमीटर दूर हैं।
साभार गूगल


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