Saturday, 15 January 2022

सपा प्रमुख अखिलेश ने दलित नेता से गठबंधन क्यूं ठुकराया


सपा प्रमुख अखिलेश ने दलित नेता से गठबंधन क्यूं ठुकराया 

आज समाजवादी पार्टी के नेता श्री अखिलेश यादव ने अपने सलाहकारों की बात मानते हुए चंद्रशेखर रावण की पार्टी आजाद समाज पार्टी से गठबंधन करने से मना कर दिया । इस बात को लेकर चंद्रशेखर रावण ने बोला कि अखिलेश यादव ने हमारी पार्टी से गठबंधन न करके दलित समाज का अपमान किया है। लेकिन अगर देखा जाए तो चंद्रशेखर रावण ने बसपा सुप्रीमो मायावती से भी बातचीत करने के लिए समय मांगते रह गए थे लेकिन मायावती जी ने बातचीत तो दूर बात भी नहीं की थी। ऐसे में दलित समाज का अपमान किसने किया अखिलेश यादव या मायावती ने । क्योंकि दोनों ने गठबंधन करने से मना कर दिया।




तेते पाँव पसारिये, जेती लाँबी सौर। समाजवादी पार्टी गठबंधन में कुछ सीट तो दे ही रहा होगा । ज्यादा माँग करने के वजह से बात नहीं बनी। चंद्रशेखर को चाहिए था की पहले खुद तो जीत के जाते ओर अपना समाज का प्रतिनिधित्व करते। उसके बाद धीरे धीरे अपनी पार्टी का विस्तार करते रहते । ये समाचार आप www.operafast.com पर पढ़ रहे हैं।



प्राप्त सूत्रों से जानकारी के अनुसार यह झूठी अफवाह है चंद्रशेखर आजाद और अखिलेश यादव के बीच गठबंधन नहीं हो पाया । चंद्रशेखर आजाद आखरी वक्त में 10 सीटें मांग रहे थे जबकि अखिलेश यादव इनको 3 सीटें और एक एमएलसी बनाने का वादा कर रहे थे । इनको 10 सीटें चाहिए थी इस वजह से इन्होंने गठबंधन नहीं करा । 3 सीटें नहीं ली, जबकि तीन सीटें और एक एमएलसी इनके लिए काफी था क्योंकि इनकी पार्टी अभी नई-नई है बहुत बड़ी बात है अखिलेश यादव ने इनको 3 सीट देने का ऑफर दिया और एक एमएलसी । फिर भी चंद्रशेखर आजाद नहीं माने । इन्होंने गलत किया इनको 3 सीट ले लेनी चाहिए थी और एक एमएलसी । सरकार आने पर इनको मंत्री पद मिलता लेकिन इन्होंने ऐसा नहीं किया ।10 सीटों पर अड़े रहे और गठबंधन नहीं हो पाया ।


सोशल मीडिया में आ रही जानकारी के अनुसार अखिलेश यादव को उनके सलाहकारों ने समझाया कि आप वह भयानक गलती मत करो जो गलती आपके पिताजी ने की थी ।

और फिर अपने सलाहकारों की बात मानते हुए अखिलेश यादव ने चंद्रशेखर रावण की पार्टी आजाद समाज पार्टी से गठबंधन करने से मना कर दिया ।

कांशीराम को इतने बड़े कद तक पहुंचाने में मुलायम सिंह यादव का सबसे बड़ा हाथ था यहां तक कि कांशी राम जिस कॉन्टेसा कार से चलते थे वह कॉंटेसा कार भी मुलायम सिंह यादव ने कांशी राम को दिया था ।

उस वक्त उत्तर प्रदेश में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी थी और दलित कांग्रेस के कोर वोटर थे ।

कांशी राम उस वक्त दलित जागरण का काम करते थे लेकिन वह राजनीति में नहीं थे ।

जब मुलायम सिंह यादव ने कांशी राम को तुरूप का पत्ता बनाया और यह सोचा कि किसी तरह दलितों को कांग्रेस से काट दिया जाए और कांशी राम को पहली बार लोकसभा भी मुलायम सिंह यादव ने भेजा था । मुलायम सिंह यादव ने अपने गृह नगर इटावा में कांशी राम को पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ाया और उन्हें लोकसभा भेजा ।

धीरे-धीरे कांशी राम ने ऐसा चाल चला कि समाजवादी पार्टी को कई बार सत्ता से दूर कर दिया बाद में मुलायम सिंह यादव ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वह बहुत पछताते हैं कि उन्होंने कांशी राम को नेता बनाया उन्हें राजनीति में लाया उन्हें लोकसभा भेजें ।


अब अपने पिता की गलती से सबक लेते हुए अखिलेश यादव ने भी यही सोचा कि दलितों को कभी नेता मत बनाओ इन्हे सिर्फ पिछलग्गू की तरह काम लेते रहो और सत्ता में बने रहो।

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