Sunday 30 January 2022

मोहन पैदा हुआ था, मोहन ही मरा हूँ। महात्मा तुम्हारे बापों और दादो ने जबरन बना दिया।

 

महात्मा गांधी पर विशेष

महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता किसने कहा

4 जून 1944 को सुभाष चन्द्र बोस ने सिंगापुर रेडियो से एक संदेश प्रसारित करते हुए महात्मा गांधी को 'देश का पिता' कहकर संबोधित किया था इसके बाद 6 जुलाई 1944 को सुभाष चन्द्र बोस ने एक बार फिर रेडियो सिंगापुर से एक संदेश प्रसारित कर गांधी जी को राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया । ये समाचार www.operafast.com पर पढ़ रहे हैं।




सुनो!! कान खोलकर...।।

मोहन पैदा हुआ था, मोहन ही मरा हूँ। महात्मा तुम्हारे बापों और दादो ने जबरन बना दिया। मुझे ना मुझे महात्मा बनना था, न राष्ट्रपिता, न राष्ट्रपति, न प्रधानमंत्री ..। हां, तुम्हारे बड़े बूढों ने जो प्यार दिया था। जब वो "बापू" कहते तो बड़ा भला लगता। लगता.. सब मेरे बच्चे हैं, मेरी जिम्मेदारी। हैं। जब सारा देश ही बापू कहने लगा, तो किसी ने उत्साह में राष्ट्रपिता कह डाला। मगर मैं तो मोहन था, मोहन ही रहा।



सुनो!! तुम्हारे बड़े बूढ़े मुझे नेता कहते थे। मगर मैने कोई चुनाव नही लड़ा, चुनावी तकरीर नही की। कोई वादा नही किया, कोई सब्सिडी नही बांटी। मैं तो घूमता था, दोनो हाथ पसारे.. मांगता था बस प्रेम, शांति और एकता।



बहुतों ने दिया, तो कुछ ने इन बढ़े हुए हाथों को झटक भी दिया। उन्हें इस फकीर से डर लगता था। प्रेम से डर लगता था, शांति से डर लगता था.. एकता से डर लगता था। उन्होंने लोगो को समझाया- नफरत करो.. तुम एक नही हो, ना कभी हो सकते हो। शांति झूठी है। लड़ो, आगे बढ़ो। मार डालो। जीत जाओ।



सुनो!! वो जीत गए। मुझे मार डाला। और टुकड़े कर दिए ...हिन्दुओ के, मुसलमानों के, देश के.. दिलो के। और वो जीतते गए है। साल दर साल, इंच इंच, कतरा कतरा.. धर्म का नाम लेकर, जाति की बात करके, गौरव का नशा पिलाकर वो तुम्हे मदहोश करते गए। वो जीत गए।




सुनो!! वो जीत गए.. मगर मैं नही हारा। मैं यहीं हूँ.. इस मिट्टी में घुला हुआ। वो रोज तुम्हे एक नया नशा देते है, और नशा फटते ही मैं याद आता हूँ। मैं तुम्हारी जागती आंखों का दुःस्वप्न हूँ। तुम हुंकार कर मुझे नकारते हो, उस नकार में ही स्वीकारते हो। तुम्हें यकीन ही नही होता कि मैं मर चुका हूँ, तो सहमकर फिर से गोलियां चलाते हो। आखिर हारकर .. मेरी समाधि पर सर झुकाए खड़े हो जाते हो।




सुनो ,कान खोलकर। न तो तुम्हारी इज्जत से महात्मा बना था, न तुम्हारी इज्जत से कोई महात्मा बन सकता है। असल तो ये है, जिसे तुम्हारी इज्जत हासिल हो.. वो महात्मा हो ही नही सकता।




तो कान खोल कर सुन लो। तुमको, और तुम्हारे बाप को पीले चावल भेजकर राजघाट नही बुलाता। श्रद्धा से भरी अंजुली न हो, तो श्रद्धांजली लेकर आना भी मत। मोहनदास करमचंद गांधी का नाम तुम्हारी इज्जत का मोहताज नही है।



गांधी जी को महात्मा किसने कहा था

महात्मा शब्द संस्कृत से लिया गया है। इस शब्द का मतलब होता है महान आत्मा। गांधी को महात्मा के नाम से सबसे पहले 1915 में राजवैद्य जीवराम कालिदास ने संबोधित किया था। एक अन्य मत के अनुसार स्वामी श्रद्धानन्द ने 1915 मे महात्मा की उपाधि दी थी, तीसरा मत ये है कि गुरु रविंद्रनाथ टैगोर ने महात्मा की उपाधि प्रदान की थी। 12 अप्रैल 1919 को अपने एक लेख मे ।

गांधी जी को बापू की उपाधि किसने दी

गांधी जी को बापू नाम बिहार के चंपारण जिले के रहने वाले गुमनाम किसान से मिला था। दरअसल बिहार के चंपारण जिले में गांधी जी ने निलहा अंग्रेजों द्वारा भारतीय किसानों पर किए जा रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई थी। सही मायनों में अंग्रेजों के अत्याचारों के खिलाफ बापू के आंदोलन की शुरुआत चंपारण से ही हुई थी।




महात्मा गांधी के आध्यात्मिक एवम राजनीतिक गुरु कौन है?



नारायण गुरु को गांधीजी का आध्यात्मिक गुरु कहा गया । लेकिन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी रहे गोपाल कृष्ण गोखले महान स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ ही एक मंझे हुए राजनीतिज्ञ भी थे। उन्होंने गांधी जी को देश के लिए लड़ने की प्रेरणा दी। वो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के राजनीतिक गुरु थे।




महात्मा गांधी ने कितने आंदोलन चलायें और कौन कौन ।




महात्मा गांधी के प्रमुख आंदोलन (Mahatma Gandhi Movements List In Hindi)

चम्पारण सत्याग्रह 1917 खेड़ा सत्याग्रह 1918 अहमदाबाद मिल मजदूर आंदोलन 1918

खिलाफत आन्दोलन 1919

असहयोग आंदोलन 1920

सविनय अवज्ञा आंदोलन 1930

भारत छोड़ो आंदोलन 1942

1 comment: