उत्तरप्रदेश के मुसलमान समाजवादी पार्टी और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से खासे गुस्से में है, उनका कहना है कि जिस अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी से यूपी के मुसलमान वेपन्नाह मुहब्बत करते थे, उन्हें अब मुस्लिमों की चिंता नही है ।यह न्यूज आप www.operafast.com पर पढ़ रहे हैं।
उनके अनुसार मुज़फ़्फ़रनगर दंगों में मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा कर 50 हज़ार मुसलमानों को निर्वासित करने वाले दंगाई, जयंत चौधरी की RLD और टिकैत के संगठन से जुड़े हुए थे और उन्हें 'चौधरी कंपनी' का पूरा समर्थन था। दंगों को रोक पाने में नाकाम पुलिस अखिलेश यादव के अधीन थी। 50 हज़ार मुसलमान कड़ाके की ठंड में रिफ्यूजी कैंपों में जीने को मजबूर थे... बच्चे ठंड से दम तोड़ रहे थे, खुले में शौच को जाने को मजबूर औरतों पर बलात्कार हो रहे थे...!
ठीक उसी वक़्त मुलायम के पैतृक गांव सैफ़ई में 'सैफ़ई महोत्सव' मनाया जा रहा था, जहां बॉलीवुड की ललनाएँ ठुमके लगा रही थीं और यादव & कंपनी तालियां बजा रही थी...!! सीधी बात है कि जयंत के लोगों ने मुसलमानों को मारा और अखिलेश की सरकार ने मारने दिया! इतना ही नहीं अपने पूरे कार्यकाल में दंगाइयों पर चार्जशीट दाखिल नहीं होने दी, जिसकी बदौलत योगी को तमाम मुक़दमे वापस लेने का मौक़ा मिला..!!
उस वक़्त प्रदेश में 69 मुस्लिम विधायक थें जो 69 पोजीशन में आराम कर रहे थे! प्रदेश के राजनीतिक इतिहास में मुस्लिम विधायकों की यह शायद सर्वोच्च संख्या थी; फिर भी विभाजन के बाद 50 हज़ार मुसलमानों को अपने घरों, ज़मीनों को छोड़कर कैम्पों की शरण लेनी पड़ी..!!
यह तब हुआ जब वहां आज़म खान की हैसियत एक मुख्यमंत्री की तरह ही थी और उनका रुतबा कमसकम उतना ही था जितना कि महाराष्ट्र में अजित पवार का होता है..! उस वक़्त समाजवादी पार्टी भी मुसलमानों के करीब नज़र आने की बहुत ज़्यादा कोशिश करती थी; लेकिन जब 'इम्तिहान' का वक़्त आया तो यादव कंपनी का मुस्लिम प्रेम, आज़म खान का रुतबा, मुस्लिम विधायकों की संख्या... सब कुछ फेल...!!
आज जबकि यह हाल है कि अखिलेश को मुसलमानों से कोढ़ की बीमारी की तरह परहेज़ हो चुका है, आज़म खान जेल में है, बड़े बड़े मुस्लिम नेताओं के टिकट काटें जा चुके हैं; मुस्लिम बहुल सीटों से हिंदू उम्मीदवार उतारे जा चुके हैं... ऐसे में अखिलेश की सरकार बनी भी तो क्या भला होगा मुसलमानों का...??
लेकिन यूपी में भाजपा के मुख्यमंत्री अपने हिंदुत्व पर अडिग हैं योगी जी की बात करें तो वे कहते है कि ''जो भारत से प्यार करता है, हम उससे प्यार करते हैं। जो भारत के मूल्यों, सिद्धांतो में रचा-बसा है, उसको गले से लगाते हैं, सम्मान भी देते हैं। सबका साथ, सबका विकास अगर आज़ादी के बाद किसी ने ईमानदारी से किया है तो वो भारतीय जनता पार्टी ने किया है. आप देख सकते हैं, जो लोग ग़रीबी हटाओ का नारा देते थे, सामाजिक न्याय की बात करते थे उन्होंने कौन सामाजिक न्याय दिया? ग़रीबों की पेंशन हड़प जाना क्या सामाजिक न्याय है?''
योगी जी कहते हैं कि, ''हम तुष्टीकरण किसी का नहीं करते हैं. हम व्यवस्था को भारत के संविधान के अनुरूप चलाएंगे। सेक्युलरिज़म का मतलब हिन्दू विरोध नहीं हो सकता और इसका मतलब तुष्टीकरण भी नहीं हो सकता। सरकार इसी दिशा में आगे बढ़ रही है।
उस वक़्त प्रदेश में 69 मुस्लिम विधायक थें जो 69 पोजीशन में आराम कर रहे थे! प्रदेश के राजनीतिक इतिहास में मुस्लिम विधायकों की यह शायद सर्वोच्च संख्या थी; फिर भी विभाजन के बाद 50 हज़ार मुसलमानों को अपने घरों, ज़मीनों को छोड़कर कैम्पों की शरण लेनी पड़ी..!!
यह तब हुआ जब वहां आज़म खान की हैसियत एक मुख्यमंत्री की तरह ही थी और उनका रुतबा कमसकम उतना ही था जितना कि महाराष्ट्र में अजित पवार का होता है..! उस वक़्त समाजवादी पार्टी भी मुसलमानों के करीब नज़र आने की बहुत ज़्यादा कोशिश करती थी; लेकिन जब 'इम्तिहान' का वक़्त आया तो यादव कंपनी का मुस्लिम प्रेम, आज़म खान का रुतबा, मुस्लिम विधायकों की संख्या... सब कुछ फेल...!!
आज जबकि यह हाल है कि अखिलेश को मुसलमानों से कोढ़ की बीमारी की तरह परहेज़ हो चुका है, आज़म खान जेल में है, बड़े बड़े मुस्लिम नेताओं के टिकट काटें जा चुके हैं; मुस्लिम बहुल सीटों से हिंदू उम्मीदवार उतारे जा चुके हैं... ऐसे में अखिलेश की सरकार बनी भी तो क्या भला होगा मुसलमानों का...??
लेकिन यूपी में भाजपा के मुख्यमंत्री अपने हिंदुत्व पर अडिग हैं योगी जी की बात करें तो वे कहते है कि ''जो भारत से प्यार करता है, हम उससे प्यार करते हैं। जो भारत के मूल्यों, सिद्धांतो में रचा-बसा है, उसको गले से लगाते हैं, सम्मान भी देते हैं। सबका साथ, सबका विकास अगर आज़ादी के बाद किसी ने ईमानदारी से किया है तो वो भारतीय जनता पार्टी ने किया है. आप देख सकते हैं, जो लोग ग़रीबी हटाओ का नारा देते थे, सामाजिक न्याय की बात करते थे उन्होंने कौन सामाजिक न्याय दिया? ग़रीबों की पेंशन हड़प जाना क्या सामाजिक न्याय है?''
योगी जी कहते हैं कि, ''हम तुष्टीकरण किसी का नहीं करते हैं. हम व्यवस्था को भारत के संविधान के अनुरूप चलाएंगे। सेक्युलरिज़म का मतलब हिन्दू विरोध नहीं हो सकता और इसका मतलब तुष्टीकरण भी नहीं हो सकता। सरकार इसी दिशा में आगे बढ़ रही है।
No comments:
Post a Comment