इस्लाम कोई धर्म नही, इसलिए सनातन धर्म अपनाया
वसीम रिजवी इस्लाम छोड़ सनातन धर्म अपनाया ।
वसीम रिजवी का नाम तो सुनें ही होंगे , ये आज यानी सोमवार को गाजियाबाद के शिव शक्ति धाम स्थित डासना देवी मंदिर में सनातन धर्म अपना लिया। उनके सनातन धर्म अपनाने की प्रक्रिया में यति नरसिंहानंद गिरि महाराज ने धार्मिक रीति-रिवाज से पूर्ण किया । वसीम रिज़वी को सनातन धर्म अपनाने के लिए सबसे पहले वैदिक मंत्रों के साथ माँ काली की पूजा अर्चना करवाया बाद में उनका शुद्धिकरण किया गया । उन्हें सनातन धर्म के ब्राह्मण समाज में जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी नामकरण किया गया ।
जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी साहेब यानी वसीम रिजवी उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष थे। ये एक लम्बे समय से इस पद आसीन थे। इन्होंने मायावती, अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ सरकारों के काल में अपना काम अंजाम दिया है। वे फिल्म निर्माता भी हैं। अन्य समाचार के लिए यहां click करे।
शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी उर्फ़ त्यागी जी ने कुरान की आयतें हटवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दरवाजा PIL दायर कर चुके हैं ,उनका तर्क है कि ये आयतें बाद में जोड़ी गईं, जिससे लोग कट्टरपंथी हो रहे हैं । इन्होंने जिन 26 आयतों को हटाने के लिए उन्होंने PIL डाली थी, वे आयतें मूल कुरान का हिस्सा नहीं थी, बल्कि उन्हें कट्टरपंथियों ने बाद में जोड़ा क्योंकि मजहबी मुसलमान उसपर भरोसा करके बात को सही मान लें।
गाजियाबाद के डासना मंदिर में कहा कि धर्म परिवर्तन की यहां कोई बात नहीं है। सनातन धर्म अपनाने का मुख्य कारण है कि उन्हें मुस्लिम धर्म से निकाल दिया गया । तब ये उनके ऊपर निर्भर करता है कि वे किस धर्म को स्वीकार करें । सनातन धर्म दुनिया का सबसे पहला धर्म है और उसमें इतनी अच्छाइयां हैं, इंसानियत है । उन्होंने कहा कि हम समझते हैं कि इतनी किसी और धर्म में नहीं हैं।
रिजवी साहेब ने बताया कि इस्लाम को हम धर्म समझते ही नहीं हैं। इतना पढ़ लेने के बाद इस्लाम के बारे में मोहम्मद के बनाए धर्म और जो उनका आतंकवादी चेहरा है उसको पढ़ने के बाद स्पष्ट है कि इस्लाम कोई धर्म नहीं है। यह मोहम्मद द्वारा बनाया गया हुआ एक आतंकी गुट है जो 1,400 साल पहले अरब में तैयार किया गया था।
वसीम रिजवी उर्फ़ त्यागी ने कहा कि हर जुम्मे को उनका सर काटने की बात की जा रही थी ।
इस पर उनके समर्थक बहुत ही खुश है और उनको सनातन संस्कृति में स्वागत कर रहा है । इस दुनिया से आतंकवाद को समाप्त करने का एक उपाय ये भी है कि सभी मुस्लिम हिन्दू धर्म अपना लें ।
ऐसे भारत के क़ानून में हर एक व्यक्ति को अपने मर्ज़ी के मुताबिक़ धर्म चुनने का और उसके प्रचार प्रसार का अधिकार है। सिर्फ़ इस एक मामूली आदमी के धर्म परिवर्तन पर इतना शोर शराबे की तो कोई ज़रूरत नहीं थी ।
ये तो रोज़ की बात है यहां पर बहुत से लोग इसाई धर्म स्वीकार करते रहते हैं, इसी तरह अनगिनत लोग तमाम तरह के खौफ और पाबंदियों के बाबजूद इस्लाम कुबूल करते रहते हैं।
श्री जितेन्द्र नारायण सिंह त्यागी साहब को चाहिए कि भारतीय संविधान के अनुसार अपनी बाकी जीवन यापन करें भारतीय संविधान सबको अपने धर्म का पालन करने की अनुमति देता है लेकिन दूसरे धर्म के धार्मिक पुस्तक या महापुरुषों के अपमान की अनुमति नहीं देता है जियो और जीने दो पर अमल करें ।
सनातन ही एक ऐसा धर्म है जो मानवता का पाठ पढ़ाता है और जीवन जीने की सही मार्गदर्शन कराता है ।
जब कुछ नहीं था तब वही सच्चिदानंद स्वरूप परमेश्वर हुआ करता था । हर मनुष्य उस सनातन शक्ति को ही मानता था फिर आगे के काल में कुछ आततायी जादूगर हुए जिन्होंने मनुष्यों को भ्रम में डाला और नए ईश्वरों की रचना कर डाली पर कहते हैं न कि मनुष्य की चेतना पुनः उसे परम सनातन के पास पहुँचा देती है .....
