Monday, 3 January 2022

नम्बी नारायणन ISRO Scientist और उनके खिलाफ रची गई साजिश


नम्बी नारायणन ISRO Scientist और उनके खिलाफ रची गई साजिश


नम्बी नारायणन देश हिंदुस्तान के ऐसे टॉप कैटिगरी के बुद्धिमान वैज्ञानिक थे, जिन्होंने ISRO को NASA के समकक्ष ला खड़ा किया था ।

श्री नम्बी नारायणन मूल रूप से तमिलनाडु के लेकिन जन्म से केरल के रहने वाले थे और क्रायोजेनिक तकनीक पर काम कर रहे थे । क्रायोजेनिक तकनीक कम तापमान में सैटेलाइट इंजन के काम करने से संबंधित तकनीक थी, जिसके अभाव के चलते भारत अंतरिक्ष में सैटेलाइट भेजने में दिक्कतें महसूस कर रहा था। यह न्यूज आप www.operafast.com पर पढ़ रहे हैं ।

भारत पहले इस तकनीक के लिए कभी रूस तो कभी अमेरिका तो कभी फ्रांस के आगे झोली फैला रहा था लेकिन अमेरिका जो उस समय पाकिस्तान का मित्र और भारत का कथित तौर पर शत्रु था उसनें साफ मना कर दिया, रूस उस समय इतना शक्तिशाली नहीं रह गया था क्योंकि विघटन हो चुका था तो अमेरिका की धमकी के आगे फ्रांस और उसनें भी भारत को यह तकनीक देने से मना कर दिया ।

लेकिन नम्बी नारायणन भी अपनी ज़िद के पक्के थे, उन्होंने अमेरिका को आंखें दिखाते हुए यह निश्चय किया कि अब इस तकनीक को भारत अपने बल पर विकसित करेगा और वे अपनी टीम के साथ जुट गए अपने अंतरिक्ष मिशन पर क्रायोजेनिक इंजन बनाने ।

जब यह काम अपने चरम पर था और तकनीक लगभग विकसित होने वाली थी ।तभी कथित तौर पर अमेरिका की ख़ुफ़िया एजेंसी CIA ने भारत में बैठे अपने भाड़े के टट्टुओं की सहायता से नम्बी नारायणन को देशद्रोह के फ़र्ज़ी आरोप में फंसवा दिया और जेल भेज दिया।





जी हाँ केरल पुलिस ने दो मुस्लिम महिलाओं को गिरफ़्तार किया जिन पर पाकिस्तान की जासूस होने का आरोप था और उन्होंने अपने साथ नम्बी नारायणन को भी लपेटे में ले लिया ये कहते हुए कि नम्बी नारायणन ने क्रायोजेनिक तकनीक के ड्रॉइंग्स हमें दिए और हमनें वे ड्रॉइंग्स पाकिस्तान पहुँचा दिए ।

नम्बी नारायणन लाख कहते रहे मैं निर्दोष हूँ । मैंने ऐसा कुछ नहीं किया लेकिन न तो केरल पुलिस न केरल की कम्युनिस्ट सरकारें और ना भारत सरकार किसी ने उनकी एक न सुनी । सुनते कैसे ?

उन्हें फाँसने के लिए ही तो ये षड्यंत्र रचा गया था ।

केस में फँसते ही ISRO के उनके साथियों और समाज के एक वर्ग ने भी उनका बहिष्कार कर दिया, ऑटो वाले उनके परिवार को ऑटो में नहीं बिठाते थे, मंदिर का पुजारी उनके परिवार वालों को प्रसाद नहीं देता ऐसी विकट स्थिति आई कि नम्बी एक बार आत्महत्या करने तक का मन बना चुके थे, लेकिन उनके परिवार के आग्रह पर उन्होंने केस लड़ना ज़ारी रखा ताकि माथे पर लगा गद्दार और देशद्रोही का कलंक मिटा सकें।

और यह हुआ भी, सेशन कोर्ट, हाइकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बारी बारी न केवल निर्दोष पाया बल्कि बाइज़्ज़त बरी भी किया।