सनातन में पुनः स्वागत है जितेंद्र नारायण स्वामी जी (पूर्व नाम वसीम रिजवी)......
मानवता की रक्षा करने के लिए समस्त मानवों का आह्वाहन किया जाता है कि वो सनातन मार्ग का अनुसरण करते हुए आततायी शक्तियों से लड़ें.....
अब मानवता की रक्षा के लिए आगे बढ़ो ,
महत्व नहीं रखता की तुम्हारे पूर्वजों ने डर वश या लालच वश या भ्रम वश अपने सनातन मार्ग को छोड़ दिया था पर अब तुम जाँचो परखो औऱ जानो कि क्या गलत हुआ था और पुनः अपने घर में वापस लौट आओ.....
संकोच मत करो , डरो मत किसी से
अपने घर वापस लौटने में संकोच कैसा ..!!
डर किसका...!
म्लेच्छ शक्तियों के विनाश का समय आ चुका है इसलिए स्वयं को म्लेच्छ धर्म से मुक्त कर लो और मानवता की रक्षा के लिए पुनः सनातन में प्रवेश करो ।
पुराने जमाने में जब हॉस्पिटल नहीं होते थे, तो बच्चे की नाभि कौन काटता था,
मतलब पिता से भी पहले कौनसी जाति बच्चे को स्पर्श करती थी?
आपका मुंडन करते वक्त कौन स्पर्श करता था?
शादी के मंडप में नाईं और धोबन भी होती थी।
लड़की का पिता, लड़के के पिता से इन दोनों के लिए साड़ी की मांग करता था।
वाल्मीकियों के बनाये हुए सूप से ही छठ व्रत होता हैं!
आपके घर में कुँए से पानी कौन लाता था?
भोज के लिए पत्तल कौन सी जाति बनाती थी?
किसने आपके कपड़े धोये?
डोली अपने कंधे पर कौन मीलो-मीलो दूर से लाता था और उनके जिन्दा रहते किसी की मजाल न थी कि आपकी बिटिया को छू भी दे।
किसके हाथो से बनाये मिटटी की सुराही से जेठ महीने में आपकी आत्मा तृप्त हो जाती थी?
कौन आपकी झोपड़ियां बनाता था?
कौन फसल लाता था?
कौन आपकी चिता जलाने में सहायक सिद्ध होता हैं?
जीवन से लेकर मरण तक सब सबको कभी न कभी स्पर्श करते थे।
. . . और कहते है कि छुआछूत था।
यह छुआछूत की बीमारी मुस्लिमों और अंग्रेजों ने हिंदू धर्म को तोड़ने के लिए एक साजिश के तहत डाली थी।
जातियां थी, पर उनके मध्य एक प्रेम की धारा भी बहती थी, जिसका कभी कोई उल्लेख नहीं करता।
अगर जातिवाद होता तो राम कभी सबरी के झूठे बेर ना खाते, बाल्मीकि के द्वारा रचित रामायण कोई नहीं पढता,
कृष्ण कभी सुदामा के पैर ना धोते!
जाति में मत टूटिये, धर्म से जुड़िये..
देश जोड़िये.. सभी को अवगत कराएं!
सभी जातियाँ सम्माननीय हैं ।
भारत में की उन्होंने सनातन धर्म अपनाया । ये कोई बहुत बड़ी बात नहीं है सच्चाई ही ये है। हिंदुस्तान ,पाकिस्तान,अफगानिस्तान,बांग्लादेश ईरान,इराक का हर वक्ति हर इंसान हिंदू है , सनातन धर्म दुनिया का सब से पुराना धर्म है और पूरे भारत वर्ष में सिर्फ हिंदू धर्म ही था पर दुर्भाग्य से हजारों साल हिंदुस्तान पर मुगलों, तुर्को, अंग्रेजो ने सासन किया जिस से हिंदू धर्म,हिंदू मंदिर,हिंदू संस्कृत ,हिंदू विरासत का काफी नुकसान हुआ अब लोग जगरूप होकर अपना खोई विरासत वापस ले लेना चाहिए।
Mmmmmmmm
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