लेकिन 1994 से लेकर सितंबर 2018 जब वे एक बार पुनः निर्दोष और निष्कलंक साबित हुए इन 25 सालों में भारत और नम्बी नारायणन ने क्या कुछ खोया उसकी पीड़ा केवल और केवल नम्बी ही समझ सकते हैं ।

जिस पर ना तो देश के किसी इंटेलेक्चुअल ने चिंता जताई, ना किसी मीडिया में डिबेट हुआ ना कथित बुद्धिजीवियों ने दो शब्द कहे ।

वे देश के महान वैज्ञानिक थे और भारत को ऐसी तकनीक देने वाले थे जिससे भारत अमेरिका को टक्कर देने जा रहा था, ख़ैर भारत इस दौरान न केवल स्पेस तकनीक में विकसित राष्ट्रों से पिछड़ गया बल्कि उसे भारी आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ा।

ज्ञात हो कि नम्बी नारायणन ने अपनी आत्मकथा में इस पूरे घटना क्रम और पीड़ा को विस्तार से बताया है।


इन साजिषों को तत्कालीन सरकारें भांप नहीं पायीं या यूं कहो कि वह भी इन साजिषों में जानबूझकर या मूर्खतावश शामिल रहीं ।


नंबी नारायण जैसे अनेकों प्रकरण देश में हुए हैं परंतु कल्प्रिट दंडित नहीं किये जा सके किंतु पुरस्कृत किया गया है। दुर्भाग्य कहें विडंबना या कहें।


ये एक साजिश थी , नारायण जी के लिए ये साजिश और सांइटस्टो की असामयिक मृत्यु का विश्लेषण करे तो ये भयावह है , लेकिन सब चुप , मीडिया को इसमें टीआरपी नहीं मिलती या उनके यहां भी अनपढ़ो की चीखने वाली जमात है ।

इस तरह कड़ी से कड़ी जुडती जा रही है। नम्बी नारायण की गिरफ्तारी, कांचिकामकोटि के शंकराचार्य की गिरफ्तारी, डाक्टर भाभा डाक्टर साराभाई की हत्या, अनेक वैज्ञानिकों की हत्या या आत्महत्या ये सब संयोग नही बल्कि साजिश लगती है।

अगर देखा जाए तो भारत ने हमेशा विश्वास घात सहा है ।आजादी के बाद 4 प्रमुख परमाणु बैज्ञानिकों की हवाई दुर्घटना सन्देह पैदा करती है और अफसोस होता है अपने सिस्टम पर जो इन जैसे लोगों को बचाने के लिए कुछ कर नही पाता ।


नम्बी नारायण को बिना किए का दण्ड तत्कालीन सरकार ने दे दिया ऐसे अनेकों केस हैं। लेकिन जिन लोगों ने षड़यंत्र कर देश के बैज्ञानिक की जिंदगी खराब कर दी देश को बीसियों साल पीछे कर दिया उनका क्या हुआ ।वे आज भी खुलेआम घूम रहे हैं । किसी की जिंदगी बर्बाद करने वाले के बिरुद्ध सजा देने का क्या कोई कानून नहीं है ।


और सब तो ठीक है लेकिन यहां एक प्रश्न उठना लाजिमीहैं कि पूंजीवादी अमेरिका का कट्टर दुश्मन केरल की कम्युनिस्ट सरकार CIA के साथ कैसे खड़ी हो गई ?

बहरहाल , नंबी नारायण की गिरफ्तारी अगर सीआईए के षड्यंत्रों के तहत हुई है तो इस संबंध में अमेरिका हमारे निशाने पर क्यों नहीं है ? ज्यादा निशाने पर कांग्रेस और कम्युनिस्ट क्यों हैं ? क्यों आज भी अमेरिका जैसा दुश्मन राष्ट्र हमारा आका बना हुआ है ? चुकी इस प्रकरण में सीआईए के षड्यंत्र की बात आती है ,इसलिए अमेरिका को तो बिल्कुल ही नहीं बख्शा जा सकता है । हां,तत्कालीन सरकारों और उसकी सुरक्षा एजेंसियों को संदेह का लाभ जरूर दिया जा सकता है क्योंकि जासूसी के धंधे में अक्सर ऐसा होता है कि किसी दुश्मन देश के महत्वपूर्ण हस्ती को उसी देश की एजेंसियों को गुमराह करके उनके द्वारा निशाना बनवा दिया जाता है । शायद इस प्रकरण में भी ऐसा ही हुआ हो और सीआईए के द्वारा भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को गुमराह करके नांबी नारायण को निशाना बनवाया गया हो । अथवा कुछ अन्य कारण भी हो जो हम लोगों की आंखों से अब तक ओझल हो । इसलिए इस प्रकरण की हमारी मौजूदा राष्ट्रवादी सरकार के द्वारा सूक्ष्म एवं गहन जांच करवाई जानी चाहिए तथा अगर, इरादतन तौर पर उक्त वैज्ञानिक को प्रताड़ित करने का कोई व्यक्ति दोषी पाया जाता है तो उसे कड़ी सजा भी मिलनी चाहिए ।


देश का दुर्भाग्य और यहां जड़ जमाये बैठै कथित तौर पर बुद्धिजीवी जो विदेशी एजेंट भी हैं इस पर मीडिया में भी कई बार चर्चा होते रहती है , राजनीतिज्ञों के द्वारा भी उंगली उठाया जाता रहा है उनको हम पहचान कर भी हम भारतवासी अनदेखा कर देते हैं। इनमें नेता, धर्म गुरु और बाबा सब हैं। ऐ आज से नहीं आज़ादी से पहले से कहीं काम कर रहे हैं। और खुब नाम और शोहरत कमा रहे हैं। इनके खिलाफ मुंह खोलने पर जेल में जाना पड़ता है।

परन्तु इसके पहले हमारी राष्ट्रवादी सरकार इस मामले में अमेरिका को कड़ा संदेश देने की भी पहल करे न कि उसी की गोद में बैठकर राष्ट्रवाद की गीत गाती रहे ।

हिंदुस्तान का दुर्भाग्य है कि ऐसी प्रतिभाओं को दबाया जाता रहा है, यह साजिशें देश को कई पीढ़ी पीछे धकेल देती हैं ।

आज से 53 साल पहले अमेरिका चांद पर अपोलो यान के जरिए मानव उतार चुका है । अभी तो हम अपना यंत्र भी नहीं उतार पाये है। हिंदुस्तान के जितने सबसे इंटेलिजेंट लोग हैं वे आईआईटी में जाते हैं। और सारे आईआईटियन नौकरी करने के लिए दुनिया के तमाम देशों में बिखर गए हैं ।वो भी चंद पैसों में ।नासा में भी भारतीय लोग काम कर रहे हैं। जैसे अंग्रेज दलालों के जरिए जमींदारों के जरिए नवाबों के जरिए । शासन कर रहे थे और देश का शोषण कर रहे थे वह व्यवस्था भी बदली नहीं है ।आज हमारे सर्वश्रेष्ठ बुद्धिमान लोग विदेशों में जाकर बड़ी-बड़ी कंपनियों के सीईओ बने हुए हैं और भारत के उद्योग धंधे उस उच्च स्तर पर नहीं पहुंच पाए हैं जो चाइना अमेरिका इंग्लैंड पहुंचा चुका है ।हम लोग आयात करने में बड़े माहिर हैं। चाइना हमारे देश में अपने सामान को भेजकर हमको ही धमकी देता रहता है।


आज गुणात्मक, कलात्मक, शोधात्मक, प्रयोगात्मक , आदर्श परिवेशीय सुक्ष्म तकनीकी दक्षता जन्य क्षमताएं किसी कि दबाई नही जा सकता यह प्राचीन काल से शाश्वत वास्तविक सत्य है । आने वाले कल के लिए विश्व पटलीय व्यवस्थाओं में विश्व को काजू कि रोटी, नैनों पार्टिकल पारगर्भित शीशा प्रदान करने जैसे खोज विश्व को देने की जरूरत है ।

और अंत में यही कहना काफी है कि....

बर्बाद गुलिस्तां करने को बस एक ही उल्लू काफी है

हर साख पर उल्लू बैठा है अंजामे गुलिस्तां क्या होगा ।


No comments:

Post a Comment